वन नेशन वन इलेक्शन क्या है और इसके फायदे और नुकसान क्या है

वन नेशन वन इलेक्शन क्या है और इसके फायदे और नुकसान क्या है
वन नेशन वन इलेक्शन क्या है और इसके फायदे और नुकसान क्या है
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क्या होता पुरे भारत में लोकसभा और विधानसभा का इलेक्शन हो लेकिन ये कैसे ऑर्गनाइज करवाया जाता है इसके क्या क्या फायदे होते हैं और क्या क्या नुकसान होते है, आइये जानते है
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क्योंकि इस टॉपिक से जुड़ा हर एक पॉइंट आज विस्तार से हम आपको बताने वाले हैं साथ ही इसके फायदे और नुकसान सब कुछ समझाएंगे
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वो तो वन नेशन वन इलेक्शन एक ऐसा सिस्टम है जो राजनीति, प्रशासन और चुनावों के तरीकों को पूरी तरीके से बदल सकता है एक समय पर पूरे देशभर में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव संपन्न करवाए जाएंगे ऐसा इस पूरे प्रोसेसर के अंदर होगा यानी एक समय में ही तमाम राज्यों में एक साथ पूरा प्रोसेसर होगा, पूरी अरएन्जमेंट होंगी और तमाम राज्यों और केंद्र के चुनाव केंद्र केवल एक साथ ऑर्गनाइज करवाया जाएगा
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इसके लिए तमाम तरीके की टीमें हर राज्य में बनाई जाएगी साथ ही साथ केंद्र को लीड करने वाली एक टीम अलग से बनाई जाये बता दें कि अभी तक देशभर में दोनों चुनाव अलग अलग समय पर करवाए जाते हैं लेकिन अब मोदी सरकार इसे एक ही समय पर करवाने के लिए तमाम तरीके के कवायदें कर रही है
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इसके लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ गोविन्द की अध्यक्षता में एक कमिटी बनाई गई थी इसमें आठ सदस्य थ कमेटी का गठन 2 सितंबर 2023 को किया गया था इसी कमिटी ने मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट भी सौंपी थी हालांकि दोस्तों इसके कहीं अगर फायदे हैं तो कई नुकसान भी होते है
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अच्छा चलिए सबसे पहले आपको फायदे समझा देते हैं नंबर एक फायदा जो इसका होगा वो होगा खर्च में कमी ऐसा कि सरकार दावा करती हैं। कहा जा रहा है कि हर चुनाव के लिए अलग अलग प्रशासन, सुरक्षा बल और पीएम की जरूरतें होती अगर चुनाव एक साथ होंगे
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तो इन सभी चीजों में भारी कमी आ जाएगी नंबर दो नीतियों पर ध्यान ये भी कहा जा रहा है कि अब सरकारों को बार बार चुनावों की चिंता नहीं करनी पड़ेगी, जिससे वो अपनी नीतियों पर ज्यादा फोकस कर पाएंगे और जनता की भलाई के बारे में काम कर पाएंगे नम्बर तीन वोट में बढ़ोतरी एक साथ चुनाव होने से दोस्तों ये कहा जा रहा है
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कि वोटर टर्नआउट जो होता है वो बढ़ सकता है क्योंकि लोगों को बार बार पोलिंग बूथ पर जाना नहीं पड़ेगा ऐसा कोई झंझट ही नहीं होगा तो एक ही बार में जाएंगे और सारे चुनाव के लिए वोट देंगे
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नंबर चार राजनीतिक स्थिरता कम चुनाव होने से स्थिरता आएगी क्योंकि अक्सर चुनाव के बाद सरकारे बदल जाती है, जिससे अनिश्चितता ज्यादा रहती है लेकिन जैसे की आप जानते हैं दोस्तों की हर सिस्टम के फायदे होते है, वैसे ही उसके नुकसान भी बहुत सारे होते है।
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अब इसके कई नुकसान और उन नुकसान पर भी बिल्कुल ध्यान देना चाहिए जैसे नंबर ए संविधान में बदलाव की जरूरत पड़ेगी इसके लिए भारत के संविधान में कई बदलाव करने पड़ेंगे जैसे आर्टिकल 83 85 17 2 और 174 में संशोधन करना पड़ेगा नंबर दो देश की इकॉनमी पर असर पड़ेगा दोस्तों ये जो प्रणाली है ये राज्यों की इकॉनमी को खतरे में डाल सकती है, क्योंकि राज्य सरकारों के चुनाव अब केंद्र के चुनावों से जुड़ जाएंगे। इसमें जो उनका अपना फोकस है वो पूरी तरीके से हिल जाएगा
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नंबर तीन सरकारों का गिरना अगर किसी राज्य में सरकार गिरती है तो क्या पूरे देश में चुनाव फिर से होंगे ये एक बहुत बड़ा सवाल है और ये सवाल झंझट पैदा कर सकता है नंबर चार स्थानीय मुद्दों देखिये दोस्तों जब एक साथ चुनाव होंगे तो राष्ट्रीय मुद्दें हावी हो सकते हैं और जो स्थानीय मु़द्दे होते हैं जो इसे जनता के जो छोटे मोटे मुददे होते हैं वो बिल्कुल उनका जो महत्त्व होगा वो कम हो जाएगा
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ज़ाहिर सी बात है हर राज्य की जनता अपने मुददे के लिए ही अपने सरकार को चुनती है, केंद्र का इंतज़ार नहीं कर सकती की कब केंद्र सरकार इस पर फैसला करेगी और कब वो केंद्र के हिसाब से अपना नेता चुनेंगे
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ऐसे में सवाल ये उठता है की क्या ये विचार संभव है तो दोस्तों इसका जवाब सीधा सा यही है कि जरूर ये बिल्कुल संभव है लेकिन अगर इसके लिए पूरे सिस्टम में बड़े बदलाव किए जाएं और सभी पार्टियां साथ आएं और फिर इसे प्लान करे तभी ये संभव है
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लेकिन इसके साथ आने वाली चुनौतियों और राजनीतिक मंशा का ध्यान रखना बेहद जरूरी होगा आज के दौर में जहाँ कई राज्य सरकारे हर समय चुनावी मूड में रहती हैं, ये बहुत मुश्किल काम है दोस्तों, इस तरीके से तमाम पार्टियों को एक साथ लेकर आना, लेकिन अगर इसे सही से लागू किया जाए तो वन नेशन वन इलेक्शन भारत के चुनावी इतिहास को एक नई दिशा दे सकता है
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