जातीय जनगणना से आपकी नौकरी पर क्या असर पड़ेगा

जातीय जनगणना से आपकी नौकरी पर क्या असर पड़ेगा
जातीय जनगणना से आपकी नौकरी पर क्या असर पड़ेगा
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जैसे की आप सभी लोगों को पता है कि इस वक्त जातीय जनगणना की बहुत तेजी से बात उठ रही है तो उसका क्या फर्क पड़ने वाला है आप लोग के जॉब के ऊपर अगर हम लोग परसेंटेज ऑफ कोटा बढ़ा देते हैं तो उससे क्या इम्पैक्ट होने वाला है, जनरल कैटगरी को या किसी भी कैटगरी को क्या बेनिफिट होने वाला है और क्या नुकसान होने वाला है उसके ऊपर थोड़ा सा हम लोग बात करेंगे यहाँ पर
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तो चलिए अगर आप लोगों को पता होऔर अब शायद मेरे ख्याल से लगता है की गवर्नमेंट भी चाहती है सेंट्रल गवर्नमेंट भी के ये जो सेन्सस है वो कराया लेकिन इसी बीच मैं आप लोगों को एक बात बताना चाहूंगा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक बात कह रखी है सुप्रीम कोर्ट का एक आदेश है जिसमें कहा गया है कि 50% से ज्यादा रिजर्वेशन नहीं हो सकता मतलब 50% से कम रिजर्वेशन होगा, टोटल उससे ज्यादा रिजर्वेशन नहीं हो सकता इसी तरीके से आप देखोगे तो ओबीसी, एससी, एसटी इन सबके अगर हम लोग परसेंटेज ऑफ कोटा को बेहद अच्छे तरीके से देखा जाएया जोड़ा जाए तो वो आपका 50% से कम ही होता है
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ठीक है ना तो ये सुप्रीम कोर्ट का आदेश है जिसके तहत सारी चीजें हो रही है और अगर मैं यहाँ पर सिम्पली बताना चाहूं तो देखो जैसे जब आप लोग का 1931 में कराया गया था उस वक्त अगर हम देखे तो हमारे जो ओबीसी कैटेगरी की जो जनसंख्या थी वो लगभग 52% थी लेकिन उन्हें कितना आरक्षण दिया गया 27% ऐसे एससी का जो आरक्षण है वह लगभग 15% का है और आपका एसटी का 7.5% का है। अब अगर आप इसे करोगेया हिसाब लगाओ गए तो ये आप लोग का जो है वो 49.5 हो जाएगा तो ये बताता है कि 50% से कम करना है लेकिन इस वक्त चाहे हम राहुल गाँधी जी की बात कर रहे हैं चाहे हम किसी भी व्यक्ति की बात करें जो चाहता है बहुत मनसे के इस वक्त जनगणना कराई जाए
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जाति जनगणना तो वो ये कहना चाह रहे है वो कह रहे है की जो ये 50% का रिजर्वेशन का बाउंडेशन है इसको खत्म कर दिया जाए, सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का पालन ना किया जाए और ऐसा कुछ। और कुछ राज्यों में हुआ भी है। जिन राज्यों ने अपना जो है जनगणना तो हम नहीं बोलेंगे जिन्होंने सर्वे कराया, उस सर्वे में उन्हें मिला के जो है अगर 1931 के बाद अगर 1931 में ओबीसी कैटगरी 52% थी तो आज के समय में जब 2025 में करना होगी तोउनका परसेंटेज बढ़ा होगा ना तो उसके हिसाब से अगर आरक्षण बढ़ता है देखिये तो क्या क्या नुकसान हो सकता है मैं मुददे पे आता हूँ हमारा मुद्दा है कि हमारे जॉब्स के ऊपर क्या इम्पैक्ट करेगा या हमारे ऊपर जो लोग नौकरी तैयारी कर रहे हैं उनके ऊपर क्या फर्क पड़ने वाला एक एक बात समझना
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होता क्या है की जनगणना के बाद जो क्राइटिरिया है चीजों को डिस्ट्रीब्यूट करने का या कोटा देने का वो कुछ ऐसा ही है जैसे मान लीजिए। मैंने आपको यहाँ एग्जाम्पल दिया। अभी मान लीजिये जब दो 1931 में जनगणना की गई तो एससी कैटगरी के लोग 15% थे अब अगर मान लीजिये आज को ये बढ़ जाएंगे तो क्या होगा इनका जो परसेंटेज ऑफ कोटा है वो बढ़ जायेगा जैसे मैं आपको देखो, इस चीज़ को एक्सप्लेन करता हूँ ये देखिये जैसे अगर हम लोग यहाँ पर बात कर रहे हैं। जनगणना एक्ट 1948 में एससी, एसटी की जनगणना, एसटीएसटी की गणना का प्रावधान है। ओबीसी की गणना के लिए इसमें संशोधन करना होगा। इससे ओबीसी की 26 50 जातियों के आंकड़े सामने आएँगे। 2011 की जनगणना के अनुसार 221217080748 एसटी। जाती हैं। 2011 में एससी आबादी 16.6 जो पहले 15% थी वो बढ़करके कितनी हो गयी है? 16.6 हो गई है और वैसे ही जो आपकी एसटी थी वो 8.6 हो गई। तो अब अगर हमने इन का कोटा बढ़ाकर के 16.6 और इनका कोटा 8.6 कर दिया सेम इसी तरीके से अगर हम ओबीसी कैटेगरी को लेकर चले। मान ले हम थोड़ी देर के लिए के उनका जो परसेंटेज पहले 52% ओबीसी हुआ करते थे अगर वो बढ़करके 60 या 65% हो जाएंगे तो जो वो कोटा है वो ये चाहते है सब लोग कि जितना जातियां हैं, जीतने प्रतिशत जातियां हैं उनको उतना कोटा दे दिया जाए। तो अगर मान लीजि
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ये ओबीसी कैटगरी को हम आज की डेट में देखें और अगर उन्हें 60% आरक्षण दे दिया गया पूरा पूरा तो भाई साहब फ़िर तो बहुत गडबड हो जाएगा क्योंकि कई जिन राज्यों ने सर्वे कराया है वो राज्य इसके समर्थन में वो ये कह रहे है की जैसे भी तेलंगाना में हुआ तो तेलंगाना में ये कहा गया कि अगर जैसे 27% का जो आरक्षण है वो उसको बढ़ाकर के 40% करने के पक्ष में है तो इस तरीके से बहुत सारी दिक्कते बेटा आप लोग के लिए आ सकती है। इस तरीके से होगा क्या अगर मैं थोड़ी देर के लिए कैलकुलेशन पे आपको ले कर चलूँ मान लीजिये 60% ओबीसी का आरक्षण हो जाता है फिर एससी एसटी का भी हो जाता है
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तो फिर जनरल कैटगरी के लिए जो आरक्षण बचेगा वो आप लोग का 1015% रह जाएगा। 15% के अप्प्रोक्स और यहाँ पर एक समस्या और बताओ किसके लिए आएगी ईडब्ल्यूएस वाले बच्चों के लिए आएगी। कितनी ईडब्ल्यूएस वाले हैं उनको जो है इकोनॉमिकली मतलब वो तो बट ऑब्वियस है वो कमजोर थे धन नहीं था। उनके पास पैसा नहीं था उसके बिहाफ पर दिया गया था। ना तो वो खत्म होने के कगार पर आ सकता है क्योंकि उनको जनगणना के आधार पर कोई आरक्षण नहीं मिला था तो वो आरक्षण भी खत्म हो जाएगा
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इसलिए मैं तो एक ही चीज़ कहूंगा कि अगर ऐसा होता है। तो फिर बहुत गडबड हो जाएगा, बहुत सारी चीजें खराब हो जाएगी। अभी भी आप देखो जैसे आप एग्जाम देते हों तो होता क्या है जनरल कैटगरी में जो वेकैंसी निकाली जाती होता। क्या है जनरल कैटगरी की वेकैंसी में ओबीसी कैटेगरी के कैंडिडेट्स भी फाइट करते हैं। एससी बीएस टी भी यानी जितनी भी कैटगरी है अगर वो उस रैनक को उस नंबर को कट ऑफ को क्वालिफाइ करते हैं तो वो जनरल कैटगरी की सीट में ही तो फाइट करते हैं लेकिन क्या ऐसा होता है की जो जनरल कैटगरी का बच्चा है
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वो अगर उसका कर रहा हो ओबीसी को एससी एसटी को तो क्या वो उसमें चला जाता है नहीं जाता। इसका मतलब ये तो शुरू से ही होता रहा है कि जनरल कैटगरी की सीट में सबको ओपन किया गया है। लेकिन अब अगर इस तरीके से जनगणना हुई और इसका इसको इम्प्लिमेंट कर दिया गया आपके इग्ज़ैमिनेशन में जॉब्स में तो आप समझ लो फिर क्या होगा फिर आप बहुत कम माइनोरिटी में चले जाएंगे। जनरल कैटगरी की जो सीटें बचेंगी वो बहुत कम हो जाएगी और अगर आप 14%। हाँ 15% के बैरियर में चले जाओगे तो आप समझो जो भी वेकेनसी निकलेगी उसमें आगे चलके केवल 15% सीट पे आप फाइट कर सकते हो
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और फिर यहाँ से वही वाली चीज़ क्या होगा और 15% सीट पे आप फाइट करो तो उसमें कोई भी आ सकता है तो इसलिए पहले मैं तो चाहूंगा कि सरकार इसकी टाइमलाइन जल्दी से डिसाइड करे कि उसे कब करना है। जब भी करना है उसकी टाइमलाइन को जल्दी से केंद्र सरकार डिसाइड करें। और इसमें ये चीज़ जरूर सुनिश्चित करें कि इसका इम्पैक्ट हमारी आने वाली वेकैंसी ज़ पर आने वाली जॉब्स पर ना पड़े। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से ही सही, बट काफी सालों से इतने सालो से हम लोगों ने चीजों को बचाकर रखा था। ना 100 साल पूरे करने वाले हो तो अगर हम लोग चीजों को सही से करते रहे। तो हमारी जो जॉब्स है वो इसी प्रकार से आती रहेंगी और ज़्यादा इम्पैक्ट नहीं करेगा
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