नमस्कार 🙏 हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे Contactgrexnews@gmail.com ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें , अगर अमेरिका पीछे नहीं होता तो अब तक मिट जाता इजराइल » Grex News Hindi
19/06/2025

Grex News Hindi

Latest Online Breaking News Hindi

अगर अमेरिका पीछे नहीं होता तो अब तक मिट जाता इजराइल

अगर अमेरिका पीछे नहीं होता तो अब तक मिट जाता इजराइल

अगर अमरीका पीछे नहीं होता तो अब तक मिट जाता इजराइल

ईरान को छेड़कर इस्राइल बुरी तरह फंस गया है अगर अमेरिका की शह नहीं होती तो ईरान अब तक इस्राइल को दुनिया के नक्शे से मिटा चुका होता

ईरान ने इसराइल का हर वो घमंड चकनाचूर कर दिया है जिसके दम पर वो दुनिया में इतराता फिरता था

उसका ये डिफेन्स सिस्टम, उसके आयरन डोम से उसकी मिसाइलें, उसकी पनडुब्बियों, उसका मुंसाद, उसका मन, पांच दिनों में ही ईरान ने सबको छेद छेद कर डाला है और इसराइल अमेरिका ये कर क्यों रहा है क्योंकि दोनों किसी भी तरह से नहीं चाहते हैं कि ईरान परमाणु हथियारों के मामले में आत्मनिर्भर हो

ईरान के जवाबी हमलों से दोनों ही बुरी तरह बौखला उठे इस हताशा का अंदाजा इसी से लगाइए कि खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने ट्वीट में ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामनेई की हत्या की बात कर चूके हैं

वहीं, इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू बार बार इस्लामिक शासन को उखाड़ने की बात कर रहे हैं आइडी एफ मोसाद ने ईरान और इस महान में परमाणु स्थलों, मिसाइल परिसरों और सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया और ईरान के कई सील्स कमांडर और परमाणु वैग्यानिकों को उसने मार डाला है

यानी अब इजराइल सीधे सीधे इरानी शासन की बुनियाद पर चोट कर रहा है उन बुनियादों पर जिसपर ईरान का गौरव बोध और शक्ति बोध सिर उठाकर दुनिया में खड़ा नजर आता है यहाँ जो एक बुनियादी सवाल है वो ये कि इजराइल और अमेरिका का दुश्मन ईरान है या फिर आयतुल्लाह खामनेई और उनका शासन दोनों का मकसद केवल ईरान में सत्ता बदलना तो नहीं है और अगर ऐसा है तो क्या वह सचमुच में ऐसा कर सकते हैं

इसी योजना के तहत इसराइली प्रधानमंत्री ने ईरान की जनता को सीधे संबोधित करते हुए उनसे देश के इस्लामिक शासन के खिलाफ़ खड़ा होने का खुला आह्वान किया था इजराइल का कई नेता ऐसी ही अपील जारी कर चूके हैं लेकिन इससे पहले का सवाल ये है कि ईरान को लेकर अमेरिका इतना आक्रामक क्यों उठाए

खासकर डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद आखिर उसे क्या हासिल हो सकता है देखिये ईरान के पास दुनिया के सबसे बड़े प्राकृतिक गैस भंडार, गैस फील्ड और बेहतरीन तेल इजराइल ने सबसे पहले इसी ढांचे पर चोट की है क्योंकि अमेरिका को लगता है कि इससे ईरान की आर्थिक स्थिति चरमरा जाएगी

और जब देश भयानक आर्थिक किल्लत में आएगा तो ईरान के लोग खुद ही खामनेई के खिलाफ़ बगावत कर देंगे और उनके शासन को उखाड़ फेंकेंगे और जब ईरान आर्थिक तौर पर कमजोर पड़ेगा तो उसके परमाणु और सैन्य कार्यक्रम अपने आप ध्वस्त होते चले जाएंगे

इसीलिए वो चुन चुन कर सैन्य कमांडरों और परमाणु वैग्यानिकों को निशाना बना रहा है आपने गौर किया होगा अभी तक अमेरिका क्या फैलाता रहा है की ईरान की असली ताकत हमास है, इस्लामिक जिहाद है, हूती विद्रोही है या हिजबुल्लाह जैसे संगठन है,

जिन्हें उसने अपने पैसे और हथियारों के दम पर खड़ा किया है लेकिन अंदर ही अंदर अमेरिका लंबे समय से मानता रहा है की ये मान्यता ठीक नहीं है और ईरान की असली ताकत दरअसल आयतुल्लाह खामनेई नहीं है,

जिन्होंने एक ऐसा तंत्र खड़ा कर दिया है जिसे भेदना कम से कम इजराइल के अपने बस में तो हरगिस नहीं है इसीलिए अब ट्रंप को सीधे तौर पर अमेरिका को जंग में उतारने के बारे में बात करनी पड़ रही है

वो बार बार बोल रहे हैं कि अमेरिका के पास दुनिया के सबसे विनाशक हथियार मतलब वो मान चूके हैं कि नाम भले ही इसराइल का हो लेकिन असली लड़ाई ईरान और अमेरिका के बीच

अब अमेरिका के मुश्किल को समझिए तमाम कोशिशों के बावजूद वो ईरान में काम नहीं कि सत्ता के खिलाफ़ कोई बड़ा या प्रभावी प्रतिरोध खड़ा नहीं कर पाया जबकि उसने इसके पीछे अरबों डॉलर खर्च किए की जनता के स्तर पर कोई विद्रोह उभरे जो स्वाभाविक भी नजर आए

लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो पाया और ये अमेरिका और इजराइल दोनों के लिए परेशान करने वाला है इस चक्कर में हताशा इस कदर बढ़ गयी कि इजराइल खुलेआम बोलने लगा खामनेई का अंजाम सद्दाम हुसैन जैसा होगा

यह बात हवा में नहीं कही गई है ये एक तरह से अयातुल्लाह खामनेई के समर्थकों को चेतावनी है की हमारा आना तो तय है और आने के बाद हम आपका क्या हाल करेंगे ये सोच लो

लेकिन यहाँ पर सवाल खड़ा होता है की क्या ईरान में सरकार को गिराना संभव है भी तो इसका जवाब जो फौरी तौर पर नजर आता है वह यह कि ये बहुत ही ज्यादा मुश्किल है कम से कम इस स्तर पर तो नामुमकिन ये मान भी लिया जाए कि इजराइल और अमेरिका ईरान के मौजूदा सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह खान इसको खत्म कर देंगे और उनकी जगह पर अपना कोई पिट्ठू बैठा देते हैं

हालांकि ये भी असंभव से कुछ ही कम है क्योंकि हमने ही ने अपने

बाद की लीडरशिप बहुत लंबे समय के लिए तैयार करती है और ईरान की जनता में उनकी स्वीकार्यता बहुत अंदर तक कई रिपोर्ट कहती है कि आयतुल्लाह खामेनई तो बस नाम है फसल प्लैन्टिंग बरसों से उनके बेटे मुस्तबा खामनेई संभाल रहे हैं

ऐसे में ये सोचना कि अमेरिका पहले आयातुल्लाह खामनेई को मारेगा, फिर मुजतबा खामनेई को भी खत्म कर देगा ये खामख्याली लगती है हालांकि मुजतबा खामनेई के ना रहने की सूरत में भी कम से कम सात नेताओं को तैयार किया जा चुका है

जो ईरान को चला सके दूसरी बात ईरान में काम नहीं के तौर तरीकों को लेकर जो वो सख्त था भी उसे इस युद्ध ने पूरी तरह खत्म कर दिया है आज की असलियत यह है कि ईरान का एक वे नागरिक खामनेई के खिलाफ़ कुछ नहीं सुनना चाहता और अगर अमेरिका ने उन पर हाथ भी डाला तो इसके अंजाम बहुत भयावह हो सकते हैं

एक बात पर गौर कीजिए तबाही इजराइल से ज्यादा ईरान में हुई है लेकिन जनता इजराइल की सड़कों पर उतर आई है वो नेतन्याहू का विरोध कर रही है इजराइल के लोग सवाल पूछ रहे हैं और नेतन्याहू के लिए जवाब देना मुश्किल हो रहा है

दूसरी तरफ ईरान की जनता अभी तक देश के किसी भी हिस्से में सड़कों पर नहीं उतरी है बल्कि वो सरकार के पक्ष में ज्यादा एकजुट और लामबंद नजर आने लगी और जब तक जनता खुद सड़कों पर नहीं उतरती ईरान के सामने ही शासन को गिराना या बदलना लगभग असंभव

अब ज़रा कनाडा से वापस लौटते हुए डोनाल्ड ट्रम्प के हताश बयान को समझने की कोशिश कीजिए उनसे पूछा गया था कि आप इस युद्ध का क्या हाल देखते हैं तो वो जवाब में कहते हैं, हम इसका स्थायी इलाज चाहते हैं, कोई तात्कालिक अंजाम नहीं इसी अस्थायी इलाज के लिए उन्हें जीस सेवन की बैठक 1 दिन पहले छोड़कर आनन फानन में वॉशिंगटन भागना पड़ा

लेकिन जीस तेजी में वो वॉशिंगटन के लिए निकले उसका अर्थ अभी तक तो दुनिया की समझ में नहीं आ रहा अब ट्रंप और नेतन्याहू दोनों की चिंताएं एक है कि अगर यह युद्ध लंबा खिंचता है और हमने एक सरकार बची रह जाती है तो आंतरिक तौर पर ट्रंप और नेतन्याहू दोनों की मुश्किलें अपने अपने देशों में बढ़ेंगी

उनकी रणनीति को नाकाम मान लिया जाएगा और अगर ईरान एक महीने से ज़्यादा युद्ध को खींच ले गया फिर तो सीधे तौर पर ये मान लिया जाएगा कि ईरान सीधे अमेरिका से लड़ाई लड़ सकता है और अगर ऐसा हुआ तो नेतन्याहू और ट्रंप दोनों के सामने अपने अपने देश में राजनैतिक भविष्य का संकट खड़ा हो सकता है,

खासकर नेतन्याहू बहुत बड़े भंवर में लेकिन अगर ईरान, इजराइल को लंबे समय तक नहीं रोक पाया तो उसका अंजाम भी सीरिया लीबिया या फिर इराक जैसा हो सकता है देखते है इतिहास किसे नायक की तरह दर्ज करता है और किसे खलनायक की तरह

इसे भी पढ़े

खामनेई का ऐलाने जंग इजराइल ट्रम्प का उड़ा रंग

ट्रम्प की धमकियों से बेखौफ ईरान इजराइल अपना नुकसान छिपा रहा है

इजराइल बर्बाद हो रहा है खामेनेई की जान खतरे में

इस्राइली आतंक के खिलाफ इस्लामिक देशों ने खोला मोर्चा

इजराइल के बिगड़े हालत ईरान के साथ कौन कौन देश है

भागता फिर रहा नेतन्याहू बेडरूम तक जा पहुंचा ईरान

Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें 

Advertising Space


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे.

Donate Now

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *