योगी ने कुंभ की मौतों पर देश के हिन्दुओ से झूठ बोला

योगी ने कुंभ की मौतों पर देश के हिन्दुओ से झूठ बोला
योगी ने कुंभ की मौतों पर देश के हिन्दुओ से झूठ बोला
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सबसे पहले बीबीसी की हेडलाइन देखिए कुंभ भगदड़, सरकार ने कहा 37 लोगों की मौत बीबीसी पड़ताल में कम से कम 82 मौतों की पुष्टि जी, आप पुष्टि मतलब बीबीसी बोल रहा है कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने देश के हिंदुओं से झूठ बोला है कि कुंभ में केवल 37 लोग मरे थे
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नरेंद्र मोदी के डबल इंजन की सरकार ने देश के हिंदुओं से झूठ बोला है ठगा है अपने निकम्मेपन को छिपाने के लिए देश की यात्रा माँ को अपने खड़ा हूँ और जूते से रौंदा है झूट तो पूरे देश से बोला है, ठगा तो पूरी इंसानियत को है रौंदा तो लोकतंत्र की आत्मा को है लेकिन जो कि ये लोग खुद को हिंदू हृदय सम्राट बताते फिरते है को लगा हिंदुओं को तो फर्क पड़ेगा
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ये देख लो तुम्हारी लाशों पर गला फाड़ने वालों का सच क्या है देख लो यह तो औरंगजेब से भी गए गुजरे हैं कम से कम इतिहास के किताबों में ये लिखा मिलता है कि उसके राज़ में इतने कत्लेआम हुए लेकिन होग मोदी ने तो पूरी ढिठाई से हिंदुओं के कत्लेआम के इतिहास को ही मिटाने की साजिश रच डाली इससे भी बुरी बात यह है कि अपने आप को एक मटका महंत बताने वाले एक योगी ने देश के हिंदुओं से झूठ बोला है ठगा है उनके भरोसे और विश्वास को
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लेकिन मोदी योगी का भारत के हिंदुओं से बल्कि दुनियाभर के हिंदुओं से बोला गया झूठ पकड़ा गया है दोनों मठाधीश तो झूठ बोल कर सो गए की मीडिया, पालतू मीडिया मालिक, पालतू एक से एक स्वनामधन्य एंकर, पालतू उनके संपादक पालतू इतने पालतुओं को काम पर लगा देने के बाद वहाँ ही पकड़ा जाएगा उनका झूठ और फरेब लेकिन बीबीसी ने महीनों की मेहनत के बाद हिंदुओं से मोदी, योगी का फरेब और झूठ की पोल खोल डाली और बता दिया है की ये जुल्म के मामले में औरंगजेब से भी गए गुजरे हैं
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अब आइए बीबीसी की रिपोर्ट पर शुरुआत के चार लाइनों ने ही मोदी योगी के चेहरे से हिंदू हृदय सम्राट होने का नकाब नोंचकर फेंक डाला है और कीजिये 29 जनवरी यानी मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज के कुंभ मेले में जानलेवा भगदड़ की चार घटनाएं हुई उत्तर प्रदेश सरकार के मुताबिक भगदड़ में 37 लोगों की मौत हुई और मृतकों के परिजनों को ₹25,00,000 का मुआवजा दिया गया बीबीसी की गहन पड़ताल में पता चला भगदड़ की घटनाओं में कम से कम 82 लोगों की मौत हुई
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बीबीसी ने ऐसे 26 परिवार को ढूंढ निकाला जिन्हें पांच ₹5,00,000 कैश के बंडल दी लगाए उनकी जुबान बंद करने के लिए लेकिन मृतकों की गिनती में उनको शामिल नहीं किया गया इसका मतलब ये हुआ की पांच ₹5,00,000 का चिरकुट लिफाफा थमाकर योगी आदित्यनाथ की सरकार ने कुंभ में मारे गए लोगों के लाशों का सौदा किया है
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ये काम किसका था योगी आदित्यनाथ का की वो बताते कितने लोग मारे गए वो कौन लोग थे नरेंद्र मोदी का काम था कि वो देश की जनता को बताते कुंभ में कितने लोगों को रौंदा गया है ये बहुत बुनियादी जिम्मेदारी थी लेकिन योगी मोदी दोनों ने जिम्मेदारी दिखाने की बजाए हिंदुओं से गद्दारी का रास्ता चुना ये तक नहीं बताया की कितने लोग सचमुच में मारे गए और जिन लोगों ने भी ये सवाल पूछने की हिम्मत दिखाई उन्हें अलग अलग तरीके से अलग अलग मौकों पर निशाना बनाया गया वो तो अब पता चला है कि 8000 करोड़ रुपये जनता का उड़ाकर जिसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध, पारसी, नास्तिक सारे लोगों का पैसा शामिल है, हिंदुओं के हिस्से में क्या आया है
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कम से कम 82 लाश लेकिन होगी मोदी के डबल इंजन की सरकार ने झूठ बोला की केवल 37 लोग मारे गए हैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तो विधानसभा में झूठ बोला 19 फरवरी को बड़ी विधानसभा को उन्होंने बताया कि 29 जनवरी की रात संगम नोज के पास 1:10 से लेकर 1:30 के बीच दुर्भाग्यपूर्ण घटना में 30 श्रद्धालुओं की मौत हुई है 30 में से 29 की पहचान हुई है एक की पहचान नहीं हो पायी उनका डीएनए सुरक्षित रख के प्रशासन ने खुद ही अंतिम संस्कार कर दिया 29 की रात्रि में दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटित होती है और 1:10 से लेके 1:30 बजे के बीच में घटना घटित होती है जिसमें 66 श्रद्धालु उसकी चपेट में आये थे जिन्हें तत्काल हॉस्पिटल पहुंचाया गया, जिसमें से 30 श्रद्धालुओं की मौत हुई उनकी रजामंदी की और ये जो भी कार्य हुआ है मजिस्ट्रेट के सामने पुलिस के सामने प्रशासन के सामने परिवारजनों के सामने उनकी बॉडी को वे लोग लेकर गए तो घायल अन्य स्थानों पर भी हुई
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उन्होंने उन्हें भी हॉस्पिटल पहुंचाया गया। उनमें भी सात लोगों की मौतें हुई। विधानसभा में दिए गए इसी बयान में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने आगे कहा कि लगभग 30 35 लोग दूसरे स्थानों पर भी घायल हुए उन्हें भी अस्पताल पहुंचाया गया, उनमें भी सात लोगों की जान चली गई। मतलब कुल मिलाकर मरने वाले लोगों की संख्या पहुंची 37 बीबीसी की रिपोर्ट कह रही
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है की योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में झूठ बोला था ये आंकड़ा कम से कम 82 है और अगर सचमुच में उनकी नीयत में खोट नहीं था सही आंकड़ा छिपाने की धूर्तता नहीं थी तो योगी मोदी ने कभी भी मरने वालों की पूरी सूची क्यों नहीं जारी की हम फिर कहेंगे वो सारे के सारे लोग हिंदू थे और हिंदू श्रद्धालुओं के साथ मोदी योगी की धूर्तता की इंतिहा ये है ये जो काम सरकार को करना चाहिए था
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ये बताना कि कौन लोग मरे हैं, कौन लोग घायल हुए हैं, किसे कितना मुआवजा दिया गया है ये काम बीबीसी ने किया 8000 करोड़ जनता का लुटाकर 82 हिंदुओं की लाशों पर मोदी योगी गला फाड़ते रहेगी क्या शानदार आयोजन था ज़रा सोचिये की जीस आयोजन में भारत के प्रधानमंत्री शामिल हुए, राष्ट्रपति शामिल हुए, उपराष्ट्रपति शामिल हुए, लोकसभा के अध्यक्ष शामिल हुए कई राज्यों के मुख्यमंत्री राज्यपाल शामिल हुए उस आयोजन में कितने लोग मारे गए
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ये आंकड़ा दुनिया के हिंदुओं से छिपा लिया गया हर सू यानी देश और दुनिया की हर सेलिब्रिटी वहाँ प्रयागराज आ रही है उच्चतम न्यायालय के माननीय न्यायाधीश हो या हाइकोर्ट तमाम उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीशों की संख्या। समाज का हर तबका। प्रयागराज के लिए उमड़ रहा। हर व्यक्ति आ रहा है और क्या प्रचार करना बुरा था क्या खैर, इसकी पड़ताल करने के लिए
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बीबीसी के रिपोर्टर 11 राज्यों का दौरा करते हैं साक्षात योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश से लेकर हिमंता बिश्व शर्मा की असम, नीतीश कुमार के बिहार, जगदीप धनखड़ के पश्चिम बंगाल, अर्जुन मुंडा के झारखंड येदियुरप्पा के कर्नाटक, शिवराज चौहान के मध्य प्रदेश राजस्थान, यहाँ तक कि खुद नरेंद्र मोदी के गुजरात से लेकर पुष्कर धामी के उत्तराखंड और मनोहर लाल खट्टर के हरियाणा तक इन 111 राज्यों के 50 से अधिक जिलों में की गई इस पड़ताल में बीबीसी ने 100 से अधिक ऐसे परिवारों से मुलाकात की जिनका दावा था कि उनके अपनों की मौत कुंभ में भगदड़ में हुई बीबीसी के इस लाइन पर गौर कीजिए जो डंके की चोट पर उसने कही है
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उसने लिखा है, बीबीसी के पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि कम से कम 82 लोग कुंभ भगदड़ में मारे गए जो परिवार अपनी बात साबित करने के लिए पुख्ता सबूत नहीं दे सके उन्हें बीबीसी ने 82 मृतकों की सूची में शामिल नहीं किया है अब ज़रा मोदी, योगी का झूठ और हिंदुओं के कत्लेआम को लेकर नीयत में खोट और सौदेबाजी के इतिहास देखिये
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महाकुंभ के अधिकारिक ट्विटर हैंडल ने 26 मार्च को यानी कुंभ में मची भगदड़ के लगभग दो महीने बाद लिखा की मौनी अमावस्या पर संगम तट पर हुई घटना के दौरान 30 लोगों और अन्य स्थानों पर सात लोगों जिनके शरीर पर जाहिरा चोटें पाई गई थी, की दुखद मृत्यु हुई थी माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की घोषणा के अनुरूप 37 में से 35 मृतकों के आश्रितों के बैंक खातों में 25 25,00,000 की मुआवजा राशि हस्तांतरित की जा चुकी है
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एक मृतक की पहचान नहीं होने और एक मृतक के लावारिस होने का कारण मुआवजा राशि नहीं दी जा मतलब घटना के दो महीने बाद तक योगी मोदी का आंकड़ा वही था जो 19 फरवरी को विधानसभा में बयान देने के दिन था योगी सरकार ने 36 परिवारों को तो डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर यानी डीबीटी जरिये 25 ₹25,00,000 का मुआवजा दिया बीबीसी ने दावा किया है उसे ऐसे 26 और परिवार मिले जिन्होंने बताया की यूपी सरकार की तरफ से उन्हें पांच ₹5,00,000 कैश मिला है
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नकद बंडल अब अगली लाइन बहुत गौर से सुनिएगा बीबीसी ने लिखा है, इन परिवारों से ऐसे कई वीडियो और फोटो मिले हैं, जिनमें पुलिस टीमें ₹500 के नोटों का बंडल देती हुई दिखाई दे रही है कई परिवारों ने बीबीसी को बताया कि उनकी मर्जी के खिलाफ़ उनसे ऐसे कागजों पर हस्ताक्षर करवाए गए जिनमें अचानक तबियत बिगड़ जाने के बाद मौत होने की बात पहले से लिखी हुई थी जागो हिंदू जागो बीबीसी को अपनी पड़ताल में कहीं भी इस बात के कोई संकेत नहीं मिले
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कि पांच 5,00,000 के नोटों के बंडल सरकारी खजाने से विधिक यानी कानूनी तरीके से दिए गए थे पड़ताल में कुछ पता नहीं लग सका 26 परिवारों को दिए गए कुल ₹1,30,00,000 कहाँ से आए लेकिन इन सभी 26 मामलों में उत्तर प्रदेश पुलिस का शामिल होने की बात परिजनों ने कही है ज्यादातर मामलों में फोटो और वीडियो परिजनों के पास हैं
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बीबीसी को 19 और परिवार मिले जो 25,00,000 का मुआवजा पाने वाले 36 परिवारों से अलग है इन परिवारों को रहस्यमय तरीके से बांटे गए पांच ₹5,00,000 भी नहीं मिले हैं इन 19 परिवारों का भी कहना है कि इनकी अपनों की मौत 29 जनवरी को कुंभ में अलग अलग जगहों पर हुई भगदड़ में हुई अपनी बात को साबित करने के लिए कई लोग पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट, कुछ लोग
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अस्पताल के मुर्दाघर की पर्ची और कुछ लोग मृत्यु प्रमाण पत्र जैसे सबूत दिखाते है इन 19 में से कई परिवार ऐसे हैं जो 29 जनवरी को मेला क्षेत्र में ली गई वो फोटो और वीडियो भी दिखाते हैं, जिसमें उनके परिजनों की लाश दिखाई दे रही कुछ कहानियाँ तो इतनी हृदय विदारक है कि पूछिए मत 47 साल के कण 27 जनवरी को परिवार के साथ कुंभ के लिए निकले थे बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, ज़रा समझिए कि कैसे कुंभ में कुचलकर मारे गए लाशों को योगी सरकार ने पूरी बेरहमी और बेशर्मी से ठिकाने लगवा दिया
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नन्द के साथ उनकी पत्नी रामादेवी, बड़े भाई मश्रूं, भतीजा जोखू और परिवार के अन्य लोग भी थे 28 जनवरी यानी मौनी अमावस्या के पहले वाली रात करीब 10:00 बजे सारे लोग संगम तट की ओर चले वहाँ पहुंचने में ही 2 घंटे लग गए तभी वहाँ माइक से ऐलान होने लगा की अमृत बरस रहा है
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सभी लोग स्नान कर लें बस फिर क्या था लोग पागल हो गए नंदन की पत्नी ने बीबीसी को बताया कि कुछ देर के बाद वहीं पर जहाँ वो खड़े थे, करीब 3000 पड़े हुए थे कुछ औरतों के शरीर पर कपड़े तक नहीं थे देखते ही देखते एक तस्वीर वायरल होने लगी जिसमें लाशों के बीच पड़े एक आदमी का हाथ एक बच्चे ने पकड़ रखा है
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वो तस्वीर की थी मृत पड़े नंदन का हाथ उनके भांजे जोखू ने पकड़ा हुआ था परिवार का कहना है कि शव को घर लाने के लिए सुनियेगा अस्पताल से एक ऐम्बुलेंस की व्यवस्था करवाई गई साथ ही अंतिम संस्कार करने के लिए वहाँ मौजूद पुलिस अधिकारियों ने ₹15,000 नकद का एक लिफाफा भी दिया ये कोई मदद नहीं थी
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रिश्वत की घूस थी क्योंकि इससे सरकारी खाते में कहीं नहीं दिखाया गया अन्य मृतकों के परिजनों ने बीबीसी को बताया कि इसी तरह अंतिम संस्कार के लिए उन्हें भी 15 ₹15,000 कैश दिए गए थे कुल मिलाकर बीबीसी ने मोदी योगी के हिंदू प्रेम के चिथड़े उड़ाकर रख दिए सरकार ने भले कुंभ की भगदड़ में मारे गए हिंदू श्रद्धालुओं की पूरी लिस्ट कभी नहीं दी, लेकिन बीबीसी ने योगी मोदी के मुँह पर पूरा पोस्टर छाप दिया है उन नामों का
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देख लीजिए और साथ में उन 26 लोगों की लिस्ट और तस्वीर भी जिन्हें पांच ₹5,00,000 का लिफाफा थमाकर कुंभ नहाने गए हिंदू श्रद्धालुओं की लाशों का सौदा किया गया इन सभी परिवारों का कहना है कि यूपी पुलिस ने घर आकर कुछ कागजों पर जबरन अंगूठे लगवाए और हस्ताक्षर करवाए इन पर मृतक की मौत भगदड़ में ना होकर अचानक तबियत बिगड़ने की वजह से होने की बात लिखी गई थी
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कुल मिलाकर जिंस महाकुंभ के नाम पर मोदी योगी से लेकर धनखड़ और ओम बिरला तक इतराते फिरे वो अपने आप में एक महाघोटाला था हिंदुओं की लाशों का घोटाला और ये तो केवल उन्हें 11 राज्यों के लोगों के लिस्ट है जहाँ तक बीबीसी के रिपोर्टर बहुत सके, ज़रा सोचकर देखिए की यह संख्या और इसका दायरा कितना बड़ा हो सकता है और हो सकता है क्या होगा क्रूरता के मामले में डबल इंजिन की सरकार ने औरंगजेब को भी पीछे छोड़ दिया है
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औरंगजेब कम से कम लाशों का सौदागर नहीं था लेकिन ये तो लाशों का सौदागर निकले जो कुम्भ में नहाने गए श्रद्धालुओं की लाशों का सौदा करने से बाज नहीं आए उनकी नजरों में देश की साधारण जनता का और साधारण हिंदुओं का मतलब क्या होगा इसका अंदाजा ही लगाया जा सकता है आखिर में देश के टीवी चैनल हो, अखबारों और मीडिया घरानों के संपादक चुल्लू भर पानी में डूब मरें
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और डूब मरे वो बेशर्म अहंकार और रंग का रानियाँ जिन्होंने कहा था कि कोई भगदड़ नहीं मच हिंदुओं की लाशों पर हुए गिद्ध भोज में चोंच मारने वालों में वो चैनल उनके ऐंकर उनके संपादक और उनके मालिक तक शामिल थे वो चैनल वो संपादक वो एंकर आज भी नहीं बता रहे हैं कि सचमुच में कुंभ में उस रोज़ क्या हुआ था
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