घर घर सिन्दूर नहीं आतंकवादियों का सिर चाहिए

घर घर सिंदूर नहीं आतंकवादियों का सिर चाहिए
घर घर सिन्दूर नहीं आतंकवादियों का सिर चाहिए
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ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच में हो रही आतंकी मुठभेड़ भले ही रुक गई हो लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत के राजनेताओं के बयान और उस पर हो रही घटिया राजनीति रुकने का नाम ही नहीं ले रही है खबर आई है मोदी सरकार घर घर पहुंचाएगी सिन्दूर 9 जून से एक महीने तक यह अभियान चलेगा,
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जिसमें सांसद रोज़ 15 से 20 किलोमीटर तक पदयात्रा करेंगे और घर घर जाकर सिंदूर बांटेंगे अभी इस अभियान को लेकर एक धड़ा पक्ष में है और एक धड़ा विपक्ष में है हकीकत इन दोनों दलों के बीच में कहीं कुचला जा रहा है वो कुचल ना पाए इसीलिए इसलिए मैं ये आर्टिकल लिख रहा हूँ
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हकीकत आपके सामने होगी और हकीकत सामने लाने का सबसे अच्छा तरीका है सच्चे सवालों के सही जवाब मिल जाए जैसे विपक्ष का एक धड़ा ये हैं आरोप लगा रहा है कि बीजेपी का यह सिंदूर अभियान हिंदू संस्कृति और समाज पर हमला है क्योंकि हिंदू समाज में यह प्रथा चली आयी है इस सिंदूर पत्तियों के द्वारा अपनी पत्नियों को दिया जाता है गैर मर्द नहीं दे सकता
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और विपक्ष लगा रही है कि कोई भी आकर दरवाजे पर खड़ा होकर हमारी माँ बहनों को सिंदूर देगा तो क्या यह हमारी संस्कृति और सभ्यता के अनुरूप होगा अब बात करते हैं संस्कृति सभ्यता का और हिंदू समाज की तो ग्रंथों में में जाना होगा तो ग्रंथों और प्राणों ऐसा कहीं स्पष्ट विवरण नहीं मिलता है
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कि पति ही केवल पत्नी को सिंदूर दे सकता है जहाँ तक मैंने रिसर्च किया है, दूसरा ये है की सिंदूर को लेकर बाल्मिकी की रामायण में माता सीता का जिक्र है और वही संकर भगवान और पार्वती माता का भी जिक्र है सिंदूर को लेकर लेकिन इस पर ये नहीं कहा गया कि सिंदूर केवल पतियों के द्वारा पत्नियों को दिया जाएगा
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अगर आप लोगो ने रामायण को अच्छे से पढ़ा है और देखा है तो सिंदूर का एक वाकया याद होगा जब माता सीता अपने सिंदूर को भर रही थी तो भगवान हनुमान ने उनको देख लिया और बोले की माता मैया आप क्या कर रही हो तो उन्होंने कहा कि हम सिंदूर लगा रहे हैं तो हनुमान जी ने पूछा क्यों लगा रही हो तो उन्होंने कहा था कि यह प्रेम का प्रतीक है और सिंदूर लगाने से भगवान श्रीराम की आयु बढ़ जाती है
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तो ये तो बैठे अन्य भक्त तो उन्होंने सोचा माता इतना छोटा सिंदूर लगाती है वो प्रभु राम माता जी को इतना प्रेम करते हैं वो थोड़ा सिंदूर लगाने से अगर उनकी उम्र बढ़ रही है तो लाओ में पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लेता हूँ जिससे कि भगवान मुझे ज्यादा प्रेम करे और उनकी उम्र ज्यादा हो जाये
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अब यहाँ हनुमान जी को सिंदूर किसने दिया तो प्रश्न यही है कि क्या केवल सिंदूर देने का अधिकार पति को है पत्नियों को ऐसा कहीं भी स्पष्ट विवरण नहीं है, लेकिन जो हिंदू संस्कृति समाज में प्रथाएँ चली आयी है, उस आधार पर है कहा जाता है की हाँ सिंदूर देने का अधिकार पति को है अपनी पत्नी के लिए
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इसीलिए मंडप के नीचे जब मांग भरी जाती है तो ये स्पष्ट रूप से पति पत्नी को ही मांग भरने का अधिकार होता है बीच में हेल्पर के रूप में भले ही कोई कपड़ा संभाल लें लेकिन मांग भरने का अधिकार केवल पति को ही होता है इसीलिए सिंदूर पर पूरा अधिकार पति का ही है और सिंदूर पति पत्नी के बीच के प्रेम का संबंध है, विश्वास का संबंध है, प्रतीक का संबंध है, उससे छेड़छाड़ करना ठीक नहीं है
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चलो फिर भी मान लेते हैं वोट बैंक के चक्कर में ऑपरेशन सिंदूर का राजनीतिकरण हो गया, सिंदूर अभियान चला दिया गया अब अगला प्रश्न ये आता है की चलो अभियान शुरू हो गया कहाँ से शुरू होना चाहिए पहला ऑप्शन पहला गांव में मारे गए उन पत्तियों की विधवा पत्नियों से या फिर माननीय प्रधानमंत्री जी की पत्नी जशोदाबेन जी से
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आप उनके साथ में रहे क्योंकि बहुत सालो से आप अलग अलग रहते हैं जी क्या अभी आप चाहेंगे आप लोग साथ में साथ में रहना चाहते हैं तो आये तो मैं जाने की तैयारी है, क्योंकि दोनों ही कंडिशन में उनके माथे पर सिंदूर नहीं है उनकी मांग खाली है तो अगर मांग खाली है तो इसका मतलब है दुख होगा तो सिंदूर अभियान खुशी का विषय नहीं है,
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दुख का विषय है हमें जश्न नहीं मनाना है हमें दुख जाताना चाहिए कि हमारे 26 लोग मारे गए हमें रोड शो कर कर रही है दुख नहीं दिखाना रोड शो कर रहा है दुनिया को लग रहा है, खुशी है ऑपरेशन सिंदूर खुशी की बात नहीं है ऑपरेशन सिंदूर हुआ क्योंकि 26 लोग निर्दोष मारे गए थे ये हमारे लिए गम की बात है
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वो अगर ऑपरेशन सिंदूर के जरिए हम ये चाहते हैं कि भारत के हर घर महिलाओं के पास इसिन्दूर पहुंचे और अगर ऑपरेशन सिंदूर के बाद सत्ता पक्ष ये डिसाइड कर चुका है कि भारत के सभी घरों में सिंदूर पहुंचना चाहिए, सिंदूर अभियान चालू होना चाहिए तो मैं विनम्र निवेदन करूँगा माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी से ये पहली शुरुवात जसोदा बेन जी से की जाए
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उनकी मांग भी खाली हैं तो पहला सिंदूर का डब्बा स्वयं प्रधानमंत्री मोदी जी लेकर जाएं और उनकी मांग में सिंदूर भरकर जो अधिकार उनको अभी तक नहीं मिले तो वो दिलवाए वो अगर यहाँ से शुरुआत नहीं हो रही है तो फिर इसकी शुरुआत करना बेकार है
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क्योंकि भारत के प्रधानमंत्री की पत्नी के पास अगर सिंदूर भारत के प्रधानमंत्री लेकर नहीं पहुँच रहे हैं
तो भारत की उन सभी महिलाओं को सिंदूर देने का वादा खोखला लगता है मुझे और खोखले से याद आया कि अगला प्रश्न यह उठेगा कि जो सिंदूर की डिब्बी बांटने का प्रयास किया जाएगा वो सिंदूर की डिब्बी पर फोटो किसका होगा स्वाभाविक है कि अभी तक जिसका फोटो आया है, उन्हीं का फोटो होना चाहिए और मैं इसका पूरा समर्थन करता हूँ
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आप कहीं भी खड़े हो जाओ आर्मी की ड्रेस में मोदीजी मिलेंगे, चाहे ऑपरेशन सिंदूर का होल्डिंग हो यहाँ सोफिया कुरैशी का सिंह विक्रम मिस्री उनकी फोटो नहीं है माननीय प्रधानमंत्री जी की फोटो है प्रधानमंत्री ने जो ड्रेस पहनी है ना, ये ड्रेस पहनने का अधिकार भारत के राष्ट्रपति जी को है औपचारिक रूप से कहीं भी यह उपबंध या प्रबंध नहीं है कि भारत के प्रधानमंत्री इस प्रकार से औपचारिक ड्रेस पहन सकते है
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ना ही वो लेफ्टिनेंट है, ना मेजर है, ना कर्नल हैं किसी भी औपचारिक पद पर नहीं है सांकेतिक रूप से इस प्रकार की ड्रेस पहनी जा सकती है प्रधानमंत्री जी ने पहनी और ऑपरेशन सिंदूर का जमकर यूज़ कर रहे हैं या फिर आप राम मंदिर उद्घाटन देख लीजिए मोदी जी का फोटो था अभी ट्रेन के टिकट में मोदी जी का फोटो है
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राशन में मोदी जी का फोटो है रेलवे स्टेशन में नया भारत मोदी जी का फोटो है बच्चों के बैग में मोदी जी का फोटो है तो फिर मैं एक क्यों ना कहूं कि इस सिंदूर की डिब्बी पर भी मोदी जी का ही फोटो होना चाहिए
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और मेरी सलाह तो ये हैं भारत के प्रधानमंत्री जी को की जिन जिन बहनों, बेटियों को आप सिंदूर देने वाले हैं उनके पतियों की उसमें फोटो लगा दे तो वो जीवन भर खुश रहेंगी और इतना पैसा अगर होगा आपके पास की आप फोटो लगाते घूम रहे हो तो इतने पैसे का उन माताओं बहनों के पत्तियों को रोजगार दे दो तो वो खूब सारा सिंदूर खरीदे उनको दे सकते हैं और खुशियां भी दे सकते हैं
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तो सिंदूर बांटने से अच्छा है रोजगार बांट दो, समस्या ही खत्म हो जाएगी प्रभु पर हकीकत ये है कि जिन्हें रोजगार नहीं मिला वो एक धड़ा चीख चीखकर ये कह रहा है की भैया तुम सिंदूर ही पहुंचा दो बाद में मालूम तेरे ना सिंदूर मिला न रोजगार पर मोदी जी निवेदन कर रहा है कि प्रभु आप जिनको भी सिंदूर लेकर भेजे उनके माथे पर ब्लू टिक लगा दें
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जिससे कि माताएं पहले सुनिश्चित कर लें कि यह बीजेपी का है लेकिन छिछोरा नहीं है\ बलात्कारी नहीं है, ठरकी नहीं है जिससे की उनको निश्चिंत हो जाएंगे हाँ, इसके हाथों से सिंदूर लिया जा सकता है नहीं तो आजकल बीजेपी की हालत तो यह है कि उसमें बड़े बड़े नेता सिंदूर का नाम लेकर सुहागरात मनाने की कोशिश करने लगते हैं
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सुनसान हाइवे पर ही कंट्रोल नहीं हो पा रहा है जितनी तीव्रता उन्होंने इस प्रकार की कार्यविधि में दिखाई, उतना विकसित भारत करने में दिखा दे तो भारत कहाँ पहुँच जाता इस देश में हवास का एक नाच चल रहा है दिन भर रात भर दिखाई जा रही है और उस को दिखाने के बाद दिमाग में वही चल रहा है और फिर लोग कंट्रोल नहीं कर पा रहे है
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मतलब घर तक भी जाने का इंतजार नहीं हुआ विकास फटा जा रहा था इनका और जो बची खुची कसर रह जाती है उस कसर को पूरा करने के लिए इन जैसे आ गए हैं पहले गालियां सिखाईं फिर मन में इतने गंदे गंदे विचार फिल्मों वेब सीरीज के माध्यम से डाल दिये गए पुड़िया पान मसाला हम सीखी गए हैं, दारू पिलाना सीखा दिया गया है सट्टा लगाना सीखा दिया गया है
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अब इंडिया से छिछोरे आकर ये कह रहे हैं यदि तुम फ्री बैठे हों, तुम्हारी ऊर्जा जो भी बची हुई है आज तो मैं तुम अगर करना चाहते हो उसके लिए हम उपकरण देंगे तो जब भारत में इस प्रकार का हवसका नाच होगा, फिर चाहे हाइवे सुनसान हो या भीड़ वालीं हो,
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नहीं तो इस प्रकार की छवियों को प्रॉडक्ट निरंतर बिकते जाएंगे और भारत गर्त में चला जाएगा। भारत का युवा ही अगर अंधकार में चला जाए अपनी ऊर्जा बर्बाद कर दे तो भारत विकसित कैसे हो पायेगा अब आप डिसाइड करो कि आपको ऐसे छपरी युवा चाहिए जो आपको गलत दिशा पर ले जा रहे हैं या आपको वो युवा चाहिए जो आपको इस प्रकार की गंदी प्रवृत्ति में जाने से रोके
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जिसकी वजह से इस प्रकार की मानसिक प्रवृत्तियाँ उत्पन्न हो रही है और अपने आप कंट्रोल नहीं कर पा रहा है तो इस प्रकार के प्रॉडक्ट को खरीदकर अपनी आत्मा को शांति प्रदान कर रहा है
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