चीन भारत से अरुणाचल प्रदेश क्यों छीनना चाहता है

चीन भारत से अरुणाचल प्रदेश क्यों छीनना चाहता है
चीन भारत से अरुणाचल प्रदेश क्यों छीनना चाहता है
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चाइना ने अपना एक नया मैप जारी किया और उस मैप में उसने अरुणाचल प्रदेश को भी शामिल किया है साथ ही उसने अरुणाचल प्रदेश के अंदर 90 स्थानों का नाम चेंज कर दिया और एक बात उसने क्लिअर बोल दी की अरुणाचल प्रदेश पहले भी चाइना का हिस्सा हुआ करता था आज भी चाइना का हिस्सा है इसपे तो भारत ने जबरदस्ती कब्ज़ा कर रखा है तो क्या है पूरा मामला और क्यों चाइना के लिए अरुणाचल प्रदेश इतना इम्पोर्टेन्ट है इसके बारे में हम चर्चा करेंगे
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अरुणाचल प्रदेश तक चाइना कि बॉर्डर लगती है और चाइना जैसा कि हर स्थान पर अपना कब्ज़ा करने की कोशिश करता रहा है पहले उसने लद्दाख पर नजर बनाई और उसके साथ ही उसने फिर यहाँ सिक्किम में बनाई फिर भूटान वाला इलाका है, चुंबी वैली जो है उसपे जो है उसने कब्जा करने की कोशिश करें
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डोकलाम में उसने सड़क वगैरह बनाई और अब उसकी निगाहें पूरी तरीके से अरुणाचल प्रदेश के ऊपर है, क्योंकि चाइना को लगता है कि इन फ्यूचर क्योंकि 1962 के युद्ध में तो चाइना जीत गया था क्योंकि हमारे पास में कई सारे टेक्नोलॉजी की कमी थी, पर इस बार अगर युद्ध होता है तो हो सकता है भारत अरुणाचल प्रदेश के अंदर यहाँ मिसाइलें लेके आ जाए
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ब्रह्मोस अग्नि जैसे मिसाइलें यहाँ लेके आ जाये और यहाँ से वार करना है इसके लिए बड़ा आसान होगा क्योंकि एक थम सीमा लगती है किसके साथ चाइना के साथ में तो ये तो इसका सबसे मेन रीज़न हो सकता है इसके साथ ही भारत और चाइना की सीमा को हम जानेगे और इसके अलावा मैं आपको इसके बारे में इम्पोर्टेन्ट फैक्ट भी बताऊंगी
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देखिये भारत और चीन सीमा तीन सेक्टर में बंटी हुई है पहला कहलाता है पश्चिमी सेक्टर गुस्सा आता है मध्य सेक्टर और तीसरा आता है पूर्वी सेक्टर यानी भारत और चाइना के मध्य में जो रेखा है उसको हम कहते हैं मैकमोहन रेखा पर ये जो लाइन खींची गई है ना इसको कहते हैं एलएसी लाइन ऑफ ऐक्चुअल कंट्रोल जीसको हम कहते हैं वह लाइन यहाँ खींची गई है तो पाकिस्तान का यह हिस्सा है तो चीन को दे दिया था क्योंकि आप जानते हैं एक शख्स ग्राम नामक स्थान हुआ करता था
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पाकिस्तान ने चाइना के साथ में एक समझौता किया और समझौते के दौरान भाई साहब ने फेर दे दिया उसको गिफ्ट कर दिया चाइना को चाइना हमसे वो इलाका लेके चला गया अब भारत को यह बार बार ये बोलता है की अक्साई चीन तो हमारा ही था
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1962 में उन्होंने जीता पर ये एक ही बात को बोलते है की ये तो हमारा ही था उससे पहले आप मुझे ज़रा ये बताईये की चाइना इस समय भारत और चाइना के कई सारी टेक्नोलॉजी को जो है, विकसित कर चुका है क्या इन फ्यूचर अगर युद्ध होता है तो आपको इसकी स्थिति के बारे में कैसे क्या कहना चाहोगे की इन फ्यूचर अगर युद्ध होता है तो भारत उसमें कैसे लड़ पाएगा
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क्या सोचते हैं जरूर से लिखियेगा देखिये ये इतना इलाका है चीन का, किसके कब्जे में है चाइना के कब्जे में है एक बार चाइना और हमारे देश के उस समय प्रधानमंत्री हुआ करते थे अटल बिहारी वाजपेयी इन दोनों के माध्यम से एक बातचीत हुई बातचीत के दौरान चाइना के प्रधानमंत्री के द्वारा कहा गया कि हम आपके सामने एक शर्त रखते हैं एक संधि करते हैं संधि में हम ये बोल रहे हैं कि आप अक्साई चीन को भुला दो, हम अरुणाचल प्रदेश को छोड़ देंगे मतलब ऑक्साइड चीन जो ऑलरेडी हमारा इलाका है ये इसको भूलने की बात कर रहे हैं जो कि हमसे छीन लिया था
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1962 आप जानते हैं कि भारत और चाइना के बीच में जो मैकमोहन रेखा खींच दी गई थी, 20 अक्टूबर 1962 को चाइना के पी एलए यानी की यहाँ के पीपल्स लिबरेशन आर्मी के द्वारा बॉर्डर को क्रॉस कर दिया गया और उसके बाद में 1962 का युद्ध स्टार्ट हुआ युद्ध के दौरान हमने अरुणाचल प्रदेश को तो बचा लिया पर हम अक्साई चीन को नहीं बचा पाए और उसका तो मुद्दा अभी भी जारी है पीओके के बाद हो सकता है नेक्सट मिशन यही हो तो चाइना के लोगों का बोलना है
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मतलब चाइना के पीएम का बोलना है कि हम एक बात करते हैं, जिसमें आप क्या करो अक्साई चीन को भूल जाओ हम आपके अरुणाचल प्रदेश को भूल जाते हैं आगे बढ़े इसके अलावा मैं आपको एक और इम्पोर्टेन्ट बात यहाँ पे बता दूँ चाइना ने क्या किया है 2021 के बाद से ही यानी भारत पाकिस्तान के जो बॉर्डर है वहाँ पे ऐसे रोबोटिक डॉग्स दिखा दिए हैं और रोबोटिक फ़ोल्डर वहाँ पर लगा दिए हैं वो क्या करते है 24 घंटे निगरानी करते हैं मतलब उनकी सेना के ऊपर लोड कम कर दिया किसने शी जिंपिंग है वैसे भी
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शी जिनपिंग लॉन्ग टाइम तक रहने वाले हैं वहाँ के प्रधानमंत्री जब तक इनकी मृत्यु नहीं हो जाते हैं तो आप ज़रा सुनिए 1962 के टाइम में भारत के पास में शायद कुछ ना कुछ टेक्नोलॉजी की कमी रही जिसकी वजह से इन्होंने कब्जा कर लिया पर इस बार जो मैं आपको बताने जा रही हूँ उसको सुन के आप सभी को प्राउड फील होने वाला है सभी भारतीयों को अरुणाचल प्रदेश जो की चाइना के साथ में सीमा साझा करता है,
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उसके अंदर हमारे 1,20,000 सैनिक एनी टाइम जो हैं, ड्यूटी कर रहे हैं बिलकुल वहाँ पे उनको बिठा रखा है, ड्यूटी कर रहे हैं इसके साथ ही चाइना ने उनको उनको भी अपने पास बुलवाने की कोशिश करे चाइना ने अभी तक लगभग 1025 टाइम से भी ज्यादा यानी 1025 से भी ज्यादा घूसखोरी करने की कोशिश करें, जिसमें भारत के नागरिको को पैसा देने की कोशिश करें भारत के आर्मी को पैसा देने की कोशिश करी पर ये कभी भी नहीं बिके हैं
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मतलब हमारी सेना तब को खरीदने की कोशिश करी किसने चाइना में आप सबसे बड़ी जो मैं बात बताने जा रही थी कि आप सभी को प्राउड फील होगा। ज़रा सुनिएगा इस बार जो अरुणाचल प्रदेश के अंदर ड्यूटी कर रहे हैं उलझन है, उन सबको टीबीटी लो जी का जो है अभ्यास करवा दिया गया है अब ये टीटी लॉजी क्या होता है तो ये कैसे युद्ध की प्रणाली जिसमें तीन चार टाइप का नॉलेज उनके पास में रहेगा यानी की बुद्धिज़म फिलॉसफी का ज्ञान उनको दिया है इसके साथ ही आर्ट एंड कल्चर का ज्ञान उन्हें दिया है और इसके अलावा लैंग्वेज उन्हें सिखाई गयी है
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बत्ती चाइनीज आरओसी, जो भी लैंग्वेज उनकी है, सारी लैंग्वेज उनको सिखाई गयी है अब इसके पीछे का क्या रीज़न है तो ये जब सीखा दिया गया है तो आने वाले टाइम में अगर युद्ध होता है या कोई और स्थिति बनती है तो हमारे सैनिक उन से बहुत अच्छे से निपट सकते हैं अगर वो आसपास आकर भी ऐसी कोई चीनी लैंग्वेज में बात चीत करते हैं तो उन्हें बहुत अच्छे से समझ में आ जाएगा कि कौन सी बातें यहाँ पे चल रही है
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चाइना ने अभी हाल ही में जो नाम चेंज किया है इससे भी ज्यादा शॉकिंग बात ये है की चाइना को कभी भी बर्दाश्त नहीं होता है हमारे देश के कोई पॉलिटिक्स के जो लोग हैं जिसे हम बात करें अगर पीएम की बात करें, राष्ट्रपति की बात करें या कोई भी व्यक्ति वहाँ पर भाषण देने के लिए उद्घाटन करने के लिए अगर चला जाए तो ये बात बिल्कुल भी चाइना को हजम नहीं होती है वो बड़ा ऐक्टिव हो जाता है कि अरुणाचल प्रदेश के अंदर क्यों आ गए हैं
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बिल्कुल सहन नहीं होती है एक बार की मैं आपको बात बताऊँ, 2007 के अंदर है ना 2007 के अंदर 107 मरून पासपोर्ट वाले जो व्यक्ति हैं आईएएस अफसर 107 मरून पासपोर्ट उनके पास में था हमारे देश के आईएएस अफसर हैं ऑफिसियल विजिट पे उनको चाइना जाना था जिसके चलते 106 लोगों का वीजा तो उन्होंने ओके कर दिया पर 107 वें नंबर के जो व्यक्ति थे जिनका नाम था गणेश ये थे प्रदेश के और इनका वीजा इन्होंने कैंसिल कर दिया वीजा कैंसल करके क्या कहा उन्हें की आप तो चाइना के ही हो आपको कहा वीजा लेने की जरूरत पड़ी इन्होंने क्लिअर बोल दिया की आप अरुणाचल प्रदेश से हो मतलब आप हमारे हिस्से के हो
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आपको किसी भी टाइप के पासपोर्ट की जरूरत तो होनी ही नहीं चाहिए आप समझ सकते हैं चाइना का ये स्टेटमेंट भारत के लिए कितना कारगर साबित हो सकता है कितना खतरनाक साबित हो सकता है ज़रा सोचिए क्योंकि एक देश अपने हिस्से को बताकर बैठा है कल से अगर आप सोचो आपके पास में आपके घर के पास में कोई प्लॉट है और कल से कोई व्यक्ति आकर बोले की यहाँ मकान बना लो, अपना ही तो है फिर कैसा फील होगा
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तो यह भारत के लिए बहुत बड़ी बात है सोचना चाहिए भारत सरकार को इसको लेकर आप जरूर से लिखियेगा आपका जो भी ओपिनियन है आगे बढ़ते हैं अभी की अगर बात करे आज की न्यूज़ के अकॉर्डिंग तो इस स्नेह 27 जगहों का नाम चेंज किया जिसमें 15 पहाड़ शामिल हैं पांच कस्बे शामिल हैं चार पहाड़ी दर्रे और दो नदियां और एक झील इसके अंदर शामिल है, जिसका नाम इसने चेंज कर दिया है और उनका नाम चीनी भाषा के अंदर रखा है तकरीबन आठ सालों के अंदर चाइना ने अरुणाचल प्रदेश के 90 से ज्यादा स्थानों का नाम चेंज कर दिया है
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जब जब भारत को ऐक्टिविटी करता है जैसे जी 20 का आयोजन किया उस समय में भी चाइना ने ये किया भारत पाकिस्तान युद्ध लड़ रहा है इस समय में भी यही कर रहा है मतलब हर परिस्थिति के अंदर चाइना को और कुछ नहीं सूझता है हर छह महीने के अंदर एक खबर आती है की चाइना ने एक बार फिर से भारत के अन्य स्थानों का नाम चेंज कर दिया है
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ये तिब्बती लैंग्वेज और लैंग्वेज में है जिसका ऑलरेडी हमारे यहाँ के सोल्जर को नाम बता दिया गया है और वहाँ की लैंग्वेज भी सीखा दी गयी है चाइना ने अरुणाचल प्रदेश के जिन स्थानों का नाम बदला वो सारे स्थान वो सारे स्थान भारत के हिस्से में है जिनका नाम इन्होंने बदला दलाई लामा जब भारत में आए थे
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तब भी यही हुआ एक पूरा वर्ल्ड का एक मात्र एक ऐसा देश है चाइना जो 14 देशों से अपने भूमिगत सीमाएं लगाता है ये रहा हमारा देश इंडिया इंडिया के साथ में पाकिस्तान, अफगानिस्तान, तजाकिस्तान, किर्गिस्तान। पाकिस्तान, कजाकिस्तान, मंगोलिया, रशिया, नॉर्थ कोरिया, वियतनाम, लाओस से व्यान मार, भूटान, नेपाल इन सभी देशों के साथ मैं क्या करता है
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भूमिगत सीमाएं ज्यादातर ये लगाता है और सभी देशों के साथ में ये खिसकने का काम कर रहा है आप सभी को पता है ना की ये हमारे देश को भी चारों तरफ से घेरने की कोशिश करता है है ना चारो तरफ से घेरने की कोशिश कैसे करता है क्योंकि उसने अभी कुछ टाइम पहले क्या किया था नेपाल जो है नेपाल के अंदर भी कब्जा करने की कोशिश करें कुछ इलाका है
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उसका हुगला करके वहाँ पे दूसरा भूटान के डोकलाम में उसने सड़क बनाई और इसके साथ ही चुंबी वैली नामक एक घाटी है उस जगह उसने क्या कर दिया बस्तियां तक बसा दी, चाइना ने बस्तियां बसा दिया वहाँ पे इसके साथ ही बांग्लादेश ने अभी आमंत्रित किया था की हम तो भारत की सेवन सिस्टर को क्या करते है, मिलके काट देते है ये हम सबके लिए क्या होगा
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एकदम फायदेमंद हो जायेगा तो उसने यह बात भी बोल दी इसके साथ ही श्रीलंका के साथ मैं भी एक बहुत बड़े बंदरगाह को लेकर प्रोजेक्ट पे वर्क कर रहा है और इधर सीपीईसी चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कोरिडोर जो पाकिस्तान के अंदर बना रहा है यानी की उसकी पूरी नजर भारत के ऊपर है
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और भारत के सभी देशों के तरफ जो है वो क्या कर रहा है काम कर रहा है, वर्क कर रहा है, भारत के सभी देशों पर जिसमें आने वाले टाइम में अगर युद्ध होगा तो वो क्या करेगा भारत के चारों दिशा से अटैक करने की कोशिश करेगा इसमें भी भारत सरकार को सोचने की जरूरत है सोचो ज़रा हमारा इतना बड़ा इलाका कई चीन हमसे छीन लिया गया और अगर अरुणाचल प्रदेश भी छीन लिया गया तो क्या इस प्रगति होगी फिर भारत की क्योंकि एक ऑलरेडी पीओके हम गंवा बैठे है
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हम गंवा बैठे है तो कितने इलाके भारत गंवाएगा इससे कौन खुश नहीं पायेगा, ज़रा सोचिये ठीक है तो ये रहा शख्स ग्राम वैली ये वाला इलाका ऑलरेडी किसके पास में है पाकिस्तान के पास यह चीन भी किसके पास में है पाकिस्तान के पास में है हम आप की जगह चाइना के पास में है इसके साथ ही चाइना एक बहुत बड़ा मुद्दा यह भी उठता है कि ब्रह्मपुत्र नदी का पानी भारत के अरुणाचल प्रदेश के यंग यंग के यहाँ से इंटर करती है
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ब्रह्मपुत्र तो उसके पानी का स्टोरेज जो है ब्रह्मपुत्र का भारत में तकरीबन 60% होता है तो इसके लिए भी अरुणाचल प्रदेश इनके लिए बड़ा इम्पोर्टेन्ट है क्योंकि फ्रेश्वॉटर के जिले यहाँ पे बनी हुई है जो कि रशिया के पास में है या तो फ्रेश्वॉटर के जिले या फिर हमारे पास में है जो कि अरुणाचल प्रदेश के अंदर स्थित है तो इसके लिए भी कहीं ना कहीं इस की नजर है देखिये 2024 के अंदर भी इसने 20 जगहों का नाम बदला था लगातार ये नाम बदलते आ रहा है 2017 में छह लोगों का, 2021 में 15 जगहों का बदला, 2023 में 11 जगहों का बदला, 2024 में 30 जगहों का और 2025 में अभी यानी की आज की न्यूज़ के अकॉर्डिंग 27 जगह का नाम चेंज कर दिया
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अब सुनिए चाइना के जो पुराने लोग है वो भी एक ही बात बोलते है कि यह अरुणाचल प्रदेश हमारा ही इलाका था स्टार्टिंग से जब हमारे यहाँ पे राजा महाराजाओं का शासन हुआ करता था, ये मुंबा जाति से रिलेटेड है 2015 के चाइनीज एकैडमी ऑफ सोशल साइंस के रिसर्चर जाम यम पान के ग्लोबल टाइम्स में कहा था कि जिन जगहों के नाम बदले गए हैं वो कई 100 साल पुराने हैं जिनमें इन जगहों का नाम बदलना बिल्कुल जायज है
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