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09/06/2025

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बीजेपी ने चुनाव में कैसे चुराया वोट राहुल गाँधी के दावों से मची हड़कंप

बीजेपी ने चुनाव में कैसे चुराया वोट राहुल गाँधी के दावों से मची हड़कंप

बीजेपी ने चुनाव में कैसे चुराया वोट राहुल गाँधी के दावों से मची हड़कंप

  • चुनावी सफर में अब खलबली मच गई है राहुल गाँधी ने दावा किया है इंडियन एक्सप्रेस में अपने इस नए लेख में की किस तरह से भारतीय जनता पार्टी पांच आसान कदमों में चुनावों की चोरी करती हैं दिलचस्प बात ये है दोस्तों महाराष्ट्र के चुनावों के नतीजों के बाद राहुल गाँधी ने तीन सवाल चुनाव आयोग से पूछे थे मगर साहब मजाल है आज तक उन सवालों के जवाब चुनाव आयोग ने दिए

  • अब राहुल गाँधी वो पांच कदम बता रहे हैं जिसके जरिए भारतीय जनता पार्टी चुनावों की चोरी करती है राहुल गाँधी ने अपने ट्वीट में क्या लिखा है इसके एक एक शब्द पर गौर किया जाए राहुल कहते हैं

  • चुनाव की चोरी का पूरा खेल 2024 का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लोकतंत्र में धांधली का ब्लूप्रिंट था अपने आर्टिकल में मैंने विस्तार से बताया है कि कैसे ये साजिश स्टेप बाइ स्टेप रची गई है और इसमें राहुल गाँधी ने पांच आसान कदम बताए हैं

  • वो कहते हैं, पहला कदम चुनाव आयुक्त की नियुक्ति करने वाले पैनल पर कब्जा दूसरा कदम वोटर लिस्ट में फर्ज़ी मतदाता जोड़े गए तीसरा कदम मतदान प्रतिशत बढ़ा चढ़ाकर दिखाया जाए चौथा कदम जहाँ भारतीय जनता पार्टी को चेताना था, वहाँ टारगेट करके फर्जी वोटिंग कराई गई

  • पांचवां कदम सूबूतों को छुपा दिया गया राहुल गाँधी आगे लिखते हैं ये समझना बिल्कुल मुश्किल नहीं है कि महाराष्ट्र में भाजपा इतनी बौखलाई हुई क्यों थी लेकिन चुनाव में धांधली भी मैच फिक्सिंग जैसी होती है जो पक्ष धोखाधड़ी करता है वो भले ही जीत जाए लेकिन इससे लोकतंत्र संस्थाएँ कमजोर होती है और जनता का नतीजों पर से भरोसा उठ जाता है हर जिम्मेदार नागरिक को सुबूतो को खुद देखना चाहिए

  • सच्चाई समझनी चाहिए और जवाब मांगने चाहिए क्योंकि महाराष्ट्र की ये मैच फ़िक्सिंग अब बिहार में भी दोहराई जाएगी और फिर वहाँ भी जहाँ जहाँ बीजेपी हार रही होगी मैच फिक्स किए गए चुनाव लोकतंत्र के लिए सहर है तो उसको याद कीजिएगा इसी मंच पर मैंने आपके सामने कम से कम आधा दर्जन मिसालें दिखाई थी

  • जहाँ कैमरे पर भारतीय जनता पार्टी समर्थक पांच पांच बार वोट मांग रहे थे, अपने बच्चे के साथ गोपाल के एक पोलिंग बूथ में वोट डाल रहे थे इसके अलावा एक व्यक्ति ने तो पूरे पोलिंग बूथ को ही हैक कर लिया था और वहाँ से फेसबुक लाइव कर रहा था और ये वो मिसालें जो पकड़ी गयी कल्पना कीजिए, ऐसी ढेरों मिसाल ही होंगी जहाँ लोगों ने उसे कैमरे पर कैप्चर नहीं किया था

  • अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोकतंत्र और चुनाव किस कदर इन दावों के बाद उन सबूतों के बाद खोखले साबित हो रहे थे। मगर राहुल गाँधी ने जिन पांच आसान कदमों की बात की है, उसके बारे में विस्तार से जानना बहुत जरूरी हो जाता है सबसे पहले वो जिक्र करते हैं अंपायर तय करने वाली समिति में हेराफेरी यानी कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति कैसे की जाए, उसमें हेराफेरी और उसके बारे में राहुल क्या लिखते हैं, इस पर गौर किया जाए

  • चुनाव आयुक्त अधिनियम 2023 के द्वारा यह सुनिश्चित किया गया कि चुनाव आयुक्त प्रभावी रूप से प्रधानमंत्री और गृहमंत्री द्वारा दो एक के बहुमत से चुने जाएं, जिससे तीसरे सदस्य यानी विपक्ष के नेता के वोट को प्रभावी किया जा सके यानी जिन लोगों को चुनाव लड़ना है, वही अंपायर भी तय कर रहे हैं सबसे बड़ी बात तो ये कि भारत के मुख्य न्यायाधीश को हटाकर उनकी जगह चयन समिति में एक कैबिनेट मंत्री को लाने का फैसला गले से नहीं उतरता

  • इसके बाद दोस्तों राहुल गाँधी दूसरे कदम की बात करते हैं फर्जी मतदाताओं के साथ मतदाता सूची में वृद्धि और इसके लिए राहुल गाँधी कुछ आंकड़े पेश करते हैं इस पर गौर किया जाए चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार महाराष्ट्र में 2019 के विधानसभा चुनावों में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 8.98,00,00,000 थी 5 साल बाद यानी मई 2024 के लोकसभा चुनावों में ये संख्या बढ़कर 9.29,00,00,000 हुई लेकिन उसके सिर्फ पांच महीने बाद नवंबर 2024 के विधानसभा चुनाव तक यह संख्या बढ़कर 9.70,00,00,000 हो गई

  • यानी 5 साल में 31,00,000 की मामूली वृद्धि, वही सिर्फ पांच महीनों में 41,00,000 की ज़बरदस्त वृद्धि ये सवाल राहुल गाँधी पूछ रहे हैं और यहाँ पर आता है उनका तीसरा सवाल जो चोट करता है और तीसरा सवाल है फर्ज़ी मतदाता जोड़ने के बाद मतदान प्रतिशत भी बढ़ा चढ़ाकर दिखाया जाना इसमें राहुल लिखते हैं, ज्यादातर मतदाताओं और ऑब्जरवर्स के लिए महाराष्ट्र में मतदान का दिन बिल्कुल सामान्य था

  • बाकी जगहों की तरह ही लोगों ने पंक्तिबद्ध होकर मतदान किया और घर चले गए जो लोग शाम 5:00 बजे तक मतदान केंद्रों के अंदर पहुँच चूके थे, उन्हें मतदान करने की अनुमति थी कहीं से भी किसी मतदान केंद्र पर ज्यादा भीड़ या लंबी कतारों की कोई खबर नहीं आयी लेकिन

  • चुनाव आयोग के अनुसार मतदान का दिन कहीं अधिक नाटकीय था शाम 5:00 बजे तक मतदान प्रतिशत 58.22 फीसदी था हालांकि मतदान खत्म होने के बाद भी मतदान प्रतिशत लगातार बढ़ता रहा अगली सुबह जो आंकड़ा सामने आया वो 66.05 फीसदी था यानी 7.83% की अचानक बढ़ोतरी और राहुल गाँधी पूछ रहे है की ऐसा हो कैसा रहा है और यहाँ पर वो क्रिकेट की शब्दावली का इस्तेमाल करते हैं। डोनल्ड ब्रैडमैन का इस्तेमाल करते हैं दोस्तों वो डोनल्ड ब्रैडमैन, जिनका टेस्ट में ऐवरेज लगभग 100% था राहुल गाँधी का चौथा मुद्दा चुनिंदा जगहों पर फर्जी वोटिंग में बीजेपी को ब्रैडमैन बना दिया

  • राहुल लिखते हैं इनके अलावा भी कई और गड़बड़ियां हैं महाराष्ट्र में करीब 1,00,000 बूथ हैं, लेकिन नए मतदाता ज्यादातर सिर्फ 12,000 बूथों पर ही जोड़े गए यह बूथ उन 86 विधानसभा के थे जहाँ भाजपा का पिछले लोकसभा चुनावों में बुरा प्रदर्शन था मतलब हर बूथ में शाम 5:00 बजे के बाद औसतन 600 लोगों ने वोट डाला अगर मान ले कि हर व्यक्ति को वोट डालने में 1 मिनट भी लगता है तब भी मतदान की प्रक्रिया 10 घंटे तक और जारी रहनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा कहीं नहीं हुआ

  • ऐसे में सवाल यही है कि ये अतिरिक्त वोट कैसे डाले गए ज़ाहिर है दिन पे 86 सीटों में से ज्यादातर पर एनडीए ने जीत दर्ज की चुनाव आयोग में मतदाताओं की इस बढ़ोतरी को युवाओं की भागीदारी का स्वागत योग्य ट्रेंड बताया राहुल आगे सवाल पूछते हैं ये ट्रेंड सिर्फ 12,000 बूथों तक सीमित रहा, बाकी 88,000 बूथों में नहीं, राहुल पूछ रहे हैं की भैया ऐसे कैसे होता है

  • यानी की शर्तों के साथ मतदान कैसे हो सकता है राहुल बहुत विस्तार से सवाल पूछने मगर अफसोस चुनाव आयोग इन सवालों के जवाब नहीं दे रहा है क्योंकि इससे पहले भी उन्होंने तीन सवाल किए थे, उनके जवाब नहीं दिए गए थे और यहाँ से जुड़ता है राहुल का पांचवां मुद्दा, जिसमें ये दावा कर रहे हैं कि किस तरह से सबूतों को हटाया गया

  • बकौल राहुल गाँधी, सुबोतो को छुपाने की कोशिश और यहाँ पर राहुल गाँधी कहते हैं चुनाव आयोग ने विपक्ष के हर सवाल का जवाब या तो चुप्पी से दिया या फिर आक्रामक रवैया अपनाकर उसने 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों की फोटो सहित मतदाता सूची सार्वजनिक करने की मांग को सीधे खारिज कर दिया था

  • इससे भी गंभीर बात यह है कि विधानसभा चुनावों के ठीक एक महीने बाद जब एक उच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग को मतदान केंद्रों की वीडियोग्राफी और सीसीटीवी फुटेज साझा करने का निर्देश दिया तो केंद्र सरकार ने चुनाव आयोग से सलाह लेने के बाद निर्वाचन के संचालन नियम 1961 की धारा 93 दो ए में बदलाव कर दिया और इस बदलाव के बाद क्या हुआ

  • इस बदलाव के जरिए सीसीटीवी और इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स तक पहुँच को सीमित कर दिया गया ये बदलाव और इस समय दोनों ही अपने आप में बहुत कुछ बयां करते हैं हाल ही में एक जैसे या डुप्लिकेट ईपीआइसी यानी एपिक नंबर सामने आने के बाद फर्जी मतदाताओं को लेकर चिंताएं और गहरी हो गई थी हालांकि असली तस्वीर तो शायद इससे भी ज्यादा गंभीर है मगर मुद्दायें की राहुल गाँधी के इन सवालों का जवाब कब दिया जाएगा याद कीजिएगा सुप्रिया सुले और संजय राउत के साथ उन्होंने तीन सवाल किए थे कौन से तीन सवाल पहला आपके स्क्रीन्स पर सबसे पहला महाराष्ट्र में पांच महीनों में ऐड हुए

  • दूसरा गौर किया जाए बहुत महत्वपूर्ण सवाल महाराष्ट्र का पॉप्युलेशन सरकार के मुताबिक महाराष्ट्र का ऐडल्ट पॉप्युलेशन सरकार के मुताबिक 9.54 क्रॉस महाराष्ट्र का ऐडल्ट पॉप्युलेशन 9.54 क्रॉस इलेक्शन कमिशन के मुताबिक महाराष्ट्र में 9.7 वोटर्स 9.7,00,00,000 वोटर्स हैं इसका मतलब इलेक्शन कमिशन कह रहा है देश की जनता को कह रहा है देश के युवाओं को कह रहा है की महाराष्ट्र में पॉपुलर एडल्ट पॉप्युलेशन से ज्यादा वोटर्स हैं

  • और तीसरा इसका भी जवाब नहीं मिला सुने तीसरा सवाल ये एक उदाहरण है कांटी विधानसभा यहाँ पे कांग्रेस पार्टी को लोकसभा में 1.36,00,000 वोट मिला है विधानसभा में तकरीबन उतना ही वोट हमें मिला 1.34,00,000। ये चुनाव हम जीते लोकसभा वाला लोकसभा के चुनाव में बीजेपी को 1.19,00,000 वोट मिलता है

  • इस कॉनस्टीटूएंसी में 35,000 नए वोटर्स ऐड होते हैं और वो 35,000 के 35,000 वोटर सीधे बीजेपी के खाते में जाते हैं और बीजेपी चुनाव जीतती है ये एक उदाहरण है ऐसे महाराष्ट्र में अनेक उदाहरण है चुनाव आयोग या तो बहुत ही आक्रामक अंदाज में जवाब देता है या खामोशी अख्तियार कर लेता है

  • मसलन, महाराष्ट्र के सवालों पर अब भी जवाब नहीं मिला है ये बेशर्मी चुनाव आयोग की और अब तो मुख्य चुनाव आयुक्त वो शख्स है जो अमित शाह के नौकरशाह रह चूके हैं ऐसा कैसे होता है दोस्त वही नौकरशाह चुनाव आयोग में जाते हैं जो भारतीय जनता पार्टी के बहुत करीबी होते हैं अब मुझे बताइए जो व्यक्ति देश के गृहमंत्री के साथ काम कर रहा था अब वो मुख्य चुनाव आयुक्त हैं ये बात आपको अटपटी नहीं लगती यही वजह है कि राहुल गाँधी ये सवाल उठा रहे हैं

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