मौत की कगार पर पंहुचा इराक ,तुर्की की मनमानी की वजह से क्या ISIS की वापसी हो सकती है

मौत की कगार पर पंहुचा इराक तुर्की की मनमानी की वजह से क्या ISIS की वापसी हो सकती है
मौत की कगार पर पंहुचा इराक ,तुर्की की मनमानी की वजह से क्या ISIS की वापसी हो सकती है
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ऐसा कहते हैं, जब इराक बीमार पड़ता है, पूरा मिडल ईस्ट बुखार महसूस करता है एक ऐसा मुल्क जहाँ इंसानी तहजीब ने पहली बार आंखें खोली, जहाँ दजला और फरात नदियों ने इराक की धरती गुजर से गुजरती है
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जहाँ बेबीलोन गार्डन्स दुनिया के अजूबे बने जहाँ इस्लाम के सबसे पवित्र शहर नजफ और कर्बला है जहाँ सद्दाम हुसैन को फांसी हुई जहाँ आई एसआइ एस पैदा हुआ जहाँ तेल पर कब्जे के लिए वेस्टर्न मुल्कों ने जी जान लगा दी वो मुल्क आज मौत की कगार पर खड़ा है
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और जैसा कि मैंने पहले ही कहा कि मिडल ईस्ट के दिल को चोट पहुंची तो ये कई मुल्कों को अपने साथ ले जाएगा आज हम यही जानेगे की क्या आईसआईएस दोबारा वापस आ रहा है क्यों इराक का हलक सूख रहा है और क्यों घबराये है पड़ोसी मूल इराक को दो नदियों वाला मुल्क कहा जाता है
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पूरे इराक की धरती को फरहत यानी की और यानी की नदी हरा भरा करती है ये दोनों दरिया है तुर्की, सीरिया और इराक से होकर गुजरती है और फिर इस गल्फ भी जाकर मिल जाती है पुराने समय में इन दोनों नदियों ने इराक की जमीन को बहुत उपजाऊ बना दिया था, जिससे यहाँ आकर लोग बसने लगी और खेती करने लगे
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इस जमीन का इस्तेमाल करके यहाँ के बाशिंदों ने खूब दौलत कमाई खूब बिज़नेस किया हालांकि भले ही इंसानी तहजीब ने इन दोनों नदियों के सामने आँखें खोलीं लेकिन इन्हें दिया की बातों से भी खाली नहीं थी क्योंकि उस वक्त कोई डैम से या रिज़र्व औस तो थे नहीं जो पानी के बहाव को कंट्रोल करते हैं
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इसलिए बरसात के मौसम में कई बार अपने साथ ही नदियां सैलाब लाती थी, घरों और खेतों को तबाह कर देती थी लेकिन फिर इंसानों ने तरक्की की और डैम्स बनाने शुरू कर दिया और जो जमीन पानी से लबालब थी वो एक एक बूंद पानी को अब तरसने लगी है 1970 के दशक से इराक में पानी की कमी होने लगी क्योंकि इराक में इसकी नदियों के पानी का बहाव कम होता चला गया
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आज हालात ये हो गए हैं कि पूरा इराक पानी की परेशानी से जूझ रहा है साल 1986 में इराक ने अपने देश का सबसे बड़ा डैम मोसुल डैम बनाया था इसमें 11 अरब क्यूबिक मीटर पानी रोकने की जगह थी, लेकिन साल 2023 में अब तक का सबसे कम पानी इस टाइम में इकट्ठा हो पाया अगर पानी ऐसे ही कम होता रहा तो जल्द ही पास की मोसुल झील भी कुछ सालों में सूख जाएगी और इलाके के तकरीबन 17,00,000 लोगों को बिजली और खेती के लिए पानी नहीं मिल पाएगा
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ऐसा नहीं है की ये केवल इराक के एक इलाके का हाल है यू कैन डैम बांध की कपैसिटी भी सात अरब से घटकर सिर्फ दो अरब क्यूबिक मीटर रह गई है और इसके आसपास रहने वाले 30,00,000 से ज्यादा लोगों को अपनी रोज़मर्रा की पानी की के लिए इसी बांध का सहारा है
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इसके अलावा दर बंदी खान डैम भी बहुत बेहतर हालात में नहीं है इसमें भी पानी सात मीटर तक नीचे जा चुका है और अब ये डैम एक तिहाई भर पाता है पानी की कमी नहीं रख के लोगों की जिंदगी के हर पहलू को तबाह हल किया
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जिसे मछली पकड़ना, खेती और इससे जुड़े इंडस्ट्रीज़ सभी में कमी आई है सबसे ज्यादा हालत खराब है इराक के साउथ वाले इलाके में क्योंकि जैसे जैसे पानी नीचे की तरफ बहता है, उसकी क्वालिटी और क्वांटिटी दोनों में कमी आती जाती है इराक के बीच के शहर और कस्बे अब पूरी तरह से पानी के लिए और फरात नदियों के भरोसे है, क्योंकि पिछले कुछ सालों में बारिश में भी 40% तक की कमी आई है और इनसे बचकर जब पानी रहा के साउथ वाले हिस्सों तक पहुंचता है
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तो उनके पानी में कचरा मिल जाता है, जिससे लोगों की हेल्थ पर बुरा असर पड़ रहा है जैसे हम देखा कि साल 2018 में बसरा इलाके में तकरीबन 1,18,000 लोगों को पानी की गंदगी से जुड़ी बीमारियों की वजह से हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा था फिर साल 2023 में यूएन डेवलपमेंट प्रोग्राम यानी की ने पाया कि बसरा के पास करात और बसला जहाँ मिलती है वहाँ पर पानी पीने लायक नहीं था और 10 गुना ज्यादा नमकीन था
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वजह ये है की नदियां जहाँ गल्फ में मिलती थी उसे गल्फ का खारा पानी उल्टे अंदर घुस आया है और करीब 190 किलोमीटर तक उत्तर में फैल चुका है इससे वहाँ की पूरी इकोलॉजी तबाह हो रही है। पेड़, पौधे, खेती, बाड़ी कल्चर तबाही की कगार पर है इराक के वाटर रिसोर्स मिनिस्ट्री के मुताबिक 2040 तक है नदियां पूरी तरह सूख सकती है और अगर ये नदियां मर गयी तो इराक की मौत उनके साथ है लेकिन इसमें इराक का कोई कुसूर नहीं
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बगदाद की बदकिस्मती ये है की वो इन नदियों के बेसन के सबसे निचले हिस्से में बसा है फ़रात नदी के 90% पानी तुर्की के अनातोलिया के पहाड़ों से आता है और दजला नदी की बात करें तो यहाँ का 45% पानी तुर्की से आता है, जबकि बाकी सीरिया, ईरान और इराक से लेकिन तुर्की का हिस्सा सबसे बड़ा है 1970 के
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दशक से तुर्की ने इन नदियों पर अपने इलाके में डैम्स और रिजर्वायर्स बनाने शुरू कर दिए थे तुर्की ने अनातोलिया में हाइड्रो पावर के जरिए बिजली बनाने के लिए पानी रोकना चालू किया और आलम ये हुआ कि तुर्की ने दोनों नदियों पर 600 से ज्यादा डैम से बना दिया और अगले कुछ सालों में 600 ऐसे डैम सौर बनाने का प्लान है जीतने ज्यादा डैम तुर्की ने बनाए इराक में उतना ही कम पानी पहुंचना चालू हो गया
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एक ताजा मिसाल है इलिसु मेगा प्रोजेक्ट इसमें तुर्की ने सीरिया, इराक बॉर्डर के पास दजला और फरात पर 22 स्टैम्प्स और 19 हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्लांट्स बनाए हैं इस मेगा प्रोजेक्ट की वजह से तुर्की ने नई छिलें और खेती की जमीन बनाने लेकिन ये इराक के लिए एक बड़ी तबाही है इससे आने वाले सालों में इराक में दो जगह नदी के पानी का बहाव 56% और कम होने की उम्मीद है
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इराक, सीरिया, ईरान और तुर्की के बीच पानी के बंटवारे को लेकर कोई समझौता नहीं है इसलिए कानूनी तौर पर तुर्की अपनी सीमा के अंदर जो चाहे बनाने का हक है लेकिन बड़े नज़रिए से देखें तो इसका मतलब ये है की करोड़ों लोगों की जिंदगी फरहत बेसिन पर तुर्की की मर्जी के मुताबिक चल रही है कि तुर्की ने कई बार इराक की तरफ पानी छोड़ा भी है, लेकिन क्लाइमेट चेंज नहीं उसकी मुश्किलों को बढ़ा दिया है
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तुर्की में पिछले 62 सालों में सबसे कम बारिश हुई है साल 2021 में सूखे और गर्मी ने बड़े जंगल की आग लगा दी। इसलिए तुर्की में पानी की जरूरतें बढ़ रही है जो कि इराक के लिए बुरी खबर है हाल ये है कि 1970 से अब तक फरहत और दजला में सालाना पानी का बहाव 40 और 45 अरब क्यूबिक मीटर से घटकर सिर्फ 15 और 20 अरब क्यूबिक मीटर आ गया है
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इराक को अपनी खेती और इंडस्ट्रीज़ की जरूरतों के लिए 70 अरब क्यूबिक मीटर पानी चाहिए, लेकिन पानी सिर्फ 35 अरब क्यूबिक मीटर है ये पानी की कमी धीमी मौत की तरह है इससे भी बुरी बात यह है कि इराक का कुर्दिस्तान वाला इलाका अपने नदियों पर बांध बनाने की सोच रहा है जिससे इराक में पानी नीचे की तरफ और कम हो जाएगा
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अब तक 14 बांध बन चूके हैं 17 पर काम चल रहा है और 40 का और प्लैन है प्रोजेक्ट पूरा होने तक इराकी कुर्दिस्तान में 245 बांध हो सकते हैं इसका मतलब बगदाद के लिए और पानी कम होगा इसके बावजूद इराक की सरकार दर्शकों से पानी में कमी का हल नहीं ढूंढ पाई है
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खेती और इंडस्ट्रीज़ में वाटर मैनेजमेंट में कोई खास प्रोग्रेस नहीं हुई है। देश की ज्यादातर सिंचाई पुराने तरीकों से होती है, जिससे अरबों क्यूबिक मीटर पानी बर्बाद हो जाता है खेती में ही इराक के कुल पानी का 63% इस्तेमाल हो जाता है, जो कि खराब वाटर मैनेजमेंट की मिसाल है आज इराक का 90% से ज्यादा हिस्सा सूखे की चपेट में रेगिस्तान हर तरफ बढ़ रहा है
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खासकर साउथ में जहाँ गल्फ का खारा पानी भी अंदर आ रहा है 1970 से अब तक इराक में अपनी आदि खेती लायक जमीन खोदी है और हर साल 100 वर्ग किलोमीटर से भी ज्यादा जमीन बर्बाद हो रही है साल 2022 में बगदाद में रेत के तूफ़ान आये थे पहले ऐसे तूफान साल में दो बार आते थे लेकिन अब साल में 2012 रहे हैं एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगले दो दशकों में देश में साल के 365 दिनों में से 272 धूल भरे दिन यानी की डस्ट डेज़ होंगे अभी करीब 70,00,000 लोग पानी की कमी और उसके असर से परेशान हैं
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ये तबाही और बढ़ेगी क्योंकि रात की 20-30 परसेंट कामकाजी आबादी खेतों में लगी है कम खेती लायक जमीन का मतलब है रेशन में कमी, जिसे खाने के दाम बढ़ेंगे, रोजगार में कमी होगी और जैसे जैसे जमीन सूखेगी और लोगों की रोज़ी रोटी खत्म होगी, वे दूसरी जगहों पर भागने को मजबूर होंगे
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दरअसल समस्या ये है की पानी की कमी अपने साथ दूसरी परेशानियां भी लाती है जिसे बाकी सारे देशों को मालूम है कि तेल और गैस के अलावा भी उनको दूसरे कमाई के तरीकों पर गौर करना होगा उसी तरह इराकी सरकार भी चाहती है कि तेल गैस से हटकर इकॉनमी को मजबूत करने के लिए वो भी दूसरे तरीकों पर विचार करें सोचें
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इसलिए उसने खेती को बढ़ावा देने की कोशिश की थी लेकिन पानी की कमी सरकार का प्लान में सबसे बड़ा रोड़ा है और ये लगातार बढ़ रहा है अगर इराक का ये संकट नहीं थमा तो इराक के साथ साथ पूरे मिडिल ईस्ट का हलक सूखेगा वजह है रेडिकलाइजेशन और एक्स्ट्रीम इस हम अगर आम लोग परेशान हुए तो फिर वो कमाई के दूसरे तरीकों के बारे में सोचेंगे
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और बहुत मुमकिन है की वो आईएसआईएस जैसे किसी ग्रुप के बहकावे में आकर हथियार उठा ले जैसे पिछली बार जब अमेरिका ने इराक को तबाह हाल छोड़ा था तो आइस आइस बना था जिसने इराक, सीरिया और बाकी मुल्कों पर कब्जा कर लिया था बड़े पैमाने पर खूनखराबा हुआ था, बमबाजी, गोलीबारी हुई थी तो
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खतरनाक था ही, लेकिन इसका अगला वर्जन और भी बुरा होगा क्योंकि हालात ज्यादा निराशाजनक होंगे पानी खाने के संकट से जब इराक चरमपंथ का अड्डा बनेगा तो हथियारबंद और मजबूत होंगे ऐसा है जैसे किसी ग्रुप में भर्ती होंगे जो पूरे इलाके में तबाही मचाएगा इस संकट को और भी ज़रूरी बनाती है इसकी टाइम इन दरअसल इराक की आबादी तेजी से बढ़ रही है
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एक स्टडी है कि 2040 तक ये 4.6,00,00,000 इससे बढ़कर 6,30,00,000 हो जाएगी 2071 तक की आबादी 9,40,00,000 तक हो सकती है जो ईरान और तुर्की से भी ज्यादा है और सदी के अंत तक ये 11,10,00,000 तक पहुँच सकती है अगर इराक में यही हाल रहा तो पानी खाने की मांग बढ़ेगी और सप्लाई घटेगी पानी कम होने की वजह से पब्लिक सर्विस और खराब होंगे खत्म होगा, स्वास्थ्य सेवाएं खराब होंगी,
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वगैरह वगैरह और साल 2040 तक इराक एक ऐसे जमीन बन जाएगा जहाँ नदियां होंगी ही नहीं दजला और फरात नदी या धीरे धीरे मर जाएंगे पानी थोड़ा बहुत बहेगा, लेकिन वो खाड़ी तक नहीं पहुँच पाएगा इससे इलाके समाज का हर पहलू तबाह हाल होगा यहाँ तक की देश रहने लायक नहीं रहेगा
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सोचिये जो इराक अभी फर्टाइल सैन्ट कैलासा था,आज वो मौत की कगार पर खड़ा है हमने पहले भी देखा है की पानी की कमी से इतिहास में कई शहर, मुल्क और कल्चर तबाह हो गए इराक में भी कई भाषाएं और खंडहर हैं, जिन्हें आज कोई नहीं जानता हालांकि पानी का संकट भले ही भारी लगे लेकिन ऐसा भी नहीं है कोई उम्मीद बची ही नहीं है कुछ छोटे छोटे लेकिन सही कदम भी उठाए गए साल के तौर पर साल 2023 में बसरा के पास जापान की मदद से 100 मिलियन डॉलर की लागत वाली वॉटर्स डिसेलिनेशन प्लांट लगाया गया जिससे 4,00,000 लोगों को मीठा पानी मिलेगा इस तरह एक अमेरिकी प्रोजेक्ट से 6,50,000 लोगों के लिए वाटर इनफ्रास्ट्रक्चर को मॉडर्न किया जा रहा है
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वहीं चीन भी लाखों लोगों की जरूरतें पूरी करने के लिए डिसैलिनेशन प्लांट्स बनाने पर बातचीत कर रहा है और यही आगे का रास्ता भी है लेकिन इराकी सरकार को और बहुत कुछ करना होगा उसे अपना इन्फ्रास्ट्रक्चर मॉर्डनाइज करना होगा वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट और रीसाइक्लिंग सिस्टम बनाने होंगे इराक कुछ समय के लिए अपने ग्राउंड वाटर का इस्तेमाल भी कर सकता है
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लेकिन सबसे जरूरी है कि किसानों को मॉडर्न सिंचाई की टेक्नोलॉजीज़ देना इराकी कुर्दिस्तान के बांध प्रोजेक्ट्स पर रोक लगानी होगी क्योंकि अपने ही लोगो से लड़ता हुआ देश कभी उबर नहीं सकता है साथ ही तुर्की के साथ किसी तरह का समझौता करना होगा इराक की मौत तुर्की के हित में भी नहीं है
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भूका इंसान मुल्क को भी चबा सकता है और तुर्की ये बात समझता भी तभी साल 2021 में तुर्की के साथ एक समझौता हुआ भी था, जिसमें इराक की तरफ ज्यादा पानी के बहाव की बात हुई थी हालांकि इसकी शर्तें भी पूरी तरह तय नहीं हुई है, लेकिन ये सही दिशा में कदम है कुल मिलाकर एक नए इन्फ्रास्ट्रक्चर मॉडर्न टेक्निक्स और समझौतों के जरिए इराक अभी भी वापसी कर सकता है
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लेकिन यह बहुत जल्दी करना होगा नहीं तो हालात लाइलाज हो जाएंगे और इराक की समस्या सब की समस्या बन गया है क्योंकि हम सबको मालूम है की जिंदगी के हिसाब किताब में समय ही एक ऐसी चीज़ है जो दोबारा वापस नहीं आता है तो दोस्तों आप क्या सोचते हैं मुझे बताइए क्या तुर्की को इराक की मदद के लिए आगे आना चाहिए कमेंट करके बताये
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