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16/05/2025

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दो जिगरी दोस्त बने दुश्मन अमेरिका का रवैया भारत के लिए ठीक नहीं

दो जिगरी दोस्त बने दुश्मन अमेरिका का रवैया भारत के लिए ठीक नहीं

दो जिगरी दोस्त बने दुश्मन अमेरिका का रवैया भारत के लिए ठीक नहीं

  • ट्रंप हाउडी मोदी और नमस्ते ट्रंप जैसे मंचों पर एक दूसरे की तारीफ के पुल बांधते थे मोदी ट्रंप को अपना सच्चा फ्रेंड कहते थे और डोनाल्ड ट्रंप नरेंद्र मोदी को महान नेता सख्त सौदेबाज बताया करते थे लेकिन क्या वही समानता ये आज इन दोनों के बीच में दूरियां बढ़ा रही है क्या नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप अब धीरे धीरे दुश्मनी की कगार पर जा रहे हैं पहले एचवन बी वीजा और फिर व्यापार शुल्क को लेकर ट्रंप का भारत बहुत टैक्स लेता है, जो सब उसके बाद इंडिया पाकिस्तान वॉर पर क्रेडिट वॉर और अब एप्पल कपूण्य को हिदायत की इंडिया में अपना प्रोडक्ट न बनाये

  • लोग कह रहे हैं हमारे साहब जब दो दोस्त दुश्मन बनते हैं तो दुश्मनी बड़े गहरे रंग की होती है, लेकिन ये सारी बातें क्यों हो रही और आज क्योंकि ये घटनाएं तो बता रही है की डोनाल्ड ट्रंप का भारत के प्रति रवैया बदल रहा है लेकिन आज जब डोनाल्ड ट्रम्प ने ऐप्पल के सीईओ टीम कुक से कहा की भारत में फैक्टरी मत बनाओ भारत अपना ख्याल खुद रख सकता है

  • तो दुनिया को एहसास हुआ की ये सिर्फ व्यापारिक सलाह नहीं थी बल्कि एक राजनैतिक और राजनीतिक संदेश लेकिन सवाल ये है की वो डोनाल्ड ट्रम्प जो नरेंद्र मोदी को अपना सबसे अच्छा हितैषी अपना दोस्त बता रहे थे वो अचानक से मोदी से या भारत से इतने परेशान क्यों होने लगे क्या इसके पीछे की वजह इंडिया पाकिस्तान वॉर में अमेरिका को क्रेडिट न मिलना, डोनाल्ड ट्रंप की फजीहत होना उनका ईगो हर्ट होना या इंडिया का अब खुद फैसला लेना क्या है,

  • जो ट्रंप को इतना परेशान कर रहा है और क्यों ट्रंप इतना बदल रहा है और अगर ट्रम्प बदल रहे हैं अमेरिका बदल रहा है तो भारत इससे कैसे निपटेंगे सब समझाएगे, लेकिन पहले ट्रंप की समस्या को समझने की कोशिश कर रहे हैं अब डोनाल्ड ट्रंप की हाल फिलहाल में जो सबसे बड़ी समस्या है, वह यह है कि डोनाल्ड ट्रंप को ऐसा लगता है कि नोबेल पीस प्राइस चाहिए था

  • और डोनल्ड ट्रंप कोशिश कर रहे थे पिछली बार भी जब ट्रंप आये थे तो वो नॉर्थ कोरिया तक गए थे, यह सोचकर कि नॉर्थ कोरिया को दुनिया में शामिल करवा लेंगे पीस करवा देंगे अमेरिका नॉर्थ कोरिया के दोस्ती का पहले राष्ट्रपति जो उनकी जमीन पर उतरे और नोबल पीस मिल जायेगा, लेकिन नहीं मिला इस बार लगा की चलो नॉर्थ कोरिया ना सही इंडिया पाकिस्तान से ही लेकिन मुंशी जी बनने गए थे वो दुबे भी नहीं बन पाए कैसे

  • 10 मई 2025 को डोनाल्ड ट्रम्प ने खूब गाजे बाजे के साथ ऐलान किया कि जी हमने सीजफायर करवा दिया, उसके बाद भी 4 दिन में डॉनल्ड ट्रंप चार बार कह चूके हैं कि मैं इंडिया पाकिस्तान को रोका हूँ व्यापार के लिए वॉर को रोका मैं, लेकिन भारत इनके दावों को खारिज कर दी और इसके बाद डोनाल्ड ट्रंप की डिप्लोमेसी का ऐसा जनाजा निकला कि उनकी टीम शर्म से जमीन में गड गयी वो समझ नहीं पा रहे है की क्या बोले इसमें डोनाल्ड ट्रंप की जो सीज फायर की मध्यस्थता थी, वो भी इतिहास के सबसे फ्लॉप और शर्मनाक तमाशे में तब्दील हुई थी

  • टिक टॉक सीजफायर लोगों ने कह दिया था क्योंकि जैसे डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान किया उसके थोड़ी देर बाद पाकिस्तान से गोला चलने लगा इंडिया ने भी गोला मारने लगा उमर अब्दुल्ला ने कहा कि भैया ये कैसा सीजफायर और फिर भारत ने कहा भी कि नहीं रोका है सिर्फ पॉज़ लिया है और आप लोग जानते हों वॉर में कहे पॉस होता है कश्मीर को लेकर भी डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि मैं हल निकलवा दूंगा,

  • फिर नोबेल प्राइस दिख रहा था उन्हें लेकिन भारत बोला कि वो कश्मीर जो आपके लिए मसला है वो हमारे घर का मामला है और घर के मामले में दोस्त भी इंटरफियर नहीं करते बात होगी तो पीओके पर होगी वो जो पाकिस्तान को पैसा दे रहे हैं उसपर होगी आतंकवाद पर अब सवाल ये है की क्या ये बातें डोनाल्ड ट्रंप की छवि को नुकसान पहुंचाई

  • क्या उनके अहंकार को ठेस पहुंचाई मतलब फिर मैं कह रहा हूँ आप समझिए इस बात को कि उत्तर कोरिया के किम जोंग से हाथ मिलाकर वो ग्लोबल पीस लीडर बनने चले थे। लगातार नोबेल प्राइज ले लेंगे। वहाँ फंसे तो इंडिया पाकिस्तान में शांति कथा करने लगे, लेकिन कहीं नहीं रहे। इसके अलावा डॉनल्ड ट्रंप जो है वो इंटरनैशनली अपने आप को मोस्ट डॉमिनेटिंग लीडर के तौर पर पेश करते उनका कार्यकाल जो है ये आखिरी कार्यकाल है और डोनाल्ड ट्रंप शायद चाहते हैं कि इस कार्यकाल में जितनी चर्चा हो वो डोनाल्ड ट्रंप को लेकर लेकिन भारत का जब स्टैंड स्ट्रॉन्ग रहा तो इंडिया पाकिस्तान वॉर में चर्चा तो मोदी जी की हुई की बढ़ चढ़ के मारे एक डोनाल्ड ट्रंप को ये सारी चीजें देख अकल आई ही गई। ये तो बात हो गयी पर्सनल ईगो की। अब बात करते हैं अमेरिका को लेकर। टीम से ये कह दिया था

  • की अमेरिका में जो आज आइफोन बिकते हैं वह 50% इंडिया में बनाये जाते है अब इंडिया के लिए तो यह प्राउड है, लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प के लिए खतरे की थी ट्रंप को शायद इस बात का डर रहा होगा की यार अगर ऐप्पल का सीईओ ये कह रहा है तो दुनिया के जो बड़े ब्रैंड है उनका रुख भी तो बदलेगा और अगर सब भारत की तरफ मुड़ गई तो क्या अमेरिका और ये असर पड़ेगा क्योंकि इस बार जब से डोनल्ड ट्रंप लौटे हैं

  • तब से अमेरिका फर्स्ट की वो बातें खूब कर रहे हैं ऐसे में एक अमेरिकी आइकन कंपनी जो कभी चीन पर निर्भर थी अब भारत को निर्माण का हब बना रही है क्या यह परेशान करने वाली चीज़ है क्या मेक इन इंडिया जब मेक इन अमेरिका के सामने अपनी पहचान बना रहा है तो ये उनको परेशान कर रहा है क्या परेशान कर सकता है

  • अब एप्पल का जो भारत में निवेश है वो भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहा ग्लोबली भी लोगों में एक मैसेज दे रहा है ऐसे में डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट नीती जो है वो उसको परेशान कर एक कहानी हालांकि भारत कमजोर नहीं है, क्योंकि भारत के पास आबादी बहुत बड़ी हैं वही आबादी जो कई बार कमजोरी लगती है कई बार ताकत बन जाती बाजार बहुत बड़ा इंडिया में आज हम जैसे कितने लोग हैं जो आई फ़ोन का इस्तेमाल कर रहे हैं

  • अब अगर ऐप्पल को लेकर कोई तामझाम करते हैं, डोनल्ड ट्रंप तो इंडियन गवर्नमेंट भी कार्रवाई कर सकते हैं, ऐप्पल पर बैन लगा सकती हैं, टैक्स बढ़ा सकते हैं अमेरिका को भी नुकसान हो सकता है तो ऐसे में रीसेंट में कुछ होगा, ऐसा तो लगता नहीं लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने जो बयान दिया है ये ऐक्चूअली ऐप्पल को लेकर केवल नहीं ये इंटरनैश्नल बड़ी कंपनियों को लेकर है कि भारत में निवेश करने से पहले आप अमेरिका को प्रायोरिटी दो

  • और यहीं से सवाल उठ जाता है कि डोनल्ड ट्रंप भारत के अब दोस्त हैं या दुश्मन बन गए दोनों घटनाओं को लेकर चाहे वो इंडिया पाकिस्तान वॉर वाली घटना हो या जो ऐप्पल को लेकर उन्होंने कहा ये देखो डोनाल्ड ट्रंप अपना हित सोचते हैं उसमें कोई गलत नहीं है, लेकिन जब भारत अपना हित सोचता है तो डोनल्ड ट्रंप कोई बात बुरी लग जाती है वो इंडिया उन्हें कहे की आप बड़े आदमी जैसे पाकिस्तान पैर छूता रहता है कि मालिक नमस्ते सुबह निकलो, गुड मॉर्निंग सर शाम को पैर छू के मालिक नमस्ते इंडिया ये नहीं कर करता और इसी वजह से ट्रंप की बेइज्जती हुई थी

 

दो जिगरी दोस्त बने दुश्मन अमेरिका का रवैया भारत के लिए ठीक नहीं
  • नरेंद्र मोदी को वो दोस्त मानते थे उन्होंने कह दिया, बड़बोलेपन में भारत के पीएम के अनाउंसमेंट के पहले उन्होंने अनाउंसमेंट कर दी लेकिन इसके बाद जो कुछ हुआ वो परेशान करने वाला था हालांकि बहुत सारे लोग भी ये भी लगता है कि डोनाल्ड ट्रंप ने मोदी की दोस्ती का फायदा उठा ली क्योंकि अगर ऑपरेशन सिन्दूर मैं अमेरिका इंटरफियर ना करता तो भारत पाकिस्तान को और ठोक देता और परेशान करता और अगर भारत ऑपरेशन सिंदूर को अंतिम जाल तक ले जाता तो नरेंद्र मोदी की छवि इस सदी के सबसे ताकतवर नेता के तौर पर बन जाती

  • आप लोगों ने भी नरेंद्र मोदी को लेकर सवाल उठाए होंगे जब सीजफायर हुआ था क्योंकि इंडिया शौक हो गया था की यार ये सीजफायर क्यों हुआ हम तो इंतज़ार में थे और यहीं से कइयों का मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप ने भी इसमें कूद कर सीजफायर करवाकर मोदी को लार्जर दैन लाइफ बनने से रोकने की कोशिश जल्दबाजी में खुद ढोल पीटकर ऐलान कर मोदी का क्रेडिट छीनने की कोशिश की हालांकि मोदी जी की किस्मत जो है वो भगवान अलग पेन से लिखे है पाकिस्तान उसके बाद गोला बारूद लगाने लगा भारत को मौका मिल गया कहने का की काहे का डोनाल्ड ट्रंप कह रहे हैं देख और वो गोली देगा तो हम गोला दागें और उसके बाद फिर इंडिया ने स्टेटमेंट दे दिया की वोर खत्म नहीं हुई है

  • कश्मीर ने पीओके की बात करेंगे और फिर डोनाल्ड ट्रम्प के मज़े ले लिए, लेकिन यह सारी बातें डोनाल्ड ट्रंप को परेशान कर रही थी लेकिन सवाल यह भी है कि एक शुरुआत तो ट्रंप ने की है हमारी दोस्ती का नाजायज फायदा ट्रम्प ने उठाया एक और घटना है जीसको लेकर डोनाल्ड ट्रम्प नाराज हो सकते इंडिया के पास जीतने हथियार है वो ज्यादातर हथियार रशिया से खरीदे गए और पाकिस्तान जिंस F16 का इस्तेमाल करता है वह अमेरिका का है 2019 में बालाकोट स्ट्राइक के बाद भी वायुसेना ने पाकिस्तान के अमेरिकी ऑफ 16 को हवा में उड़ाया था और इस बार भी दावा चल रहा है कि जो पाकिस्तान का पायलट मारा गया जिसके जनाजे में शहबाज शरीफ गए थे वहीं अब F16 में था तो उनका F16 जो है वो और एकदम दम नम हो गया है। अब F 16 जो है वह अमेरिका की स्वच्छता का प्रतीक रहा और जब इसके नष्ट होने की खबर आती है और पिछली बार तो हमारे हल्के फुल्के जहाजों

  • ने इसे नष्ट किया था तो यह पाकिस्तान के लिए अमेरिका के लिए शर्मिंदगी की वजह बना 2019 में पहली बार है F16 को सार्वजनिक रूप से बेइज्जत होना पड़ा और इस बार भी कहानी क्योंकि अब F16 अमेरिका के लिए केवल एक फाइटर जेट नहीं और ये फाइटर जेट की हार नहीं थी

  • ये अमेरिका के हथियारों की साख पर सवाल था जैसे 100 को लेकर जब खबर आई थी तो रशिया में कंपनियों के जो स्टॉक्स सामान हथियार बेचने वाले गिरने लगे थे, मोदी जी गए, खड़े हुए दिखाया, S 400 जिंदा है और पूछे कि कहो भाई पाकिस्तान तुम भी आओगे तो ठीक हो बैलेंस ऐसे ही F16 अमेरिका का गुरूर अमेरिका ट्रम्प की डिफेन्स लॉबी के लिए सीधा धक्का था

  • और यहीं से शायद अमेरिका को और टच हो गया, क्योंकि इंडिया खुद के भी हथियार बना रहा है तो क्या फ्रॉम जो है वो इंडिया को चाइना के तौर पर देख रहे हैं मतलब चाइना के तौर पर कहने से मतलब जैसे चाइना इन्डिपेन्डेन्ट होने लगा आज से कुछ साल पहले अब क्या उनको लग रहा है क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि भारत अपना ख्याल खुद रख सकता है भारत की तेजी से बढ़ती वैश्विक इस्थिति की स्वीकृति हुई उससे दुनिया में डर भी गया है

  • अमेरिका देख रहा है कि चीन के बाद भारत सबसे तेजी से ग्रो कर डोनाल्ड ट्रंप ने जब कहा कि डोंट बिल्ट इन इंडिया तो यह केवल आर्थिक चिंता नहीं थी इंडिया भी तो वही नहीं कर रहा है जो चीन कर रहा था जैसे ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनना, टेक्नोलॉजी में इंडिपेंडेंट होना, इंटरनैश्नल कूटनीति में इंडिपेंडेंट होना

  • भारत वो देश नहीं है जो अमेरिका के इशारों पर चलेगी भारत इन्डिपेन्डेन्ट पॉलिसी लेकर चल रहा है और यह बात भी अमेरिका को परेशान कर रही है इसीलिए डोनाल्ड ट्रम्प ने इशारों इशारों में कह दिया भारत अपना ख्याल खुद रख सकता है ये बहुत गहरी बात है, सोचेगा क्योंकि कोई भी जब आगे बढ़ता है तो सबसे पहले बुरा रिश्तेदारों को ही लगता है और डोनाल्ड ट्रंप वहीं रिश्तेदार जब तक उनके साथ रहोगे चाचा नमस्ते तब तक तो कहेंगे हाँ बेटा खुश हूँ, हम तुम्हारा ख्याल रखेंगे, लेकिन जब लड़का खुद बड़ा हो रहा है तब डोनल्ड ट्रंप होंगे नहीं, कल को बड़ा हो गया तो हमारे बराबर बैठेगा अच्छा थोड़ी ना लगता है

  • अब सवाल यह है कि अगर भारत इस तरह से आगे बढ़ रहा है तो फिर भारत को अब क्या करना पड़ेगा क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप को मानने वाले है नहीं अमेरिका तो हिपोक्रेट हैं, हिपोक्रिट ही तो है 2017 में उसी को आतंकवाद का फन डर कह रहे थे और इस बार 400 मिलियन का प्राइवेट जेट खरीद लिए लौल फ्रेंड कह रहे सीरिया के जीस नेता को आतंकवादी कह रहे थे, उसे डॉनल्ड ट्रंप यंग अट्रैक्टिव गाय कह रहे थे

  • स्ट्रॉन्ग पास्ट हमारे यहाँ जैसे घूस लेना कहते हैं अमेरिका के हाउस से दोस्ती डिप्लोमेसी कहते ये जो डोनल्ड ट्रंप को जहाज मिला है, ये घूस है आसान शब्दों में अगर समझाए तो वो दूसरी आ रही है नहीं लिखकर उन में वो तल की वो सकती नहीं लेकिन ये तो चलो उनका अपना अमेरिका का स्टैंडर्ड से हमारा क्या लेना देना हमारा पॉइंट ये है की डॉलर ट्रंप को दिक्कत क्या है तो एक दिक्कत तो यह है कि फिलहाल राइज़ ऑफ इंडिया भारत अपने डिफेंस को स्ट्रांग कर रहा है

  • टेक मार्केट में सीधा कॉम्पिटिशन बन चुका है भारत में पॉलिसी जो है वह भारत को ध्यान में रखकर बनाई जा रही है डोनाल्ड ट्रम्प नहीं चाहते कोई और चर्चा हो, उनका लास्ट कार्यकाल है मोदी जी तो अगली बार भी आ जाएंगे हो सकता है हो सकता है ना ये हो सकता आ जाए, लेकिन डोनल्ड ट्रंप तो चाहेंगे तो भी नहीं आ पाएंगे अमेरिका में तो दो ही बार राष्ट्रपति बन सकता है आदमी ऐसे में उनके प्रॉब्लम है वो देश की प्रॉब्लम भी हो सकती है ईगो की प्रॉब्लम भी हो सकती है राजनीतिक असुरक्षा की प्रॉब्लम भी हो सकती है

  • और ये अब दिख रहा है। खुलकर अमेरिका में चुनाव भी होने वाले हैं 2026 में अपनी पार्टी को बहुमत बनाकर भी रखना है नौकरियां की बात उन्होंने कही है। अमेरिका को सुपर पावर, अमेरिका फर्स्ट ये सारी चीजें डॉनल्ड ट्रंप की रही अब सवाल है भारत में क्या थी क्योंकि ट्रंप भारत के प्रति जटिल उनके अपने हिसाब किताब में भारत क्या कर सकता है देखो भारत के सामने मुश्किलें तो है तभी तो शायद कंगना राणावत ट्वीट किया था तो नड्डाजी ने हटवा दिया इसी वजह से क्योंकि भारत डाइरेक्टली अमेरिका से लड़ाई करना नहीं चाहता

  • लेकिन भारत के लिए अपॉर्चुनिटी भी है अगर ट्रंप जैसे नेता कंपनियों को भारत से दूर रहने की सलाह दे रहे हैं तो भारत को भी इंडिपेंडेंट होना पड़ेगा अगर डोनाल्ड ट्रंप एप्पल से कह रहे हैं कि निवेश ना करो तो भारत भी ऐमज़ॉन, गूगल, फेसबुक, ऐप्पल जैसे ब्रांड पर सख्त नियम लगा सकता है ये उनको भी परेशान करेगा हमें डिफ़ेन्स में अपने आप को और मजबूत करना पड़ेगा सेमीकंडक्टर बनाने होंगे 5जी नेटवर्क को और स्ट्रॉन्ग करना होगा स्वदेशी हथियार बनाने होंगे

  • अमेरिका पर डिपेंडेंसी हमें कम करनी अब समय आ गया है कि भारत नीतियां बनाए, ग्लोबल गठबंधन करे ताकि ट्रंप या बाइडन जैसे किसी नेता का मोहताज न रहें भारत केवल साझेदार नहीं बल्कि नीती निर्माता बनें आप निर्भर भारत जो हम कहते है, वसुधैव कुटुंबकम की छवि को और प्रचारित करें और वैश्विक मंच पर एक बड़ी शक्ति के तौर पर हो बाकी ट्रम्प का जो विरोध है वो बहुत हद तक व्यक्तिगत है, अहंकार से भरा हुआ है आर्थिक कॉम्पिटिशन के तौर पर है असुरक्षा का भाव दिखता है भारत लॉन्ग टर्म के लिए सोचता है अमेरिका भी अमेरिका फर्स्ट सोच रहा है

  • हम भी इंडिया फर्स्ट सोच रहे हैं तो भारत के लिए कुल मिलाकर एक नया अवसर है इस आपदा को अवसर में तब्दील किया जाए और वक्त है कि भारत में केवल एक साझेदार बल्कि जैसा की हमने कहा, नीतिनिर्माता और वैश्विक एक बड़ी ताकत के तौर पर उभरे आत्मविश्वास के साथ अगर इस ताकत को हम समझेंगे, अपनाएंगे। अच्छे दिन जो है वो जरूर आयेंगे।

 

 

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