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02/05/2025

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ऐसे चला तो ज़िंदगी भर EMI भरेंगे. रेपो रेट घटने का फायदा लोन EMI में क्यों नहीं मिला

ऐसे चला तो ज़िंदगी भर EMI भरेंगे. रेपो रेट घटने का फायदा लोन EMI में क्यों नहीं मिला

आइये हम जानते है EMI से छुटकारा और रेपो रेट का फायदा कैसे उठा सकते है

  • जब रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया रेपो रेट घटाता है तो न्यूस चैनल और अखबारों में हेडलाइन बनती है क्या अब होम लोन कार लोन की ईएमआइ कम होगी लेकिन हकीकत कुछ और है इस साल आरबीआइ दो बार रेपो रेट में कटौती कर चुका है, लेकिन इसके बाद भी बड़ी तादाद में लोग आज भी मोटी किस्त चुकाने को मजबूर हैं

  • ऐसा क्यों है कि आरबीआइ की कटौती के बाद भी बैंको ने आपके होम लोन की किस्त नहीं घटाई है बैंको ने ऐसा क्यों किया बैंक किस तरह से यह पूरा खेल चला रहे हैं बैंको ने ये मनमानी करने के लिए कौन सी खिड़की खोल रखी है, RBI यानि रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया आज तो ये कर जिंदगी का सच है क्योंकि लोग अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए बैंको से कर्ज लेते हैं फिर चाहे होम लोन हो या फिर कार्ड लोन या कोई दूसरा कर्ज

  • कर्ज लेने के बाद लोग इसकी ईएमआइ भरते हैं यानी किस्तों में चुकाते हैं कई लोगों का तो किस्त चुकाते चुकाते पूरा जीवन गुजर जाता है ईएमआइ खत्म नहीं होती वैसे तो EMI आरबीआइ द्वारा रेपो रेट में कमी बेशी के हिसाब से घटती बढ़ती रहती है

  • लेकिन कई बार बैंक भी ऐसी रणनीति अपनाते हैं जिससे ग्राहकों को फायदा तो छोड़िए मोटी चपत लग जाती है इसी के बारे में विस्तार से बात करेंगे तो चलिए शुरू करते हैं

  • रिज़र्व बैंक ने इस साल फरवरी से लेकर अब तक रेपो रेट में दो बार कटौती की है लेकिन इस कटौती के बाद भी बैंको ने इसका फायदा होम लोन लेने वाले एक बड़े वर्ग तक नहीं पहुंचाया है इकनॉमिक टाइम्स ने आरबीआइ द्वारा आंकड़ों के हवाले से इस बात का खुलासा हुआ है आरबीआइ की तरफ से 30 अप्रैल को जारी किए गए आंकड़ों में बताया गया है कि 1 साल की औसत मार्जिनल लेंडिंग रेट यानी की एमसीएलआर अप्रैल में 9% पर बरकरार हैं आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल नवंबर से एमसीएल आर 9% पर टिक्की हुई है

  • हालांकि इस साल फरवरी में एक मौका और आया जब बैंको की एमसीएलआर 9.05% पर पहुँच गई थी आखिर ये एमसीएलआर क्या है जिसके जरिए बैंक आपका घाटा करा रहे हैं, इसके बारे में आगे समझेंगे

  • लेकिन पहले रेपो रेट के बारे में जानना जरूरी है रेपो रेट वह ब्याज दर है जिसपर आरबीआइ बैंको को कम वक्त के लिए कर्ज देता है मान लीजिए किसी बैंक के पास पैसे कम पड़ गए वो बैंक आरबीआइ के पास जाता है और कहता है की भाई थोड़ा पैसा उधार दे दो आरबीआइ कहता है, ठीक है लेकिन इसके लिए ब्याज देना पड़ेगा। वो ब्याज ही रेपो रेट है

  • अभी तक यह दर 6.25% थी लेकिन आरबीआइ की पिछले महीने हुई मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक में अब से 0.25% घटाया गया है और 6% कर दिया गया है आरबीआइ की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी यानी की एमपीसी के बारे में जान लेते हैं। आमतौर पर आरबीआइ हर दो महीने में मीटिंग करता है। इस तरह से एक वित्तीय वर्ष में आम तौर पर छह बैठकें होती है इस बैठक में महंगाई और दूसरे मैक्रो इकोनॉमिक फैक्टर्स के आधार पर ब्याज दरों में कटौती या बढ़ोतरी की जाती है

  • ऐसे चला तो ज़िंदगी भर EMI भरेंगे रेपो रेट घटने का फायदा लोन EMI में क्यों नहीं मिला

    ऐसे चला तो ज़िंदगी भर EMI भरेंगे रेपो रेट घटने का फायदा लोन EMI में क्यों नहीं मिला

  • इस साल फरवरी और अप्रैल में आरबीआइ की कैसी हुई इन दोनों बैठकों में आरबीआइ ने 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की। यानी कुल मिलाकर 50 बेसिस पॉइंट्स की कटौती बेसिस पॉइंट 1% का सौवां हिस्सा होता है। 50 बेसिस पॉइंट्स का मतलब हुआ कि आरबीआइ ने इंट्रेस्ट रेट में आधा परसेंट की कटौती की रेपो रेट समझ लिया। अब आपको बताते हैं कि बैंक किस तरह लोन बांटते है

  • सबसे पहले बात करते हैं एमसीएलआर यानी की मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट की

  • ये बैंक की अपनी ब्याज दर है जो उनके खर्चों जैसे की डिपॉजिट पर ब्याज, दफ्तर चलाने का खर्च जैसी चीजों पर आधारित होती है आमतौर पर बैंक एमसीएलआर से जुड़े लोन की ब्याज दर हर तीन छे या फिर 12 महीनों में करते हैं। यानी बदलते हैं इसलिए रेपो रेट में बदलाव के बाद काफी समय तक बैंक अपने लोन की ईएमआइ नहीं घटाते हैं बाइक द्वारा होम लोन समेत दूसरे कर्ज सेट करने का दूसरा तरीका है एल आर यानी की एक्सटर्नल बेंचमार्क लेंडिंग रेट

  • ये लोन की ब्याज दर है, जो सीधे रेपो रेट या किसी बाहरी बेंचमार्क से जुड़ी होती है। यानी की अगर आरबीआइ ने रेपो रेट में कटौती की तो बैंक भी इंटरेस्ट रेट घटाते हैं। साल 2019 के बाद नए फ्लोटिंग रेट लोन ईबीएलआर से जुड़े हैं। इसमें ये रेपो रेट कटौती का फायदा जल्दी मिलता है। इन दोनों तरीकों से पहले बेस रेट यानी की बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट के हिसाब से भी बैंक अपने लोन की दरें सेट करते थे। अब ये तरीका पुराना हो चुका है। साल 2016 से पहले के लोन से जुड़े हो सकते हैं। अब आते है कि आरबीआइ ने रेपो रेट घटाया तो आपके होम लोन की ईएमआइ क्यों नहीं घटी दरअसल, बैंक अपनी

  • एमसीएलआर सिर्फ रेपो रेट से ही नहीं बल्कि बैंक की फंडिंग कॉस्ट जैसे की एफडी पर ज्यादा ब्याज, ऑपरेटिंग कॉस्ट यानी की कामकाज से जुड़े दूसरे खर्च और दूसरे फैक्टर्स के हिसाब से रीसेट करता है मतलब यह है कि अगर बैंक की लागत ज्यादा है तो वो एमसीएलआर कम करने में देरी करते हैं

  • इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि आरबीआइ की तरफ से रेट कट के बाद भी कई बैंको ने एमसीएलआर में मामूली बदलाव ही किया या बिल्कुल नहीं किया है उदाहरण के लिए रेपो रेट 0.5% कम होने के बावजूद कुछ बैंको ने एमसीएलआर में सिर्फ 01% की कटौती की बैंको ने ब्याज दरें रीसेट करने में भी देरी की है यानी अगर आपका रीसेट पीरियड दूर है वो भी रेपो रेट कटौती का फायदा अभी नहीं मिलेगा

  • इसके अलावा कई बार बैंक अपने मुनाफ़े को बचाने के लिए रेपो रेट कटौती का पूरा फायदा ग्राहक को नहीं देते हैं वहीं कई बार बैंक नए ग्राहकों को सस्ते लोन देते हैं लेकिन पुराने एमसीएलआर लिंक्ड लोन वालों को कम फायदा देते हैं आरबीआइ के ताजा आंकड़ों से पता चला है कि मौजूदा होम लोन ग्राहकों की ईएमआइ कम घटी होगी आंकड़े बताते हैं कि सभी फ्लोटिंग रेट लोन का लगभग 36% एमसीएलआर पर आधारित है, जबकि 60% से ज्यादा रेपो रेट ईबीएलआर के हिसाब से सेट होते हैं

  • हालांकि सरकारी बैंक में एमसीएलआर से जुड़े लोन का हिस्सा 51% है जबकि निजी बैंको के लिए यह सिर्फ 13% है इसलिए रेपो रेट में भी कटौती के बाद भी। होम लोन की ईएमआइ उतनी नहीं घटी है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि बैंको ने रेपो रेट कटौती का सिर्फ 20-30 प्रतिशत फायदा ग्राहकों तक पहुंचाया

  • इकोनॉमिक टाइम्स का आलेख बताता है कि बैंक एमसीएलआर में काफी कम और धीमी रफ्तार से कटौती कर रहे हैं जिससे पुराने लोन धारकों को नुकसान हुआ। हालांकि जिनके लोन की ब्याज दर फिक्स्ड है। उनकी ईएमआई पर रेपो रेट का कोई प्रभाव नहीं पड़ता इसलिए अपने लोन की बारीकियां समझें एक्स्पर्ट कहते हैं कि ईबीएलआर पर स्विच करें और बैंक से सवाल पूछे इस तरह स्मार्ट कदम उठाकर आप रेपो रेट कटौती का फायदा उठा सकते हैं और ईएमआई का बोझ हल्का कर सकते हैं

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