चिराग पासवान ने मोदी और नितीश कुमार के नाक में दम कर रखा है

चिराग पासवान ने मोदी और नितीश कुमार के नाक में दम कर रखा है
चिराग पासवान ने मोदी और नितीश कुमार के नाक में दम कर रखा है
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पूरे देश का ध्यान जो है वो खींचने की कोशिश हो रही है ऑपरेशन सिंदूर के बाद भाजपा जो तिरंगा यात्रा निकाल रही है उसकी तरफ थोड़ा सा ध्यान जो है कर्नल सोफिया को लेकर जो एक बेहूदगी दिखाई है भारतीय जनता पार्टी के मंत्री विजय शाह ने जो बेशर्मी दिखाई है,
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जो गंदगी दिखाई है, उसकी तरफ आपने देखा होगा जयपुर में भाजपा का जो एक विधायक है वो तिरंगे से नाक पूछता हुआ नजर आया और तिरंगे से नाक पोछने के बाद जो है उस आदमी की जो उस उस विधायक की जो सफाई है वो ये है की मैं तो चूम रहा था
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किसी ने हरे और सफेद रंग का एक वस्त्र थमा दिया मैं वस्त्र थमा दिया, जीस को चूमा है और दिल से लगाया है और वह वस्त्र देकर हाथों बाद एक दूसरा कपड़ा है जिससे पसीना पोंछा है जिंस तरीके से नाक साफ कर रहा था वो आदमी उसको चूमना बताया जा रहा है तिरंगे को लेकर जो था और जो पाखंड है वो सामने आ गया है, लेकिन बिहार की तरफ किसी का ध्यान नहीं है
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बिहार में चुनाव होने वाले और सारा जो तिकड़म है, सारी तिकड़म जो है, वह भाजपा की इसीलिए है कि किसी भी तरीके से बिहार के चुनाव को राष्ट्रवाद की तरफ ले जाया जा सके उसके लिए चाहे तिरंगे से नाक पूछना पड़े, चाहे सेना की किसी डेकोरेटेड ऑफिसर को आतंकवादियों की बहन बता ना पड़े लेकिन राष्ट्रवाद का मामला जो है धंधा जो है वो भी का नहीं पड़ना चाहिए
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कमतर नहीं पड़ना चाहिए तो भाजपा के लोग तिरंगे से नाक पोंछ कर और सैनिकों को आतंकवादियों का रिश्तेदार बताकर तिरंगा यात्रा निकाल रहे हैं, लेकिन इसकी हवा निकाल देते हैं चिराग पासवान जैसे लोग चिराग पासवान बिहार में किस तरफ जायेंगे ये अभी तक कुछ भी तय नहीं है और भारतीय जनता पार्टी यह सोच सोचकर ही परेशान हैं क्योंकि चिराग को किसी भी तरीके से नरेंद्र मोदी उस असर में नहीं ले पाए हैं,
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जिसका असर में वो उपेंद्र कुशवाहा जैसे नेताओं को ले लेते हैं या जीतन राम माझी को ले लेते हैं जीतन राम माझी और उपेंद्र कुशवाहा के बरक्स चिराग पासवान एक युवा नेता हैं, एक डाइनैमिक नेता हैं और वह चाहते हैं कि एलजेपी रामविलास को जो है एक स्वतंत्र छवि दी जाए और जब मैं स्वतंत्र कह रहा हूँ तो ये कोर्ट हम कोर्ट है स्वतंत्र क्योंकि पटना में देखिये एक मीटिंग हुई है, बैठक हुई है और उसमें मीटिंग के बाद एक बकायदा प्रस्ताव पारित किया गया है
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राजू तिवारी प्रदेश अध्यक्ष सह पूर्व विधायक ने 16 तारीख को एक बयान जारी किया एलजेपी के सभी कार्यकर्ताओं के नाम और ये लिखा प्रदेश कार्यकारिणी बैठक की प्रस्तावना और इस प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में हुआ क्या यह भी ज़रा देख लीजिये आज दिनांक 16 मई 2025 की बैठक में पारित सभी प्रस्ताव न केवल पार्टी की राजनीतिक दिशा को स्पष्ट करते हैं और कीजिए राजनीतिक दिशा की बात की है
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पॉलिटिकल डिरेक्शन की बात की है बल्कि सामाजिक न्याय, राष्ट्रहित, बहुजन नेतृत्व संविधानवाद एवं मान्यवर लोकजनशक्ति पार्टी के संस्थापक पद्मभूषण स्वर्गीय राम विलास पासवान जी की विरासत को सम्मान देने की हमारी प्रतिबद्धता को भी प्रदर्शित करते हैं निम्नलिखित प्रस्ताव बिहार प्रदेश के प्रभारी सह जमुई सांसद माननीय श्री अरुण भारती जी एवं प्रदेश अध्यक्ष माननीय श्री राजू तिवारी जी की देखरेख में प्रस्ताव पेश और पारित का निर्वहन किया गया
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कैसे वह बिहार की राजनीति में वामपंथी दलों को अराजक बता रहे हैं अगर वो सीपीआइ एमएल की बात कर रहे हैं सीपीआइ की बात कर रहे हैं क्योंकि यही दो वामपंथी पार्टियां है जो प्रभावी बची हुई है और सीपीआईएमएल पोखर बहुत ही ज्यादा प्रभावित हो सकता है उनका इशारा उसकी तरफ क्योंकि दलितों के बीच उसका बहुत असर है तीसरा बहुजन भीम समाज के बड़े नेता के रूप में राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री माननीय श्री चिराग पासवान जी की सक्रिय भागीदारी और भविष्य की जिम्मेदारी चौथा बहुजन भीम संकल्प समागम का आयोजन और इसके बाद जो प्रस्ताव पारित किया गया है,
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उसके बाद भाजपा के कान खड़े हो गए हैं जेडीयू के कान खड़े हो गए ये कहाँ जाएंगे चिराग पासवान तो वह प्रस्ताव किया था वो प्रस्ताव है बिहार विधानसभा चुनाव 2025 लोजपा रामविलास की स्वतंत्र पहचान के साथ भागीदारी मैंने शुरू में कहा था स्वतंत्र शब्द का इस्तेमाल किया था, तो स्वतंत्र पहचान का मतलब क्या होता है या वही वाला खेल तो नहीं होगा जो पिछली बार
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नीतीश कुमार के साथ हो गया था और वो 47 सीटों पर सिमट आए थे पिछले चुनाव में विधानसभा में तीसरी पार्टी बन गए थे आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी, फिर बीजेपी, दूसरी बड़ी पार्टी और तीसरे नंबर पर आ गई थी जेडीयू और बड़ी मुश्किल से खींचतान करके मुख्यमंत्री की कुर्सी उनको फिर से मिली थी और इसकी वजह ये थी
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जिसपर बहुत तमतमाए भी थे नीतीश वजह थी कि अलग से चुनाव लड़ गए थे रामविलास पासवान ने सारी सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए थे और कहा ये गया था कि भाजपा ने नीतीश कुमार के साथ खेल कर दिया तो ये जो स्वतंत्र पहचान वाली बात सामने आई है और एक बार फिर से दोहराई है यह विधानसभा चुनाव से पहले ही स्वतंत्र पहचान वाली बात क्यों याद आती है लोकसभा चुनाव से पहले स्वतंत्र पहचान क्यों नहीं चाहिए होती है
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चिराग पासवान को और स्वतंत्र पहचान के लिए ये जो छटपटाहट है ये वाकई स्वतंत्र पहचान चाहते हैं या जो एलजेपी राम बिलास है उसको एक वाकई एक अलग तरह की समझ वाली पार्टी के तौर पर विकसित करना चाहते हैं चुनाव से पहले या उनका इरादा भारतीय जनता पार्टी की परोक्ष रूप से मदद करना है और उससे ज्यादा जेडीयू के नेता नीतीश कुमार को नुकसान पहुंचाना है तो क्या एक बार फिर से चिराग पासवान जेडीयू के नेता नीतीश कुमार के राजनैतिक भविष्य की सुपारी ले चूके हैं
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ये सवाल बहुत बड़ा है और इसीलिए खलबली है बिहार की राजनीति में देखिए कि चिराग पासवान ऐसे नेता हैं जिसकी जरूरत आरजेडी अलायन्स भी महसूस करती है और जिसकी जरूरत बीजेपी अलायंस भी महसूस करती हैं चिराग पासवान दोनों पक्षों को चाहिए उसी तरीके से जैसे नीतीश कुमार कुछ समय पहले तक थे कि नीतीश कुमार ऑलरेडी के साथ आ जाए तो भी चले जाएंगे और बीजेपी के साथ चले जाएंगे तो भी चले जाएंगे भारत की राजनीति में ऐसे नेता बहुत कम हुए हैं जिनको सत्तापक्ष दोनों के बीच मुख्यमंत्री पद के लिए वही नजर आता है
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तो ऐसे बिरले नेताओं में हैं नीतीश कुमार, लेकिन चिराग पासवान भी हालांकि वो मुख्यमंत्री पद की कोई गुंजाइश तलाश रहे होंगे युवा चेहरा बनने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन यह सोचना पड़ेगा कि मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर आगे बढ़ने की ललक है या फिर नीतीश कुमार को बिहार की राजनीति में भाजपा के मुकाबले ठिकाने लगाने की लालसा, ये दोनों दो चीजें तो चिराग पासवान चाहते क्या हैं
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इस समय बिहार की राजनीति में सबसे बड़ी चर्चा यही है कि चिराग पासवान के दिल में क्या है उनके मन की बात क्या है ओर एक बात और कीजिए कि भाजपा के साथ बहुत अच्छे रिश्ते नहीं रहे हैं
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चिराग पासवान को याद कीजिए जब यूपीएससी ने लेटरल एंट्री से कुछ नहीं युक्तियाँ की थी बिना रिजर्वेशन को फॉलो किये हुए तो चिराग पासवान जो है वो शुरुआती नेताओं में थे, जिन्होंने कहा था कि हम इस को नहीं मानते लेटरल एंट्री मैं अगर करना ही है, आपको तो इसमें रिजर्वेशन को फॉलो करिए और उसके बाद सरकार को वो फैसला वापस लेना पड़ा था और नियुक्तियां सारी रद्द करनी पड़ी थी
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वो जॉइंट सेक्रेटरी के लेवल की नियुक्तियां थी और उसको रद्द करना नरेंद्र मोदी सरकार जो तीसरी बार आईं थीं, उसके लिए बहुत शर्मिंदगी भरा था लेकिन करना पड़ा और कहा ये जा रहा था। घटक दल लिए खुश नहीं हैं इसलिए यह करना पड़ा चिराग पासवान ने बहुत पुरज़ोर तरीके से इसका विरोध किया था एक बार और इसके बाद कई बैठकों में चिराग पासवान नहीं गए और उसके बाद जो है एक अच्छा संदेश नहीं गया एनडीए के बीच, लेकिन क्या ये सब चुनाव से पहले उसको वोट में बदलना चाहते हैं अपनी स्वतंत्र पहचान में बदलना चाहते हैं चिराग पासवान या उनका मकसद स्वतंत्र पहचान का मतलब केवल इतना है कि नीतीश कुमार बिहार की सत्ता में न लौट सकें
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भाजपा अकेले आए और बाद में चिराग पासवान के लिए एक बड़ी भूमिका तय हो और इसी शर्त या इसी सौदेबाजी के साथ स्वतंत्र पहचान की गुंजाइश तलाशने की कोशिश कर रहे हैं चिराग पासवान लेकिन आने वाले कुछ दिनों में क्या होगा, यह ज्यादा साफ होगा फिलहाल जो समझ में आ रहा है वह अगर चिराग पासवान ने 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में स्वतंत्र पहचान की गुंजाइश पिछले चुनाव की तरह ही या उससे ज्यादा पुरज़ोर तरीके से तलाशनी शुरू कर दी तो सबसे बड़ा अगर नुकसान किसी का होगा तो नीतीश कुमार का होगा,
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लेकिन सवाल यह है कि भाजपा के नेता के तौर पर क्योंकि बिहार में कह दिया हमें छाने की हम नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे तो भाजपा के भी नेता नीतीश कुमार हैं जेडीयू के नेता तो हैं ही रामविलास पासवान एलजेपी भी के भी नेता है क्योंकि वो एनडीए का हिस्सा है जीतन राम माँझी की पार्टी के नेता हैं उपेन्द्र कुशवाहा के भी नेता है तो लेकिन चिराग पासवान अगर बगावत पर उतारू हो जाते हैं तो फिर मुश्किल हो सकती है
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लेकिन यह मुश्किल भाजपा को होगी, एनडीए को होगी या केवल और केवल नीतीश को होगी, ये फिलहाल जवाब इस सवाल की इस इस सवाल के जवाब की तलाश हो रही है और इस तलाश में अगर सबसे ज्यादा बेचैनी है तो जेडीयू के भीतर है
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