हिंदी भाषा से इतनी नफरत क्यों . किसी पर अपनी भाषा थोपना क्या सही है

हिंदी भाषा से इतनी नफरत क्यों किसी पर अपनी भाषा थोपना क्या सही है
हिंदी भाषा से इतनी नफरत क्यों . किसी पर अपनी भाषा थोपना क्या सही है
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हिंदी को अक्सर निशाना बनाया जाता है यह कहकर कि हिंदी भाषा जो है वह यूपी बिहार वालों की हालांकि यह सच नहीं है हिंदी, कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक करोड़ों लोगों को जोड़ मराठी और कन्नड़ भाषी लोगों को लगता है
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कि उनकी पहचान दब रही है हालांकि मैं फिर कह रहा हूँ कि जिनको लगता है कि उनकी पहचान दब रही है, उनकी भावना जायज है लेकिन अब आग लगाकर तो नहीं कर सकते ना अगर आपको इस बात का डर है कि आपके ऊपर किसी और की भाषा ना थोपी जाए तो आप भी तो किसी और पर अपनी भाषा नहीं थोप सकते
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और अगर राज़ ठाकरे सर या उनके जो लोग है वो हिंदी भाषियों को परेशान कर रहे हैं तो फिर मुंबई में बॉलीवुड की आपको बंद करवाना बॉलीवुड बंद करवा दीजिए नहीं कर पाएंगे क्योंकि वहाँ पैसा है और सबको ना ताकत गरीब आदमी पे दिखाएं वो गरीब आदमी को मारने में कोई दिक्कत नहीं है
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आप शाहरुख खान को अमिताभ बच्चन को, आमिर खान को सलमान खान को ऋतिक रोशन को नहीं मारेंगे यूपी बिहार मजदूर को जो चार पैसा कमाने के लिए वहाँ गया हो क्योंकि उसको मारने पर आपके खिलाफ़ कुछ होगा नहीं ज़्यादा से ज़्यादा एक शिकायत होगी अगर होगी भी तो उसकी बस्ती आप हटवा देंगे बड़े आदमी को मारेंगे तो मामला नैश्नल इंटरनेशनल का हो जाएगा सर, गरीब आदमी बाहर कोई ज़ोर दिखता है आप भी दिखा रहा है
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और अगर हैसियत और अगर आपकी भाषा से इतना ही आपको प्यार है तो हम आपको चैलेंज कर रहे बॉलीवुड हटवा दीजियेगा शाहरुख, सलमान, आमिर, अक्षय, अजय देवगन सबको हटवा दीजिए और अगर नहीं, हैसियत है तो गरीब आदमी पर ज़ोर क्यों आजमाते है सर सर अच्छी बात कमजोर पर ताकत दिखाना बहादुरी की निशानी नहीं होती
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और अगर आपको लगता है कि यह बहादुरी है तो ईश्वर आपको सोचने की समझ दे हालांकि यह ड्रामा सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं है, कर्नाटक में भी होता है हिंदी के नाम पर विरोध होता है बेंगलुरु मेट्रो में एक महिला को हिंदी बोलने पर तंग किया गया एक शख्स मिला है उतर जाओ पिछले महीने बैंगलोर में हिंदी साइनबोर्ड तोड़े गए दुकानों पर केवल कन्नड़ के पोस्टर चिपकाए गए कहीं और लिखा भी जो वहाँ काम कर रहे थे की मैं कन्नड़ सीख रहा हूँ लेकिन हिंदी बोलने पर मारोगे क्यों
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और सवाल ठीक है, चाहे मराठी हो, कन्नड हो, तमिल हो आप अपनी भाषा की रक्षा कीजिये लेकिन हिंदी को दुश्मन बनाने का फैशन कहाँ से आते हैं अब एक सवाल उठ सकता है लोगों के मन में की यार हिंदी को ही टारगेट क्यों करते हैं क्योंकि महाराष्ट्र में ऐसा तो है नहीं, खाली हिंदी बोलने वाले होंगे हर बार मार हिंदी बोलने वाले को खाता उसका रीज़न है
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रीज़न है एक हिंदी बोलने वाली बड़ी आबादी देश में जो नौकरी के लिए अक्सर मुंबई, पुणे, बेंगलुरु यहाँ सब जाती हैं, उनमें भी एक बड़ी आबादी होती है जो गरीब आबादी होती मजदूर वर्ग यह नौकरीपेशा, मिडल क्लास, लोअर मिडल क्लास यह जो मामले आप सुनते हैं सोशल मीडिया पर टीवी पर यह उन्हीं के साथ होता है
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बड़े लोगों में आपने नहीं सुना होगा, कभी सुना आपने यूपी बिहार के किसी बड़े बिजनेसमैन को मुंबई में टारगेट किया गया या यूपी, बिहार के जो नेता जाते हैं मुंबई कभी सुना आपने की इनको टारगेट किया गया है नो हिंदी, नो हिंदी यही तेजस्वी यादव इस टैलेंट के पास जाते हैं तेजस्वी उतना धाराप्रवाह अंग्रेजी नहीं बोलते स्टालिन साहब जो है वो शायद पब्लिकली हिंदी तो नहीं बोलते यार नहीं देखा हमने
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आपस में बड़े अच्छे मित्र हैं मुंबई में फडणवीस की सरकार है राज़ ठाकरे जो है उनके भी तमाम मित्र यूपी बिहार में होंगे लेकिन ये नेता आपस में नहीं लड़े लड़ेगा कौन उनकी पार्टी कार्यकर्ता किस से गरीब आदमी से कहा ना सर, गरीब पर ताकत दिखाना आसान होता है तो एक तो ताकत दिखाना आसान होता है दूसरा हिंदी बड़ी आबादी है उनको चेस करना आसान होता है इसी वजह से इन को टारगेट दिया था और सबसे बड़ी समस्या है कि यूपी बिहार के नेताओं में अपने लोगों के लिए स्टैंड लेने की शायद हिम्मत नहीं है
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अगर किसी सार्वजनिक मंच से यूपी, बिहार में कोई बड़ा नेता महाराष्ट्र में किसी बड़े नेता का नाम लेकर जो विरोध कर रहा है, खुलकर कह देता हूँ तो शायद ताकत लेकिन नहीं है हालांकि इस समस्या का समाधान ताकत से नहीं निकलेगा क्योंकि जैसे ही आप ताकत दिखाएंगे वो जिन्होंने विरोध शुरू किया है, उनको उनके भी समर्थन मिल जाएंगे जो शायद अभी खामोश हैं, जो लैंग्वेज को थोपने से बचना चाहते हैं
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खैर एक इम्पोर्टेन्ट टॉपिक जो है वो ये भी है कि स्थानीय भाषा भी सीखना जरूरी है स्थानीय भाषा सीखने सबको चाहिए अगर आप मुंबई जा रहे हैं अगर आप बैंगलोर जा रहे हैं, सीख लीजिए कोई बुराइ नहीं है महाराष्ट्र में रहते हैं तो मराठी सीख लीजिए इससे संस्कृति से जुड़ाव बढ़ेगा, दुकान, ऑफिस, गली, मोहल्ले, बातचीत आसान हो जाएगी कर्नाटक में तो सीख लीजिए, वहाँ की मिट्टी से रिश्ता बन जायेगा
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ऐसे भी किसी ने कहा था कि मुंबई मेँ रहा है तो मराठी सीखने की कोशिश करो हालांकि मारकर या डांटकर कोई भाषा सीखा नहीं सकता यह भी आपको ध्यान रखना है हम सीखने की कोशिश करेंगे, लेकिन आप पीट के नहीं सिखाएंगे ना सर ये भी आपको ध्यान रखना है। हिंदी भाषी सोचते है की उसकी पहचान दबाई जा रही है अरे हिंदी राज भाषा इसे बोलने में सजा क्यों मराठी कन्नड़ वालों को अपनी समस्या है
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खैर मेरे दिल में जो था मैंने बोला अगर मुझसे बोलने में कोई गुस्ताखी हो गई हो हमें माफ़ करियेगा
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