RSS और अमितशाह की लड़ाई में प्रज्ञा सिंह ठाकुर को होगी फांसी l

मैं आपके लिए बहुत बड़ी खबर लेके आया हूँ लेकिन ये खबर गोदी मीडिया से गायब है आपको याद हो प्रज्ञा सिंह ठाकुर जो माले गांव बम धमाकों के आरोपी है
महाराष्ट्र का मालेगांव का महीना रमजान का चल रहा था नमाज़ के बाद लोग निकलते हैं एक मोटर साइकिल रखी हुई है उसमें हो जाता है विस्फोट और उस विस्फोट में 6 लोग तुरंत मारे जाते हैं सौ लोग घायल होते हैं
इस घटना को मालेगांव बम कांड के रूप में हम लोग जानते हैं। और इस घटना से जीस सबसे चर्चित हस्ती का नाम जुड़ता है वह है प्रज्ञा सिंह ठाकुर जी हाँ वहीं प्रज्ञा सिंह ठाकुर जो दिग्विजय सिंह जी को हराकर भोपाल से पिछले चुनाव में सांसद बनी थीं
इस बार उनको टिकट नहीं दिया गया था और इस बात की चर्चा चल रही थी की आखिर जिसने दिग्विजय सिंह जी को भोपाल से हराया उसका टिकट रिपीट क्यों नहीं किया गया। प्रज्ञा सिंह ठाकुर के 77 कर्नल पुरोहित शिवनारायण कलसांगरा श्याम साहू और कई सारे और लोगों को गिरफ्तार किया गया था
एटीएस की जांच के समय और पाया गया था कि वह आज इस मोटरसाइकल में विस्फोट हुआ था वो प्रज्ञा सिंह ठाकुर के नाम से रजिस्टर्ड है तो मालेगांव बम कांड में आरोपी हैं प्रज्ञा सिंह ठाकुर 2017 में इनको जमानत मिली
उसके पहले ये लगातार जेल में थी और एनआईए जो हमारी एजेंसी है वो जांच कर रही थी इसकी नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी और एनआईए की जांच में लगातार पिछले सप्ताह अब कितने साल हो गए 8 से जुड़ेंगे तो 17 साल हो गए लगातार उतार चढ़ाव हो रहे थे और हाल में पिछले 45 साल से ऐसा लग रहा था कीन आइए सजा दिलाने के मूड में नहीं है प्रज्ञा ठाकुर जो रिहा हुई थी जमानत मिली थी
वो स्वास्थ्य के आधार पर मिली थी कहा गया था की उनको कैंसर हो गया है वो अक्सर आपको व्हीलचेर पर चलती हुई दिखती थी लेकिन जब कोर्ट की पेशी नहीं होती थी तो वो फुटबॉल खेलते हुए भी उनका फोटो आता था।
तो प्रज्ञा सिंह ठाकुर जो लगातार नफरती बयान देती रही है एम पी रही हैं जिन्होंने संसद के अंदर नाथूराम गोडसे की बात की थी जिसके बाद मोदी जी ने कहा था कि मैं दिल से माफ़ नहीं कर पाऊंगा उनके लिए एनआईए ने एकदम से रुख बदला है कल एकदम से खबर आई कि एनआईए ने कोर्ट से कहा है।
ये प्रज्ञा सिंह ठाकुर और बाकी लोगों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए क्योंकि ये लोग वहाँ पर मालेगांव में 6 लोगों की मौत और सौ लोगों के घायल होने के जिम्मेदार हैं इन लोगों की साजिश थी और एक मोटा रिपोर्ट 1500 पेज की रिपोर्ट पेश की है जिसे रिपोर्ट में वो सारे सबूत हैं ज़ाहिर तौर पर सबूत है
तभी एनआईए ये डिमांड
कर रही है। ये प्रज्ञा सिंह ठाकुर को फांसी पर चढ़ाया जाए मैं दोहरा दूँ कि पूर्व सांसद भारतीय जनता पार्टी की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर को फांसी पर चढ़ाने की मांग मैं नहीं कर रहा नेशनल इंटेलिजेंस एजेंसी कर रही है
जो अमित शाह जी के अंडर में काम करती है यानी गृह मंत्रालय के अंडर में काम करती है आप मुझे बताइए की ये खबर आपने कही किसी गोदी मीडिया पर देखी किसी चित्रा त्रिपाठी को रूबिया ल्याकत को या फिर अमिश देवगन को या बाकी लोगों को चीख चीखकर ये कहते हुए देखा कि प्रज्ञा ठाकुर कर्नल पुरोहित और ये सारे लोग आतंक वादी है
इन लोगों ने मस्जिद के सामने रमजान के महीने में नमाज़ पढ़कर निकलते हुए लोगों के बीच में विस्फोट किया था जिसमें 6 लोग मारे गए थे और सौ लोग घायल हुए थे नहीं सुना होगा और न ही जो सुना होगा उसी लिए हमारे जैसे लोगों को यह खबर लेकर आना पड़ता हैं
हुआ यह कि कल क्लेरिन नाम की वेबसाइट पर सबसे पहले ये खबर आई और इसके बाद मुझे भरोसा नहीं हो रहा था कि एनआईए कैसे भारतीय जनता पार्टी की एक नेता को फांसी पर चढ़ाने की मांग कर सकता है अमित शाह जी के गृह मंत्री रहते हुए मुझे बिल्कुल भरोसा नहीं हुआ
फिर जब खंगालना मैंने इस खबर को शुरू किया तो देखा जी न्यूस पे भी ये खबर है अब जी न्यूस तो सरकार का अपना एक तरह से आप कह सकते हैं की वेबसाइट है अपना चैनल चैनल पर खबर नहीं है चैनल पर खबर नहीं चलाई गई वेबसाइट पे खबर है और उसके अलावा भी दर्जनों जगहों पर ये खबर है कि नैश्नल इन्टेलिजेन्स एजेन्सी में दोहरा दोहराकर कह रहा हूँ ताकि आप एकदम ना भूलें अमित शाह जी के गृह मंत्रालय के अंडर में चलने वाली नैशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ने प्रज्ञा सिंह ठाकुर और उनके साथियों को फांसी पर चढ़ाने की मांग की है जस्टिस लाहौटी इस केस को देख रहे हैं स्पेशल कोर्ट में ये केस चल रहा है और 8 मई को फैसला आने वाला है यानी तकरीबन 1213 दिन बाद ये फैसला आएगा और इस फैसले में अगर कोर्ट ने एनआईए की बात स्वीकार कर ली तो फिर प्रज्ञा ठाकुर को बड़ी सजा हो सकती है उसके आगे हाइकोर्ट सुप्रीम कोर्ट में मामला जाएगा लेकिन एनआईए
जो सबूत अंदर रेकोर्ड पेश कर चुका है उसको वापस तो नहीं लिया जा सकता अब सवाल ये उठता है कि आदरणीय अमित शाह जी के गृह मंत्री रहते हुए एनआईए ने ऐसा कैसे किया जो एनआईए एक वक्त में ये कह रहा था कि कोई सबूत ही नहीं है हमारे पास कोई ऐसे डायरेक्ट सबूत नहीं है जिसे एनआईए के रहते हुए 2017 से वो लगातार जमानत पर हैं एक बार भी एनआईए ने ये नहीं कहा की जो आरोपी फुटबॉल खेल सकता है उसको स्वास्थ्य की प्रॉब्लम कैसे हो सकती है
वो दोबारा जेल में नहीं गई जिसके स्के चलते चलते भारतीय जनता पार्टी ने उनको टिकट देकर बकायदा एमपी बनवा दिया। वहीं एनआईए वहीं गृह मंत्रालय आखिर फांसी की मांग क्यों कर रहा है और से देखेंगे तो इसमें 2 या 3 वजहें हो सकती है या तो हो सकता है जो नहीं हो सकता है लेकिन हम लोग अच्छा ही अच्छा सोचते हैं की इतनी कंपेरिंग सबूत हो ऐसे सबूत हो की है नीएन ईमानदारी से काम किया हो और एनआईए को लगा हो की नहीं फांसी दिलवानी है। तो ये हो सकता है अगर ये हो तो सबसे अच्छा है दूसरा मामला पॉलिटिकल हो सकता है आरएसएस और बीजेपी के बीच में इतिहास में ऐसी खींचतान पहले कभी नहीं हुई जैसी अब हो रही है
भारतीय जनता पार्टी को जी की जगह पर एक नया अध्यक्ष बनाना है और आर एस एस लगातार ज़ोर डाल रही है की अपने आदमी को अध्यक्ष बनाये आपको याद होगा। नरेंद्र मोदीजी नागपुर अभी गए थे और वहाँ पर आर एस एस के जो सुप्रीमो हैं उनसे मुलाकात की थी और इस घटना को भी महीने भर हो गया लेकिन अभी तक कोई अध्यक्ष सामने नहीं आया है जब विपक्ष ने सवाल पूछना शुरू किया तो अमित शाह जी ने कहा की हमारी बड़ी पार्टी है हमें समय लगेगा ठीक बात है बड़ी पार्टी है देश की सबसे बड़ी पार्टी है समय लगेगा लेकिन साल भर लग जाएगा 6 महीना लग जाएगा एक अध्यक्ष चुनने में ये अपने आप में आश्चर्यजनक है
और आप जानते हैं इसमें सबसे पहले नाम किसका चला था सबसे बड़ा जो नाम चला था वो संजय जोशी का चला था संजय जोशी के बारे में आपको पता है की कभी वो नरेंद्र मोदी के बड़े करीबी हुआ करते थे एक ही स्कूटर से दोनों लोग घूमा करते थे लेकिन उसके बाद प्रधानमंत्री जब हैं मोदी जी तो धीरे धीरे जोशी जी के साथ उनके संबंध गडबड होने शुरू हो जाते हैं
और फिर आती है एक सीडी और उस सीडी से ना केवल मध्यप्रदेश में बल्कि पूरे देश में खलबली मच जाती है उस सीडी में बताया गया मैंने तो नहीं देखा है लेकिन बताया गया कि संजय जोशी जी की किसी महिला के साथ आपत्तिजनक कंडीशन में वो सीडी थी उसके बाद संजय जोशी को बिल्कुल किनारे लगा दिया जाता है संजय जोशी पूरी तरह से संघ के आदमी है और
ज़ाहिर है इस घटना के बाद मोदी जी ये दुश्मनी भी है और आर एस एस कहा ये जाता है कि उसी संजय जोशी को अध्यक्ष बनाने के लिए आगे बढ़ती ज़ाहिर है मोदी और शाह किसी भी हालत में संजय जोशी को अध्यक्ष नहीं बनने देंगे
तो ये एक लड़ाई एक रस्साकशी चल रही है कि अध्यक्ष कौन बनेगा कहा यह जा रहा है या हो या सकता है की आर एस एस के ऊपर दबाव बनाने के लिए की भैया तुम्हारे ऐसे तमाम कच्चे चिट्ठे हमारे पास है जिसमें तुम से जुड़े अच्छे अच्छे लोग अंदर हो सकते हैं यहाँ तक की फांसी भी हो सकती है ये दबाव बनाने के लिए मोहरा बनाया गया है प्रज्ञा ठाकुर को पहले ही उनको टिकट नहीं दिया गया।
यानी बहुत सीधी सी बात है कि वो गुड बुक में तो है नहीं अगर वो मोदीजी और अमित शाह की गुड बुक में होती तो उनका टिकट कोई काट ही नहीं सकता था
टिकट कटने के बाद काफी नाराज भी नजर आए लेकिन खामोश हो गई सीधी सी बात है बोलेंगे तो खतरा है वैसे तो अब बिना बोले खतरा आ गया है तो पहले उनका टिकट काटा गया और उनको किनारे किया गया और अब एनआईए की चार्जशीट में उनके लिए फांसी मांगी गई है।
प्रज्ञा ठाकुर के ऊपर तो इस समय फांसी का फंदा लटक रहा है लेकिन ये जो फांसी का फंदा हैं ये आर एस एस की तरफ उठी हुई उँगली आर एस से ये कहा जा रहा है की भाई अगर तुमने ज्यादा ज्यादा प्रेशर बनाने की कोशिश की तो अध्यक्ष अध्यक्ष तो भूल जाओ इस तरह की चीजें एक के बाद एक हो सकती है एक ये वजह हो सकती है ये बात सत्ता के कारिडोर में कही जा रही है
और तीसरी वजह यह कही जा रही है कि हो सकता है यह मोदीजी और अमित शाह के बीच में और खास तौर पे अमित शाह और अजीत डोभाल के बीच में जो चल रहा है उसका नतीजा हो सकता है कश्मीर में जो हुआ उसमें भी ये कहा जा रहा है कि इन्टेलिजेन्स फेल्यूर इसलिए हुआ कि कुछ एजेंसीज जो है
वो डोभाल साहब को रिपोर्ट करती है कुछ एजेंसीज़ अमित शाह जी को रिपोर्ट करती है और दोनों के बीच को ऑर्डिनेशन की भारी कमी है। तो ये भी हो सकता है की ये डोभाल के ऊपर प्रेशर बनाने के लिए कुछ किया गया वो देखिये सत्ता के अंदर पॉलिटिक्स के अंदर डीप स्टेट के अंदर कितना कितना क्या क्या होता है वो तो मैं नहीं जानता इसलिए ये सारी बातें जो चल रही है जो सत्ता के कॉरिडोर में चल रही है वो आपसे मैंने शेयर कर दिया
इनमें से एक पर भी मैं ये नहीं कह सकता की हाँ पक्की यही बात है क्योंकि मैं नहीं जानता मैं उन लोगों में से नहीं हूँ जिनको सब पता होता है मैं साफ कहता हूँ कि मैं नहीं जानता सत्ता के अंदर क्या चल रहा है मेरे लोग वहाँ नहीं हो सकते हैं लेकिन कुछ ना कुछ तो है जिसकी वजह से जो है ना ये कल तक कह रही थी सबूत नहीं है आज वो फांसी की सजा की मांग कर रही है और गोदी मीडिया की हालत ये है की वो इस खबर को चला भी नहीं पा रही है डर के मारे की पता नहीं कौन नाराज हो जाए वो किसी को नाराज नहीं करना चाहती है
लेकिन हम तो यहाँ बैठे ही है। उन खबरों को आप तक पहुंचाने के लिए जो खबरें गोदी मीडिया आप तक लेकर कभी नहीं आएगा तो इंतज़ार करेंगे हम 8 मई का की 8 मई के पहले कुछ समझौता हो जाता है या 8 मई को ऐसा फैसला आता है जो भारतीय जनता पार्टी और प्रज्ञा सिंह ठाकुर के लिए या फिर आरएसएस के लिए बहुत भारी पड़ने वाला है 8 मई को जब फैसला आएगा उसको दबाना तो किसी के लिए आसान नहीं हो पायेगा 8 मई का इंतजार करते हैं
और एक बात तो बहुत समझ में आती है साफ साफ की देश के अंदर और आर एस एस बी जे पी के अंदर सबकुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है आपको क्या लगता है आपको कौन सी वजह ज्यादा सही लगती है
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