बांग्लादेश में हो सकता है तख्तापलट, शेख हसीना की होगी वापसी

बांग्लादेश में हो सकता है तख्तापलट शेख हसीना की होगी वापसी
बांग्लादेश में हो सकता है तख्तापलट, शेख हसीना की होगी वापसी
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जो उस वक्त में इकॉनमी के कुछ मामलों में इंडिया को टक्कर दे रहा था तो वहीं कुछ चीजों में इंडिया से आगे भी निकल रहा है जैसे टेक्सटाइल इन्डस्ट्री लेकिन करीब 10 या 11 महीने से बांग्लादेश में सिर्फ सियासी उठापटक देखने को मिल रही है
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करीब 10 महीने पहले अभिषेक हसीना का तख्ता पलट हुआ था, जिसके बाद एक तत्कालीन गवर्नमेंट बनाई गई थी जिसे मोहम्मद यूनुस चला रहे थे लेकिन अब एक बार फिर से बांग्लादेश में उथल पुथल है सब पिछले पांच दिनों में हालात बहुत तेजी से बिगड़े और रिपोर्ट्स आ रही है
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की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस इस्तीफा देने वाले हैं और इसके जिम्मेदार बांग्लादेशी सेना प्रमुख जनरल वकार पर अगर मोहम्मद यूनुस देंगे तो क्या मिलिट्री देश चलाएगी या फिर शेख हसीना की वापसी होगी या फिर कुछ नया ही होगा
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लेकिन उससे पहले सवाल ये आता है कि जिस मोहम्मद यूनुस को खुद आर्मी ने कुर्सी पर बैठाया था आखिर उस मोहम्मद यूनुस के इस्तीफ़े तक बात कैसे पहुंची आर्मी, जनरल और पॉलिटिकल पार्टियों से आखिर कैसे उनकी अनबन हो गई सबसे पहले बात करते हैं आखिर बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस के इस्तीफ़े तक बात कैसे पहुंची
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इन सब की शुरुआत होती है 10 महीने पहले जुलाई 2024 से बांग्लादेश में अवामी लीग सरकार के खिलाफ़ बड़े पैमाने पर प्रोटेस्ट हुए धीरे धीरे यह प्रोटेस्ट हिंसक विद्रोह में बदल गया और बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना को इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा और उन्हें इंडिया ने पनाह दी अब सवाल था कि देश कौन चलाएगा
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ऐसे में आर्मी ने बोला बस सब्र करो हम बताते हैं अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस का झुकाव शुरुआत से ही शेख हसीना के खिलाफ़ आंदोलन चलाने वाले छात्र नेताओं की तरफ रहा है इन छात्रों नेताओं ने नैश्नल सिटिज़न पार्टी यानी एनसीपी बनाई बीएनपी अक्सर यू नो सरकार पर एनसीपी के लिए सपोर्ट का आरोप लगाती रही है
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वहीं यूनुस सरकार ने मानवीय कोरिडोर समेत कई अहम मुद्दों पर बीएनपी और दूसरी पार्टियों के साथ सलाह मशविरा भी नहीं किया
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अपने आप को सब से ऊपर समझने लगी जिससे पार्टियों में भारी नाराजगी है कई और मुद्दों पर भी सरकार के खिलाफ़ देश में राजनीतिक प्रोटेस्ट हो रहे हैं आंदोलन की तैयारियां चल रही है, जिससे यूनुस सरकार नाराज है
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और कई रिपोर्ट्स में कोई ये भी बताया गया है कि इन प्रोटेस्ट को दबाने की कोशिश भी की जा रही है इसके बाद नोबेल प्राइज विनर मोहम्मद यूनुस की अगुवाई में एक इंटरिम गवर्नमेंट बनाई जाती है उन्हें प्रमुख सलाहकार बनाया गया इस अंतरिम सरकार को प्रदर्शनकारी स्टूडेंट लीडर के अलावा बांग्लादेश नैशनलिस्ट पार्टी यानी बीएनपी और जमात ए इस्लामी समेत कई राजनीतिक दलों और बांग्लादेशी सेना ने पूरा सपोर्ट दिया था
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20 मई 2025 को बंद कमरे में एक मीटिंग होती है। इसमें मोहम्मद यूनुस और बांग्लादेश के तीनों सेनाओं के प्रमुख शामिल थे ऊपर से देखने पर तो यह एक सामान्य मीटिंग थी, लेकिन इसी के बाद यूनुस ने अंतरिम सरकार के सभी सलाहकारों को बुलाकर कहा कि वो इस्तीफा देने की सोच रहे हैं तो ऐसे में सवाल आता है साहब के आखिर इस मीटिंग में ऐसा क्या हुआ आखिर बांग्लादेश के सेना प्रमुख और मोहम्मद यूनुस के बीच के इस बात पर मामला फंस गया है
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इसका जवाब थोड़ा सा पेंचीदा है बांग्लादेशी अखबार द डेली स्टार की एक रिपोर्ट के मुताबिक जनरल 21 मई को ढाका केन्टोमेन्ट में एक बड़ी बैठक को एड्रेस कर रहे थे इसमें देशभर के अफसर कॉम्बैट में मौजूद थे जनरल ने कहा, बांग्लादेश को पॉलिटिकल स्टेबिलिटी चाहिए और ये सिर्फ एक चुनी हुई सरकार से ही पॉसिबल है ना की किसी बिना चुने गए ऐड्मिनिस्ट्रेशन से उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि इस साल दिसंबर तक देश में चुनाव कराए जाने चाहिए
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हालांकि मोहम्मद यूनुस का कहना है कि चुनाव 2026 से पहले नहीं होंगे जनरल वकार यूनुस सरकार के कुछ और फैसलों के भी खिलाफ़ है जो इसे म्यांमार के आखिर में एक मानवीय कॉरिडोर खोलने के प्रस्ताव पर उन्होंने कहा कोई गलियारा नहीं होगा बांग्लादेश की सॉवरेन की कोई सौदेबाजी का सवाल नहीं है उन्होंने वॉर्निंग दी कि ऐसा कोई कदम बांग्लादेश को किसी और के युद्ध में खींच सकता है उन्होंने साफ कहा, ऐसे फैसले सिर्फ एक चुनी हुई राजनीतिक सरकार ही ले सकती है
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दरअसल यूनुस सरकार ने पिछले दिनों ऐसे ही कुछ और नीतिगत फैसले लिए हैं जैसे चटगांव पोर्ट का मैनेजमेंट, विदेशी कंपनी को देना, सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस स्टार लिंक को मंजूरी देना जनरल वकार ने कहा, सेना किसी को भी हमारी संप्रभुता के साथ समझौता नहीं करने देगी सेना प्रमुख के इन बयानों से साफ दिख रहा है एक साहब के वो अंतरिम सरकार के फैसलों से
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परेशान और खिलाफ़ है और इसलिए अब वो दूसरी सरकार चाहते हैं लेकिन ये सरकार तो बना ही सेना ने थी ना तो फिर अब क्या हुआ देखिए 8 अगस्त 2024 को मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया के तौर पर शपथ ली थी उन्होंने रक्षा, शिक्षा, ऊर्जा और सूचना जैसे 27 मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली अंतरिम सरकार में यूनुस के साथ एक दर्जन से ज्यादा सलाहकार भी हैं इस सरकार के एजेंडा भी तय किए गए पहला, देश में शांति की बहाली और हर पक्ष से बातचीत इस वक्त अंतरिम सरकार बनी
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तब बांग्लादेश में हिंसा और उथल पुथल थी ऐसे में शांति की बहाली बहुत जरूरी थी साथ ही स्टूडेंट, समाज और आम लोगों के हर पक्ष से बातचीत करना, उनकी मांगों को पूरा करना अगस्त 2024 में यूनुस ने कहा भी था। मैं संविधान को बनाए रखूँगा, उसकी रक्षा और शांति के लिए काम करूँगा दूसरा स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना
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यूनुस की अंतरिम सरकार को जल्द से जल्द स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करवाकर देश की बागडोर जनता की चुनी हुई सरकार को सौंपनी थी शुरुआत में यूनुस ने भी कहा था कि उनकी सरकार जल्द से जल्द स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराएगी हर चुनाव टलते जा रहे मोहम्मद यूनुस चुनाव कराने की बात कई बार कह चूके हैं एक बार उन्होंने कहा भी था कि जून 2026 तक देश चुनाव के लिए तैयार हो सकता है
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लेकिन उन्होंने क्लिअर डेडलाइन नहीं बताई थी उन पर सेना और बांग्लादेश नैशनलिस्ट पार्टी का दबाव बढ़ता जा रहा है इसके अलावा यूनुस को कुर्सी पर बनाए रखने के लिए भी सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक नाम बंदी की जा रही है पूरे ढाका शहर में यूनुस के समर्थन में पोस्टर लगे हुए हैं, जिन पर लिखा है यूनुस को 5 साल तक सत्ता में बनाए रखो और सुधार पहले चुनाव बाद में
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लेकिन उसके क्रिटिक्स का मानना है कि वो प्रेशर स्ट्रैटिजी का इस्तेमाल करके सत्ता में बने रहने की कोशिश कर रहे हैं उनके समर्थक देश भर में चुनावों के खिलाफ़ रैली कर रहे हैं एक्सपर्ट्स का इसपर कहना है कि 1972 के सेक्युलर संविधान को कैंसिल करने की मांग भी कर रहे हैं। ये एक ऐसी मांग है साहब जिसके बाद राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन चूपू को हटाकर शायद यूनुस को उनकी जगह पर लाया जा सकता है
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इस पर लोगों का भी आरोप है कि वो नॉर्थ कोरिया के किम जोंग उन की तरह ताउम्र राष्ट्रपति बने रहना चाहते हैं अभी कहना इतना भी गलत नहीं लग रहा है नहीं मतलब आप खुद देखिए जब मोहम्मद उसने सत्ता संभाली थी तो कहा था कि इलेक्शन जल्द से जल्द करेंगे, लेकिन अब टाल रहे हैं। वैसे इस बार अगर पावर मिल जाए तो उसे छोड़ने का दिल किसका ही करता है
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यह बात शायद आर्मी चीफ भी समझ रहे हैं तभी तो ऐसा लग रहा है की वो जनरल व कार उज्जमान तख्ता पलट करने की फिराक में हैं नेशनल सिटिज़न पार्टी यानी एनसीपी के नेता और अंतरिम सरकार में पूर्व सलाहकार नाहीद इस्लाम ने बांग्लादेश में तख्तापलट होने और सैन्य सरकार बनने की आशंका जताई है
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उन्होंने कहा, बांग्लादेश में तख्तापलट का इतिहास रहा है और सेना का रोल अब भी पावरफुल बना हुआ है 11 स्टाइल मिलिट्री बैग गवर्नमेंट यानी सैन्य समर्थित सरकार फिर से उभर सकती है, जो लोकतंत्र और जनता के खिलाफ़ सेना का काम देश की रक्षा करना है
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ना की राजनीति दरअसल बांग्लादेश में सेना ने देश के अलग अलग हिस्सों में गश्त बढ़ा दी है बांग्लादेशी अखबार ढाका ट्रिब्यून ने रिपोर्ट किया है साहब के पिछले कुछ दिनों में सेना ने ऑपरेशन्स में तेजी लाई है, जिसके लिए कई जगहों पर तैनाती बढ़ा दी गई है सेना के जवान और अफसर बख्तरबंद गाड़ियों के साथ देश भर में ऐक्टिव है कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सेना और एजेंसियों ने पिछले महीने 2000 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार भी किया है
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अगस्त 2024 से अब तक सेना ने करीब 10,000 लोगों को हिरासत में लिया है हालांकि इस पूरे मामले का दूसरा पहलू भी है। दरअसल, आर्मी चीफ जनरल वकार और सामान को प्रो डेमोक्रेसी और भारत समर्थक माना जाता है वो चाहते हैं कि देश में जल्द से जल्द चुनाव हो जनता के चुने हुए नेता देश संभालें और पुलिस प्रशासन कायम हो इसके अलावा जनवरी से मार्च के बीच जनरल वकार का तख्तापलट करने की खबरें आती रहीं
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बांग्ला आर्मी के लेफ्टिनेंट जनरल फ़ैज़ुर्रहमान ने डिविशनल कमांडरों और सैन्य अधिकारियों को जनरल व कार के खिलाफ़ लामबंद करने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें सपोर्ट ही नहीं मिल पाया रिपोर्ट में कहा गया कि इस पूरे घटनाक्रम में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई भी कही ना कही शामिल थी इसके बाद सरकार ने सभी सैन्य अधिकारियों को वॉर्निंग दी और लेफ्टिनेंट जनरल रहमान को निगरानी में रखा गया। अच्छा चलिए मान लेते हैं की अगर आर्मी चाहेगी तो
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सरकार बदल जाएगी, पर अगर मोहम्मद यूनुस सच में इस्तीफा देंगे तो फिर आगे क्या होगा क्या हसीना की फिर से बांग्लादेशी में एंट्री होगी और क्या फिर यूनुस को देश छोड़ना पड़ेगा अब पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स का मानना है कि मोहम्मद यूनुस के इस्तीफ़े पर विचार करने की बात सिर्फ इमोशनल होकर बोली है और वो फिलहाल इस्तीफा नहीं देंगे
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24 मई को मोहम्मद यूनुस ने सलाहकार कैंसिल की एक बैठक बुलाई थी इस बैठक के बाद डैनिंग एडवाइजर तीन महमूद ने कहा मोहम्मद यूनुस हमारे साथ बने रहेंगे, वो इस्तीफा नहीं दे रहे हैं न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक सलाहकार कैंसिल की एक बैठक के बाद जल्द मंत्रियों के साथ बैठक होगी
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लेकिन बांग्लादेश में राजनीतिक परिस्थितियां बहुत तेजी से बदलती है और अगर मोहम्मद उसको इस्तीफा देना पड़ा तो वो देश छोड़कर भी जा सकते हैं और देश छोड़ना पड़ा तो इन दो जगहों पर जा सकते हैं अमेरिका मोहम्मद यूनुस ने यहाँ लंबे समय तक पढ़ाई की है और काम किया है वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी में इसके अलावा अमेरिका से नजदीकी और नोबेल प्राइज विनर के तौर पर उनके हालात को देखते हुए अमेरिका उनके लिए एक सेफ जगह हो सकती है
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यूरोपीय देश यूनान, उसके नोबेल शांति पुरस्कार और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ रिश्तों को देखते हुए वह किसी यूरोपीय देश जैसे फ्रांस, जर्मनी या नॉर्वे में शरण भी ले सकते हैं, जहाँ उनके माइक्रोफाइनैंस के काम को काफी सराहा जाता है खैर बात है हसीना पर इस पूरे हंगामे में बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना कहा है। देखिये बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना शुरुआत से ही मोहम्मद यूनुस तो उनकी अंतरिम सरकार के खिलाफ़ बयान देती रही हैं
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हाल ही में उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट भी लिखी के यूनुस देश को अमेरिका को बेच रहे हैं हसीना ने यूनुस पर आरोप लगाते हुए लिखा उन्होंने आतंकियों की मदद से सत्ता हथियाई है हमने इन आतंकियों से बांग्लादेश के लोगों की रक्षा की एक आतंकी हमले के बाद हमने कड़े कदम उठाए थे गिरफ्तार किया। अब उन्हें रिहा कर दिया गया है
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जेलें खाली हैं। अब बांग्लादेश में उन आतंकियों का शासन है। उन्होंने लिखा, हमारे महान बंगाली राष्ट्र का संवेदन हमने लंबे संघर्ष और मुक्ति संग्राम से हासिल किया है। अवैध रूप से सत्ता पर कब्जा किए इस उग्रवादी नेता को संविधान को छूने का हक किसने दिया उसके पास जनादेश नहीं है। कोई संवैधानिक आधार नहीं है
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मुख्य सलाहकार पद कभी कोई आधार नहीं है और वो अस्तित्व में नहीं है इसलिए वो संसद के बिना कानून कैसे बदल सकते हैं ये अवैध है उन्होंने आवामी लीग पर बैन लगा दिया है शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़कर जाने के बाद उनकी पार्टी अवामी लीग के नेता अहमद ने कहा था, बांग्लादेश में लोकतंत्र बहाल होते ही शेख हसीना वापसी करेंगे साथ ही अगले चुनावों में चुनाव लड़ेंगी भी मार्च 2025 में यूएस ए अवामी लीग के उपाध्यक्ष रबी आलम ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा था कि हसीना बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के तौर पर वापसी करेगी
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युवाओं ने गलती की है, लेकिन यह उनकी गलती नहीं है उनके साथ छल किया गया है। अब इसे एक इस स्टेटमेंट के बीच एक्सपर्ट्स का मानना है कि साउथ एशिया में वंशवादी राजनीति का इतिहास देखें तो समझ में आता है की ऐसी पार्टियों की वापसी के चान्सेस को भी खारिज नहीं किया जा सकता, भले ही वो खत्म होती हुई दिख रही हूँ शेख हसीना भी वंशवादी राजनीति से आती हैं उनकी वापसी के कयास लगाए जा सकते हैं लेकिन अभी देखना होगा साहब की आर्मी इलेक्शन करती है या फिर यूनुस सरकार को आगे कंटिन्यू करने देती है लेकिन शेख हसीना की वापसी दिलचस्प हो सकती है
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