प्रशांत किशोर मोदी और नीतीश कुमार को निपटाने में जुटे

प्रशांत किशोर मोदी और नीतीश कुमार को निपटाने में जुटे
प्रशांत किशोर मोदी और नीतीश कुमार को निपटाने में जुटे
-
अगर पहलगाम नरसंहार के बाद पैदा हुई परिस्थितियों से जो खबरें निकल रही है उससे फुर्सत मिल गई हो तो ज़रा देश के कुछ और हालात पर नजर डालें और इस समय बिहार में सरगर्मी सबसे ज्यादा बढ़ी हुई है, क्योंकि यह समझ में नहीं आ रहा है कि प्रशांत किशोर ने किस की सुपारी ली है,
-
भाजपा की सुपारी ली है, नीतीश कुमार की सुपारी ली है या फिर कांग्रेस अलायन्स गठबंधन जीस को महागठबंधन कहते है उसको खत्म करना चाहते हैं प्रशांत किशोर और क्या उनके भीतर इतनी ताकत है भी कि वह किसी भी गठबंधन को सबक सीखा सके या अपना कोई नया राजनीतिक धरातल तैयार कर सकें
-
देखिये प्रशांत किशोर ने लंबे समय के बाद लगभग छह महीने के बाद 17 मई को अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष जनस्वराज के राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा की आरसीपी सिंह जो पूर्व अध्यक्ष हैं, जेडीयू के और नीतीश कुमार के खासमखास कहे जाते थे उनके राजदार कहे जाते थे उनको शामिल किया उनकी पार्टी आप सबकी आवाज का विलय करा लिया जन सुराज्य हालांकि उस पार्टी का कोई अपना महत्त्व था नहीं, कोई वजूद था नहीं, लेकिन चलिए ठीक है
-
आरसीपी सिंह अंतिम समय में जीवन के अंतिम समय में अगर कोई राजनीति करना चाहते हैं तो प्रशांत किशोर ने उनको जगह दी है, लेकिन एक नाम जो चौंकाता है वह है उदय सिंह का नाम कहाँ पर उसके बाद ये किसका प्रशांत जी का बस है एक हमारा पूर्व उदय सिंह सांसद का बस है ये अच्छा वो दोस्ती के नाते इसको दिया गया था
-
इस्तेमाल करने के लिए ठीक है उदयसिंह को जन सुराज का पहला पूर्णकालिक और राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया आपको पता ही होगा कि जब गठन हुआ था जन स्वराज का तो काफी समय तो उसका कोई कार्यकारी अध्यक्ष राष्ट्रीय अध्यक्ष जैसा कोई आया व्यक्ति ही नहीं था लेकिन कामचलाऊ अध्यक्ष एक बनाया गया था और मनोज भारती को पूर्व आईएएस
-
तो ये माना गया था कि दलित वोट बैंक पर नजर है प्रशांत किशोर को और इस वजह से मनोज भारती को चेहरा बनाने की कोशिश हो रही है, लेकिन यह भी लगभग समझ में आ गया था कि मनोज भारती पर वो भरोसा नहीं कर पा रहे है तो बहुत जल्दी एक पूर्णकालिक अध्यक्ष की खोज शुरू हुई और वह उदयसिंह पर खत्म हुई
-
देखिए कि उदय सिंह को आगे करके डाइनैस्टी पॉलिटिक्स पर हमला बोल रहे हैं प्रशांत किशोर वो कह रहे हैं कि राजा का बेटा अब राजा नहीं बनेगा और सबको भागीदारी मिलेगी और वो दलित मुस्लिम पिछड़ा अलायन्स की बात कर रहे हैं लेकिन असल में देखिए प्रशांत किशोर हैं प्रशांत किशोर पांडे उनका पूरा नाम है वो ब्राह्मण समुदाय से आते हैं और उन्होंने अपना पहला राष्ट्रीय अध्यक्ष जन स्वराज का जो बनाया है
-
वह चेहरा बनाया है उदयसिंह को तो उदयसिंह राजपूत समुदाय से आते हैं, ठाकुर समुदाय से आते हैं और ऐसा भी नहीं है कि बहुत गरीबी से आगे निकलकर आए हैं या बहुत संघर्ष करके वो राजनीति में पहुंचे हैं और जन सुराज ने बड़ा कोई नगीना खोजकर निकाला हीरा खोजकर निकाला है
-
ना डाइनैस्टी पॉलिटिक्स का एक बहुत मशहूर चेहरा रहे हैं रहे हैं कहना पड़ेगा उदयसिंह क्योंकि ये चर्चा बड़ी तेज हो रही है कि उदयसिंह है कौन कहाँ से दो पोंछ कर निकाला प्रशांत किशोर ने तो देखिये उदय सिंह दो बार के सांसद रहे पूर्णियां से जहाँ से इस समय पप्पू यादव सांसद हैं
-
और मजाक देखिए कि कैसे आदमी को कैसे व्यक्ति को चुना है प्रशांत किशोर में ने तो की सारे थके हारे लोग जो है वो प्रशांत किशोर के पास जा रहे हैं जिन जिन की राजनीति में अपनी पहचान, साख और जनाधार सब बहुत खत्म हो चुका है या जिनका संदिग्ध रहा है वही जा रहे हैं प्रशांत किशोर के पास हालांकि कहते हैं प्रशांत किशोर के पास पैसा बहुत है वजह चाहे जो रही हो लेकिन उदय सिंह दो बार के सांसद ने और दो बार के सांसद कब रहे 2004 में और 2009 में अब मज़ा देखिए कि 2004 में और 2009 में वह भाजपा के टिकट पर सांसद चुने गए
-
जब केंद्र में कांग्रेस अलायंस की सरकार थी यूपीए की सरकार थी तब वो 2000 चार और नौ में बीजेपी के टिकट पर चुने गए थे हालांकि इसके पहले भी वह चुनाव लड़े थे 1998 में कांग्रेस के टिकट पर लेकिन हार गए थे लेकिन 2004 में वो जीते फिर 2009 में जीते 2014 में बीजेपी ने फिर टिकट दिया मोदी की लहर चल रही थी अब मोदी की लहर में चुनाव हार जाते हैं उधर समझिए कि मोदी लहर में चुनाव हार जाने वाले मोदी की प्रचंड लहर कहना चाहिए उसमें चुनाव हार जाने वाले उदय सिंह को
-
प्रशांत किशोर ने राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया या कही है, उनके पास कोई चेहरा नहीं था, कोई विकल्प नहीं था तो उन्होंने उदय सिंह को ही बना दिया अब देखिये कि 2024 में 2024 में 2014 का चुनाव जब हुआ बीजेपी का तो वहाँ से चुनाव हार जाते हैं मोदी की लहर में उदय सिंह चुनाव हार जाते हैं 2024
-
पे भी टिकट मिलने की पूरी संभावना थी लेकिन अच्छा क्या हुआ कि जब 2014 का चुनाव हार जाते है तो वो कांग्रेस में शामिल हो जाते हैं अब ये था कि कांग्रेस में शामिल होने के बाद उनका टिकट पर दावेदारी बनती थी लेकिन वो क्या होता है 2014 का चुनाव बीजेपी से हार जाने के बाद उदयसिंह हताश हो जाते हैं, वो चले जाते हैं कांग्रेस पार्टी में 2019 का जो चुनाव होता है तब भी नरेंद्र मोदी की लहर थी और वह जा चूके थे कांग्रेस पार्टी में कांग्रेस पार्टी उनको टिकट देती है, पूर्णियां से तो 2019 का चुनाव वो हार जाते हैं
-
2019 का चुनाव हारने के बाद 2024 में भी उन्हें टिकट मिलने की पूरी उम्मीद थी, लेकिन पूर्णियां की सीट एक लंबी जद्दोजहद के बाद चली जाती है जिसके पास आरजेडी के पास उसको लेकर कितना तमाशा हुआ, आप जानते ही होंगे तो 2024 में आरजेडी के पास चली जाती है सीट निर्दलीय के तौर पर नॉमिनेशन दाखिल करते हैं पप्पू यादव और पप्पू यादव चुनाव जीत जाते हैं
-
उदय सिंह 2024 में चुनाव नहीं लड़ पाते अब देखिये कि उदय सिंह कैसे धो पोंछकर निकाले गए और ऐसे बताया जा रहा है कि जैसे वह जनस्वराज में संघर्ष करने वाले लोगों के नेता बताए जा रहे हैं तो उदय सिंह का अपना संघर्ष कितना एकदम सिल्वर स्पून के साथ वो राजनीति में आएं
-
चांदी का चम्मच लेकर पैदा हुए और राजनीति में उनकी माँ माधुरी सिंह 1980 और 84 में कांग्रेस के टिकट पर दो बार सांसद रही है पुनिया से ही तो उनकी माँ दो बार सांसद रहीं कांग्रेस के टिकट पर और एनके सिंह एन के सिंह जो उनके भाई है वो जेडीयू के बड़े नेता रहे हैं और बड़े अधिकारी भी रहे हैं तो केंद्र सरकार में तो इनके बड़े भाई, उनकी एक बहन श्यामा सिंह
-
श्यामा सिंह जो है वो औरंगाबाद से सांसद रही है श्यामा सिंह औरंगाबाद से सांसद रही हैं उनके श्यामा सिंह के पति निखिल कुमार, निखिल कुमार भी औरंगाबाद से सांसद रहे वह दिल्ली पुलिस के कमिश्नर थे और एनएसजी नेशनल सिक्योरिटी गार्ड के वो चीफ राइम डायरेक्टर जनरल रहे और आपको याद दिला दें कि जब निखिल कुमार एनएसजी के चीफ थे
-
उसी समय कांधार हाईजैक हुआ था तो कितनी ताकतवर फैमिली से आते हैं चंदन उदय सिंह और प्रशांत किशोर कह रहे हैं कि हम इस के उदय सिंह को चेहरा बनाकर जो है हम जो पारिवारिक राजनीति है उसको खत्म करेंगे और जो डाइनैस्टी पॉलिटिक्स है उससे लड़ाई लड़ेंगे और नए चेहरों को लेकर आएँगे चुनाव में तो ये कौन मानेगा
-
लेकिन इससे आगे का सवाल है कि एक तरफ आरसीपी सिंह के जरिये घेरेबन्दी दूसरी तरफ उदयसिंह के जरिए गहरे बंदी जेडीयू और कांग्रेस के ये दोनों सांसद रहे मंत्री रहे तो ये जो है क्या आरसीपी सिंह और उदय सिंह को चेहरा बनाकर कोई लड़ाई आरजेडी के खिलाफ़ लड़ी जा रही है या नीतीश कुमार को निपटाने का एक तरीका है और असल खेल जो है भारतीय जनता पार्टी खेल रही है
-
ये बिहार की राजनीति में बहुत बड़ी चर्चा है कि क्या चाहते हैं प्रशांत किशोर कहीं ऐसा तो नहीं की वो आरजेडी के लिए काम कर रहे हैं और नीतीश कुमार को निपटाना चाहते हैं और भारतीय जनता पार्टी के समानांतर अपनी खोई राजनीतिक जमीन तलाशने की कोशिश करना है, क्योंकि देखिये की शुरुआत में जब प्रशांत किशोर ने बात की थी तो उन्होंने ये कहा था कि दलित मुस्लिम को लेकर वह राजनीति करेंगे
-
पिछड़ों को लेकर राजनीति करेंगे हालांकि बाद में वो डेवलपमेंट का नैरेटिव पर चले गए लेकिन अब तो ऐसा लग रहा है जैसे वो सवर्णों की राजनीति करने वाले अपने ब्राह्मण राष्ट्रीय अध्यक्ष राजपूत आरसीपी सिंह को लेकर तो आए लेकिन उनको राष्ट्रीय अध्यक्ष का ओहदा नहीं दिया। निश्चित तौर पर आरसीपी सिंह इससे निराश, हताश और उदास होंगे, लेकिन अब कुछ हो नहीं सकता। तो यही सवाल बिहार की राजनीति में बहुत जोरदारी से घूम रहा है
-
कि आखिर प्रशांत किशोर किस को निपटाने वाले हैं देखिये एक बात तो तय है कि बिहार की राजनीति में जो चुनाव होने वाला है विधान सभा का, उसमें प्रशांत किशोर अपनी कोई भूमिकाघुसने की कोशिश कर रहे हैं
-
मैं कोशिश कर रहे हैं इसलिए कह रहा हूँ कि उनकी कोई भूमिका व्यापक भूमिका बनती हुई नजर नहीं आती है लेकिन आरसीपी सिंह और उदय सिंह के नाम पर अगर कोई वो जातीय गोलबंदी करना चाहते हैं तो संदेश यही जाता है कि प्रशांत किशोर दरअसल सवर्ण राजनीति करने वाले हैं और सवर्णों में भी ठाकुर ब्राह्मण की राजनीति करने वाले हैं लेकिन वो बीजेपी की राजनीति के मुकाबले ये काम कितना करेगा
-
ये सवाल है, लेकिन जो सबसे बड़ी बात है वह यह है कि प्रशांत किशोर बहुत तेजी से सक्रिय हो रहे हैं और उन्होंने कहा है कि मैं फिर से पदयात्रा शुरू करूँगा, लेकिन पदयात्रा का कोई लाभ उनको तुरंत विधानसभा के चुनाव में मिलेगा, ये तय होने में थोड़ा वक्त लगेगा
इसे भी पढ़ें
-
सिन्दूर गवाने वाली औरते कायर बेदिल जोशविहीन थी भाजपा संसद की नयी बेशर्मी
-
बर्मा भारत से अलग कैसे हुआ बर्मा भारत के साथ रहना क्यों नहीं चाहता था
-
क्या सच में मोदी जी के खून में गरमा गरम सिन्दूर दौड़ रहा है ,या हमें बेवाकूफ बना रहे है
-
शेख हसीना की बांग्लादेश में होगी वापसी, बांग्लादेश अब पाकिस्तान की तरह बर्बादी के रास्ते पर
-
मौत की कगार पर पंहुचा इराक ,तुर्की की मनमानी की वजह से क्या ISIS की वापसी हो सकती है
Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें |
Advertising Space
[…] प्रशांत किशोर मोदी और नीतीश कुमार को न… […]