पाकिस्तान पेट से है कभी भी बलूचिस्तान पैदा हो सकता है

पाकिस्तान पेट से है कभी भी बलूचिस्तान पैदा हो सकता है
पाकिस्तान पेट से है कभी भी बलूचिस्तान पैदा हो सकता है
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पाकिस्तान पेट से है प्रेग्नेंट हैं। और ऐसा हो सकता है की कभी भी। पाकिस्तान से खुशखबरी मिल जाए बलूचिस्तान हाँ जी इंडिया वर्सेज़ पाकिस्तान जब भी वॉर होता है तो पाकिस्तान अपने आप प्रेग्नेंट हो जाता पिछली बार ये प्रेग्नन्सी 1971 में हुई थी जब 93,000 पाकिस्तानी लोग सिर झुकाकर बांग्लादेश की पैदाइश के गवाह बने थे और इस बार जब पहलगाम के बाद हिंदुस्तान पाकिस्तान की टेंशन फिर से बढ़ी है, तब एक बार फिर लग रहा है कि पाकिस्तान प्रेग्नेंट हो गया
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जिसतरह से बलूचों ने पाकिस्तानियों को ठोका है पाकिस्तान दोहरी मुसीबत बिखर गया एक तरफ इंडिया लाहौर से लेकर कराची और रावलपिंडी में आर्मी के हेडक्वार्टर पर मिसाइल पर मिसाइल फोड़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान की सेना पर बलूचिस्तान हमला कर रहे हैं अब सवाल ये है की क्या इंडिया और पाकिस्तान की जंग के बीच बलूचिस्तान आजाद होगा या जैसे 1971 में इंडिया ने पाकिस्तान से बांग्लादेश को अलग किया था, वैसे ही इस बार भारत बलूचिस्तान को पाकिस्तान से अलग कर देगा
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ये सवाल बड़ा सिरियस और सवाल ये भी है कि आखिर बलूचिस्तान पाकिस्तान से क्यों अलग हो सकता है क्यों बलूच लिबरेशन आर्मी पाकिस्तानी सेना से लड़ रही है और क्या वाकई में पाकिस्तान की प्रेग्नन्सी इस बार उससे फिर ये खुशखबरी देने वाली है कम से कम संकेत तो यही मिल पाकिस्तानी सेना दरअसल इन दिनों मूव कर रही थी, तभी रिमोट कंट्रोल के जरिए एक आइडी हमला हुआ
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जिसमें 12 पाकिस्तानी सैनिकों के चिथड़े उड़ गए इस हमले को बलूच आर्मी ने अंजाम दिया अब सवाल आपके मन में हो सकता है कि बलूचिस्तान में बगावत क्यों हो बलूचिस्तान में बगावत की कई वजह हैं मुख्य कारण जो है वो ये है कि इस क्षेत्र में यहाँ की आबादी के साथ भेदभाव होता है बलूचिस्तान पाकिस्तान का वो इलाका है जो सबसे ज्यादा खनीज वाला है
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लेकिन विकास के मामले में इलाका सबसे पिछड़ा है और वो बलूचिस्तान से लगे ग्वादर पोर्ट को पाकिस्तान ने चीन के हवाले कर दिया लेकिन इस प्रोजेक्ट से भी बलूचिस्तान में कोई फायदा नहीं है और अब बलूच लोग लगातार पाकिस्तान और चाइना का विरोध करते है अब सवाल ये है क्या ये विरोध अभी से है या पहले से है वो भी बताएंगे
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लेकिन फिलहाल बलूचियों की समस्या बताते हैं बलूचों का क्षेत्रफल जो है, वह पाकिस्तान का कुल इसे बल्कि पाकिस्तान 100% है तो उसका 46% पूछे। यहाँ की आबादी जो है वो तकरीबन 1,50,00,000 है जो पाकिस्तान की टोटल पॉप्युलेशन का केवल 6% है लेकिन जब बात गरीबी की आती है तो बलूचिस्तान में 70% लोग ऐसे हैं जो गरीबी रेखा के नीचे है
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इसके अलावा पाकिस्तान में जितनी सेंटर ऑफ पावर है वो सारी पंजाब के आस पास जो छोटा सा इलाका लेकिन सारे सत्ता में बड़े लोग जो है वो पंजाब से आते हैं बलूच लोगों को सेना में टॉप पदों पर कभी नियुक्ति नहीं दी जाती, अलग थलग रखा जाता है, ह्यूमन राइट्स होते और इसीलिए लगातार वो आजादी की मांग करते हैं
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आप जब भारत और पाकिस्तान के बीच में युद्ध शुरू हो गया है तो बलूचिस्तान भी इस युद्ध में आहुति देना चाहता है और कहता है कि इस प्रेग्नन्सी में हमें पाकिस्तान के पेट से बाहर निकाला जाये
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अब सवाल ये है कि बलूच बगावत क्यों कर रहे हैं एक वजह तो हमने आपको बता दी दूसरी वजह यह है कि बलूच अपनी अलग सांस्कृतिक और भाषाई पहचान जो ईरान और अफगानिस्तान से ज्यादा मिलती है, उसे बचाए रखना चाहते हैं
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पाकिस्तान में पंजाबी वर्चस्व खेलते हैं। बलूचों को भेदभाव का सामना करना पड़ा और जब कभी वो इसके लिए आवाज उठाते हैं तो उनके नागरिको को उनके पत्रकारों को पीटा जाता है आहरण की आता है और वो लंबे समय के लिए गायब कर दिया जा रहा है और यही वजह है कि बलूचिस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ़ लंबे समय से दंगल चल रहा है
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अगर हाल फिलहाल की बात करें तो कई बार बलूचियों ने पाकिस्तान पर अटैक किया। जैसे 1 फरवरी 2025 को 18 पाकिस्तान के जवानों को ऊपर भेज दिया 12 मार्च 2025 को ट्रेन हाइजैक किया, 200 सैनिकों की हत्या की 16 मार्च 2025 को बस पर हमला किया, 90 सैनिकों की मौत हुई, 6 मई 2025 को छे सैनिकों को मार डाला। 7 मई 2025 को 12 सैनिकों की हत्या कर दी है
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बलूच लगातार विद्रोह कर रहे हैं और अब भारत की उन्हें उम्मीद नजर आ रही है कि भारत उनकी प्रेग्नेंसी में डॉक्टर का काम करेगा और पाकिस्तान से निकालकर उन्हें अलग। पालने पोसने और बढ़ने का मौका देगा लेकिन अब सवाल यह है कि बलूचों की कहानी क्या है तो बलूचों की कहानी जो है, वो भी वहीं से शुरू होती है जहाँ से पाकिस्तान का जन्म हुआ
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ब्रिटिश शासन के दौरान कई सारे एसी रियासतें थीं जो डाइरेक्टली ब्रिटिश शासन में नहीं थी आजादी के बाद जीतने भी छोटे छोटे राज्य थे। उनको तीन ऑप्शन दिए गए थे। या तो आप इंडिया
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के साथ चले जाओ या पाकिस्तान के साथ चले जाओ या फिर इन्डिपेन्डेन्ट चले जाओ और इन्हीं रियासतों में से बलूचिस्तान जिसमें क्लाद खदान, लास्ट बुरा और मकरान की रियासतें शामिल हैं, जिन्ना ने उस वक्त कलात और हैदराबाद दोनों के करीब थे। दोनों के साथ उन्होंने संवाद किया और कहा कि दोनों इन्डिपेन्डेन्ट हो जाए
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हालांकि इंडिया ने बाद में हैदराबाद को अपने साथ शामिल कर लिया 13 सितंबर 1948 को सैन्य कार्रवाई के बाद हैदराबाद इंडिया में शामिल हो गया था, लेकिन इससे पहले ही मुस्लिम लीग और क्लाथ ने घोषणा पत्र पर समझौता कर दिया दरअसल, कलात को डरा धमकाकर बहकाकर ने उन्हें अपने तरफ कर लिया
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जिन्ना ने उन्हें आश्वासन दिया था कि उनकी अलग पहचान को मिटाया नहीं जाए। लेकिन जो कलात मुस्लिम लीग की बात मान लिए थे, उन्हें सबसे बड़ा पूरा क्योंकि कलात की स्वतंत्रता का सम्मान करने के बाद जिन्ना ने कही थी मोहम्मद अली जिन्ना, जो उस वक्त सभी छोटी छोटी रियासतों को ऑफर कर रहे थे, उन्होंने कला को भी ऑफर किया
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कला के अलावा भी जैसे जूनागढ़ था, हैदराबाद था, भोपाल था। राजस्थान रहा। तमाम इलाकों को जितना ऑफर कर रहे हैं व्यापारी, ये हमारे साथ आपकी सारी बातें मान ली जाएंगी। जिन्ना की कोशिश थी कि जो हमारे पास आ जाये वो अच्छा है लेकिन कलात नहीं जाना चाहता है। लेकिन जब इंडिया और हैदराबाद के कॉन्सर्ट हुआ, उस बीच में जिन्ना ने काफी ज्यादा मैनिप्युलेट किया
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कला को ये आश्वासन दिया कि आप हमारे साथ रहे लीजिये। हम आपकी अलग पहचान को जिंदा रखे, लेकिन जीस मुस्लिम लीग ने कल आप की स्वतंत्रता का सम्मान करने की बात कही थी। उसने बलूचिस्तान पर कब्जा कर लिया है सेना शरीफ पाकिस्तान बनने के बाद में विद्रोह की आवाज उठती रही और बलूचिस्तान वाले लगातार पाकिस्तान का विरोध करते रहे।
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हालांकि बलूचिस्तान हमेशा से पारस और हिंदू साम्राज्य के बीच पूर्व से लेकर पश्चिम तक एक सैंडविच की तरह बलूचिस्तान के उत्तर में पड़ोसी अफगानिस्तान को भी तमाम युद्ध का दंश झेलना पड़ा
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हालांकि अफगानियों के पास एडवांटेज है कि उनके पास बड़े बड़े पहाड़ उनकी सुरक्षा के लिए जो के पास थे, इस स्टेट ऑफ क्लार्क को कई लोग पाकिस्तान का हैदराबाद भी कहते थे कलाक स्वतंत्र रियासत थी जिसने पाकिस्तान से दोस्ती की थी, लेकिन जो जिन्ना शुरुआत में कलात के हिमायती थे वो बाद में अपना मन बदलते हैं और कला को अपने जागीर समझते
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अब कइयों के मन में सवाल है कि जिन्ना क्यों 1947 में जिन्ना चाहिए थी। वो चाहते थे कि ज्यादा से ज्यादा देश जो है वो पाकिस्तान के साथ चले जाए। लेकिन जब पाकिस्तान बन गया तब जिन्ना बदल गया। वैसे भी सियासत में कोई एक बात नहीं होती है। वक्त के साथ चीजें बदलती है
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इसलिए जो नेताओं के बयान पर भरोसा करता है उससे ज्यादा बेवकूफ कोई नहीं है और यही भरोसे के चलते धोखा बलूचों को जबरन पाकिस्तान ने मिलाया गया। भारत और बलूच के संबंध क्यों नहीं बने ये भी सवाल कई बार उठता है कई बार ये कहा जाता है कि नेहरू को ऑफर दिया गया था कि बलूचिस्तान को मिला लीजिए। हालांकि बलूचिस्तान और भारत की दृष्टिकोण में काफी दूरियां बलूचिस्तान भले पाकिस्तान में शामिल हैं। वो महान नहीं है। बलूच लोग कई बार इंडिया से जुड़ने की बात करते हैं,
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कई बार इंडिया से मदद मांगते हैं, लेकिन दिक्कत यह है कि बलूच का इलाका अलग है। जैसे जूनागढ़ पाकिस्तान नहीं जा पाया। जूनागढ़ के नवाब ने पाकिस्तान में शामिल होने का मन बनाया था, लेकिन जूनागढ़ जहाँ है वहाँ से पाकिस्तान में रहना आसान नहीं था। इसी तरह जहाँ कलात है वहाँ से भारत में रहना नहीं थी।
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कई बार ये भी कहा था कि मुसलमान है इसलिए कल आप लोग को पाकिस्तान के साथ हो जाना चाहिए। हालांकि मुसलमान और बलूच ये वाला लॉजिक जो है वो यहाँ नहीं चलता क्योंकि मुसलमान होना काफी नहीं है और इसका जवाब बलूच के लोग जानते हैं 19 में मीर गौस बक्ष नेशनल पार्टी के सदस्य थे उन्होंने एक स्टेटमेंट दिया था कि हमारी संस्कृति ईरान और अफगानिस्तान की तरह अलग है
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अगर केवल मुसलमान होने की वजह से शामिल होना चाहिए तब तो दुनिया के सारे मुल्कों को एक हो जाना चाहिए जो मुस्लिम, ईरान और अफगानिस्तान क्यों उन्होंने कहा कि बलूचों को डराया जाता है कि परमाणु हथियारों के दौर में हम रक्षा नहीं कर सकते लेकिन बलूच के लोग सवाल उठाते हैं कि जब अफगानिस्तान, ईरान और तमाम ऐसे देश हैं, मुसलमान जो अपनी रक्षा कर रहे हैं,
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अपनी संप्रभुता को बनाए हुए है तो ये क्यों रक्षा नहीं कर सकते? क्यों पाकिस्तान के साथ दमन कर रहा है ये सवाल अपने आप में महत्त्व हालांकि पाकिस्तान की इकलौती समस्या बलोच नहीं है
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पाकिस्तान तीन तरफ से टूट सकता है। वो जो प्रेगनेंसी का ज़िक्र हम कर रहे थे वो ट्रिप्लेट्स पैदा कर सकते हैं
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कैसे एक बवाल खबर में चल रहा है और तो पाकिस्तान से निकल सकता है एक बवाल गिलगित बाल्टिस्तान से निकल रहा है और एक समस्या जो है बलूच की, हमने आपको बताई अब सवाल यह है कि अगर भारत हमला कर देता है तो क्या बलोच साथ खड़े होंगे
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और ना सिर्फ बलोच बल्कि पद को लेकर भी सवाल पाकिस्तान के भीतर से फिलहाल कई ऐसी आवाज़ें आ रही है जो पड़ोसी पाकिस्तान को परेशान कर सकती
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पश्तूनों पर पाकिस्तानी सेना ने अत्याचार किए हैं और पश्तून इसका बदला ले सकते हैं अफगानिस्तान जो है वो भी पाकिस्तान के खिलाफ़ जा सकता है जीस तरह से अफगान लोगों को पाकिस्तान ने अपने मूड से निकाला था जिसतरह से उन पर तमाम तरह के दंश डाले अफगानिस्तान में पाकिस्तान से काफी नाराज
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पर्स्पेक्टिव की वो दोनों मुस्लिम देश हैं क्रिकेट की दुनिया में हमने अफगान और पाकिस्तान की लड़ाई देखी है तालिबान से पहले अफगानिस्तान पूरी तरह से प्रो। इंडिया था लेकिन तालिबान के दौर में भी अभी भी पाकिस्तान और अफगानिस्तान की तल्खियां बढ़ी ऐसे में अगर अफगानिस्तान में इंडिया का साथ दें तो हैरानी की बात नहीं है
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बात बलूचों की तो बलूच ने पाकिस्तान की फौज पर जो ये हमला किया, वो इसी बात को पढ़ने के लिए था कि हिंदुस्तान उनका भी साल और बलूची कह भी रहे है की अगर भारत पाकिस्तान पर हमला करता है तो बलूच भारतीय सेना का साथ देंगे बलूचिस्तान में लंबे समय से पाकिस्तान सरकार के खिलाफ़ आवाजें उठ रही है और जब भारत का नाम शामिल हुआ तो यह दृष्टिकोण से और बड़ा माना जा रहा है
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क्योंकि बलूचों को भी इसमें अपनी उम्मीद दिख रही है, जो सालों साल से लगा हुआ और सोशल करते हैं अब सवाल ये है की क्या वाकई में बलूचिस्तान अलग हो जाएगा इसी बार हो जायेगा इतना आसान नहीं लेकिन नामुमकिन भी नहीं है। अफगानिस्तान और बलूच विद्रोही भारत का साथ इसलिए दे रहे हैं क्योंकि उन्हें पाकिस्तान के साथ साझा तनाव और भारत के साथ रणनितिक है अफगानिस्तान भारत को एक विश्वसनीय सहयोगी के तौर पर दिख रहा है
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जबकि बलोच विद्रोही जो है वो पाकिस्तान के खिलाफ़ अपनी लड़ाई में भारत से नैतिक क्या पर अप्रत्यक्ष समर्थन की उम्मीद करना हालांकि ये समर्थन सीमित होगा या खुलकर होगा ये देखने वाली बात है क्योंकि अगर समर्थन खुलकर होगा तो फिर वो समर्थन का ही जोखिमों के साथ है इसके अलावा क्षेत्रीय वैश्विक शक्तियां जैसे अमेरिका रूस चीन इनकी भूमिका भी यहाँ पर काफी स्पोर्ट, लेकिन एक बात जो हम दावे से कह सकते हैं वह यह है कि पाकिस्तान की मुसीबतें कम है सुनिश्चित किया।
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उन्हें भी उम्मीद दिख रही है। वो उम्मीद जो साइबर पख्तूनख्वा वालों को दिख रही है वो उम्मीद जो गिलगित बाल्टिस्तान वालों को दिख रही है वो उम्मीद जो भारत को पीओके वापस लाने में दिख रहे हैं। वहीं उम्मीद बलूचों को दिख रही थी अगर ये फुल फ्लेजेड और होती तो ऐसा हो सकता है की पाकिस्तान इस बार प्रेग्नेंसी में बलूचिस्तान को पैदा करे ऐसा हो सकती।
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अगर ऐसा हुआ तो इंदिरा गाँधी ने बांग्लादेश बनाया मोदी साहब शायद बलूचिस्तान बना दिया। वैसे भी सियासत को जानने वाले कहते है की मोदी साहब का लॉन्ग टर्म विज़न है कि पाकिस्तान का एक टुकड़ा कर कर इतिहास के पन्नों में अमर कर लिया है क्या ऐसा होगा हिंदुस्तान पाकिस्तान बलूचिस्तान के जो लोग है वो इस बात की टिप्पणी कर सकते हैं
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