वोडाफोन आईडिया बंद होने वाली है. क्या बीएसएनएल में होगा विलय. क्या तीनो बनेगी सरकारी कंपनी

वोडाफोन आईडिया बंद होने वाली है क्या बीएसएनएल में होगा विलय क्या तीनो बनेगी सरकारी कंपनी
वोडाफोन आईडिया बंद होने वाली है क्या बीएसएनएल में होगा विलय क्या तीनो बनेगी सरकारी कंपनी
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क्या वोडाफोन इंडिया हिंदुस्तान में बंद होने वाला है यह बड़ी बात इसलिए कहनी पड़ रही है क्योंकि जीतने उसके ग्राहक है, उनको ये बात पता होनी चाहिए की अदालत में एक अर्जी लगाई गई है वोडाफोन आइडिया द्वारा तो क्या वोडाफोन आइडिया बंद होने वाला है ऐसे में उसके ग्राहक कहाँ जाएंगे और क्या वोडाफोन आइडिया सरकारी हो जाएगा यानी कि सरकारी बीएसएनएल की तरह वह भी सरकारी हो जाएगा
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आप लोग शायद यह नहीं जानते होंगे कि अभी भी लगभग आधा 49% स्टेक होल्डर वोडाफोन आइडिया में सरकार है और अगर वो अपने कर्जे से कर्जा मुक्त नहीं होते है और उसकी टाइमलाइन भी हुई है तो क्या सरकार इस 49% को बढ़ा करके पूरा ही कंट्रोल ले लेगी और अगर ऐसा होता है तो क्या बीएसएनएल और वोडाफोन आइडिया का हो जाएगा विलय और ये दोनों ही सरकारी कंपनियां बन जाएंगी एयरटेल और जियो के मुकाबले
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रोचक है अगर आप कस्टमर है तो आपको यह बात जानना जरूरी है वोडाफोन आइडिया सबसे पहले आपको ये बता दूँ कि ये और क्योंकि ये टेक्निकल मामला है तो इसको जितनी सरल भाषा में समझा सकेंगे उतनी समझाएंगे भूल चूक लेनी देनी तो सबसे पहले आपको यह बता दें कि वोडाफोन आइडिया सुप्रीम कोर्ट में गई और सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने कुछ अर्जी लगाई है वो ये कहते हैं कि भाई हम लोगो के ऊपर 2.3,00,000 करोड़ रुपए का कर्जा है, 27 बिलियन डॉलर ये कर्जा है और ये हमको देना है क्रेडिटर्स को सरकार को स्पेक्ट्रम लाइसेंस के लिए और एजीआर के लिए इसका ब्रेक अप आपके स्क्रीन पर है 70,000 करोड़ रुपये देने है
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एजीआर यानी की एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू ये हमको सरकार को देना है और और उस पर पेनल्टी भी लगी हुई है 45,000 करोड़ की इंट्रेस्ट पेनल्टी इन्ट्रेस्ट ऑन पेनल्टी ये सारी चीजें यानी बहुत लंबे टाइम से डिफ़ॉल्ट कर रहे हैं इसके अलावा 1.4,00,000 करोड़ स्पेक्ट्रम लाइसेंस का पैसा है जो देना है। इतना पैसा वोडाफोन आइडिया को देना है आपको यह बता दें कि यह कोई ऐसा अनोखा नियम नहीं हैं जो वोडाफोन आइडिया पर ही लगा है इस तरीके की चीज़ सारे टेलीकॉम ऑपरेटर्स को इससे गुजरना पड़ा है
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इस तरीके का पैसा सभी को देना पड़ा है तो ये कोई अनोखी चीज़ नहीं है जो वोडाफोन आइडिया के साथ हो रही है या उनसे कोई अनोखी मांग कर ली गई हो इससे पहले भी वो अदालत जा चूके हैं और फैसला सरकार के पक्ष में ही आया है अब आपको यह बता दे की इसको समझा कैसे जाए
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ऐसे समझिए आसान भाषा में कि वोडाफोन आइडिया एक गोलगप्पे का ठेला है और उस गोल गप्पे के ठेले में वह ठेला खरीदने के लिए गोल गप्पे वाले ने कर्जा लिया तो मुझे ठेला लगाना है, उससे मेरा पैसा बढ़ जाएगा, बहुत रेवेन्यू हो जाएगा और फिर मैं ठेले का पैसा भी चुका दूंगा, किस्त भी चुका दूंगा, सब कुछ दे दूंगा इतने में बगल ने एक दम बगल में किसी ने एक बड़ी सी दुकान गोलगप्पे की खोली, उसमें अंदर एसी भी लगा है, कुरसी भी लगी हुई है, गोलगप्पे का दाम भी सेम है
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जियो और एयरटेल तो फिर बाहर धूप में खड़े होकर के गोलगप्पा ठेले पर कौन खायेगा लोग अंदर चले गए अब इन सब चीजों को लेकर के ठेले का कर्जा तो ले लिया मैंने, लेकिन ग्राहक आ नहीं रहे हैं वादा यही था सोचा यही था की ग्राहक आएँगे सारे ग्राहक तो अंदर एसी में चले गए समय नाम पे गोलगप्पा खाने तो अब मैं क्या करूँ तो अब फिर मोहलत मांग रहे हैं आप की थोड़ा सा समय और दे दीजिए मैं थोड़ा अपना ठेला सुधार लू कुछ ऐसा प्रबंध कर दू कुछ लोकलुभावन स्कीम निकाल दूँ, कुछ कर दूँ तो थोड़ा समय दे दीजिए
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यही समय मांगने का प्रयास वोडाफोन आइडिया ने सरकार की तरफ से किया और आज से नहीं बहुत पहले से करते आ रहे हैं कुछ छूट पा भी चूके है लेकिन अब उन्होंने ये बोल दिया है की इतना कर्जे के साथ कैसे चलाएंगे तो ये बहुत हद तक मुमकिन है कि हम को अपना ऑपरेशन कहीं बंद ना करना पड़ जाएं और सरकार तो हमारी 49% मालिक तो है ही ना उसने ऑलरेडी क्योंकि हम कर्जा नहीं दे पाए थे तो कुछ कुछ पैसा वसूली करने के लिए एक बार आप मैं फिर बताता हूँ
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आपके समझने के लिए सपोज़ आपने कोई बाइक ली और आपने पैसा बैंक से ना ले करके ऐसे ही किसी से दोस्त से उधार ले लिया और दोस्त निकला बदमाश आप पैसा नहीं दे पाए तो दोस्त 1 दिन आया और उसने बोला कि तुम्हारी गाड़ी का एक चक्का मैं लेकर जा रहा हूँ या चाबी में लेकर के जा रहा हूँ तभी चला पाओगे, जब पूरा पैसा दे दोगे अब आप विवश हो गए क्योंकि अब आप पूरी तरीके से लाभ भी नहीं दे सकते अब आप उसको चला करके अपना काम भी नहीं कर सकते आपको पैसा भी चुकाना है इन सारी चीजों को वोडाफोन आइडिया ने अदालत के सामने रखा और बोला मी
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लॉर्ड ना हो पायेगा। और सरकार अगर ये सोचती है की वो 49% मालिक होकर के उसने अपना कर्जा कम कर लिया है और हम वैल्यू कैसे बढ़ाएंगे शेयर मार्केट में आप वैल्यू अपनी कंपनी की कैसे बढ़ाते हैं जब कंपनी इस लायक होती है कि लोग समझें कि हाँ उसमें वैल्यू ढूँढी जाए और अगर ऐसा नहीं होगा तो बड़ी दिक्कत हो जाएगी तो वोडाफोन आइडिया का अदालत में ये कहना है कि सरकार यह न समझें कि वो हमारी हमारे शेयर को ले करके और कर्जा माफ़ करती चली जाएगी
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अगर हमारी कंपनी डूबी तो सरकार की जो वैल्यू हमने क्रीएट की है, उसके शेयर की वो भी तो घटेगी मतलब मेरा गोलगप्पे का ठेला अगर नहीं चलेगा तो उस थैले में जंग लगने लगे गी फिर आप भले ही ये सोचे की हाँ, हमने तो इसका ठेला ले लिया पैसे रिकवर कर लिए, फिर आप वो पैसा भी रिकवर नहीं कर पाओगे, उसकी वैल्यू गिर रही है
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ये चीज़ मैंने कोशिश की बहुत अति सरलीकरण करने की अक्सर इस तरीके से नहीं होता है, लेकिन मोटा मोटा आप लोग समझ गए कि इसी तरीके की बात वोडाफोन आइडिया के साथ हो रही है अब देखिये यहाँ पर एक चीज़ जानना जरूरी है कि सरकार वोडाफोन आइडिया को कई बार पहले भी रिलीफ दे चुकी है 2021 में एक रिलीफ पैकेज दिया है
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इस सरकार ने जिसमें उन्होंने कहा कि आपको जो पैसे देने है उसमें एक मॉरटोरीअम मॉरटोरीअम का मतलब कि तुरंत मत चुकाइये थोड़ा सा समय ले लीजिये, अपना ऑपरेशन ठीक कर लीजिये और उसके बाद चुका दीजियेगा लोग करते है ना जैसे आप अगर किसी के पास गए और बोले की थोड़ा सा समय का और थोड़ा समय और दे दीजिये, सारा पैसा चुका दूंगा तो कोई बोलता है की अच्छा ठीक है, समय ले लो लेकिन इस तारीख तक चुका देना अब वो तारीख भी आ रही है
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सितंबर 2025 और अब ये सुप्रीम कोर्ट में चले गए की हम नहीं चुका पाएंगे इसके अलावा फरवरी 2023 में सरकार ने 6100 ₹33,00,00,000 के वोडाफोन आइडिया के इन्ट्रेस्ट व्यूस जो उनको पैसे देने थे वो क्योंकि वो नहीं दे पा रहे थे इस वजह से सरकार ने बोला की ठीक है, आओ तुम्हारी कंपनी के 23% शेयर ले करके मैं ये रिण माफ़ कर दे ये आप से इतना हिस्सा तुम्हारी कंपनी का मेरा 23% और उसमें फिर अब मैं तुम से 6135 करोड़ नहीं वसूल लूँगा जाओ
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ये एक हो गया। उम्मीद ये थी कि इसके बाद थोड़ी राहत मिलेगी वोडाफोन आइडिया बेहतर होगा लेकिन कॉम्पिटिशन मार्केट में इतना था कि वो नीचे ही जाते रहे मार्च 2025 में सरकार ने फिर 36,900 ₹50,00,00,000 के वोडाफोन आइडिया के ड्यूस को इक्विटी में कन्वर्ट कर लिया और अब जो पहले 23% सरकार की होल्डिंग थी
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वो बढ़ करके 49% सरकार की होल्डिंग हो गई इतना ऋण माफ़ कर दिया, लेकिन इसके बावजूद अभी भी वोडाफोन आइडिया को बहुत सारे पैसे देने वो नहीं दे पा रहे है तो ऐसे में अगर अदालत से राहत नहीं मिलती तो दो ही चीजें हो सकती है कि वोडाफोन आइडिया बोल दे कि भैया मैं कंगला हो गया हूँ, मैं नहीं दे सकता मैं बंद कर रहा हूँ
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अपना सब कुछ अब आप देख लो तेरा तुझको अर्पण या दूसरी चीज़ यह हो कि सरकार जिंस तरीके से पहले उन्होंने वोडाफोन आइडिया के शेयर ले लेकर माफी की है उस तरीके से जितना ड्यूस है वो सारे ड्यूस माफ़ करके पूरा ही वोडाफोन आइडिया सरकार ले ले यानी कि वोडाफोन आइडिया एक सरकारी कंपनी बन जाए तो फिर प्राइवेट मार्केट में जहाँ पर जियो, एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया प्राइवेट प्लेयर्स थे और एक अकेला बीएसएनएल सरकारी प्लेयर था वहा पर अब क्या एक ऐसी स्थिति आएगी कि जियो और एयरटेल रह जाएंगे प्राइवेट और पब्लिक में पब्लिक सेक्टर
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पीएसयू अब दो कंपनियां हो जाएंगी वोडाफोन आइडिया सरकारी और बीएसएनएल सरकारी और यहीं पर आता है हमारा अगला असेसमेंट। जो बहुत हद तक मुमकिन है कि कहीं सरकार को ये तो नहीं लगेगा कि हम क्यों बिना मतलब दो अलग अलग सरकारी कंपनियां चलाएं, फिर हम विलय कर दें, फिर सब कुछ भी हो जाए। वोडाफोन आइडिया का नाम बदल के उसको बीएसएनएल में मर्ज कर दूँ ताकि बीएसएनएल का भी ग्राफ ऊपर चला जाए उसकी भी कंपनी के अच्छे खासे ग्राहक बेस हो जाए ये मैटर कैसे करेगा
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किसके कितने ग्राहक है। तो टॉप फाइव वाइल्ड वायरलेस सर्विस प्रोवाइडर्स इन इंडिया जिसमें रिलायंस जियो के पास लगभग 47,00,00,000। आप समझिये ग्राहक है 47 कर सबसे ज्यादा है। भारती एयरटेल के पास करीब 28.9,00,00,000 वोडाफोन आइडिया के पास 12.6,00,00,000। ये सब मिलियन्स में फ़िगर है, मैं करोड़ में
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बदल दे रहा हूँ बीएसएनएल के पास 3,50,00,000 और एक त्रिया कन्वर्जन्स टेक्नोलॉजी है उनके पास करीब बी 2.29 मिलियन है मतलब आप ये समझ लीजिये 20 1,00,000 के बहुत बड़े बहुत बड़ा प्लेयर नहीं है तो मोटा मोटा चार ऊपर के आप देखिए की 3,50,00,000, बीएसएनएल के 12,50,00,000, वोडाफोन, आइडिया के करीब, 29,00,00,000 एयरटेल के और 47.6,00,00,000 रिलायंस जियो के परसेंटेज टर्म्स में अगर आप देखना चाहें तो ये आपके स्क्रीन पर है जिसमे आप देख सकते हैं रिलायंस जियो लगभग 50% मार्केट शेयर कब्जा किए हुए है
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एयरटेल ने करीब 30.5% मार्केट शेयर कब्जा किया है वोडाफोन आइडिया के पास, जो वैसे ही एक मर्ज डेन्सिटी है वोडाफोन आइडिया का इतिहास अगर आप जानें हिंदुस्तान में जब प्राइवेट टेलीकॉम प्लेयर्स आये थे छोटे छोटे बहुत सारे थे लेकिन एक बड़े नाम पर एक नैश्नल लेवल पर जो प्लेयर्स थे एक था एयरटेल और एक था एस्सार दिल्ली में तो खास तौर से यही दोनों थे प्राइवेट में और एमटीएनएल था तो प्राइवेट में एयरटेल तो एयरटेल रहा, लेकिन एस्सार पहले एस्सार हुआ फिर वो हच हुआ फिर वो वोडाफ़ोन हो गया फिर उसके साथ एक और कंपनी थी की एक और प्राइवेट प्लेयर था आइडिया, आइडिया, मोबाइल, वोडाफोन और आइडिया जब जियो आया तो उनको लगा वो अकेले अकेले हम क्या कर पाएंगे चलो मर्ज हो जाए तो वोडाफोन आइडिया आज का जो आप देखते हैं ये इतना सब मर्जर, मर्जर, मर्जर सब वो आके यहाँ तक पहुंचे और अभी यहाँ पर भी हालत खराब है
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तो उनका मार्केट शेयर 13.39% है और बीएसएनएल 3.66% है यानी की अगर आप अपने आप में इनको देखें तो ये बहुत मुकम्मल प्लेयर्स नहीं है दोनों। लेकिन अगर दोनों सरकारी प्लेयर हो जाए और सरकार यह तय करेगी आओ तुम्हारा विलय करा दे तो 13.39 यानी की लगभग 14% और 14 में अगर आप 3.5% और मिलादे 17.5% मार्केट शेयर का एक प्लेयर एक सरकारी एनटीटी बन जाएगी यानी कि एक मुकाबला तो नहीं कर पा रहे है अभी भी जियो का और एयरटेल का लेकिन फिर भी एक्साइजेबल मार्केट शेयर इस एंटिटी का भी हो जाएगा
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ये बड़ी बड़ी कंपनियां कुछ भी करे या नहीं करें अव्वल तो आप बिज़नेस अगर अच्छे से करेंगे तो ऐसी नौबत नहीं आएगी और फिर अगर आप बिज़नेस नहीं कर पा रहे हैं और फिर रोते हुए आप सरकार के पास जा रहे हैं तो आप सरकार को मजबूर कर दे रहे है की वो आप को टेकओवर कर ले ऐसे में वोडाफोन आइडिया के ग्राहक कहाँ जाएंगे कुछ लोग हैं जो 1996 से ये नंबर चलाएं चले जा रहे हैं अपना और वो पोर्ट भी नहीं किया है उन्होंने तो ऐसे में इन ग्राहकों का क्या होगा ग्राहकों के सामने एक विकल्प है नम्बर पोर्ट करा लेने का लेकिन जब एक इस तरीके से प्लेअर डाउन हो जाएगा तब फिर ये एक रिस्पॉन्सिबिलिटी बन जाती है कि आप एक हेल्थी कॉम्पिटिशन बना करके रखें,
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क्योंकि अगर वोडाफोन आइडिया सीन में नहीं होगा और बीएसएनएल तो अभी थ्री जी पर ही है उस जी स्पीड पर सुधरना था उस स्पीड पर सुधार नहीं पाया तो ये सारे ग्राहक छिटक कर के एयरटेल और जियो जाएंगे फिर डूमोली हो जाएगी तो इस चीज़ को रोकने के लिए क्या सरकार वोडाफोन आइडिया को बंद होने के बजाय टेकओवर करके उसका सरकारी विलय कराकर एक बड़ी बीएसएनएल बनाने में इच्छुक रहेगी जिसपर फिर वो कसके पैसा खर्च करके उसको एक अच्छा प्लेयर बनाएँ ताकि मार्केट में संतुलन बना रहे
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