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19/03/2022

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ऑपरेशन सिन्दूर पर भारत सरकार ने लोगों को क्या बताया

ऑपरेशन सिन्दूर पर भारत सरकार ने लोगों को क्या बताया

ऑपरेशन सिन्दूर पर भारत सरकार ने लोगों को क्या बताया

पाकिस्तान में स्थित लश्कर ए तैयबा से संबंधित पाकिस्तानी और पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकवादियों ने भारत में जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में भारतीय पर्यटकों पर बर्बरतापूर्ण हमला किया 25 भारतीयों और एक नेपाली नागरिक को कायरतापूर्ण मौत के घाट उतार दिया गया मुंबई के 26 नवंबर 2008 के हमलों के बाद यह भारत में हुई किसी आतंकवादी हमले में मारे गए आम नागरिको की संख्या की दृष्टि से सबसे गंभीर घटना है

पहलगाम का हमला अत्यधिक बर्बरता पूर्ण था जिसमें वहाँ मौजूद लोगों को करीब से और उनके परिवारों के सामने सिर पर गोली मारी गयी हत्या के इस तरीके से परिवार के सदस्यों को जानबूझकर आघात पहुंचाया गया साथ ही उन्हें यह नसीहत भी दी गई कि वे वापस जाकर इस संदेश को पहुंचा दे यह हमला स्पष्ट रूप से जम्मू और कश्मीर में बहाल हो रही सामान् स्थिति को बाधित करने के उद्देश्य से किया गया था क्योंकि पर्यटन फिर से अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार बन रहा था

इस हमले का मुख्य उद्देश्य इसे प्रतिकूल रूप से प्रभावित करना था पिछले वर्ष आप सभी जानते हैं 2,25,00,000 से अधिक पर्यटक कश्मीर आए थे इस हमले का मुख्य उद्देश्य इसलिए संभवत यह था कि इस संघ राज्य क्षेत्र में विकास और प्रगति को नुकसान पहुंचाकर इसे पिछड़ा बनाए रखा जाए और पाकिस्तान से लगातार होने वाले सीमापार आतंकवाद के लिए उपजाऊ जमीन बनाने में सहायता की जाए

हमले का यह तरीका जम्मू और कश्मीर और शेष राष्ट्र दोनों में साम्प्रदायिक दंगे भड़काने के उद्देश्य से भी प्रेरित था इसका श्रेय सरकार और भारत के सभी नागरिको को दिया जाना चाहिए कि इन प्रयास को विफल कर दिया गया एक समूह ने खुद को। रेजिस्टेन्स फ्रन्ट, टीआरएफ कहते हुए इस हमले की जिम्मेदारी ली है यह समूह संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित पाकिस्तानी आतंकवादी समूह लश्कर ए तैयबा से जुड़ा हुआ है

यह उल्लेखनीय है कि भारत ने मई और नवंबर 2024 में संयुक्त राष्ट्र की 1267 कमिटी की सैंक्शन्स मॉनीटरिंग टीम को अर्द्ध वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें टीआरएफ के बारे में स्टाफ इनपुट दिए गए थे इससे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों के लिए कवर के रूप में टीआरएफ की भूमिका सामने आई थी इससे पहले भी दिसंबर 2023 में भारत ने इस टीम को लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद के बारे में सूचित किया था जो टीआरएस जैसे छोटे आतंकवादी समूहों के माध्यम से अपनी गतिविधियों को संचालित कर रहे हैं

इस संबंध में 25 अप्रैल को यूएन सेक्युरिटी काउन्सल प्रेस में टीआरएफ के संदर्भ को हटाने के लिए पाकिस्तान के दबाव पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए बेलगाम आतंकवादी हमले की जांच से पाकिस्तान के साथ आतंकवादियों के संपर्क उजागर हुए हैं। रेजिस्टेन्स फ्रॉम द्वारा किए गए दावे और लश्कर ए तैयबा से ज्ञात सोशल मीडिया हैंडल द्वारा इस को रीपोस्ट किया जाना इसकी पुष्टि करता है

चश्मदीद गवाहों और विभिन्न जांच एजेंसियों को उपलब्ध अन्य सूचनाओं के आधार पर हमलावारों की पहचान भी हुई है हमारी इन्टेलिजेन्स ने इस टीम के योजनाकारों और उनके समर्थकों की जानकारी जुटाई है इस हमले की रूपरेखा भारत में सीमा पार आतंकवाद को अंजाम देने के पाकिस्तान के लंबे ट्रैक रिकॉर्ड से भी जुड़ी हुई है

जिसके लिखित और स्पष्ट दस्तावेज़ उपलब्ध है पाकिस्तान दुनिया भर में आतंकवादियों के लिए एक शरण स्थल के रूप में पहचान बना चुका है यहाँ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित आतंकवादी सजा पाने से बचे रहते हैं इसके अलावा पाकिस्तान ने इस मु्द्दे पर विश्व और फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों को जानबूझकर गुमराह करने के लिए भी जाना जाता है

साजिद मीर का मामला जिसमें इस आतंकवादी को पाकिस्तान ने मृत घोषित कर दिया था और फिर अंतरराष्ट्रीय दबाव के परिणामस्वरूप वो जीवित पाया गया इसका सबसे स्पष्ट उदाहरण है ये स्वाभाविक है कि पहलगाम में हुए इस हमले से जम्मू और कश्मीर के साथ साथ भारत के अन्य भागों में भी आक्रोश देखा गया

हम लोगों के बाद भारत सरकार ने स्वाभाविक रूप से पाकिस्तान के साथ संबंधों को लेकर कुछ कदम उठाए आप सभी उन निर्णयों से अवगत है जिसकी घोषणा 23 अप्रैल को की गयी थी तथापि यह आवश्यक समझा गया कि 22 अप्रैल के हमले के अपराधियों और उनके योजनाकारों को न्याय के कठघरे में लाया जाए हम लोगों के एक पखवाड़े के बाद भी पाकिस्तान द्वारा अपने क्षेत्र या अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में आतंकवादियों की इनफ्रास्ट्रक्चर के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए कोई स्पष्ट कदम नहीं उठाया गया है

उलटे वो इनकार करने और आरोप लगाने में ही लिप्त रहा है। पाकिस्तान आधारित आतंकवादी मॉड्यूल्स पर हमारी खुफिया निगरानी ने संकेत दिया है कि भारत के विरुद्ध आगे भी हमले हो सकते हैं। अतः

इनको रोकना और इनसे निपटना दोनों को बेहद आवश्यक समझा गया। आज सुबह जैसा कि आपको ज्ञात होगा, भारत ने इस तरह के सीमा पार हमलों का जवाब देने और उन्हें रोकने तथा उनका प्रतिरोध करने के अपने अधिकार का प्रयोग किया है। यह कार्रवाई नपी तुली। मनेश के लेटर ई, अनुपातिक और जिम्मेदारीपूर्ण है। यह आतंकवाद की इनफ्रास्ट्रक्चर को समाप्त करने और भारत में भेजे जाने वाले संभावित आतंकवादियों को अक्षम बनाने पर केंद्रित है। आपको यह भी स्मरण होगा कि 25 अप्रैल 2025 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पहलगाम आतंकवादी हमले पर एक प्रेस वक्तव्य जारी किया था जिसमें आतंकवाद के इस निंदनीय कार्य के अपराधियों, आयोजकों, फाइनैंसरों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने। और उन्हें न्याय के दायरे में लाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया था भारत की आज की इस कार्रवाई को इसी संदर्भ में देखा जाना 

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