समाजवादी पार्टी कैसे बनी . मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी कैसे बनायीं

समाजवादी पार्टी कैसे बनी मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी कैसे बनायीं
समाजवादी पार्टी कैसे बनी मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी कैसे बनायीं
-
दोस्तों हम बात करेंगे समाजवादी पार्टी की शुरुआत की इसके अलावा 65 दिन बाद 6 दिसंबर साल 1992 को बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया केंद्र सरकार ने कल्याण सिंह की सरकार को बर्खास्त कर दिया मस्जिद गिरने के बाद मुलायम मुसलमानों में हीरो बन गए और वे उन्हें इस बात का क्रेडिट देने लगे कि साल 1990 में मुलायम ने मस्जिद को गिरने नहीं दिया था
-
वहीं दूसरी तरफ बीजेपी भी मुलायम पर लगातार हमलावर थी जिससे मुलायम को मुसलमानों को अपने पीछे इकट्ठा करने में मदद मिली वे खुद यादव समुदाय से आते थे और यहीं से मुस्लिम यादों को मिलाकर एमवे का एक ऐसा वोट बैंक खड़ा किया जिससे भविष्य में समाजवादी पार्टी को बहुत फायदा हुआ यही वो कॉम्बिनेशन है जिसे एमवाईडी कॉम्बिनेशन कहते हैं और ये हम इसलिए क्योंकि यूपी में मुसलमानों की आबादी लगभग 19 फीसद और यादवों क्या आबादी नौ सदस्य सर कुल मिलाकर ये 30 फीसद हो जाते हैं जो उस समय किसी भी पार्टी को सत्ता में पहुंचाने के लिए काफी थे
-
एमवाय फैक्टर से मुलायम राज्य और देश की राजनीति में एक अहम हिस्सा बन गए बाबरी मस्जिद गिरने के बाद एक रैली में मुलायम ने कहा, ये ऐतिहासिक पल है सांप्रदायिक ताकतें तूफान की गति से बढ़ रही है आपके भाई मुलायम ने लंगोट कस ली है, मैं उनको खत्म करके ही दम लूँगा इसके बाद बीजेपी को रोकने के लिए मुलायम और कांशीराम साथ आए साल 1993 विधानसभा चुनावों के लिए गठबंधन किया इस गठबंधन से नारा निकला मिले मुलायम कांशीराम हवा में उड़ गए
-
जय श्रीराम इस गठबंधन का आधार था सामाजिक न्याय और दलित पिछड़ा गठजोड़ मुलायम का ये दांव काम आया चुनाव में यादवों, मुस्लिमों और दलितों ने एसपी, बीएसपी गठबंधन को वोट दिया, समाजवादी पार्टी 109 और बीएसपी की सड़सठ सीटें आई दुबारा मिलकर सरकार बनाई और 177 सीटें जीतने वाली बीजेपी जो सबसे बड़ी पार्टी थी वो विपक्ष में बैठने को मजबूर नहीं 4 दिसंबर साल 1993 को मुलायम दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने मुलायम के पास गैर बीजेपी पार्टियों और निर्दलियों को मिलाकर 242 विधेयकों का समर्थन था उस वक्त कांग्रेस ने भी उन्हें समर्थन दिया चुनाव में मुलायम सिंह व नगर और निधौलीकलां तीन सीटों से लड़े और तीनों ही सीटों पर जीत गए दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद मुलायम ने सबसे पहले नक़ल खिलाफ़ बीजेपी सरकार का एंटी कॉपिंग ऐक्ट रद्द कर दिया
-
अब ये उस वक्त छात्रों को दिमाग में रखकर किया गया था हालांकि इसका असर यह हुआ कि बड़े पैमाने पर उत्तर प्रदेश में इसके बाद नकल की शुरुआत हो गई उत्तर प्रदेश पर जो नकल माफिया होने का आरोप लगता है या छात्रों को नकल करके पास करवाने का आरोप लगता है उसमें इस फैसले का एक बड़ा असर था कि मुलायम सिंह का राजनीतिक एक यूनीक फीचर था अगर पिछड़ों में कुछ लोकप्रिय है तो वो सही गलत देखे बिना फैसला ले लिया करते थे मुलायम की सरकार ने मंडल कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर ओबीसी आरक्षण 15 से बढ़ाकर 27 फीसद कर दिया था
-
पंचायतों में कोटा दिया गया, लेकिन उन पर अपराधियों को बचाने के आरोप लगते थे इस पर मुलायम का कहना था कि वो जीतते हैं तो मैं टिकट देता हूँ क्योंकि जनता वोट देती है, हमें सीट चाहिए सरकार चलाने के लिए संत क्या ही सियासत करेगा कुछ समय बाद ही एसपी और बीएसपी गठबंधन में दिक्कतें शुरू हो गयी ये दो ऐसे नेताओं के बीच गठबंधन था जो अति महत्वाकांक्षी थे एक दूसरे पर शक करते थे कहने को मायावती सरकार में शामिल नहीं थी, लेकिन उसके बावजूद मायावती का दखल सरकार में था सरकार बनने के कुछ समय बाद लोकल मीडिया मायावती को सुपर चीफ मिनिस्टर का तमगा देना शुरू कर दिया
-
ये सुनकर मायावती को अक्सर आनंद आता था कहा जाता है कि एक भी ऐसा दिन नहीं होता था जीस दिन बीएसपी मुलायम को ये बात का अहसास नहीं कराती थीं कि मुलायम बीएसपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बने वहीं दूसरी तरफ बीएसपी को भी इस बात का डर लगा रहता था कि मुलायम उसकी पार्टी को तोड़ सकते हैं और इन सब चीजों के चलते साल 1995 में एसपी बीएसपी गठबंधन टूटने के कगार पर पहुँच गया बोला, हमने मायावती का कॉल उठाना बंद कर दिया, बीएसपी को तोड़ने में लगे हुए थे ताकि सरकार चलाने के लिए उस पर निर्भर न रहना पड़े
-
वहीं दूसरी तरफ काशीराम भी अपना सेट कर रहे थे उन्होंने बीजेपी के साथ गठबंधन लगभग तैयार कर लिया था बीजेपी उन्हें समर्थन पत्र दे चुकी थी लेकिन खराब तबियत के चलते काशीराम अस्पताल में भर्ती थे और उनके ठीक होने का इंतजार होने लगा हालांकि किसी भी मई में कांशीराम के पास यह खबर पहुंची कि मुलायम अब बीएसपी को तोड़ने वाले कांशीराम ने मायावती को अस्पताल में बुलाया पूछा क्या
-
तुम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनना चाहोगी उन्होंने मायावती को तुरंत बीजेपी के साथ सरकार बनाने का आदेश दिया मायावती 1 जून साल 1995 को राज्यपाल से मुलाकात करती और बीएसपी ने मुलायम सरकार से समर्थन वापस ले लिया
-
इसी दिन मुलायम अपने दफ्तर में थे उनके एक करीबी अधिकारी पीएल पुनिया बिना दरवाजा खटखटाए अंदर चले आये पुनिया ने मुलायम के कान में कुछ कहा और एक पर्ची पकड़ाई गई जो भी उन्होंने कहा उसे सुनकर मुलायम परेशान हो गए और अपने साथ बैठे एसपी नेताओं से कहा की अब चुनाव की तैयारियां शुरू करो प्लानिंग की गई कि बीएसपी को तोड़कर उसके कुछ विधेयकों को अपनी तरफ लाया जाएगा ताकि फिलहाल सरकार बचाई जाए
-
सरकार में रहने के लिए मुलायम को बीएसपी के 69 में से एक तिहाई यानी 23 विधेयकों के समर्थन की जरूरत थी, लेकिन उनके पास सिर्फ 15 विधेयकों का समर्थन था
ये विधायक पाने के लिए भी मुलायम ने कुछ ऐसा किया जो उनके राजनैतिक जीवन पर एक बड़े धब्बे की तरह रहा दरअसल 2 जून को मायावती लखनऊ के मीराबाई गेस्ट हाउस में बीएसपी विधेयकों के साथ बैठक कर रही थी पहले दौर की बैठक के बाद मायावती सीट नंबर वन में चली गई इसी बीच बाहर से तेज आवाजें आने लगीं कुछ विधेयकों ने बाहर निकलकर देखा तो डरे डरे वो अंदर चले आए उन्होंने चिल्लाकर कहा कि इस पी के गुंडों ने हमला कर दिया है समाजवादी पार्टी के 300 आदमियों की भीड़ इस वक्त अंदर बढ़ रही थी
-
बीएसपी विधेयकों ने मेन गेट को बंद कर दिया था, लेकिन समाजवादी पार्टी के गुंडों ने इसे तोड़ दिया अंदर घुसकर बीएसपी विधेयकों को पीटने लगे पांच विधेयकों को उठाकर बाहर खड़ी जीप में डाला और मुख्यमंत्री आवास ले गई यहाँ मुलायम को समर्थन के पत्र पर हस्ताक्षर भी करवाए गए कुछ गुंडे ऐसे भी थे जो मायावती के सीट नंबर एक के आगे पहुँच गए
-
मायावती को मारने पीटने की कोशिश की गई, लेकिन हजरतगंज के सचिव विजय भूषण और एसएचओ सुभाष सिंह बघेल कुछ कॉन्स्टेबल के साथ पहुंचे और इसी बीच मायावती और सपा के गुंडों के बीच में दीवार बनकर खड़े हो गए मायावती अपने कमरे से केंद्रीय गृहमंत्री शंकरराव चौहान और बीजेपी और जनता दल के नेताओं को फ़ोन करने लगी केंद्र सरकार के दखल के बाद आधीरात को स्थिति कंट्रोल में आई इसी घटना को गेस्ट हाउस कांड के नाम से जाना जाता है
-
मुलायम ने कभी भी गेस्ट हाउस कांड के लिए माफी नहीं मांगी हालांकि अगले दिन 3 जून साल 1995 को राज्यपाल वोहरा ने मुलायम सरकार को बर्खास्त कर दिया मुलायम के गुंडों के हमले के 24 घंटे के अंदर मायावती बीजेपी के समर्थन से प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए उत्तर प्रदेश की सत्ता से बेदखल होने के बाद मुलायम ने अपना ध्यान राष्ट्रीय राजनीति पर रख आया साल 1996 में लोकसभा चुनाव में मुलायम मैनपुरी से लड़े और जीत गयी मैं पहली बार संसद पहुंचे थे, पहली बार में ही प्रधानमंत्री बनने वाले थे
-
चुनाव में बीजेपी की 161 सीटें आईं लेकिन वो बहुमत साबित नहीं कर पाई और इसी के बाद थर्ड फ्रंट सरकार बनाने का दावा करने लगा समाजवादी पार्टी की 17 सीटें आयी थी और वो गठबंधन में एक अहम पार्टनर थी इसी समय पर फ्रंट लाइन मैगजीन ने खबर छापी, जिसमें लिखा था मुलायम को संयुक्त मोर्चा के 179 में से 110 सांसदों का समर्थन है ऐसा लगने लगा था कि मुलायम भारत के प्रधानमंत्री बन जाएंगे लेकिन तब दो लोगों ने इसमें रोड़ा अटका दिया पहले थे लालू यादव जी हाँ, लालू यादव वो नहीं चाहते थे कि मुलायम प्रधानमंत्री बनें मुलायम ने बाद में बताया कि लालू ने कहा था अगर मुलायम प्रधानमंत्री बन गए तो फिर मैं जहर खा लूँगा
-
और दूसरे थे वीपी सिंह उनकी और मुलायम की पुरानी दुश्मनी थी उन्होंने मुलायम को प्रधानमंत्री बनाने के फैसले को वीटो कर दिया और अंत में जनता दल के एचडी देवगौड़ा प्रधानमंत्री बन गए मुलायम को रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी दी गई जब देवगौड़ा की सरकार गिरी तो आई के गुजराल को प्रधानमंत्री बना दिया गया लेकिन मुलायम सिंह यादव को नहीं जबकि गुजराल तो चुनाव तक नहीं जीते थे गुजराल की सरकार में भी मुलायम रक्षा मंत्री रहे
-
रक्षामंत्री बनने के बाद भी मुलायम ने हिंदी के इस्तेमाल पर ज़ोर दिया। पहले दिन से ही यहाँ हिंदी में काम होने लगे वे सियाचिन जाने वाले देश के पहले रक्षा मंत्री बने जून 1996 में मुलायम ने कहा कि जम्मू कश्मीर को ज्यादा और चुनावी मिलनी चाहिए पहली बार देश का रक्षा मंत्री जम्मू कश्मीर की वकालत कर रहा था मुलायम पर देश को टुकड़ों में बांटने की साजिश करने जैसे गंभीर आरोप लगने लगे रक्षा मंत्री के तौर पर मुलायम चीन को लेकर हमेशा सख्त रहे उनका कहना था कि चीन भारत का पाकिस्तान से बड़ा
-
दुश्मन है और हमें चीन से मुकाबले के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए अंत तक मुलायम अपनी इसी बात पर कायम रहे 1999 में मुलायम ने सोनिया गाँधी को देश का प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया इसी साल एक वोट से अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिर गयी थी कहा जाता है
-
कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी प्रधानमंत्री बनकर एक गठबंधन सरकार को चलाने के लिए तैयार हो गई थी राष्ट्रपति से मुलाकात करती है 272 सांसदों के समर्थन से प्रधानमंत्री के तौर पर सरकार बनाने का दावा भी पेश करने वाली थी इसमें मुलायम के 32 सांसद शामिल थे, लेकिन मौके पर मुलायम सिंह ने यूटर्न ले लिया
-
सोनिया के विदेशी मूल का मुद्दा उठाकर समर्थन वापस लिया ये मुलायम की सोंची समझी रणनीति थी कुछ दिन बाद एक बातचीत में कहा कि दिल्ली की सत्ता में वापसी से कांग्रेस उत्तर प्रदेश में भी मजबूत होने लगती है इसीलिए उन्होंने कांग्रेस की सरकार नहीं बनने दी 2002 में जब गुजरात में दंगे हुए तो मुलायम दंगा पीड़ितों से मुलाकात कर रहे हैं अहमदाबाद की राहत कैंप में गए, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक लिया मुलायम को बहुत गुस्सा आया और पुलिस से कहा मुझे या तो पीड़ितों से मिलने दो नहीं तो गोली मार दो
-
इसी बीच 2002 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होते हैं इसमें मुलायम की समाजवादी पार्टी की सबसे अधिक 183 सीटें आती लेकिन सरकार बनाने के लिए 202 विधायक चाहिए थे मुलायम सरकार नहीं बना पाए और इसके बाद बीएसपी ने बीजेपी के साथ मिलकर एक बार फिर सरकार बना ली मायावती इस सरकार की मुख्यमंत्री बनीं मायावती और मुलायम ने एक दूसरे पर घोटालों के तमाम आरोप लगाए
-
मायावती मुलायम को सबक सिखाने के लिए पूरी तरह तैयार थी कहा जाता है कि मायावती के दफ्तर में एक फाइल रखी हुई थी जिसमें मुलायम और उनके सहयोगी अमर सिंह पर पोटा लगाने का प्रपोजल था बता दें कि पोटा आतंकवादियों पर लगाया जाता है, लेकिन किसी भी शो मायावती ताज कॉरिडोर जैसे घोटाले में फंस गई बीजेपी से उनके मतभेद बढ़ने लगी और अगस्त 2003 में मायावती ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया
-
विधानसभा भंग करके दोबारा चुनाव कराने की सिफारिश कर दी मायावती के इस फैसले से हैरान बीजेपी ने मुलायम की सरकार बनने देने का फैसला किया कांग्रेस और बाकी को छोटी पार्टियों ने मुलायम को समर्थन दे दिया लेकिन उसके बावजूद उनके पास बहुमत नहीं था उन्होंने बीएसपी के 14 विधेयकों को तोड़ लिया यह दल बदल कानून के खिलाफ़ था,
-
लेकिन बीजेपी के इशारे पर राज्यपाल ने कुछ नहीं किया और फिर मुलायम उत्तर प्रदेश के तीसरी बार मुख्यमंत्री बन गए इसके बाद भी मुलायम ने बीएसपी के विधेयकों को तोड़ना जारी रखा सितंबर 2003 तक बीएसपी के 37 विधेयकों को अपनी तरफ कर चूके थे अपने तीसरे कार्यकाल में मुलायम ने कई वेलफेयर स्कीम की शुरुआत की इसमें ₹500 महीने का बेरोजगारी भत्ता और गरीब लड़कियों की पढ़ाई में मदद के लिए कन्या विद्या धन प्रमुख था
-
मुलायम के तीसरे कार्यकाल में अमर सिंह का बहुत ज्यादा रहा, वहीं 1996 में समाजवादी पार्टी में शामिल हुए थे अमर सिंह के आने के बाद मुलायम का समाजवाद बदल गया था। अमर सिंह ने उन्हें कॉर्पोरेट्स और फ़िल्म जगत की बड़ी हस्तियों से मिलवाया मुलायम बड़े बड़े अभिनेताओं और हस्तियों के साथ दिखाई देने लगे थे अब मुलायम बदल गए थे और महंगी घड़ियां पहनने लगे थे कॉर्पोरेट्स के दबाव और प्रभाव में समाजवादी पार्टी का एजेंडा पीछे छूट रहा था इसी बीच मुलायम पर एक गंभीर आरोप लगा 2005 में वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसमें यह आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के पद का गलत इस्तेमाल करते हुए मुलायम ने 100,00,00,000 से ज्यादा की संपत्ति बना ली है उन्होंने मुलायम, उनके बेटे अखिलेश यादव और प्रतीक या दो इसके साथ बहुत डिंपल यादव की संपत्ति की सीबीआइ जांच की मांग की 1 मार्च 2007 को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ से इस मामले की शुरुआती जांच करके यह देखने के लिए कहा की क्या केस बनता है या फिर नहीं
-
अब आगे की कहानी हम आपको फिर कभी बताएँगे धन्यवाद
इसे भी पढ़े
बागेश्वर धाम धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की मुस्किले बढ़ी अब कोर्ट में पेशी होगी
पुलिस आपकी FIR दर्ज ना करे तो क्या करें . शिकायत और FIR में क्या अंतर होता है . आसान भाषा में समझिए
गया का नाम बदलने से विकास ने पकड़ी रफ्तार
बोडोलैंड क्या है .असम अलग राज्य क्यों बनाना चाहता है .बोडोलैंड की पूरी कहानी
ट्रम्प ने खुलकर मोदी और भारत का साथ क्यों नहीं दिया . ट्रम्प ने मोदी से यारी क्यों नहीं निभाई
विदेश मंत्री के बयान को राहुल गाँधी ने बताया देशद्रोह. ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी पाकिस्तान पहले दे दी गयी थी
पेसिमोल टेबलेट के फायदे और नुकसान पेसिमोल टेबलेट खाने का तरीका
भाजपा से कब निकाले जाएंगे विजय शाह . सोफिया कुरैशी पर इतनी घटिया सोच
Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें |
Advertising Space
[…] समाजवादी पार्टी कैसे बनी . मुलायम सिंह… […]