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28/05/2025

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क्या नाती पोतों को अग्निवीर बनाएंगे अमिताभ बच्चन . मुंबई में मुरली नायक के मां-बाप से मिलने तक नहीं गए

क्या नाती पोतों को अग्निवीर बनाएंगे अमिताभ बच्चन मुंबई में मुरली नायक के मां-बाप से मिलने तक नहीं गए

क्या नाती पोतों को अग्निवीर बनाएंगे अमिताभ बच्चन . मुंबई में मुरली नायक के मां-बाप से मिलने तक नहीं गए

  • बिल्कुल सीधे सवाल से शुरू करते हैं क्या अमिताभ बच्चन अपने नाती पोतों को अग्निवीर बनाना पसंद करेंगे आपको यह सवाल भी अजीब लगेगा लेकिन अगर ये सवाल अजीब है तो फिर इस नौटंकीबाज को राष्ट्रवाद के नौटंकी बाजी बंद कर देनी चाहिए जी हाँ, देश का सबसे चुप कायर और सत्ता की गोदी में बैठे पिट्ठू महानायक कहलाने वाले पद्म विभूषण दादा साहब फाल्के अवार्ड भी अमिताभ बच्चन के भीतर गरीब बच्चों की लाशों के दम पर राष्ट्रवाद उबाल मार रहा है

  • आगे बढ़ने से पहले ज़रा अमिताभ बच्चन के ट्वीट पर गौर कर लीजिये क्योंकि इसका तात्कालिक आधार वही है

    जी हाँ लाशों पर क्योंकि जिन गरीब बच्चों के बहते लहू में हाथ पोंछ कर अमिताभ बच्चन जैसे चुप्पे बहुत बड़े राष्ट्रवादी बन रहे हैं उन्हें शहीद का दर्जा तक नहीं मिला है हम इस तरह की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि ये आदमी अग्नि वीरों की मौत पर पताका लहरा रहा है

  • ट्वीट नंबर टी 53903 दिए प्रीति है, इसलिए की श्रृंखला के पहले ट्वीट में इन्होंने अपने पूज्य पिता श्री हरिवंश राय बच्चन की कविता गाई है

  • दूसरे में भारत के चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने पर बधाई हैं

  • और तीसरे में अग्नि वीरों की लाश पर राष्ट्रवाद का उन्माद इस ट्वीट में उन्होंने लिखा है अग्निवीर जिंदाबाद इस लाइन के बाद एक तिरंगा लगाया फिर लिखा है भारत माता की जय इसके बाद दो तिरंगा लगाया और फिर लिखा है जय हिंद और इसके बाद तीन तिरंगा लगाया

  • लेकिन इन सब का मूल आधार क्या है अग्निवीर 17.5 साल में बंदूक उठा लेने और 21 साल में सड़क पर फेंक दिए जाने की नौकरी और बीच में अगर मर गए अमिताभ बच्चन जैसे चार्टर्ड प्लेन में उड़ने वाले अरबपति भारत माता की जय बोलकर छुट्टी कर लेंगे क्या अमिताभ बच्चन सचमुच में सिपाही है

  • मुरली नायक को जानते हम एक बार फिर से ज़ोर देकर कहना चाहते हैं कि आप उन्हें शहीद नहीं कह सकते और अमिताभ बच्चन जैसे अरबपति हो लेकिन दो राष्ट्रवादियों को इस बात से रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ता कि सिर्फ 23 साल के मुरली नायक की लाश जब उसी मुंबई के घाटकोपर के कामराज नगर में रख दी गई तो उनके माँ बाप की आंखें पत्थर हो गई श्रीराम 30 साल पहले बेहतर जिंदगी की तलाश में आंध्र प्रदेश के सत्यसाईं जिले से मुंबई आए थे और अब उनके पास अपने इकलौती औलाद की यादों का एक ऐसा सदमा है जिसके साथ जिंदगी का हर पल युगों में बदल गया

  • ज़रा मुरली की मजबूरी है और उनकी गरीबी का अंदाजा लगाइए कि उन्होंने अपने परिवार को यह तक नहीं बताया था कि वो जम्मू कश्मीर में तैनात है क्योंकि इससे उन्हें परेशानी होती ना अमिताभ बच्चन को दो टकिया राष्ट्रवादी इसलिए बोल रहा हूँ की उसी मुंबई में रहने के बावजूद या आदमी अग्निवीर मुरली नायक के माँ बाप से मिलने तक नहीं गया इतना बड़ा धन्नासेठ कहा काम राजनगर जैसी मलिन बस्ती में अपनी कमीज़ का क्रिस खराब करने जाता है

  • अमिताभ बच्चन जैसे सेठ को ये सब फालतूगिरी लगती समय की बर्बादी जितनी देर में ये एक अग्निवीर के माँ बाप से मिलने जाएंगे कुछ बात करेंगे उतनी देर में तो करोड़ों रुपये छाप देंगे और छाप देंगे। क्या छाप दिया

  • जिसदिन अग्निवीर मुरली नायक की लाश आयी उस दिन भी ये दो टकिया महानायक मस्त शूटिंग कर रहा था इस पाखंडी का सारा राष्ट्रवाद केवल ट्वीट तक है और फिर जब एक ट्वीट में ही देशभक्ति का धंधा चमक जाता है तो उसमें इतना अंदर धंसता क्यों है

  • लेकिन अमिताभ बच्चन एक नंबर के धुर थे सत्ता के दलाल नरेंद्र मोदी की दलाली में अग्निवीर की जय बोलना इसकी देशभक्ति नहीं 82 साल की उम्र में भी कुछ और हासिल करने की लालसा या कुछ खोना देने का डर है ये फर्जी ऐंग्री यंग मैन चाहता तो उसी ट्वीट में एक लाइन ये भी जोड़ सकता था कि ड्यूटी पर मारे गए अग्नि वीरों को भी शहीद का दर्जा देना चाहिए

  • तिरंगे में लपेटा जाना चाहिए उनका पार्थिव शरीर मिलनी चाहिए बंदूकों की सलामी लेकिन नहीं अमिताभ बच्चन जैसे धूर्तों से आप इसकी उम्मीद नहीं कर सकते ये वही अमिताभ बच्चन है जो मुंबई हमले के समय अपने घर में दुबक गए थे कहा था मुझे डर के मारे नींद नहीं आती, अब वो नहीं है

  • अमिताभ बच्चन की ज़ुबान से बोली नहीं फूट रही है कि अग्निवीर एक सैन्य शौर्य को अपमानित करने की योजना है और अगर अमिताभ बच्चन के भीतर देश प्रेम और राष्ट्रवाद का वाकई भूत सवार है तो बताइए अपने नाती पोतों को कब भेज रहे हैं अग्निवीर बनाने के लिए भेजिए

  • आकाशदीप सिंह को जानते हैं फर्जी मिस्टर यंगी यंग मैन फरीदकोट का 21 साल का नौजवान जिसके माँ बाप के आगे लाकर लाश रख दी गई कि करदो दो अंतिम संस्कार सुनिए मिस्टर बच्चन अग्निवीर आकाशदीप सिंह को सरकारी सम्मान तो छोडि़ए, सरकारी एंबुलेंस तक नहीं मिली परिवार के लोग आकाशदीप सिंह का पार्थिव शरीर खुद किराये की एंबुलेंस से लेकर आए

  • सरकार का एक अफसर तक नहीं पहुंचा दरवाजे पर उनके शव को देखने अमिताभ बच्चन जैसे दो टकिया राष्ट्रवादियों को ट्विटर पर हरियाली सूझ रही है लेकिन चार कदम पर किसी अग्निवीर के दरवाजे पर जाने में उनकी इज्जत कम हो जाती है 82 साल के हो गए अनाज ठीक से नहीं पचता लेकिन रुपया कमाने की भूख खत्म नहीं हुई है बल्कि बढ़ गई

  • उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि ऑपरेशन सिंदूर के शुरू होने के बाद से नियमित रूप से भर्ती होने वाले सैनिकों और सैन्य अधिकारियों के साथ साथ कम से कम तीन अग्नि वीरों ने अपनी जान गंवाई

  • जिस दिन से अग्निवीर योजना आई है उसी दिन नरेंद्र मोदी ने डंके की चोट पर ऐलान कर दिया था की हम अग्नि वीरों को नियमित सैनिकों की तरह ना तो शहीद का दर्जा देंगे, ना ही मरणोपरांत सैन्य सम्मान और ना ही वैसा मुआवजा अग्निवीर आकाशदीप सिंह की माँ ने कहा, ये मेरे बेटे के साथ धोखा है

  • हर अग्निवीर के साथ धोखा है वो कहती हैं की या तो उनके बेटे को शहीद का धंधा दिया जाए और नहीं तो इस योजना को बंद कर दिया जाए यही बात अगर दो टके राष्ट्रवादी अमिताभ बच्चन बोलते हैं तो इसका कुछ असर होता लेकिन वो नहीं बोलेंगे क्योंकि इससे नरेंद्र मोदी की नजरों में उनके इज्जत विशुद्ध दलाल से कम हो जाएगी

  • पूरी दुनिया में कहीं भी चले जाईये सैन्य सिद्धांत कहता है की किसी भी युद्ध के दौरान दिया गया हर बलिदान देश के शहीद का दर्जा दिलाता है

  • लेकिन नरेंद्र मोदी इसे नहीं मानते याद कीजिए सत्यपाल मलिक का वो इंटरव्यू जिसमें उन्होंने कहा था कि जब उन्होंने कृषि कानूनों के विरोध में किसानों की मौत के बारे में पीएम मोदी को बताया तो उन्होंने पूछा था क्या ये उनके लिए हमारे अगर सत्यपाल मलिक का कहाँ सच है तो फिर मन में एक सवाल आता है जो आदमी इस तरह की बातें कर सकता है उसे इस बात से क्या ही फर्क पड़ता है कि मरने वाला जवान हैं या किसान ये समझ में आ रहा है की नरेंद्र मोदी के लिए जीस तरह से किसानों की मौत का कोई मतलब नहीं था

  • वैसे ही उनके लिए अग्नि वीर जवान की मौत का भी कोई मतलब नहीं है और फिर ये अग्नि वीर जवान कौन है मौत के जोखिम के साथ 4 साल की नौकरी किसको चाहिए ज़ाहिर सी बात है वो गरीबों के बेटे मज़दूरों के बच्चे है, किसानों के बच्चे हैं अग्निवीर मोदी के हिंदुत्व राजनीति की वेदी पर कुर्बानी की तरह है

  • ताकि मोदी चुनाव के समय दुश्मन के साथ छाया युद्ध में बच्चों की लाशें दिखाकर वोट मांग सके हकीकत ये है की एक देशभक्त के तौर पर हमें नरेंद्र मोदी पर शर्मिंदा होना चाहिए राजनाथ सिंह पर शर्मिंदा होना चाहिए उन्होंने राष्ट्र के नायकों अग्नि वीरों के बलिदान का अपमान और अनादर किया है और उनके इस अनादर को राष्ट्रवाद में बदलते हैं अमिताभ बच्चन जैसे दो टके राष्ट्रवादी जिनके लिए दौलत से बड़ी कोई चीज़ नहीं है, वो चाहे दलाली से आए या गरीब अग्नि वीरों की लाश पर राजनैतिक गिद्ध पोत

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