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18/05/2025

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पुलिस आपकी FIR दर्ज ना करे तो क्या करें . शिकायत और FIR में क्या अंतर होता है . आसान भाषा में समझिए

पुलिस आपकी FIR दर्ज ना करे तो क्या करें शिकायत और FIR में क्या अंतर होता है आसान भाषा में समझिए

पुलिस आपकी FIR दर्ज ना करे तो क्या करें  शिकायत और FIR में क्या अंतर होता है  आसान भाषा में समझिए

  • बहुत सारे लोग मुझे फेसबुक पर मैसेंजर पर एक्स पर बहुत सारे लोग वॉट्सऐप पर फ़ोन कॉल्स पर यह बताते हैं कि आप इस बात से परेशान रहते हैं कि आपके साथ कोई घटना घटित होने के बाद पुलिस सुनवाई नहीं कर रही है, क्या करे पुलिस एफआइआर नहीं दर्ज कर रही है क्या करें अगर पुलिस वाला दूसरे पक्ष से घूस खाकर आप के खिलाफ़ जबरन मामला बना रहा है तो क्या करें

  • दोस्तों सबसे पहले तो ध्यान रखिए कि कोई भी घटना घटित होने के बाद जब आप पुलिस स्टेशन जाते हैं तो वो आपसे शिकायत पत्र या जीसको ऐप्लिकेशन कहा जाता है वो मांगते हैं आपके साथ क्या क्या हुआ उसे आप को लिखकर देना होता है कई थानों में दबाव बनाया जाता है कि टाइपराइटर से लिखवा कर के लाइए या फिर कंप्यूटर से लिखवा कर के लाइए ऐसा नहीं है आप अपने हाथ से अपने पेन से अपनी शिकायत एक एफोर साइज पेपर पर लिख करके दे सकते हैं

  • इसे कोई भी मना नहीं कर सकता है दूसरी बात ये है दोस्तों की आपको एफआइआर और शिकायत दोनों में अंतर समझना होगा एफआइआर और शिकायत दोनों ही अलग अलग होती है चोरी, लड़ाई, झगड़ा या धमकी जैसे अपराध के मामलों में पहले शिकायत दर्ज की जाती है इसके बाद पुलिस जांच पड़ताल करती है पुलिस अपने स्तर पर मामले को सुलझाने की कोशिश करती है मामले की गंभीरता के आधार पर या फिर घटना के सही पाए जाने के आधार पर पुलिस एफआइआर दर्ज करती है

  • शिकायत और एफआइआर में अंतर यही है की शिकायत को पुलिस अपने स्तर पर निपटा देती है जबकि एफआइआर दर्ज होने के बाद अदालत में ही मुकदमा चलेगा एफआइआर दर्ज होने के बाद पुलिस को उस केस को कोर्ट में लेकर जाना ही पड़ेगा उस केस का पूरा ट्रायल चलेगा इसीलिए किसी भी मामले को पुलिस के पास ले जाने के बाद यह जरूर देखें कि पुलिस ने शिकायत दर्ज की है या फिर एफआइआर की है

  • आप बारी आती है उस ही बड़े सवाल की कि एफ आई आर दर्ज करने में बहुत नखरे करती है एफ आई आर दर्ज ही नहीं करती है तो क्या करा जाये दोस्तों सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि किसी भी गंभीर अपराध की शिकायत मिलने के बाद पुलिस को बिना किसी देरी के एफआइआर दर्ज करनी ही होगी पर थाना प्रभारी एफआइआर दर्ज करने से इनकार करता है तो एसपी, डीआइजी, आइजी से लिखित शिकायत करिए वो थाना प्रभारी की खटिया खड़ी कर देंगे अगर ये भी ना सुने तो मजिस्ट्रेट को लिख मारिये आपकी प्राइवेट शिकायत पर एफआइआर दर्ज की जाएगी

  • अगर मान लीजिये की मजिस्ट्रेट भी कोई आदेश नहीं देता है या फिर पुलिस जांच में देरी करती है तो हाइकोर्ट में याचिका दायर कर दीजिए बहुत मामलों में दोस्तों हाइ कोर्ट बड़े से बड़े के खिलाफ़ एफआइआर दर्ज करने का आदेश देता है अब सवाल ये है की जो पुलिस वाला आपकी एफआइआर नहीं दर्ज कर रहा है क्या उसके खिलाफ़ कोई कानूनी कार्रवाई की जा सकती है तो इसका जवाब है हाँ दोस्तों

  • अगर पुलिस अधिकारी एफआइआर दर्ज करने से इनकार करता है तो उसके खिलाफ़ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है जैसे एसपी या फिर उच्च अधिकारी से पुलिसकर्मी की शिकायत की जा सकती है शिकायत के आधार पर पुलिसकर्मी के खिलाफ़ विभागीय जांच और अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है भारतीय न्याय संहिता यानी बीएनएस के तहत अगर कोई सरकारी अधिकारी जैसे पुलिसकर्मी अपने कर्तव्य का पालन नहीं कर रहा है तो उसे छे महीने से 2 साल तक की सजा और जुर्माना भी हो सकता है

  • अब सवाल ये है की हम थाने नहीं जाना चाहते, घर बैठे एफआइआर दर्ज करना चाहते हैं, क्या ये हो जाएगा तो इसका जवाब है हाँ भी और ना भी हाँ इसलिए क्योंकि ऑनलाइन एफआइआर सिर्फ गैर संघ है यानी नॉन कॉग्निजेबल अपराध के लिए ऑनलाइन एफआइआर की जा सकती है जैसे चोरी, गुमशुदगी, साइबर अपराध आदि आदि। हालांकि गंभीर अपराध हो जैसे हत्या, बलात्कार, डकैती इन सब के लिए पुलिस स्टेशन आपको जाना जरूरी होता है

  • अगर पुलिस केस की सही तरीके से जांच नहीं कर रही है, मामला दबाने में लगी हुई है तो क्या किया जाए साहब उसका जवाब है, उसका तोड़ भी है, वो मैं आपको बताता हूँ। देखिये, ऐसी स्थिति में संबंधित थाना प्रभारी से बात करें और उन्हें समस्या बताएं अगर समाधान ना मिले तो एसपी एसएसपी से संपर्क करें राज्य के डीजीपी को लिखित शिकायत भेज सकते हैं इसके अलावा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग या फिर राज्य मानवाधिकार आयोग में शिकायत की जा सकती है

  • अब अगला सवाल ये है की लड़ाई हुई जोश, जोश में सोर्स से सिफारिश लगाकर पड़ना हुआ लगाकर एफआइआर तो दर्ज करवा दी, लेकिन बाद में पड़ोसी से समझौता हो गया तो क्या एफआइआर बिना कोर्ट जाए थाने से हटा ली जाएगी तो इसका जबाब है एफआइआर दर्ज होने के बाद उसे सीधे पुलिस हटा नहीं सकती है इसके लिए कोर्ट से इजाजत लेनी होती है

  • खासकर अगर मामला गंभीर अपराध से जुड़ा हुआ है तो बहुत लोग पूछते हैं उनको एफआइआर की कॉपी नहीं दी गई, दी गई तो पैसा ले करके दी गयी क्या एफआइआर की कॉपी के लिए कोई फीस लगती है तो इसका जवाब है की एफआइआर दर्ज होने के बाद पीड़ित को उसकी एक कॉपी मुफ्त में मिलती है इसका कोई शुल्क नहीं लगता है आपको किसी तरह का कोई पैसा थाने में बिल्कुल देना नहीं होता है ये पूरा का पूरा प्रोसिस बिल्कुल फ्री होता है

  • अब सवाल ये भी है कि आप के साथ अपराध हुआ दूसरी जगह थाना है भाई दूसरी जगह मान लीजिये आप रहते हैं सीतापुर में और आपको एफआइआर दर्ज करवानी है लखनऊ में तो क्या सीतापुर की घटना पर लखनऊ के थाने में एफआइआर दर्ज हो सकती है तो इसका जवाब हाँ और इसका जवाब है नहीं भी दोस्तों एफआइआर उसी जगह के पुलिस थाने में दर्ज करनी होती है जहाँ अपराध हुआ है

  • लेकिन कई मामलों में ज़ीरो एफआइआर की सुविधा भी होती है जैसे बलात्कार जो किसी भी थाने में दर्ज की जा सकती है और बाद में संबंधित थाने में वो ट्रांसफर हो जाती है तो मुझे लगता है कि ये सारा प्रोसेसर आपको समझ में आ गया होगा आपको कोई भी दिक्कत लगे या कोई भी आपके मन में सवाल हो तो आप हमें बता सकते हैं

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