प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद हुए गिरफ्तार मुसलमान होने की मिली सजा

प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद हुए गिरफ्तार मुसलमान होने की मिली सजा
प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद हुए गिरफ्तार मुसलमान होने की मिली सजा
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दोस्तों एक भाजपा शासित राज्य हैं मध्यप्रदेश जहाँ पर भाजपा का मंत्री विजय शाह कर्नल सोफिया कुरैशी को आतंकवादियों की बहन कहता है, उसकी गिरफ्तारी तक नहीं होती है कोई माई का लाल एफआइआर कराने वाला तक पैदा नहीं होता है
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मध्यप्रदेश की हाइकोर्ट के कहने पर सरकार ने एफआइआर दर्ज की थी फिर जिंस लीचड़ भाषा में एफआइआर दर्ज की गई थी उस भाषा पर कोर्ट ने नाराजगी जताई और कहा कि जाओ ठीक से एफआइआर दर्ज करवा के लाओ उसी मध्यप्रदेश में भाजपा का डेप्युटी सीएम कहता है कि भारत की सेना प्रधानमंत्री के चरणों में नतमस्तक हैं, उस पर भी कोई एफआइआर, कोई गिरफ्तारी नह
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दूसरी तरफ दूसरा भाजपा शासित राज्य हैं हरियाणा यहाँ पर एक प्रोफेसर जिनका नाम अली खान महमूदाबाद है, इनको सिर्फ इसलिए गिरफ्तार कर लिया गया है क्योंकि इन्होंने पाकिस्तानी सेना पाकिस्तानी आतंकियों की जबरदस्त मजम्मत की मॉब लिंचिंग वगैरह पर भारत की अपनी सरकार से सवाल किए महिला आयोग ने नोटिस भेजा, एफआइआर हुई और गिरफ्तारी भी हो गई है
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प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद में सुप्रीम कोर्ट में अपील भी की है दोस्तों बस नाम का फर्क है इसीलिए कर्नल सुफिया कुरैशी के बारे में विवादित बयान देने वाले एमपी के मंत्री विजय शाह पर कोई कार्रवाई नहीं हुई
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अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद जेल में हैं बीजेपी के नेता और पूर्व सांसद रितेश पांडेय जैसे भाजपा के नेता भी मान रहे हैं ये प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद के साथ जो हुआ वो गलत हुआ सबसे पहले मैं आपको प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद के फेसबुक पर लिखे गए लेख का हिंदी में ट्रांसलेट करके आपको बताऊंगा अब सुनिए और खुद तय करिए की गिरफ्तारी कितनी फर्जी है और सिर्फ मुसलमान होने की सजा है
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अलीखान महमूदाबाद कहते हैं रणनीति की दृष्टि से भारत ने वास्तव में एक नए चरण की शुरुआत की है जिसमें पाकिस्तान में सैन्य और आतंकवादी यानी गैर राज्य तत्वों के बीच की सीमा रेखा धुंधली हो गई है किसी भी आतंकी गतिविधि की प्रतिक्रिया मैं पारंपरिक सैन्य जवाब मिलेगा और इसका सीधा दबाव पाकिस्तानी सेना पर है कि वो अब आतंकवादियों और गैर राज्य तत्वों की आड़ लेकर खुद को ना बचा सके पाकिस्तानी सेना ने काफी लंबे समय से गैर राज्य तत्वों का सैन्यकरण का क्षेत्र को अस्थिर किया है
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जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुद को पीड़ित दिखाने की कोशिश की है यही ताकतें हालिया हमलों में भी इस्तेमाल की गई पाकिस्तान में सांप्रदायिक तनाव भड़काने के लिए ऑपरेशन सिंदूर ने भारत पाक संबंधों की पारंपरिक धारणाओं को पूरी तरह से पलट दिया है क्योंकि अब आतंकी हमलों की प्रतिक्रिया सीधे सैन्य कार्रवाई से दी जाएगी और आतंकवादी और राज्य प्रयोजित तत्वों में कोई अंतर नहीं किया जाएगा
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इस बदलाव के बावजूद भारतीय सशस्त्र बलों ने सावधानीपूर्वक के ध्यान रखा है कि सैन्य या असैन्य ठिकानों पर हमला ना हो ताकि अनावश्यक टकराव ना हो संदेश स्पष्ट है अगर आप अपने आतंकवाद की समस्या नहीं सुलझा लेंगे तो हम सुलझाएंगे दोनों पक्षों पर नागरिक जीवन की अति दुखद है और यही मुख्य कारण है कि युद्ध से बचना चाहिए कुछ लोग युद्ध की वकालत करते फिर रहे हैं जबकि उन्होंने न युद्ध देखा है ना किसी संघर्ष क्षेत्र में कभी रहे हैं मार्ग सिविल डिफेन्स ड्रिल में भाग लेने से आप सैनिक नहीं बन जाते और ना ही आपको उन लोगों के दर्द का अंदाजा हो सकता है जिन्होंने युद्ध या संघर्ष में अपनों को खोया है
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युद्ध क्रूर होता है। इसका सबसे ज्यादा असर गरीबों पर होता है, जबकि इसका लाभ केवल राजनेताओं और रक्षा कंपनियों को मिलता है इतिहास हमें यही सीखाता है की युद्ध अपरिहार्य भले हों लेकिन राजनीतिक संघर्ष का भी सैन्य हल से नहीं सुलझे है मैं इस बात से खुश हूँ कि कई दक्षिणपंथी कमेंटेटर कर्नल सोफिया कुरैशी की सराहना कर रहे हैं
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और शायद उन्हें उतनी ही ज़ोर से उन लोगों के लिए भी आवाज उठानी चाहिए जो भीड़ की हिंसा, मनमाने बुलडोजर और बीजेपी की नफरत की राजनीति का शिकार बने हैं महिला सैनिकों द्वारा अपनी रिपोर्ट पेश करने का दृश्य प्रतीकात्मक रूप से जरूरी था लेकिन अगर वो धरातल पर हकीकत में तब्दील नहीं होता है तो वो सिर्फ पाखंड है जब एक प्रमुख मुस्लिम नेता ने पाकिस्तान मुर्दाबाद कहा और पाकिस्तानियों ने उसे ट्रोल किया तो भारत के दक्षिणपंथियों ने कहा वो हमारा मुल्ला है
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ये बात लग सकती है लेकिन यह दिखाती है कि कम्यूनिज़म यानी सांप्रदायिक सोच ने भारतीय राजनीति को किस हद तक प्रभावित किया है मेरे लिए प्रेस कॉन्फ्रेन्स एक क्षणिक झलक थी एक भ्रम और संकेत मात्र उस भारत की जिसने पाकिस्तान के निर्माण की मूल सोच को नकार दिया था जैसे मैंने कहा जमीनी
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स्तर पर आम मुसलमानों की हकीकत सरकार द्वारा दिखाए गए फ्रेम से अलग है लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेन्स ये भी दिखाता है कि एकता में बंधा भारत अपनी विविधता में पूरी तरह से एक विचार के रूप में मरा नहीं है जय हिंद तुम तो विवाद इन लाइनों पर है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि मैं इस बात से खुश हूँ कि कई दक्षिणपंथी कमेंटेटर कर्नल सोफिया कुरैशी की सराहना कर रहे हैं पर शायद उन्हें उतनी ही ज़ोर से उन लोगों के लिए भी आवाज उठानी चाहिए जो भीड़ की हिंसा, मनमाने बुलडोजर और बीजेपी की नफरत की राजनीति का शिकार बने हैं
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महिला सैनिकों द्वारा अपनी रिपोर्ट पेश करने का दृश्य प्रतीकात्मक रूप से जरूरी था, लेकिन अगर वो धरातल पर हकीकत में तब्दील नहीं होता है तो वो सिर्फ पाखंड है दोस्तों क्या ये बात कर्नल सोफिया को आतंकवादियों की बहन कहने से ज्यादा बड़ी है क्या ये बात सेना मोदी के चरणों में नतमस्तक हैं भाजपा मंत्री के इस कथन से ज्यादा बड़ी है
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भाजपा के ये दोनों मंत्री और उपमुख्यमंत्री दोनों खुला घूम रहे हैं क्यों क्या ये दोनों भाजपाई हैं इसलिए क्या ये दोनों भारतीय कानून की सीमा से बाहर है क्या भाजपाई मंत्रियों और भाजपा विचारधारा को फॉलो करने वालों को कुछ भी बोलने, कुछ भी बकने कुछ भी कहने की आजादी है राइट विंग के एक पत्रकार का ट्वीट है इन पर कोई एफआइआर, कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। क्यों क्या ये प्रो भाजपा पत्रकार हैं इसलिए दोस्तों एक तरफ तो यह प्रचारित किया जाता है कि हम एक हैं दूसरी तरफ मुसलमानों को डराने का खेल चल रहा है
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इसके बाद इंडियन एक्सप्रेस ने छापा वो भी अंग्रेजी में है एक्सप्रेस ने लेख में लिखा कि ये गिरफ्तारी है पीएम मोदी के एक साझा खतरे के मद्देनज़र सबको साथ खड़े होने के संदेश के एकदम खिलाफ़ है अली मोहम्मद खान अशोका यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस केप्रोफेसर है ये समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता भी हैं इन सबको भूल जाइए आप सिर्फ इस मु्द्दे पर आइए क्यों की गिरफ्तारी के इस मु्द्दे पर की गई है उन्होंने कर्नल सोफिया कुरेशियो और विंग कमांडर नर्सिंग की प्रेस कॉन्फ्रेंस के मुददे पर लिखा था
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उन्होंने लिखा था कि इन दोनों महिला सैनिकों के प्रेस कॉन्फ्रेन्स एक महत्वपूर्ण प्रतीक हैं पर साथ ही इस बात पर भी चिंता जताई थी कि ये प्रतिक एक पाखंड साबित होगा अगर हम इसे जमीनी सच्चाइयों में नहीं तब्दील करेंगे उन्होंने मॉब लिंचिंग और निरंकुश बुलडोजर संस्कृति के खिलाफ़ आवाज उठाई थी बीजेपी की घृणा वाली राजनीति पर प्रश्न खड़े किए थे आप उन प्रश्नों से सहमत हो सकते हैं आप असहमत हो सकते हैं, आप उन्हें खारिज कर सकते हैं आप के खेमे में एक से बढ़कर एक कमेंडेशन है, आप उन्हें आगे करके इसका उत्तर दे सकते हैं, पर गिरफ्तारी क्यों
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गिरफ्तारी कैसे आपके हाथ में पावर आ गया है तो आप निरंकुश हो जाएंगे इसलिए अब ये भी सोचिये की अली मोहम्मद खान के खिलाफ़ केस किसने दर्ज कराया है बीजेपी की यूथ विंग है, जिसके दर्ज कराए गए मामले पर उनकी गिरफ्तारी कर ली गई है अगर आपको इतना ही गिरफ्तारी का शौक है तो मध्यप्रदेश के उस मंत्री विजय शाह को अब तक क्यों गिरफ्तार नहीं किया गया जिसने कर्नल सोफिया कुरैशी को आतंकवादियों की बहन कहा था
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जिसकी खुद हाइकोर्ट ने निंदा की थी उसे कौन बचा रहा है बीजेपी को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से सीखना चाहिए वाजपेयी जी ने कहा था सरकारे आएंगी जाएंगी, पार्टियां बनेंगी बिगड़ेंगी मगर ये देश रहना चाहिए कम से कम देश की खातिर ऐसी कट्टरता और विवेक शून्यता से बचें
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दोस्तों प्रोफेसर अली खान को एक पोस्ट के आधार पर 12 मई को नोटिस जारी किया गया और 14 मई को पेश होने के लिए कहा गया 18 मई को हरियाणा पुलिस ने उन्हें दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया उनके खिलाफ़ भारतीय न्याय संहिता यानी बीएनएस की धाराओं के तहत सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने, विद्रोह भड़काने और धार्मिक भावनाओं का अपमान करने जैसे आरोपों में दो मुकदमे दर्ज किये प्रोफेसर महमूदाबाद ने सफाई दी कि उनकी टिप्पणी को गलत समझा गया उनका उद्देश्य नागरिक और सैनिकों की सुरक्षा पर ध्यान देना था
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महिलाओं या फिर सेना के खिलाफ़ कुछ कहना उन्होंने कहा कि उनके पोस्ट में कोई महिला विरोध जैसी बात नहीं थी और आयोग ने उनके बयान को गलत संदर्भ में लिया दोस्तों क्या हमारा देश दक्षिण कोरिया बनने जा रहा है
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क्या भारत में भी सुप्रीम लीडर और उनकी पार्टी से सवाल करना अपराध माना जाने लगेगा सवाल लोकतंत्र की सबसे बड़ी खूबसूरती है और इस खूबसूरती से भाजपा को सबसे ज्यादा डर लगता है भारत के नेता एफआइआर करा रहे हैं भाजपा का महिला आयोग संज्ञान ले रहा है
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भाजपा की पुलिस गिरफ्तारी कर रही है भाजपा की देश में सरकार है। भाजपा की मध्यप्रदेश में सरकार है। भाजपा के मंत्री और उपमुख्यमंत्री भारतीय सेना का अपमान करते हैं उन पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं है वहाँ महिला आयोग की आंखें फूट जाती है क्या वहाँ भाजपा के नेताओं को मोतियाबिंद हो जाता है क्या वहाँ पुलिस की पतलून गीली हो जाती है क्या देश में मुसलमान होना गुनाह है क्या क्या देश में मुसलमान कुछ लिख या बोल नहीं सकता
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