76% कैदी बिना सजा के जेलों में बंद है करोडो केस कोर्ट में पेंडिंग है बड़ा खुलासा

76% कैदी बिना सजा के जेलों में बंद है करोडो केस कोर्ट में पेंडिंग है
76% कैदी बिना सजा के जेलों में बंद है करोडो केस कोर्ट में पेंडिंग है बड़ा खुलासा
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लोकतंत्र की एक बात सबसे खास है, जो इस लोकतंत्र को अहम बनाती है वो है न्याय लेकिन आज हम चर्चा करेंगे क्या कि इस देश के हर नागरिक को न्याय, सुलभ, सहज और सुविधाजनक ढंग से मिल पा रहा है
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भारत न्याय रिपोर्ट 2025 को जो न्याय व्यवस्था में असमानता और सुधार की आवश्यकता के विषय में तैयार की गई थी इंडिया जस्टिस रिपोर्ट अपनी तरह की पहली राष्ट्रीय आवधिक रिपोर्टिंग है जो राज्यों की न्याय प्रदान करने की क्षमता को रैन करती है
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जो पांच मापदंडों का उपयोग करती है, जिसमें चार स्तंभ पुलिस, जेल, न्यायपालिका, विधिक सहायता और एसएच आर सी यानी मानव संसाधन, बुनियादी ढांचा, बजट इत्यादि है और इसके आधार पर यह तय करती है कि इस देश में न्याय की स्थिति क्या है
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इसके आंकड़े हैरान करने वाले है तो वक्फ संशोधन बिल पर सुप्रीम कोर्ट में एक गहमागहमी हम बहस चल रही है देश उस पर नजर रखे हुए है कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश क्या फैसला लेते हैं और तमाम ऐसे फैसले और भी पेंडिंग है
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साल के तौर पर अभी अशोका विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को गिरफ्तार कर लिया गया है वो अभी सुप्रीम कोर्ट में मामला है कभी आपने सोचा है कि प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को एक ऐसी फेसबुक पोस्ट के लिए गिरफ्तार कर लिया गया जिसमें कोई अपराध जैसी चीज़ सामने ज़ाहिर ही नहीं होती है और उम्मीद हम ये करते हैं कि न्यायपालिका में जब ये मामला जायेगा तो न्यायाधीशों को यह बात समझ में आएगी कि इसमें देश विरोधी महिला विरोधी सेना विरोधी कोई बात नहीं है
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हो सकता है कि वो बरी हो जाए हो सकता है कि वो ताकतवर है इसलिए भी बड़ी हो जाए हो सकता है की वो अगर नहीं भी बरी होंगे तो उनके ऊपर बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा वो हैन्ड टू माउथ नहीं है, लेकिन इस देश के आमनागरिकों का पैसा लगता है
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ऐसे फर्जी मामले में क्या आपको पता है देश में कितने मुकदमे पेंडिंग है, उनकी संख्या लाखों में है या करोड़ों में और सुप्रीम कोर्ट या जिला कोर्ट से लेकर के तमाम कोर्ट अब ऐसे मामलों में बार बार सुनवाई करने को बाध्य हैं जो राजनीतिक मंशा के तहत फर्जी मुकदमे कर के डाल दिए जाते हैं
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अब मैं इंडिया जस्टिस रिपोर्ट के आधार पर कुछ आंकड़े आपके सामने रखना चाहता हूँ। जो इस बात को पुष्ट करते हैं कि ये बात आप बतौर नागरिक जानें ये कितना जरूरी है टाटा ट्रस्ट द्वारा जारी की गई भारत न्याय रिपोर्ट 2025 में देश की न्यायपालिका की गहन समीक्षा की इस रिपोर्ट के मुताबिक देश में प्रति 10,00,000 जनसंख्या पर केवल 15 में आदेश है जबकि विधि आयोग ने 50 न्यायाधीशों की बारिश की थी
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उच्च न्यायालय में 33% और जिला न्यायालयों में 21% जजों के पद खाली पड़े यानी इस देश के 10,00,000 जनसंख्या पर 50 जज होने चाहिए हैं 15 और विडंबना देखिए कि कहीं एक तिहाई तो कहीं एक चौथाई पद खाली पड़े हैं ये रिपोर्ट आपको बताती है की कभी आपने सोचा की यह भी कोई मुद्दा हो सकता है पुलिस जनसंख्या अनुपात के मुताबिक यह रिपोर्ट बताती है की 1,00,000 व्यक्तियों पर आज की तारीख में 155 पुलिसवाले जो स्वीकृत मानक 197 से काफी कम है फिर अपराध को कैसे रोकेंगे अपराध पर कार्रवाई कैसे होगी
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और पुलिस के ऊपर जितना अतिरिक्त कार्यभार है, रात दिन एक करके जो सामान्य कर्मचारी है, पुलिस के जो सिपाही हैं, जो नीचे स्तर के अधिकारी हैं, उनकी हालत क्या है कभी आप उनसे अकेले में बैठकर पूछेगा वो सरकारी मुलाजिम हैं इसलिए बोल नहीं पाते, वो आंदोलन नहीं कर पाते वो फेसबुक और ट्विटर पर लिख नहीं पाती लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि इस देश की पुलिस व्यवस्था में शामिल इस देश के बच्चों को कोई मुसीबत, कोई परेशानी या उनका कोई मुद्दा नहीं है
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बस दिक्कत ये है की वो चूके ऐसे सरकारी पद पर हैं जिसको वो सामने बोल नहीं सकते ऊपर से आदेश आता है तो कहीं फर्जी पैर में गोली मारनी है नहीं एनकाउंटर भी करना है, कई फर्जी मुकदमे भी डालने है और कहीं अगर दबाव नहीं है तो ईमानदारी से काम करना है और अगर ईमानदारी से काम करना है तो ओवरटाइम ड्यूटी करनी है
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मुसीबतें इतनी की जो उनके खर्चे के लिए पैसा मिलता है वो भी इर्रेगुलर मिलता है लेकिन इस पर बात कौन करे ये रिपोर्ट उस पर बात करती है ये रिपोर्ट यह बताती है कि देश की जेलों में 76% कैदी विचाराधीन है, जिनमें से कई वर्षों से न्याय की प्रतीक्षा में हैं यानी 76% कैदी इस देश में विचाराधीन विचाराधीन कैदी का मतलब समझते हैं यानी ऐसे लोग जेल में कैद है जिनके मामले पर अभी कोर्ट विचार कर रहा है की वो गुनहगार है या नहीं है, उनको अंतिम रूप से सजा नहीं मिली है लेकिन चुकी विचाराधीन है इसलिए कह रहे थे और आपको आश्चर्य
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होगा कि दिल्ली में विचाराधीन कैदियों की संख्या 90 फीसदी है 90% दिल्ली की जेल में 90 यानी 100 में 90 लोग ऐसे हैं जो विचाराधीन कैदी इसका अर्थ यह कतई नहीं है कि जो विचाराधीन है वो बरी हो जाएंगे वो गलत कैद है और इसका अर्थ यह भी नहीं है कि जो विचाराधीन है वो सारे गुनहगार है, लेकिन कोर्ट में जज नहीं और लाखों करोड़ों केस पेंडिंग है और पुलिस में ही और विचाराधीन कह दीजिये लो में मैं एक बात जोड़ दूँ यहीं पर एक बार ज़रा इसकी भी जाति जनगणना हो जाए की ये जो 90% दिल्ली में कैद है, ये जो 76% पूरे देश में एवरेज में विचाराधीन कैदी जेलों में बंद है
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वो कौन है, उनमें कितने दलित हैं, कितने पिछड़े हैं, कितने आदिवासी हैं, कितने किसान है, कितने मजदूर हैं, कितने गरीब हैं मैं अगर अपनी राय रखूं तो उसमें 90-95 परसेंट आंकड़ा इन लोगों का है। इस देश के वंचित शोषित 90% भारत का होगा और वो लोग विचाराधीन कैदी बनाकर जेल में भारत के पुलिस बल में 28% अधिकारियों की कमी है
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यह रिपोर्ट बताती है कि पुलिस में 28% अधिकारियों की कमी है और प्रति लाख पर 120 अधिकारी हैं जबकि वैश्विक मानक 222 का है अर्थात प्रत्येक 831 लोगों पर एक पुलिसकर्मी और भारत में 28% लोग कम है भारत की जेलों में क्षमता से अधिक कैदी हैं यानी 131% कैदी है यानी जिन जेलों में 68 कैदी होना चाहिए, उन जेलों में 131 कैदी बंद हैं और कर्मचारी वर्ग में 28% अधिकारी, 44% रक्षक कर्मी, 43% चिकित्साकर्मी। कम है जेलों में स्थिति कितनी भयावह है ये रिपोर्ट बताती है इस पर चर्चा नहीं होती
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पुलिस में महिलाओं की भागीदारी के संबंध में ये ली रिपोर्ट चौंकाती है कि अब भी केवल 8% अधिकारियों के पद पर महिलाएं यानी अधिकारियों में 100 में केवल आठ महिलाएं पुलिस में और 49 40 वरीष्ठ आइपीएस पदों में से 1000 से कम 90% कॉन्स्टेबल के पदों पर कार्यरत है 78% पुलिस स्टेशनों में अब महिला डिस्क है यानी तकरीबन 22% पुलिस स्टेशनों में महिला डेस्क भी नहीं है जस्टिस इंडिया रिपोर्ट की एक और चीज़ जो बहुत खास है जो आपको जाननी होगी गौर से समझिएगा ये रिपोर्ट बता रही है कि विधिक सहायता पर प्रति व्यक्ति मात्र ₹6 है, जबकि न्यायपालिका पर कुल ₹182 प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष है
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ऐसा कोई भी राज्य न्यायपालिका पर अपने बजट का 1% से अधिक आवंटित नहीं करता है पैरा लीगल वालंटियर की संख्या में पिछले पांच वर्षों में फीसदी की गिरावट आई है और अब प्रति लाख जनसंख्या पर केवल तीन रह गए
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विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत प्रशिक्षित पीएलवी, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी विधित सहायता और जागरूकता प्रदान करते हैं और उन्हें ही कम कर दिया गया जस्टिस इंडिया रिपोर्ट 2025 के मुताबिक अगर राज्यों की एक सूची बनाएंगे कि न्याय कहाँ मिल रहा है कहा पुलिस सक्षम हो कर के अपराध को रोकने और न्याय दिलाने में भागीदारी अपनी बेहतर निभा पा रही है
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न्यायपालिका से कैसे किस राज्य के नागरिको को बेहतर न्याय मिल पा रहा है तो आप हैरान होंगे जिन राज्यों में धर्म खतरे में सबसे ज्यादा बताया जाता है, जिन राज्यों के नेता सबसे ज्यादा उत्तेजक भाषण देते हैं जिन राज्यों में सबसे ज्यादा इस तरह के कर्मकांड और पाखंड फैल रहे हैं
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उन्हें न्याय नहीं मिल रहा इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025 बताती है कि कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना बड़े और मध्यम आकार के राज्यों में शीर्ष पर है सिक्किम छोटे राज्यों में सबसे आगे है जो न्याय देने में अव्वल है बिहार, छत्तीसगढ़, उड़ीसा में सबसे अधिक सुधार की जरूरत है उत्तर भारत के लगभग सभी राज्यों में न्यायिक सुधार की गंभीर जरूरत है उत्तर भारत के राज्यों में पुलिस की भारी कमी है
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उत्तर भारत के न्यायपालिकाओं में जजों की भारी कमी है और उत्तर भारत में अरे प्रक्रिया में भारी आर्थिक और सामाजिक सुधार की गुंजाइश है ये रिपोर्ट आपके सामने ये पेश कर रही है इसी लिए नहीं है कि कितने करोड़ मुकदमे आज भी लंबित पड़े हुए यानी इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025 को अगर आप गौर से समझेंगे तो आपको याद करना होगा कि भारत में न्याय जो भारत के संविधान की प्रस्तावना में एक शब्द के रूप में दर्ज है, वो किताब में लिख देने से न्याय की तरह मिल नहीं जाता
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बाबा साहब डॉक्टर अंबेडकर ने भारत के संविधान सभा की आखिरी बैठक में अपने यादगार भाषण में एक बात कही थी कि किसी भी देश का संविधान कितना भी अच्छा क्यों ना हो अगर उसे लागू करने वाले लोग अच्छे नहीं हुए तो वो संविधान में कागज का पुलिन्दा मात्र बनकर रह जाएगा तो संविधान अपने आप न्याय लोगों के
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76% कैदी अंडरट्रायल हो दिल्ली की जेलों में 90% कैदी अंडर ट्रायल इस देश की न्यायपालिका में एक तिहाई से लेकर के एक चौथाई पद रिक्त पड़े हो मानक स्वीकृत मानक से लगभग एक तिहाई कम हो पुलिस के बल तो पुलिस में विविधता कितनी है
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अभी तो इस पर बात ही नहीं हो रही है पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के थानों को लेकर के हंगामेदार बहस खड़ी कर दी थी उन्होंने पीडीए कितने हैं हर थाने में इसकी सूचियां जारी करनी शुरू कर दी कुछ ही जिलों की सूची जारी की प्रशासन में हड़कंप मच गया आप उत्तर प्रदेश के किसी भी थाने में चले जाईये आप ये पाएंगे कि कोई दलित, कोई पिछड़ा, कोई अतिपिछड़ा मुसलमान तो पता नहीं कहीं गुम सुम गे, उसमें भी अगर यादव है तो वो कहीं हाशिए पर कोई शांति उनको पोस्टिंग मिली हुई होगी जहाँ चुपचाप नौकरी करते रहो
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क्लर्क वाली और बाकी लोग बहुत सामान्य पदों पर नियुक्त कर दिए गए होंगे और जो ऊपर बैठा होगा जो टॉप पर बैठा होगा उसमें पीडीए कितने ये सवाल जब अखिलेश यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूछ दिया था तो उत्तर प्रदेश का पुलिस, प्रशासन और सरकार सब सकते में आ गए सफाई पर सफाई देते चले गए ये आंकड़ा गलत है 3% नहीं 4% गलत है, 5% नहीं 8% गलत है लेकिन ओवर ऑल इस देश में जाति जनगणना जैसा मुद्दा इसलिए भी जरूरी है ताकि यह पता चले कि जजों में कितने दलित, पिछड़ा आदिवासी पहुंचे
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पुलिस में कितने दलित, पिछड़ा, आदिवासी पहुंचे और जेलों में जो अंडर ट्रायल कैदी बंद हैं उसमें कितने दलित, पिछड़ा, आदिवासी इंडिया जस्टिस रिपोर्ट यानी भारत न्याय रिपोर्ट 2025 आपके लिए बहुत जरूरी रिपोर्ट थी इसलिए हमने इसको कोशिश की और आप भी ज़रा गौर करके अपने आसपास नजर रखें
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ये देश आजादी के अमृत काल को मना रहा है इस देश में संविधान लागू हुए भी लगभग 75 साल हो गए उसके बाद भी इस देश में हर जगह विविधता है क्या इस देश के विश्वविदयालयों में कितने प्रोफेसर किस किस तब देते हैं इस देश के अस्पतालों में कितने डॉक्टर अभी तो डॉक्टर वाली बात ही नहीं है कितने प्रोफेसरों के पद खाली हैं, कितने डॉक्टरों के पद खाली हैं, इस पर तो बात ही नहीं
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अभी तो मैंने केवल जज और पुलिस और कैदियों के बारे में जो ये रिपोर्ट बताती है उसकी बात की और मैं ये बात दावे से कह रहा हूँ कि सरकारी पैसा खर्च होता है फर्जी मुकदमे में लड़ने के लिए तो आप इस बात से खुश मत हो जाये करिए की कोई प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद उसको फर्जी जेल में डाल दिया गया अरे वो आज नहीं कल बरी हो जाएगा क्योंकि उसका गुनाह कोई साबित नहीं हो पायेगा
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और इस पूरे मामले में सरकार का पैसा खर्च हुआ की नहीं और जो लाखों करोड़ों मामले लंबित पड़े हैं और विचाराधीन 76% कैदी देश की जेलों में उनको न्याय कब मिलेगा और उनमें जो अंडर ट्रायल कैदी हैं वो कौन लोग हैं वो देश के बच्चे नहीं हैं, वो इस देश के नागरिक नहीं है और इस देश में कभी चर्चा ही नहीं होती इसलिए ठहर कर ज़रा इस बात को सोचिये की आप के बीच के लोग इस देश में हाशिए के 90% लोग कहा है इस देश के थानों में हैं पुलिस बनकर के कैदी बनकर के इस देश के हॉस्पिटल में है डॉक्टर बनकर के नर्स बनकर डर बन करके कि लाइलाज बीमारियों के मरीज बन करके या उनके परिजन बनकर के इस देश के 90% लोग कहाँ है
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विश्वविद्यालय में छात्र बनकर के कर्मचारी बनकर किया प्रोफेसर और कुलपति बनकर के ये देश के 90% लोग कहाँ है न्यायपालिका में मुल्जिम बन कर के फैसला इस देश के 90% आवाम को करना है और इंडिया जस्टिस रिपोर्ट इस देश के 90% आवाम को जरूर पढ़नी चाहिए अगर आप चाहेंगे तो विस्तार से ये गूगल पर मिल जाएगी मैं चाहता हूँ की आप भी उन बातों को सजग होकर के समझे जो बाहर शोर दिखाया जाता है वो आपके बच्चों का भविष्य नहीं बचाएगा
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ये रिपोर्ट आएगी और आपको एक जागरूक नागरिक में तब्दील करेगी ताकि आप अपने सरकारों से सही सवाल पूछ सकें मीडिया के ऊपर दबाव डाले
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लेकिन ये बात आपको कोई मीडिया नहीं बताएगा क्योकि वो बिक चूके हैं, वो दरबारी बन चूके हैं इसलिए हम हिम्मत करके ये सारी बातें आप तक साझा कर रहे हैं हम उम्मीद करते हैं की जो आपको पसंद आई होगी
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घर तक नहीं पहुंचाता है संविधान एक रास्ता देखता है, संविधान एक जरिया बनता है और संविधान एक विकल्प बनता है काम तो उस पर सरकारों को करना होता है, लेकिन कल्पना करिए कि आपके देश की जेलों में
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