किसान नेता राकेश टिकैत पर हुआ हमला रैली में शामिल होने गए थे

किसान नेता राकेश टिकैत के साथ मारपीट हंगामे के बीच पगड़ी उतरी
किसान नेता राकेश टिकैत पर हुआ हमला रैली में शामिल होने गए थे
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क्या किसान नेता राकेश टिकैत पर हमला हुआ है या फिर ये अफवाह है और अगर ऐसा है तो वो कौन लोग थे जो भी हो, लेकिन सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में नरेंद्र मोदी जिंदाबाद और योगी आदित्यनाथ जिंदाबाद के नारे लगाते लोगों के बीच फंसे राकेश टिकैत को बचाकर ना निकाला गया होता तो एक अप्रिय स्थिति सामने आ सकती थी जन आक्रोश रैली में किसान नेता राकेश टिकैत पहुंचे तो वहाँ पर मौजूद तो जनाक्रोश रैली में शामिल होने लोग आए थे
किसान नेता राकेश टिकैत के साथ मारपीट हंगामे के बीच पगड़ी उतरी
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कुछ लोगों द्वारा उनका विरोध किया गया उनकी हूटिंग की गई दरअसल, मुजफ्फरनगर में आयोजित जन आक्रोश रैली के दौरान भारी हंगामा हो गया किसान नेता राकेश टिकैत के समर्थकों का कहना है कि जब वह रैली में पहुंचे तो उनके सिर पर किसी ने झंडा मार दिया उनकी पगड़ी नीचे गिरने का भी वीडियो सामने आया है। इसके बाद तो रैली स्थल पर अफरा तफरी मच गई रैली में शामिल लोगों के बीच धक्कामुक्की और नारेबाजी शुरू वहाँ मौजूद सुरक्षाकर्मियों और समर्थकों ने राकेश टिकैत को तुरंत सम्भाला और सुरक्षित जगह पर ले गए है दरअसल, पहल गांव हमले के बाद राकेश टिकैत के बड़े भाई नरेश टिकैत ने एक बयान दिया था उसे लेकर हंगामा मचा ही हुआ था कि बचाव में उतरे राकेश टिकैत ने एक ऐसा बयान अपनी तरफ से दे दिया जिसपर मैं हंगामा शुरू हो गया
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इसको लेकर दावा किया गया कि उन्होंने पाकिस्तान के समर्थन वाले बयान दिए इस पर राकेश टिकैत के खिलाफ़ लोगों का गुस्सा भड़का हुआ था दोनों बयानों के बारे में आगे और चर्चा करेंगे लेकिन पहले ये सवाल कि क्या वाकई राकेश टिकैत पर हुआ हमला क्या वाकई उनके माथे पर झंडा मारा गया है क्या वाकई उनकी पगड़ी को जानबूझकर गिराया गया या फिर कहानी कुछ और है
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जो भी हो लेकिन ये खबर आग की तरह फैलती चली गई कि राकेश शिकायत पर हमला हुआ है। पुलिस के हाथ पैर फूल गए। इसके बाद मुजफ्फरनगर एसपी सिटी की तरफ से एक बयान जारी किया जाता है। या कहिए करवाया जाता है ज़रा सुनिएगा। जब लोगों द्वारा उनकी हूटिंग की गई तो वह स्वयं सा खुद ही वहाँ से मौके से चले गए और इसके अलावा कुछ लोकल मीडिया ग्रुप्स मैं उनपे हमले की इस तरह की बात आयी है
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हमने पूरे फुटेज देखे हैं, वहाँ पे कैमरे भी लगे हैं। सीसीटीवी फुटेज का भी अवलोकन किया गया है और जो आप मीडिया बन्दों ने जब वहाँ पे कवरेज की है उन वीडिओज़ का भी अवलोकन किया है। उन पर किसी भी प्रकार का किसी ने कोई हमला नहीं किया है। भीड़भाड़ और धक्कामुक्की हुई। उस बीच में उनकी एक जगह पर पगड़ी गिरते हुए भी फुटेज आ रही है, लेकिन इस चीज़ में कहीं उनके पर कोई हमला या मारपीट की बात अभी तक संज्ञान में नहीं आई है और सवाल है कि पुलिस को इतनी लंबी चौड़ी सफाई क्यों देनी पड़ी है
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कि राकेश टिकैत पर कोई हमला नहीं हुआ जबकि वीडियो में साफ नजर आ रहा है की एक पुलिसवाला भीड़ के सामने बिल्कुल पस्त हैं और टिकैत को बाहर निकालने के लिए संघर्ष कर रहा है। इतनी बड़ी भीड़ के सामने विडिओ में एक ही वर्दी वाला नजर आ रहा है। वो भी शिकायत के पास नहीं पहुँच पा रहा है और भीड़ टिकैत को धकियाए जा रही है। पुलिस का उन पर कोई ज़ोर नहीं था और ऐसी परिस्थिति में कुछ भी हो सकता था
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ज़रा सोचकर देखिए क्या इसे केवल हूटिंग कह सकते हैं या फिर ये एक हमला है इसका फैसला आप कीजिए। लेकिन इस भयानक वीडियो के बीच पुलिस के बयान को लेकर भी तरह तरह की चर्चाएं
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जो की राकेश टिकैत मामूली नेता नहीं है और खासकर मुजफ्फरनगर में उनके साथ हुई बदसलूकी की खबर अगर सही निकली तो इसके भयानक नतीजे सामने आ सकते थे। लेकिन इस बात से तो पुलिस मैं इनकार नहीं कर रही है कि शिकायत के पहुंचने के बाद लोग भड़क उठे डंडा और झंडा लहराते हुए लोगों ने शिकायत को घेर लिया। अब सुनिए पूरी कहानी देखिये। मुजफ्फरनगर के सिविल लाइन थाना क्षेत्र के टाउन हॉल ग्राउंड पर पहलगाम में हुए आतंकी हमले के विरोध में जनाक्रोश रैली आयोजित की गई थी। इसमें 168 हिंदू संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। या कहीं ऐसा दावा किया
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इसके समर्थन में मुजफ्फरनगर का बाजार भी बंद था। दोपहर से ही बड़ी संख्या में लोग मैदान में जुटने लगे थे। इसमें राकेश शिकायत को भी पहुंचना था। कार्यक्रम पहले से तय था, लेकिन वो इसे एक स्वतःस्फूर्त आयोजन मान रहे थे। उन्हें अंदाजा नहीं था कि इस भीड़ में उनके साथ क्या होने वाला है। राकेश टिकैत शाम करीब 5:30 बजे रैली स्थल पर पहुंचे और जैसे ही वो पहुंचे बवाल शुरू हो गया। उन्हें देखते ही भीड़ आक्रामक हो गई और वो वाला नारा लगाया जान। लगा जो मोदी
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के तत्कालीन मंत्री ने 5 साल पहले दिल्ली चुनाव प्रचार के दौरान मुसलमानों की तरफ इंगित करते हुए लोगों से लगवाया था वीडियो में देखा जा सकता है की लाठी डंडों से लैस एक आक्रमणकारी भीड़ के बीच टिकैत फंसे हुए हैं और उन्हें निकलने नहीं दिया जा रहा इसी बीच राकेश टिकैत का संतुलन बिगड़ जाता है और वो लड़खड़ाने लगते हैं उनके माथे से पकड़ी नीचे गिर जाती है उनका एक समर्थक पगड़ी उठाकर फिर से उनके सिर पर रखता है इसके बाद हंगामा और बढ़ जाता है। वहाँ मौजूद सुरक्षा बलों में भी अफरा तफरी मच गई
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नौ भारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक विरोध करने वालों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समर्थन में भी नारेबाजी की पूरे घटनाक्रम से रैली का माहौल तनावपूर्ण हो गया
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शिकायत ने भीड़ को शांत करने की अपनी तरफ से भरसक कोशिश की, लेकिन स्थिति बेकाबू होती चली गई। अरे सब कुछ हो जाने के बाद अतिरिक्त पुलिस फोर्स मौके पर पहुंचती है और कुछ लोगों को हिरासत में लेने की बात करती है। शिकायत का समर्थकों ने बताया कि फिलहाल वो सुरक्षित हैं और उनकी सेहत पर निगरानी रखी जा रही है। अब इस घटना ने रैली को लेकर सवाल खड़ा कर ली। कि अगर 168 हिंदू संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होने आने वाले थे तो पुलिस की सुरक्षा कहा थी और इतनी बड़ी संख्या में लाठी डंडे से लैस होकर लोगों को पुलिस ने कैसे इकट्ठा होने दिया इतने नाजुक माहौल दबाव में आई। पुलिस पहली फुर्सत में इस बात से मुकर जाती है कि टिक आयत की सुरक्षा में किसी तरह की चूक हुई है

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लीपापोती के लिए प्रशासन मामले की जांच का नाटक कर रहा है, लेकिन अंदर ही अंदर उसके हाथ पांव फूले हुए हैं। उसकी इकलौती चिंता यह है कि राकेश टिकैत में हिंदू स्वाभिमान के नारे के बीच अगर किसान स्वाभिमान का नारा बुलंद कर दिया तो कानून व्यवस्था का क्या होगा? अब आइए उस बयान पर जिसकी आड़ में सारा हंगामा खड़ा किया गया। सबसे पहले 28 अप्रैल को राकेश शिकायत का एक बयान सामने आता है। इसमें वो कहते हैं कि भारत द्वारा सिंधु जल संधि को रद्द करके पाकिस्तान का पानी रोकना गलत है क्योंकि
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इससे पाकिस्तानी किसानों का नुकसान हो। हम उसके पक्ष में नहीं पानी, हम किसान है अगर वहाँ पर किसान, किसानों को तरीका भी हो, पूरे भारत का किसान हो। उत्पाद पर भावित हो, उस पर भी ये नहीं जुड़ पाने का तो वो नहीं उसको आगे हमने सही मानते हैं। इसका विरोध चल ही रहा होता है की राकेश टिकैत नरेश टिकैत के बचाव में उतरते हैं और कहते हैं कि नरेश टिकैत का ऐसा कोई इरादा नहीं था और वो सरकार के साथ है। उन्होंने आगे कहा, लाहौरी, नमक और मसालों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। पाकिस्तानियों की कमर तोड़नी चाहिए। लेकिन इसके बाद राकेश टिकैत ने जो कहा उसने एक नया विवाद पैदा कर दिया
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जिन्हें एक घटना घटी है। इससे लाभ किसको हो रहा है कहा ढूढ तक गिरोगे भाई। चोरी के बीच में यही रहा हूँ। वो बॉर्डर पार पाकिस्तान में दौड़ाएंगे जो भी पूरे देश की वो हमें चले जाओ पाकिस्तान में। माना गया कि राकेश टिकैत पहलगाम हमले के लिए भारत की तरफ ही अंगुली उठा रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने मीडिया को भी सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया हो रहा है। विराट चैनल पूरे मीडिया पूरे वो सब एकतरफा दिखा रहे हैं। पता सबको है जिसको भी इससे लाभ है
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सवांग इस पृष्ठभूमि में मुजफ्फरनगर में राकेश टिकैत के साथ जो हुआ है वो कहाँ जाएगा ये तो पता नहीं लेकिन शिकायत की इस बात को मीडिया ने गायब कर दिया कि पहलगाम के मुददे पर वो केंद्र सरकार के साथ है
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