राहुल गाँधी और चुनाव आयोग में आर पार की जंग जारी

राहुल गाँधी और चुनाव आयोग में आर पार की जंग जारी
राहुल गाँधी और चुनाव आयोग में आर पार की जंग जारी
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राहुल गाँधी ने चुनावी धांधली के मुददे पर चुनाव आयोग के खिलाफ़ आरपार की जंग छेड़ दी है और चुनाव आयोग को अपनी मिट्टी में मिली हुई साख को बचाने के लिए छुट्टी के दिन काम करना पड़ रहा है
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अब हालत ये है की राहुल गाँधी और चुनाव आयोग के बीच जवाबी जंग शुरू हो चुकी है देखना होगा कि ये जंग जनतंत्र के हक में कहाँ तक पहुँचती पहुँचती भी है या नहीं कही दरअसल राहुल गाँधी ने लिखकर आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने भाजपा को महाराष्ट्र में जिताने के लिए नैतिकता के सारे पैमाने ध्वस्त कर डाले तो क्या इस हिसाब से आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा को लाभ पहुंचाया जा सकता है
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जो भी हो लेकिन लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी ने अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस समेत कई अखबारों में लेख लिखकर चुनाव आयोग पर इतना गंभीर इलज़ाम लगाया है जितना आज तक नहीं लगाया तो क्या मान लिया जाना चाहिए कि चुनाव आयोग की नीयत में खोट या वो निष्पक्ष चुनाव करा ही नहीं सकता या कराना नहीं चाहता या फिर वो भारतीय जनता पार्टी की एक वेल औल्ड मशीनरी में तब्दील हो चुका है
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ये सारे आरोप विपक्ष और विपक्ष के नेता अलग अलग तरह से लगाते रहे लेकिन राहुल गाँधी ने अब इसे लेकर बेहद तीखा हमला बोला है वो भी लिख कर इस लेख की सबसे बड़ी चर्चा अगर कहीं है तो बिहार में खासकर आरजेडी नेतृत्व वाले महागठबंधन की तो सांस ही अटक गई है क्योंकि अगले छे महीने के भीतर वहाँ विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं
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राहुल गाँधी ने अपने लेख में लिखा है कि भाजपा और उसके सहयोगियों ने चुनाव जीतने के लिए फाइव स्टेप प्लानिंग की थी महाराष्ट्र की तरह ही मैच फिक्सिंग अगली बार या बिहार में हो सकती है फिर किसी और राज्य में जहाँ भाजपा हारती दिख रही तो क्या राहुल गाँधी का इशारा पश्चिम बंगाल की तरफ ये आरोप इतना बड़ा है कि चुनाव आयोग तिलमिला उठा बकरीद पर राष्ट्रीय अवकाश और वैसे भी शनिवार की छुट्टी का दिन होने के बावजूद चुनाव आयोग ने बैठक बुलाई और इसका जवाब दिया
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वो जवाब क्या था ये तो बताएंगे ही और ये भी बताएंगे कि राहुल ने उस पर क्या जवाब दिया और ये भी की कैसे चुनाव आयोग के लिए जवाब देना भी मुसीबत बन गया उस पर एक नया बखेड़ा खड़ा हो लेकिन पहले ज़रा राहुल गाँधी के उन आरोपों की बात जिससे चुनाव आयोग को छुट्टी के दिन ऑफिस खोलने पर मजबूर कर दिया राहुल ने लिखा है, ये समझना मुश्किल नहीं है कि महाराष्ट्र में भाजपा इतनी बौखलाहट में क्यों थी
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लेकिन हेराफेरी करना मैच फिक्सिंग जैसा है जो टीम धोखा देती है वो भले ही जीत जाए लेकिन इसमें संस्थाएँ कमजोर होती है, जनता का चुनाव पर भरोसा खत्म हो जाता है हर जिम्मेदार भारतीय को इन सबूतों को देखना चाहिए और सवाल पूछने चाहिए। चुनाव में मैच फिक्सिंग किसी भी लोकतंत्र के लिए जहर है तो क्या ये जहर चुनाव आयोग उगल रहा है राहुल गाँधी कहते है, हाँ, लेकिन सचमुच में क्या राहुल गाँधी को लगता है कि महाराष्ट्र में भाजपा के लिए चुनाव आयोग ने लोकतंत्र को दांव पर लगा दिया
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जनता के विश्वास को दांव पर लगा दिया वोट देने का अधिकार और उसकी विश्वसनीयता को दांव पर लगा दिया। इन तमाम सवालों के जवाब में राहुल गाँधी ने लिखा है, मैं किसी छोटे मोटे चुनावी गड़बड़ी की बात नहीं कर रहा बल्कि ऐसी धांधलेबाजी की बात कर रहा हूँ जो बड़े स्तर पर की गई और जिसमें देश की अहम संस्थाओं को कब्जे में लेने की कोशिश की गई
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इसके साथ ही राहुल गाँधी ने चुनाव आयोग पर शक के आधार को एक चाट के जरिए पेश किया है आप भी देखिये। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में 2009 विधानसभा चुनाव में मतदान खत्म होने के तुरंत बाद वोटर प्रतिशत का जो प्रोविजनल टर्न आउट आता है वो 7% था। इतना बताया और फाइनल टर्नआउट 59.5% यानी आधा प्रतिशत का अंतर इसी तरह 2014 के चुनाव में प्रोविजनल टर्नआउट था 62% और फाइनल 63.08% मतलब 1% का अंतर 2019 में भी अंतर लगभग आधे प्रतिशत का था, लेकिन 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग ने प्रोविजनल टर्नआउट दिखाया 58.2% और फाइनल टर्नआउट 66% मतलब पूरे 7.83 यानी लगभग 8% का अंतर
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राहुल इसी फैसले को फिक्सिन्ग और वोटों की चोरी बता रहे हैं किसी और विस्तार से बताते हुए राहुल ने लिखा है कि इस चोरी के लिए बड़े पैमाने पर फर्जी मतदाता जोड़े गए उन्होंने लिखा है कि महाराष्ट्र में करीब 1,00,000 बूथ हैं पर अधिकतर नए मतदाता सिर्फ 12,000 बूथों पर जोड़े गए यह बूथ उन 85 विधानसभाओं के थे जहाँ लोकसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन खराब था हर में शाम 5:00 बजे के बाद औसतन 600 लोगों ने वोट डाला अगर हर वोटर को वोट देने में 1 मिनट का भी समय लगा तो भी मतदान की प्रक्रिया लगभग 10 घंटे तक
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और जारी रहनी चाहिए थी, पर ऐसा कहीं नहीं हुआ सवाल है की अतिरिक्त 600 वोट आखिर डाले कैसे गए ये बात गौर करने वाली इन 85 में से ज्यादातर सीटों पर एनडीए के उम्मीदवार जीते चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा करते हुए राहुल गाँधी ने लिखा है कि उसने मतदाताओं की इस बढ़ोतरी को युवाओं की भागीदारी का स्वागत योग्य ट्रेंड बताया
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लेकिन यह ट्रेंड सिर्फ उन्हीं 12,000 बूथों सुमित्रा बाकी का 88,000 बूथों पर नहीं अगर यह मामला गंभीर नहीं होता तो इससे अच्छा चुटकुला कह कर इस पर हंसा जा सकता था लेकिन चुनाव आयोग की नीयत पर हमला करते हुए उसके धज्जी उड़ाने में राहुल यहीं नहीं रुकते उन्होंने लिखा है, कामठी विधानसभा चुनाव तो अपने आप में चुनावी धांधली की एक जबरदस्त केस स्टडी 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को यहाँ 1,36,000 वोट मिले थे जबकि भाजपा को 1,19,000 लेकिन केवल छह महीने के अंतर पर हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को तो उतने ही यानी 1,34,000 वोट मिले लेकिन भाजपा के वोट 1,19,000 से बढ़कर 1,75,000 हो गए
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यानी 56,000 वोटों की बढ़ोतरी भाजपा को ये बढ़ा तो उन 35,000 नए वोटरों के कारण मिली जिन्हें दोनों चुनावों के बीच कामठी में जोड़ा गया राहुल ने चुनाव आयोग के खिल्ली उड़ाते हुए लिखा है, लगता है जिन लोगों ने लोकसभा चुनाव में वोट नहीं डाला और जो नए मतदाता जुड़े उनमें से सब चुंबकीय ढंग से भाजपा की तरफ खिंचते चले गए उन्होंने आगे लिखा है ये अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि वोट आकर्षित करने वाला चुंबक कमल जैसा था
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ऐसे ही तरीकों से भाजपा ने 2024 के विधानसभा चुनाव में जिन्हें 149 सीटों पर चुनाव लड़ा, उनमें से 132 सीटें जीतीं आपको यह लग सकता है राहुल गाँधी का हमला भाजपा पर है लेकिन असल में राहुल गाँधी ने चुनाव आयोग की मिट्टी पलीद की उसकी ईमानदारी और धोक दोनों के परखच्चे उड़ा दिए राहुल गाँधी ने सीधे सीधे आरोप लगाया है कि मौजूदा चुनाव आयोग हरगीज विश्वसनीय नहीं है
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और बिहार विधानसभा चुनाव में उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता उन्होंने आयोग पर चुनावी धांधली पर पर्दा डालने का भी आरोप लगाया राहुल ने लिखा, चुनाव आयोग ने विपक्ष के हर सवाल का जवाब या तो चुप्पी से दिया या फिर आक्रामक रवैया अपनाकर उन्होंने 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव की फोटो सहित मतदाता सूची सार्वजनिक करने की मांग सीधे खारिज कर दी
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इससे भी गंभीर बात यह रही कि विधानसभा चुनाव के एक महीने के बाद जब एक हाई कोर्ट ने आयोग को मतदान केंद्रों की वीडियोग्राफी और सीसीटीवी फुटेज साझा करने का निर्देश दिया तो केंद्र सरकार ने चुनाव आयोग से सलाह के बाद निर्वाचन संचालन नियम ही बदल डालें राहुल ने लिखा है कि हाल ही में एक जैसे यानी डुप्लिकेट एपिक नंबर सामने आने के बाद फर्जी मतदाताओं को लेकर चिंताएं और गहरी हो गई है, लेकिन असली तस्वीर इससे भी ज्यादा गंभीर राहुल इसे लेकर संसद में भी बोलते रहे। वोटर लिस्ट क्या सरकार बनाती है
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मैंने नहीं बोला और आपने सही बोला की सरकार नहीं बनाती, मगर पूरे देश में वोटर लिस्ट पर सवाल उठ रहे हर स्टेट में, हर ऑपोजिशन के स्टेट में और महाराष्ट्र में ब्लैक एंड व्हाइट वोटर लिस्ट पर सवाल उठे हैं तो पूरा ओपोजिशन मिलकर आप बुरा आपज़िशन मिलकर सिर्फ ये बोलने दीजिये पूरा आपज़िशन सिर्फ मिलकर ये कहना है की वोटर लिस्ट में यहाँ पे एक डिस्कशन हो जाये
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इस पर राहुल ने और भी हमलावर रुख अख्तियार कर लिया है उन्होंने लेख में लिखा, ये चुनाव आयोग सरकार की कठपुतली से ज्यादा कुछ नहीं है सरकार ने चुनाव आयुक्त को नियुक्त करने वाली कमिटी में प्रधानमंत्री के साथ चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की जगह एक केन्द्रीय मंत्री को बैठा दिया इससे निष्पक्षता खत्म हो गई और पूरा कंट्रोल सरकार के हाथ में चला गया
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सोचिए कोई भी किसी निष्पक्ष व्यक्ति को हटाकर अपने आदमी को क्यों लेना चाहेगा इसका जवाब अपने आप मिल जाता है कुल मिलाकर चुनाव आयोग की पूरी विश्वसनीयता की राहुल गाँधी ने बखिया उधेड़ डाली है चुनाव आयोग को इसकी उम्मीद नहीं रही होगी इसलिए उसने अखबार हाथ में आते ही सवेरे सवेरे अपना जवाब तैयार करना शुरू कर दिया और जवाब के नाम पर का एक चिट्ठा जारी किया की ये कानूनी नहीं लाखों चुनावकर्मियों का अपमान है
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आयोग का काम जो है वो मान अपमान का फैसला कर चुनाव आयोग ने कहा कि चुनाव के फैसले पक्ष में नहीं आने के बाद ऐसे आरोप लगाना बेतुका हैं। 24 दिसंबर 2024 को ही कांग्रेस को भेजे अपने जवाब में ये सभी तथ्य सामने रखे थे जो चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है। ऐसा लगता है कि बार बार ऐसे मुद्दा उठाते हुए इन सभी तथ्यों को पूरी तरह नज़रअन्दाज़ किया जा रहा है। कांग्रेस ने सवाल उठाया कि
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चुनाव आयोग के इस जवाब पर किसी के हस्ताक्षर क्यों नहीं है आखिर इतनी घबराहट क्यों है लगता है कि राहुल गाँधी आरपार के मूड में उन्होंने फौरन खुद आगे बढ़कर चुनाव आयोग के हस्ताक्षर विहीन चिट्ठे का न केवल जवाब दिया बल्कि उसकी खिंचाई करते हुए कहा की बात मत बनाइये, जवाब दीजिये आखिर ये चुनाव की विश्वसनीयता का सवाल है
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राहुल ने लिखा, प्रिय चुनाव आयोग आप एक संवैधानिक संस्था है। मध्यस्थों को बिना हस्ताक्षर के टालमटोल करने वाले नोट जारी करना गंभीर सवालों का जवाब देने का तरीका नहीं है। अगर आपके पास छुपाने के लिए कुछ नहीं है तो मेरे लेख में दिए गए सवालों के जवाब दें और इसे साबित करें
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एक महाराष्ट्र सहित सभी राज्यों के लोकसभा और विधानसभा के सबसे हालिया चुनावों के लिए समेकित डिजिटल मशीन पठनीय मतदाता सूची प्रकाशित करें। और दो महाराष्ट्र के मतदान केंद्रों से शाम 5:00 बजे के बाद की सभी सीसीटीवी फुटेज जारी कर। टालमटोल करने से आपकी विश्वसनीयता सुरक्षित नहीं रहेंगी सच बोलने से आपकी विश्वसनीयता सुरक्षित रहे गी मतलब राहुल गाँधी को लगता है कि चुनाव आयोग झूठ बोल रहा है
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अब देखना है कि लोकतंत्र में वोट के अधिकार को कलंकित करने को लेकर इतने तीखे हमले के बाद चुनाव आयोग कैसे अपना बचाव करता है
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