बलूचिस्तान पाकिस्तान से हुआ अलग. बलूचिस्तान अब पाकिस्तान का हिस्सा नहीं

क्या बलूचिस्तान भारत का हिस्सा बनेगा इससे क्या फायदा और क्या नुकसान होगा
बलूचिस्तान पाकिस्तान से हुआ अलग. बलूचिस्तान अब पाकिस्तान का हिस्सा नहीं
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बलूचिस्तान आजाद है वो लोहे की जंजीरों से आजाद है जो उसकी रूह को जकड़ रही थी उसकी पहचान को मिटा रही थी उसकी मिट्टी को लहूलुहान कर रही थी बलूचिस्तान मानो चीख चीख कर कह रहा है कि सिर्फ वो एक गूगल नहीं है बल्कि चिंगारी है चिंगारी, आजादी की चिंगारी बगावत की चिंगारी अपनी खोई हुई शान को दुश्मन के खून से धोने की और बलूचिस्तान इसीलिए आज सारी दुनिया के सामने कह रहा है कि दुनिया वालो सुन लो बलूचिस्तान पाकिस्तान नहीं है बलूचिस्तान पाकिस्तान नहीं है
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ये नारा जब बलूच से आया तो सिर्फ एक नारा नहीं था बल्कि हर बलूच के सीने में धड़कता वो लावा था जो पाकिस्तान की नींव को भविष्य में जला देगा, जिसे ना तो पाकिस्तान पौष्टिक गोलियां दबा सकती, ना पंजाबी हुकूमत की साजिशें और ना ही सारी दुनिया की बलूच पर अंतहीन खामोशी पाकिस्तान ने बलूचिस्तान को अपनी जागीर समझ रखा था एक गुलाम रियासत के तौर पर उसे परेशान करता रहा एक ऐसी रियासत जहाँ पर टैंकों की गड़गड़ाहट बमबारी, बर्बरता की हद से पाकिस्तान ने माना कि कुचला जा सकता है
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लेकिन बलूच ने दुनिया को यह दिखाया कि वो कोई कमजोर कॉम नहीं है उनकी मैं आज़ादी का खून नहीं ज्वालामुखी बहता है, उनकी सांसों में खुद्दारी की आ गए जो हर जुल्म को भस्म कर देगी इस सरजमीं की मिट्टी में शहादत के फूल खिलते है इनके पहाड़ों में गूंजती है वो हुंकार जो कहती है चीख चीखकर की हम बलूच है, हम झुकेंगे नहीं टूटेंगे नहीं, बिकेंगे नहीं पाकिस्तान चाहें जितनी दीवारें खड़ी कर दें लेकिन बलूचिस्तान आज छाती ठोककर कह रहा है की वो तू वन है जो दीवारों को उखाड़ फेंकेगा
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और अगर पाकिस्तान इस बीच में आया तो फिर इस्लामाबाद की ताकत को भी मिटा देगा कौन से जुदा कर देगा क्योंकि बलूचिस्तान अब पाकिस्तान में हैं हालांकि हम चाहते हैं कि जो ये नारा आया है, आज दुनिया में चर्चा का विषय बना है दुनिया में आज इस बात को लेकर चर्चा हो रही है क्या एक नए मुल्क का जन्म जो है वो आज दुनिया में हुआ है कि हमें आजादी तो 48 में ही मिल गई थी लेकिन पाकिस्तान ने धोखा दिया लेकिन अब उस धोखे से हमें आज़ाद होना है अब बलूचिस्तान क्यों आज़ाद होना चाहता है आज इतिहास के पन्नों में जाकर वो भी हम आपको बताते हैं। ऐतिहासिक विश्वास था
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1948 का कब्जा बलूचों के लिए है, जो कभी भरा नहीं उनकी आजादी को छीन लिया गया मर्जी को कुचल दिया गया। बलूचिस्तान में पाकिस्तान की आर्थिक दरअसल बलूचिस्तान पाकिस्तान का कुल 46% है जहाँ सबसे ज्यादा खनीज होती है लेकिन 70% आबादी गरीबी रेखा से नीचे है बलोचिस्तान का हिस्सा ग्वादर से चीन और पंजाब मालामाल हैं लेकिन बलूच वो भूखा सांस्कृतिक नरसंहार हुआ है
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बलूचिस्तान के साथ क्योंकि बलूचों की अपनी पहचान है, अपनी भाषा है, अपनी संस्कृति हैं, लेकिन उनकी पहचान को पंजाबी वर्चस्व मिटाने की भरसक कोशिश की उनकी जुबान को दबाया गया, उनकी विरासत को अपमानित किया गया लेकिन बलोच कह रहे अब नहीं चलेगा मानव अधिकारों का कतल नहीं चलेगा वो जो हजारों बलूच कार्यकर्ताओं, पत्रकार और आम नागरिको को जबरन गायब कर दिया गया
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वो जो गांवों पर बमबारी हुई, स्कूलों पर ताले लगाए गए, हर आवास और खामोश किया गया, वो नहीं चलेगी बलूचिस्तान में पंजाबी तानाशाही नहीं चलेगी बलूचिस्तान में दरअसल, सेना ने कभी भी बलूचों को बड़े पद पर रखा ही नहीं सत्ता हों, संसाधन हो, सम्मान हो ये सिर्फ पाकिस्तान में पंजाब के लिए था बलूचों के लिए तो सिर्फ गोलियां ही गोलियां थीं,
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उनके दर्द को कभी समझा ही नहीं गया ग्वादर पोर्ट को चीन के हवाले कर दिया गया पैसा जो था वो पंजाब के पास चला गया बलूचिस्तान के लोग भूखे मरते रहे, चीनी जहाज बलूचिस्तान को लूटते रहे, पंजाबी उनसे पैसे कमाते रहे, लेकिन बलूच वो अपनी जान गंवाते और इसीलिए बुधवार को जब बलूच के नेता मीर यार बलूच से दुनिया को दिखाया और यह कहा कि बलूचिस्तान पाकिस्तान नहीं है
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तो सिर्फ ये शब्द नहीं थे बल्कि दशकों के खून, आंसू और बलिदानों की चीज़ हजारों बलूच जो जबरन गायब हुए थे हजारों माओ जिनकी गोद सुनी हुई थी गांवों में लाशों के ढेर जो थे हर घर में शहादत की दांस्तान थी आज वहाँ से ये आवाज निकल रही थी कि यह पाकिस्तान नहीं है, बलूच पाकिस्तान नहीं है मीडिया ने भारत, वैश्विक समुदाय और आज दुनिया की हर आजाद पसंद इंसान से गुहार लगाई ये कहा कि बलूचों ने फैसला कर लिया है अब दुनिया को भी तय करना है की वो बलूचों का साथ देगी या
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पाकिस्तान की बर्बरता को लेकर खामोश रहेगी बलूचों ने कहा सडकें हमारी है, जंग हमारी है जीत की हमारी साफ लफ्जों में कहा कि हमें पाकिस्तानी ना कहाँ जाए हम बलूचिस्तान पाकिस्तान का असली चेहरा पंजाब है वह पंजाब जिसने बलूचों के गांव जलाये, औरतों की इज्जत लूटी, बच्चों को अनाथ किया ने कहा कि 27 मार्च 1939 को बलूचिस्तान को पाकिस्तान में मिलाने की साजिश की गई मिला लिया गया कोई दस्तावेज नहीं है
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ना अंतर्राष्ट्रीय गवाह रहा संधि एक धोखा था जो बलूचों के साथ किया गया और बलूच इसका बदला चाहते हैं उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान को मुल्क थोड़ी ना है, एक सैन्य जागीर है पंजाबी सियासत जो फौज के इशारों पर नाचती है
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पंजाब पाकिस्तान नाम की चीज़ ना कौन है, न जुबान, ना संस्कृति सिर्फ एक फौजी प्रोजेक्ट जिसका मतलब है पंजाब को मालामाल करना और बाकी को पाकिस्तान में खाली करना जो सच भी 98% पाकिस्तान में जो सेना के लोग हैं, वह एक ही लाख के से आ गए
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बलूचिस्तान के लोग अलग पड़े लूट होती है, लेकिन उन्हें कुछ नहीं ये सारी कहानियाँ हैं साथ ही पाकिस्तान के अंदर भी बीबीसी की एक बड़ी फेमस डॉक्यूमेंट्री थी, जिसमें पूछा गया कि बलूचिस्तान के दो चार शहरों के नाम बताइए पाकिस्तान के लोगों को नहीं पता था खामोश थे अब सवाल यह है कि फिर बलूचिस्तान के साथ क्या हुआ इसके लिए आपको पीछे जाना पड़ेगा 1948 से जाना 1947 में ब्रिटिश राज़ खत्म होता है तो और मकरान की रियासतें आजादी चुनती है मोहम्मद अली जिन्ना खुद को स्वतंत्र रहने की सलाह दे रहे थे
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मुस्लिम लीग ने घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए जिसमें कल आप की संप्रभुता को माना गया लेकिन 1948 में पाकिस्तानी सेना ने धोखे से बंदूक की नोक पर बलूचिस्तान पर कब्जा कर लिया जिन्ना ने विश्वासघात किया था जिन्ना ने पहले क्लाद की आज़ादी का समर्थन किया लेकिन फिर सत्ता की भूख के उनके इरादों को पलट दिया मुक्ति नवाब और कल आपके खान के साथ उनके रिश्ते बिगड़े और फिर बलूचिस्तान के जबरन पाकिस्तान में मिला दिया गया
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ये भी बलूचों के सीने में चाकू की तरह छुपता है 1947 से बलोच लोग कह रहे है की भाई हमारी संस्कृति ईरान, अफगानिस्तान जैसी है हमें क्यों मिला रहे हैं और अगर मुसलमान होने के नाते ही मिलाना है तो फिर मान अफगानिस्तान को भी मिल जाना चाहिए क्यों परेशान कर रहे हैं कि सवाल पाकिस्तान को बेचैन करता है इसीलिए पाकिस्तान इनकी आवाजों को कभी बाहर नहीं देता और यही वजह है कि बलूच पाकिस्तान पर आए दिन हमला करते हैं
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चार जनवरी 43 सैनिक ढेर के पाकिस्तान के 1 जनवरी को 18 सैनिक मार दिए, 12 तारीख को ट्रेन हाइजैक कर ली, 200 सैनिक मार दिए, 16 मार्च को बस पर हमला किया, 90 सैनिक मारे छे साथ नहीं को 18 सैनिकों की हत्या की लगातार हमले कर रहे हैं और यह हमले सिर्फ सैन्य कार्रवाई नहीं बल्कि बलूच की साख की लपटें है जो दशकों के जुल्म ने भड़काई बलूच बार बार यह कह रहे है की हमारा खून बहा हो, लेकिन आजादी नहीं छीन सकते
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ये जंग बंदूक की नोक पर नहीं, बलूचों के सीने में चलते हैं उनकी मांओं के आंसू उनके बच्चों के सपनों से लड़ी जा रही है भारत से भी वह कह रहे हैं कि भारत अब ध्यान दें भारत उनका साथ दे अगर भारत उनका साथ देता है तो वो पाकिस्तान से अलग हो सकते हैं भारत उनको मान्यता भारत देगा नहीं देगा भारत पर है लिकिन बलूचों ने अपनी अपील की है कि आप हमें पाकिस्तानी न कहें, हमें बलूचिस्तान है वो दुनिया से गुहार लगा रहे हैं कि उनकी लड़ाई को समझा जाए
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भारत जो खुद गुलामी की बेड़ियां तोड़ चुका है, क्या वो इस लड़ाई में बलूचों का साथ देगा वैश्विक समुदाय क्या बलूचों को यूं ही बर्बाद होते है उनका खून बहते देखेंगे या उनकी आजादी की पुकार को सुनेंगे वैसे पाकिस्तान इस वक्त कई छोर पे जंग लड़ रहा है हिंदुस्तान से जंग तो अलग है लेकिन आन्तरिक तौर पर भी बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा, गिलगिट बाल्टिस्तान में बगावत की आग जल रही
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और अगर भारत इस वक्त इनका साथ देता है तो फिर इस्लामाबाद के गलियारों में जो कुछ होगा पाकिस्तान उससे निकल नहीं पायेगा आज बलूच युवा अपने लहू से न्याय इतिहास लिख रहे हैं मा ये बेटों कह रही है जा बेटा ज़िंदा नहीं तू जंग है हर बलूच औरत मर्द और बच्चा इस इंकलाब का सिपाही है बलूचिस्तान चुप नहीं बैठेगा नहीं ये मरेगा अगर झुकेगा नहीं क्योंकि बलूचिस्तान से जमीन का टुकड़ा नहीं है, वो है पाकिस्तान। उसका जुल्म हैश गुनहगार है
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और अब दुनिया को फैसला करना है कि क्या वो बलूचों की चीफ को अनसुनी करेंगी या उनकी शहादत को सलाम करेंगी बलूचों ने अपनी राह चुन ली है। वो रहा है आजादी की खून की राह शहादत की राह सवाल यह है कि दुनिया क्या राधे जी बलूच तो कह रहे हैं कि बलूचिस्तान जिंदाबाद, इंकलाब जिंदाबाद दुनिया क्या कहेगी कि बलूचिस्तान पाकिस्तान नहीं क्या ये कहेंगे हिंदुस्तान से तो हम कहते हैं बलूचिस्तान। पाकिस्तान नहीं है आगे आपका फैसला
जय हिन्द जय भारत
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