क्या बलूचिस्तान भारत का हिस्सा बनेगा. इससे क्या फायदा और क्या नुकसान होगा

क्या बलूचिस्तान भारत का हिस्सा बनेगा इससे क्या फायदा और क्या नुकसान होगा
क्या बलूचिस्तान भारत का हिस्सा बनेगा. इससे क्या फायदा और क्या नुकसान होगा
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बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना भारत और भारतवासियों के ऊपर यह कहानी पूरी तरह से फिट होती है याद है जब अमेरिका में चुनाव होने थे तो भारतवासियों ने अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प को जिताने के लिए पूजा पाठ की भारत के प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर डोनाल्ड ट्रम्प के लिए वोट मांगे अब की बार ट्रम्प सरकार
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ये दोनों ही बातें गलत नहीं है निश्चित तौर पर यदि कोई हमारा दोस्त है तो उसके लिए उसकी सफलता के लिए पूजा पाठ कर सकते हैं अगर कोई हमारा सच्चा दोस्त है तो उसके लिए वोट मांग सकते हैं लेकिन जिसके लिए हमने पूजा पाठ की हो, जिसके लिए हमने वोट मांगे हो, वही मुसीबत के समय हमारा साथ छोड़ दें जैसे भारत और पाकिस्तान की लड़ाई के बीच में हुआ है केवल साथ ही ना छोड़ें दुश्मन देश का समर्थन भी करें उसको आतंकवादियों का देश भी ना कहे
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वो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की बेइज्जती भी करें, यह कहकर कि हमने व्यापार का दबाव बनाकर सीजफायर करवाया ये वहीं ट्रंप हैं जिनके लिए हमने पूजा की और इसी ट्रम्प ने ऐप्पल के सीईओ से कहा है कि भारत में निवेश नहीं करना इसी ट्रंप ने भारत के नागरिको को हथकड़ी और बेड़ियां लगाकर भेजा था इसी ट्रम्प ने कोरोना के समय पैरासीटामोल की धमकी दी थी ये वही ट्रंप है जिसके लिए हमने दिन रात पूजा की थी
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हम खुश थे कि वो जीतने वाला है क्यों कि हमे पता नहीं है तो जब हम अनावश्यक रूप से किसी के लिए खुश हो रहे हो ना फिर वो जब अपनी बाजी पलटता है अपना चेहरा पलटता है तो दुखी तो होना स्वाभाविक होता है इसीलिए कहते हैं कि भारत बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना अब भारतवासी कुछ इसलिए फिर से खुश हो रहे हैं कि पाकिस्तान के टुकड़े होकर बलूचिस्तान का निर्माण होने वाला है
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अब बलूचिस्तान है क्या पाकिस्तान का कि संघ का हिस्सा है बलूचिस्तान कैसे बनेगा इसको अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता कैसे मिलेगी बलूचिस्तान बनने से भारत को क्या फायदा होंगे बलूचिस्तान बनने से भारत को क्या नुकसान हो सकते हैं, इसको भी समझने की जरूरत है तो आइये यही सब समझते हैं कि हम केवल बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना वाले ही है या सच में बलूचिस्तान बनने से हम को कोई फायदा होगा
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यह केवल अभी तात्कालिक फायदा है भविष्य में इसके नुकसान हो सकते हैं समझते हैं एक एक करके तो सबसे पहले बलूचिस्तान को लेकर कुछ जानकारियां मैं आपसे शेयर कर देता हूँ बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है जिसका कुल क्षेत्रफल लगभग 3,47,190 वर्ग किलोमीटर है यानी है पाकिस्तान का लगभग 44% हिस्सा कवर करता है, लेकिन आबादी मात्र 6% 2017 की जनगणना के अनुसार यहाँ लगभग साढ़े 12 मिलियन आबादी रहा करती हैं राजधानी इसकी क्वेटा है और ये ईरान, अफगानिस्तान और अरब सागर से घिरा हुआ है
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प्राकृतिक संसाधनों से भी हैं, धनी है जहाँ सोना, तांबा गैस प्राप्त होते हैं, वहीं फूट की वजह से ह रणनीति रूप से बहुत अहम हो जाता है बलूच लोग जो सुन्नी मुसलमान हैं, अपनी अलग संस्कृति और भाषाई पहचान के लिए जाने जाते हैं प्रमुख रूप से बलूची भाषा बोलते हैं 1947 में पाकिस्तान बनने के बाद कलात रियासत ने 227 दिन तक स्वतंत्रता का स्वाद चखा, लेकिन 1948 में पाकिस्तानी सेना ने जबरन कब्जा कर लिय
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तब से बलूच लिबरेशन आर्मी यानी बीएलऐ जैसे समूह आजादी की मांग कर रहे हैं और उसी आजादी की मांग में बलूच नेता मीर यार बलूच ने ट्विटर पर एक ट्वीट करके बताया है, पूरी दुनिया को, जिसे एक्स हम कहते है की हम अलग देश हो गए हैं पर ये बात ध्यान रखना की ट्विटर पर या एक्स्पर्ट केवल ट्वीट करने से देश अलग अगर होता तो मैं हर एक मॉडल को देश घोषित कर देता खैर, अगर बलूचिस्तान नए देश की मान्यता चाहता है तो केवल टैक्स पर मैसेज डालने से कुछ नहीं होगा
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उसको कुछ प्रक्रिया पूरी करनी होंगी जैसे प्रवासी क्षेत्र और सरकार याद रखना 1933 के मॉन्टी विडिओ कन्वेन्शन के तहत एक दिवस को प्रवासी सीमाएं स्थायी आबादी और सरकार चाहिए बलूचिस्तान के पास ग्वादर और खनीज संसाधन हैं लेकिन पीएलए के पास पूरे क्षेत्र पर नियंत्रण नहीं है पाकिस्तानी सेना अभी भी वहाँ मौजूद है दूसरी प्रक्रिया से मान्यता लेना, उसके लिए सुरक्षा परिषद के 15 वोट होते हैं
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उनमें से नौ वोट उसको चाहिए ही चाहिए कोई भी जैसे अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन, बीटो ना करे अगर किसी ने वीटो कर दिया इनमें से तो निश्चित तौर पर वो मान्यता नहीं मिलेगी अब चीन जो किसी पैक यानी की चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कोरिडोर के लिए ग्वादर में अरबों डॉलर लगा चुका है, वो शायद वीटों कर दें। तीसरी प्रक्रिया है महाशक्तियों का समर्थन बांग्लादेश जो 1971 में भारत की सहायता से बना, उसने भारत और यूएस आर का समर्थन लिया
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बलूचिस्तान को भारत, अमेरिका या ईरान जैसे देशों की जरूरत है भारत अभी चुप्पी साधे हुए हैं शायद सोच रहा है पहले पड़ोस संभाले फिर दूसरा दे देंगे क्योंकि अभी हाल ही में उसने दूतावास की मांग की है बलूचिस्तान में भारत से और चौथी प्रक्रिया जो सबसे अहम है आर्थिक और संस्था का ढांचा एक नए देश को बनाने के लिए मुद्रा, पासपोर्ट और अर्थव्यवस्था होनी चाहिए बलूचिस्तान में तेल और गैस है, लेकिन 70% लोग अभी भी गरीबी रेखा के नीचे है
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बिना वैश्विक मदद के ये सपना साकार नहीं हो सकता है सपनों का ग्वादर ही रहेगा तो एक नजर उस संभावना पर भी डालते हैं कि मान लो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यदि बलोचिस्तान को देश का दर्जा मिल गया भविष्य में है, भारत के लिए कैसे फायदेमंद हो सकता है और जब बलूचिस्तान पाकिस्तान से अलग होने की घोषणा कर चुका था तो भारतीय इतने खुश क्यों थे क्यों भारतीय ताली बजा रहे थे उनके पीछे खुशी के क्या कारण है
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तो आइये खुशी के कारणों को एक एक करके समझते हैं खुशी का सबसे पहला कारण है की बलूचिस्तान का बंदरगाह ग्वादर ये चीन का सीपैक का दिल का टुकड़ा है सीपैक बोले तो चाइना पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरिडोर अगर बलूचिस्तान आजाद हुआ तो चीन का सपना चकनाचूर हो जाएगा और हमारा दिल गार्डन गार्डन हो जायेगा क्योंकि चीन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जीस प्रकार से दबाव बना रहा है, उस दबाव में वह भारत को भी काउंट करता है और वह हिंद महासागर में कब्जा करना चाहता है
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इसके लिए वह है चाइना पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरिडोर के द्वारा अपनी धाक ज़माना चाहता है जो की अब नहीं जमा पाएगा यदि वो आजाद हुआ तो और दूसरा प्रमुख कारण है कि जब बलूचिस्तान पाकिस्तान से अलग होगा तो पाकिस्तान की सेना आईएसआई का फोकस बढ़ेगा जो उनका पूरी तरह से फोकस जम्मू कश्मीर में रहता था अब उनका आधा फोकस वक्त स्थान पर होगा क्योंकि वो ये एक नया फ्रंट खुल जाएगा
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जो प्यार भरी में से जम्मू कश्मीर में कभी भी भेज दिया करते थे, वो इतनी आसानी से नहीं भेज पाएंगे तो यह संभव था ये फायदा हो सकता है बलूचिस्तान के देश बनने से और तीसरा फायदा होगा भारत का नैतिक स्टैंड हम तो शांति के पुजारी हैं, लेकिन जब पड़ोसी का घर जल रहा हो तो थोड़ा पॉपकॉर्न तो बनता है बलूचिस्तान के लोग अपनी आजादी की लड़ाई लड़ रहे हैं और हम उनके मानवाधिकार के समर्थन में तालियां बजा रहे हैं
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लेकिन सच कहे हमें उस ग्वादर पोर्ट की ज्यादा चिंता है जो अब चीन के हाथों से फिसलने वाला है और चौथा है आर्थिक कारण बलूचिस्तान में गैस और तेल के भंडार है इससे पाकिस्तान की सोने की चिड़िया कहा जाता है वो अगर बलूचिस्तान अलग हुआ तो पाकिस्तान से सोने की चिड़िया अलग हो जाएगी तो उसकी इकॉनमी और कमजोर हो जाएगी, जो कि पहले से ही कमजोर है और यह सुनकर कितना अच्छा लग रहा है तो मन करता है कि भाई जल्दी बन जाए बलूचिस्तान, लेकिन याद रखना अगर बलूचिस्तान के फायदे हैं तो भविष्य में नुकसान भी हो सकते हैं
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इसीलिए कह रहा हूँ कि बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना बनने की जल्दबाजी ना करे एक बार हम ट्रम्प के लिए पूजा करवा के देख चूके हैं और उसका रिएक्शन भी देख चूके हैं तो भविष्य में क्या नुकसान हो सकते हैं, उसका भी अनुमान लगाना जरूरी है तो आइये समझते हैं कि बलूचिस्तान बनने से भविष्य में क्या नुकसान हो सकते हैं पहला नुकसान है क्षेत्रीय स्थिरता और राजस्थान के अलग होने से पाकिस्तान, ईरान और अफगानिस्तान में अस्थिरता बढ़ सकती है
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ईरान के सिस्तान और बलूचिस्तान में भी विद्रोह बढ़ा सकता है जैसे भारत का चावल प्रोजेक्ट खतरे में पड़ सकता है ईरान भी बलूचिस्तान की आजादी का समर्थन कर रहा है यह भारत के लिए एक दोधारी तलवार है ध्यान रखना और दूसरा नुकसान जो भविष्य में हो सकता है वो है ड्रैगन को गुस्सा दिलाना है जिनको हम लाल आंखें दिखाने की धमकी देते हैं यानी चीन और भविष्य में बलूचिस्तान के अलग होने से जो वाला प्रोजेक्ट है चीन का वो खतरे में पड़ सकता है उसके हाथ से जा सकता है तो निश्चित तौर पर कहीं चीन हमारा भविष्य में दुश्मन नंबर वन ना बन जाये
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और हमने पहले ही आपसे कहा है की उसकी इकॉनमी दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी बनने वाली है हम विश्व गुरु है, लेकिन आभासी दुनिया में वास्तविकता इतनी है कि पाकिस्तान से झड़प हुई तो सीजफायर करवा दिया गया वह मध्यस्थता किसी ऐसे नहीं की जिसके लिए आपने पूजा करवाई थी इसीलिए वास्तविकता समझिए की यह नुकसान की भविष्य में हो सकता है इसके लिए पहले से विदेश नीती बनाकर चलना होगा
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कहीं ऐसा ना हो कि वर्तमान की तरह हमारी विदेश नीती भविष्य में भी हो जाएगा और अंतिम कारण जो मैं समझता हूँ कि यदि भारत बलूचिस्तान को मान्यता देता है तो अमेरिका और यूरोप जैसे देश दबाव डाल सकते हैं क्योंकि वे पाकिस्तान को आतंकवादी खिलाफ़ सहयोगी मानते हैं
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भारत के शांति के पुजारी की इमेज खराब हो सकती है तो मैं कह सकता हूँ कि भारत के लिए खेला होवे का मौका है और खेल खराब होने का डर लास्ट में इतना कहूंगा कि बलूचिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मान्यता के लिए जीवन सुरक्षा परिषद के नौ बीटो वो भी बिना मजबूत सरकार चाहिए
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अभी पीएलए के पास कुछ इलाकों में प्रभाव है लेकिन पूर्ण नियंत्रण और वैश्विक समर्थन नहीं है भारत के लिए फायदे हैं पाकिस्तान और चीन पर दबाव क्या बार का उपहार और कश्मीर पर जवाबी रणनीति लेकिन नुकसान भी कम नहीं है
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क्षेत्रीय अस्थिरता, चीन का गुस्सा और आतंकवाद का खतरा और इसके अलावा भी अगर उच्च स्थान देश बनता है तो भारतवासियों से निवेदन करूँगा की पॉपकॉर्न तैयार रहें और जो हमारी आदत है बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना बन ने की उसके लिए तैयार रहें लेकिन नुकसानों को भी ध्यान से रखना है
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