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02/05/2025

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भारत के मुसलमानों में कैसे होता है जातियों का बंटवारा, कहानी Caste Census में Muslim समुदाय की जानिए

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भारत के मुसलमानों में कैसे होता है जातियों का बंटवारा, कहानी Caste Census में Muslim समुदाय की

  • देश में जातिगत जनगणना को लेकर रास्ता साफ हो गया है जातिगत जनगणना से जहाँ हिंदुओं की जातियों में उथल पुथल देखने को मिलेंगी, वहीं मुस्लिम समाज में भी काफी कुछ बदलने वाला है मुस्लिम समाज में जातियों को लेकर चीजें काफी साफ होंगी जहाँ एक तरफ देश में कुछ मुस्लिम जातियों को ओबीसी कैटेगरी का लाभ पहले से मिल रहा है, वहीं कुछ ऐसी भी जातियां हैं जिन्हें उनका सही हक नहीं मिलता है

  • उनमें से एक है पसमांदा मुसलमान। इनकी आबादी तो देश की कुल मुस्लिम आबादी का 80 से 85 फीसदी है, लेकिन उन्हें किसी भी सरकारी योजना हो, मुस्लिम नेतृत्व व संगठनों में सही हिस्सेदारी नहीं मिलती है ऐसे में आज बात करते हैं देश के मुसलमानों और उनकी जातियों के बारे में पसमांदा मुसलमान जिन्हें मुस्लिम, दलित के नाम से भी जाना जाता है, उस मादा मुसलमान एक सामाजिक और राजनीतिक श्रेणी है। इसका इस्तेमाल भारत में उन मुसलमानों के लिए किया जाता है जो सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े हुए माने जाते हैं

भारत के मुसलमानों में कैसे होता है जातियों का बंटवारा, कहानी Caste Census में Muslim समुदाय की
  • और शानदार शब्द फारसी का है, जिसका अर्थ होता है पीछे छूटे हुए या पिछड़े हुए। बीजेपी ने इस बात को भी सामने रखा है कि इस बार की जनगणना में हिंदू समाज के साथ साथ मुसलमानों की भी जाति पूछी जाएगी ऐसे में मुस्लिम समाज के पिछड़े वर्ग के लोग इस बात से काफी खुश हैं। सबसे पहले नंबर पर पसमांदा मुसलमान आती है। भारत में मुस्लिम समुदाय को आमतौर पर तीन श्रेणियों में बांटा गया है। इसमें अशराफ़, अजलाफ और अरजाल शामिल हैं। अशरफ ये ऊंची जाति के माने जाते हैं और इनमें आम तौर पर सैयद, शेख पठान और मुगल आदि शामिल होते हैं। ये अपने आपको पैगंबर मोहम्मद के वंशज या अरब तुर्की और फ़ारसी मूल का मानते हैं।

  • अजलाफ समुदाय भारत की कुल आबादी का लगभग 2.01 फीसदी है। दूसरे नंबर पर है या स्थानीय या भारत की नीची जातियों से आए लोग हैं जिन्होंने इस्लाम अपनाया। इनकी सामाजिक हैसियत आम तौर पर मजदूर, कारीगर, कसाई, नाई, धोबी, झूला आदि के रूप में रही हैं।

  • इनमें कुंजड़ा, दुनिया जुलाहा, फकीर मेहतर और मनिहार शामिल हैं। देश में अलाव की आबादी 85 फीसदी है। लेकिन इसको लेकर कोई आधिकारिक डेटा मौजूद नहीं है। इसके बाद अरबाज कौम लाती है। ये पसमांदा का सबसे वंचित वर्ग है जिन्हें दलित मुस्लिम भी कहा जाता है।

  • ये वही जातियाँ हैं जो हिंदू समाज में दलित कही जाती है और मुस्लिम समाज में भेदभाव झेलती है। पसमांदा शब्द का प्रयोग खासतौर से 1990 के दशक के बाद ज़ोर पकड़ने वाले पसमांदा आंदोलन से जुड़ा है, जो ये मांग करता है कि मुस्लिम समाज के भीतर जातिगत भेदभाव को भी समझा जाए और पसमांदा मुसलमानों को आरक्षण सामाजिक न्याय और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में उचित हिस्सा दिया जाए,

  • इस समाज की सबसे बड़ी मांग में से ओबीसी और दलित मुस्लिम को आरक्षण का लाभ, मुस्लिम समाज में आंतरिक जातिगत भेदभाव की मान्यता, मुस्लिम नेतृत्व संगठनों में पसंद आ प्रतिनिधित्व शामिल हैं।

  • देश में मुस्लिम आबादी का 85 फीसद आबादी पसमांदा मुसलमानों का है। देश में आखिरी बार जातिगत जनगणना आजादी से पहले 38 में हुई थी। उसके बाद से जब भी जनगणना हुई, इसमें धर्म के आधार पर लोगों का वर्गीकरण किया गया। हालांकि साल 2011 में जब आखिरी बार देश में जनगणना हुई तो उसमें जाति के आंकड़े जमा किए गए थे,

  • लेकिन उसे लोगों के सामने जारी नहीं किया गया। इसके बाद साल 2021 में जनगणना नहीं करवाई गई थी। देश में 14.2 फीसदी यानी 17.2,00,00,000 लोग मुस्लिम समाज से आते हैं। इसमें सबसे ज्यादा आबादी वाला राज्य यूपी है। यहाँ के मुस्लिम आबादी कुल 3.85,00,00,000 के करीब है। इसके अलावा दूसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल आता है जहाँ की मुस्लिम आबादी 2.46,00,00,000 है। तीसरे नंबर पर बिहार है जहाँ की आबादी 1.76,00,00,000 है। चौथे नंबर पर महाराष्ट्र है जहाँ की मुस्लिम आबादी 1.29,00,00,000 है

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