अगर भारत पाकिस्तान का युद्ध हुआ तो मुस्लिम देश किसका साथ देंगे

कश्मीर पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है दोनों देशों की ओर से सीमा पर तनातनी देखने को मिल रही है भारत ने पाकिस्तान पर आतंकवाद को समर्थन देने का आरोप लगाते हुए कड़े कदम उठाए हैं तो वहीं पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए शिमला समझौते को रद्द करने की धमकी दी है
ऐसे में एक सवाल ये भी उठ रहा है कि इस स्थिति में मुस्लिम देशों का रुख किधर होगा। आतंकी हमले पर अमेरिका इजरायल हूँ समेत दुनियाभर के देशों ने प्रतिक्रिया दी है और भारत के साथ खड़े रहने की बात सही है इसके साथ ही कई मुस्लिम देशों पर भी नजर है कि वह तनाव में क्या रुख अपनाएंगे
भारत और पाकिस्तान में से किस देश की ओर उनका झुकाव होगा सऊदी अरब यूएई इंडोनेशिया और मिस्र जैसे देश भारत के आतंकवाद के खिलाफ़ रुख को ना केवल जायज मानते हैं। बल्कि इसे वैश्विक सुरक्षा के लिए जरूरी भी मानते हैं इन देशों का समर्थन केवल कूटनीतिक नहीं बल्कि राजनीतिक और आर्थिक हितों से भी जुड़ा है आइए जानते हैं
कि इन देशों का कौन सा हित भारत से जुड़ा है ईरान की बात करें तो भारत और ईरान के रिश्ते ना सिर्फ राजनीतिक बल्कि आर्थिक रूप से भी मजबूत है दोनों देशों के बीच जो हर साल करीब $5,00,00,00,000 का व्यापार होता है। ईरान भारत को बड़ी मात्रा में तेल भिन्न निर्यात करता है ईरान के चाबहार बंदरगाह को लेकर ईरान और भारत के बीच साझेदारी है जो दोनों देशों के बीच व्यापार ऊर्जा और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देती है भारत ने चौहार बंदरगाह के विकास के लिए सहायता प्रदान की है जिससे दोनों देशों के रिश्ते और ज्यादा मजबूत हो गए ऐसे में मानना गलत नहीं होगा कि हम भारत के साथ ही खड़ा रह सकता है अब किसके साथ होगा सऊदी अरब ये भी एक बड़ा सवाल है सऊदी अरब और भारत के बीच ऊर्जा सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है
भारत सऊदी अरब का प्रमुख कच्चा तेल आयातक वहीं सऊदी अरब भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर और रिन्यूएबल एनर्जी में निवेश कर रहा है क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के विजन 2030 में भारत एक हम साझेदार है यही कारण है कि सऊदी अरब भारत के खिलाफ़ किसी भी आतंकी गतिविधि को खुलकर नकारता है हाल ही में सऊदी अरब में पाकिस्तानी भिखारियों की बढ़ती संख्या पर वहाँ की सरकार ने ऐक्शन लिया था यानी भारत पाकिस्तान के मुददे पर सऊदी अरब भारत का साथ दे सकता है यूएई की स्टैंड की बात करें तो जब भी मुस्लिम मुल्कों की बात होती है तो यूं ही उनमें एक बड़ा स्थान रखता है।
यूएई और भारत के संबंध पिछले एक दशक में ऐतिहासिक उचाई पर पहुंचे हैं दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार $85,00,00,00,000 तक पहुँच गया है यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है और भारत यूएई का दूसरा सबसे बड़ा पार्टनर ऐसे में यूएई किसी भी दूसरे पक्ष के साथ खड़ा नहीं हो सकता जो भारत की सुरक्षा के खिलाफ़ और बांग्लादेश का क्या रुख होगा इस पर बात करें तो बीते कुछ समय में भारत के खिलाफ़ बागी तेवर दिखाने वाले बांग्लादेश ने पाकिस्तान से करीबी बढ़ाई है बांग्लादेश न्यूट्रल रह सकता है इसके कई कारण हैं इन दिनों वहाँ अंतरिम सरकार की सत्ता है इसके मुखिया मोहम्मद यूनुस से लगातार भारत के विरोध में बोल रहे हैं लेकिन बांग्लादेश इतना बड़ा नहीं है
कि वो इस मामले में भारत का विरोध कर सके। या पाकिस्तान का सपोर्ट कर सके ऐसा नहीं माना जा रहा है कि बांग्लादेश हालिया मसले पर न्यूट्रल रह सकता है क्योंकि उसे अपने व्यापारिक किस को भी देखना है इसके अलावा कतर भी न्यूट्रल स्टैंड ले सकता है क्योंकि सऊदी यूएई के साथ कतर में भी बड़ी संख्या में भारतीय कामगार रहते हैं दोनों देशों के बीच आर्थिक रिश्ते मजबूत है वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान के साथ कतर के रिश्ते सहयोगात्मक रहे हैं। वो कतार भी न्यूट्रल रह सकता है अब अफगानिस्तान का स्टैंड किसके पक्ष में होगा ये भी एक बड़ा सवाल है पाकिस्तान के साथ अफगानिस्तान के रिश्ते बेहद जटिल रहे पाकिस्तान से उनके संबंध ठीक नहीं है वहीं भारत ने अफगानिस्तान में विकास परियोजनाओं में निवेश किया है जिससे दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ा है
वहीं अफगानिस्तान की हर मुश्किल घड़ी में भारत उसके साथ खड़ा रहा है। इसके अलावा इंडोनेशिया तुर्की समेत कई मुल्कों के न्यूट्रल रखने की उम्मीद है अब तक किसी भी देश ने पाकिस्तान को खुला समर्थन नहीं दिया है ये पाकिस्तान की कूटनीतिक स्थिती को कमजोर करता है इस बार भारत में आतंकवाद के खिलाफ़ वैश्विक समर्थन जुटाने में सफलता पाई है यानी भारत के आगे पाकिस्तान अब दुनिया में अलग थलग पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है आपके इस पर क्या राय हैं कंमेंट बॉक्स में जरूर बताएं
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