ईरान को हराना असंभव क्यों है अमेरिका ईरान से क्यों डरता है

ईरान को हराना असंभव क्यों है अमेरिका ईरान से क्यों डरता है
ईरान को हराना असंभव क्यों है वो पांच चीजे जिससे ईरान को ताकत मिलती है
ईरान को हराना असंभव क्यों है अमेरिका ईरान से क्यों डरता है
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दोस्तों पूरी दुनिया की नज़र मिडिल ईस्ट पर तिकी है इजराइल ने गाजा के बाद लेबनान की तरफ जैसे ही रुक गया, लोगों ने ईरान पर सवाल उठाने शुरू कर दिए इन सवालों का जवाब ईरान ने लगभग 200 मिसाइल अदा कर पूरी दुनिया को दिया की वो इजरायल की ज़ायोनिस्ट हुकूमत से मुकाबले के लिए तैयार हैं
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ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामनेई ने 4 साल में पहली बार जुमे की नमाज़ के दिन इस्लामी देशों से एकजुट होने की अपील की साथ ही पर किए गए ईरान के बेलिस्टिक मिसाइल हम लोग को भी जायज ठहराया बैतुल्लाह जिंस वक्त ये संबोधन दे रहे थे उस समय मुसल्ला मस्जिद भी उन्हें सुनने के लिए भारी भीड़ जुटी हुई थी हमने अपने संबोधन की शुरुआत इजरायली हमले में मारे गए हिज़्बुल का टॉप लीडर असर न सलाह को याद करते हुए की थी कि काफी इम्पोर्टेन्ट है
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क्योंकि इससे पहले आयतुल्ला अली खामनेई ने साल 2020 में जुमे की नमाज़ का संबोधन दिया था जब अमेरिका ने जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या की थी उससे पहले हमने इन्हें साल 2012 में इस तरह का संबोधन दिया था हमने ने आगे कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो इजरायल पर पहले जैसी कार्रवाई ईरान और करेगा
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मतलब साफ है ईरान पीछे हटने के मूड में नहीं है अब एक सवाल आता है सब के मन में है कि ईरान क्या वाकई इसराईल का मुकाबला कर पाएगा खासकर जब उनके साथ अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस जैसे ताकतवर मुल्क हो, ईरान कितना ताकतवर है और ईरान आखिर डरता क्यों नहीं है क्या है उसकी ताकत
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दोस्तों, मिसाइलें, गोला बारूद, सैनिकों की संख्या तो आपने सुनी होगी लेकिन ईरान की अस्थिर ताकत ये नहीं है ईरान के स्ट्रेंथ छिपी हुई है इस देश की जियोग्राफी मैं इस के पहाड़ी रास्तों में रेगिस्तान में इसके बारे में अभी तक आपने बहुत कम सुना होगा या नहीं सुना होगा तो आइये जानते हैं वो कौन सी पांच चीजें हैं जिनकी वजह से ईरान पर जीत हासिल करना लगभग असंभव लगता है
वो पांच चीजे जिससे ईरान को ताकत मिलती है
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पहला पॉइंट वही है जो मैंने कहा कि ईरान की जियोग्राफी 200, ईरान के वेस्ट में 1000 कोस माउंटेन रेन्ज जो उसके पश्चिमी इलाके को सेफ रखता है, इन पहाड़ों पर चढ़ना, वहाँ पर सोल्जर्स के लिए ठिकाने बनाना बहुत ही मुश्किल है इतनी मुश्किल चढ़ाई है कि दुश्मन देशों के सोल्जर्स को यहाँ पर भारी संख्या में लाना बहुत मुश्किल काम है ये माउंटेन रेन्ज ईरान के लिए नैचरल डिफेन्स की तरह काम करता है इसके दूसरी तरफ इराक जैसे देश जहाँ से ईरान पर हमला करने की कोशिश सद्दाम हुसैन की सेना ने की थी लेकिन उनको मुँह की खानी पड़ी थी
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इस तरह इसके नॉर्थ में अल्बर्स माउंटेन्स है जो ईरान को सेफ रखते हैं पहाड़ी इलाके से ये माउंटेन्स ईरान की राजधानी तेहरान को भी महफूज रखते हैं और यही पर है मिडल ईस्ट का सबसे ऊंचा माउंटेन, जिसका नाम है माउंट द माउंट इसी तरह ईरान के नॉर्थ ईस्ट इलाके में है कोई बिना लोग माउंटेन, जो सेंट्रल एशिया के देश के इलाकों से ईरान को महफूज रखता है ध्यान रहे की ये कोई कश्मीर और हिमाचल के पहाड़ नहीं है ये मिडल ईस्ट के पहाड़ है, जिसपर चढ़ना और सरवाइव करना बहुत ही मुश्किल होता है
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इस तरह सेंट्रल ईरान यानी कि ईरान के बीच में है दस्ते कबीर जो कि दुनिया का सबसे इन हॉस्पिटल रेगिस्तान है, जहाँ पानी है ना खाने के लिए कुछ ऊपर से भयंकर गर्मी दस्तक कबीर और दस्ते लोग जैसे रेगिस्तान तक कोई भी आर्मी पहुँच जाए तो भी उसके लिए सर्वाइव करना जिंदा रहना सबसे बड़ा टास्क हो जाएगा जैसे मंगोल और एलेक्ज़ेंडर के साथ यहाँ पहले भी हो चुका है जो कुछ इलाके जीते गए थे लेकिन ज्यादा दिन ईरान में टिक नहीं पाए तो इस तरह देखें तो पर्शियन गल्फ है
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स्ट्रैट ऑफ कॉर्मस है जिसको आसानी से ईरान कंट्रोल कर सकता है इन इलाकों से दुनिया की बहुत सारी जगहों पर तेल जाता है जिन्हें ईरान आसानी से चोक कर सकता है। कॉल ट्रेड सप्लाई रोक सकता है स्थान शतरंज जैसे जो जगह है वहाँ पर ईरान की नजर रहती है तो उसे अपने देश को बाहरी इन्वेस्टर्स से सेफ रखने की बहुत चिंता करने की जरूरत नहीं है
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दोस्तों, जब मैं जियोग्राफी की बात कर रहा हूँ तो कई लोगों को शायद ही लग रहा होगा की आजकल तो मिसाइलों और ड्रोन का ज़माना है कौन अपनी सेना उतारेगा लेकिन ये बात हमास, हिज़्बुल्लाह और इजरायल को भी मालूम है इसलिए सबने अपने अपने इलाकों में अपने तरह के सुरंग जाल बनाए हुए हैं और ईरान के भी अपने बहुत बड़े सुरंग जाल है इसलिए बिना ग्राउंड पर सेना उतारे हैं किसी भी देश को जीतना जगह को जितना आज लगभग नामुमकिन है इसलिए जियोग्राफी बहुत ज़रूरी होती है
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सेनाओं के लिए और हमने समझा है कि कैसे ईरान में ग्राउंड ऑफेंसिव लॉन्च करना किसी भी देश के लिए बहुत ही मुश्किल काम है
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कल्चरली रिलीज असली काफी रिच है ईरान का इतिहास काफी कॉम्प्लेक्स और लम्बा भी रहा है ईरान दुनिया के सिविलाइज़ेशन उसका सेंटर पॉइंट रहा है ईरान को पहले पर्सन के नाम से जाना जाता था सेवंथ सेंचुरी में इसे अरब की मुस्लिम फोर्स ने जीत लिया एम्पाइअर के हारने के बाद पुरुषा में इस्लामी राज्य आ गया। धीरे धीरे सोशल इकोनॉमिक और पॉलिटिकल प्रेशर के चलते यहाँ के पारसी लोग इस्लाम धर्म अपनाने लगे इस्लाम धर्म में आने से पहले पारसी जोरोस्ट्रियन नाम के ईश्वर की पूजा करते थे
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कई ऐसे भी थे जिन्होंने इस्लाम मानने से इनकार कर दिया और हिंदुस्तान सहित बाकी दुनिया के लाखों में आकर रहने लगे आज भी गुजरात और महाराष्ट्र के खासकर मुंबई में बहुत सारे पारसी फैमिली मिल जाती है तो पहले सेवन से नाइन्थ सेंचुरी तक तो ईरान में सुन्नी इस्लाम फैला लेकिन उसके बाद 16 सेंचुरी में डाइनैस्टिक के वक्त शहर सलाम को ही स्टेट रिलिजन बना दिया गया
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जिसके बाद अभी तक ईरान शिया इस्लाम के मानने वालों का देश ही कहा जाता है अब आपके जेहन में सवाल आ सकता है की जब ईरान को जीतना इतना मुश्किल है तो आप के लोगों ने इसे कैसे जीत लिया था तब भी तो रेगिस्तान, पहाड़, समुद्र था तो दोस्त हो यहाँ पर समझना जरूरी है कि उस वक्त एम्पाइअर बहुत सारी अंदरूनी परेशानियों से जूझ रहा था पर उसे हमें बार बार युद्ध हो रहा था बार बार राजा बदल रहे थे फैजन टाइम पर के 726 साल तक युद्ध हो पहले ही लड़ चूके थे मतलब एम्पाइअर बहुत ही कमजोर हो चुका था
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कहते हैं कुछ इलाकों में और आपके फोर्स लड़ने के लिए कोई था ही नहीं और पर्सन फोर्स के मुकाबले अरब की सेना काफी मजबूत थी, जोश से भरी हुई थी, इसलिए उन्होंने आसानी से जीत लिया था लेकिन आज ऐसा नहीं है। आज ईरान अकेले अमेरिका के सामने खड़ा है विरोध कर रहा है। लड़ रहा है ईरान के शासक राजा शाह ने 1930 के दशक में ईरान का मॉडर्नाइजेशन शुरू किया, लेनकि तुर्की के कमाल पाशा की तरह उनको कामयाबी नहीं मिली
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रजा शाह ने सेना को मजबूत करने और एजुकेशन की तरह फोकस किया था कि देश में धर्म का जो असर है वो कम किया जा सके लोगों को जेल या देश से निकाल देने की सजा भी दी गई जो धर्म की बात कर रहे थे, है तो लाखों मैंने भी देश से निकाले गए पहले इराक और फिर इस्तांबुल और फिर उसके बाद पेरिस कर रहे हैं उसके बाद 1979 में आयतुल्लाह खुमैनी की लीडरशिप में इस्लामिक क्रांति हुई ईरान अमेरिका के इशारे पर काम करने वाले राजा शाह के साथ था उखड़ गई हो और ईरान के इस्लामिक रिपब्लिक बना दिया गया है तो लाखों मैंने सुप्रीम लीडर बन गई
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इस क्रांति के बाद ईरान ने इस्लामी कानून को अपनाया और अपने पश्चिमी संबंधों को काफी हद तक कम करती है श्री क्रान्ति ईरान के इतिहास में एक बड़ा बदलाव लेकर आई और उसने देश को एक धार्मिक राज्य के रूप में स्थापित किया और फिर ईरान मिडल ईस्ट में अपनी पकड़ को दिन ब दिन मजबूत बनाने में लगा रहा
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अमेरिका की लाख बन्दिशों के बाद ईरान ने अपने पैर नहीं सिकोड़े बल्कि प्रॉक्सी आर्मी बनाकर उसने अपने प्रभाव को और मजबूती किया है ये ईरान के इतिहास का ही असर है कि शिया हों या सुन्नी दुनिया का हर सोचने समझने वाला मुसलमान सऊदी अरब जैसे देशों को आज बुरा भला कह रहा है, लेकिन ईरान को सपोर्ट कर रहा है
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इसकी वजह ये भी है कि ईरान ने शिया सुन्नी से परे जाकर लेबनान, यमन, फिलस्तीन, इराक और सऊदी अरब तक में ऐसी सेना तैयार करके रख दी है, जो इजरायल से बड़ी रहती हैं चाहे हिज़्बुल्ला हो, हमास हो या कोई और ये सारे के सारे ईरान के इशारों पर काम करते हैं और ईरान ही ने फंड हथियार, ट्रेनिंग और सपोर्ट देता है
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तीसरी जो ईरान की ताकत है वो है तेल और नैचुरल गैस हम लोग सब जानते हैं, दुनिया में जानते हैं उसका 10% से ज्यादा ईरान के पास है ईरान तेल भंडार के मामले में दुनिया में तीसरे स्थान पर है, लेकिन प्राकृतिक गैस भंडार में रूस के बाद दूसरे स्थान पर है जिसमें 29.6 वैन क्यूबिक मीटर नैचरल गैस का भंडार ईरान के पास में है ईरान के पास जो गैस भंडार मौजूद है वो उसके सालाना यूज़ से लगभग 162 गुना ज्यादा है यानी आज के जितनी ही गैस की अगर मांग रही तो ईरान करीब 162 साल तक वो गैस इस्तेमाल कर सकता है ये कहा जाता है की ग्रेटर मिडल ईस्ट का सारा तेल और नैचुरल गैस या तो गल्फ ऑफ पर्शिया या सागर इलाके में है और ईरान के सागर से लेकर गल्फ पार्षद तक फैला हुआ है गल्फ परिषद के पास के देशों के पास दुनिया के कुल कच्चे तेल का लगभग 49% हिस्सा हैं साल 2022 में गल्फ के साथ देशों में दुनिया के कुल कच्चे तेल का करीब 32% प्रोड्यूस किया था शतरंज से लेकर स्टेट ऑफ ऑल मोस्ट
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दूसरा पॉइंट है ईरान की मजबूत हिस्टरी और उसकी प्रॉक्सी आर्मी ईरान की धरती ने बहुत युद्ध देखे है इसका इतिहास
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तक 615 मील की दूरी पर गल्फ ऑफ पर्शिया में ईरान का दखल है अपनी खाड़ियों एंट्री पॉइंट्स कोप्स और आइलैंड्स की वजह से आत्मघाती हमले करने वाली तेल टैंकर ड्राइविंग स्पीड बोट्स को छिपाने के लिए एक सही जगह है स्ट्रैट ऑफ फॉर्म उसके अंदर ईरान का समुद्र किनारा 1356 नॉटिकल मील लंबा है, जबकि संयुक्त अरब अमीरात का सिर्फ 733 नॉटिकल मील लंबा है
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लेकिन इसमें पाकिस्तानी सीमा के पास चाबहार बंदरगाह समेत अरब सागर का 300 मील का समुद्र तट भी शामिल है ये ईरान के लिए मध्य एशियाई देशों और पूर्व सुबह संघ के लिए महत्वपूर्ण बनाता है ईरान का सागर का तट दक्षिण में घने जंगलों से घिरा हुआ है, जो लगभग 400 मील तक पश्चिम में अज़रबैजान तक फैला है कि स्किन सागर की सीमा रूस, अजरबैजान, तुर्कमेनिस्तान और कजाकिस्तान से मिली है तो कहने का मतलब है की ईरान के पास उसकी खुद की जरूरतों से बहुत ज्यादा एनर्जी है
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जंगल, पहाड़, रेगिस्तान, समंदर, हर तरह की ट्रेन तक एक्सरसाइज उसे आत्मनिर्भर बनाता है तभी तो अमेरिका और वेस्टर्न देशों के तमाम सेक्शन्स को ईरान झेल लेता है और डटा रहता है ईरान की ताकत है उसका कल्चर और पॉलिटिकल पावर ईरान ने कल्चरली अपनी ताकत को कई तरीकों से बढ़ाएं और उसका कल्चर धीरे धीरे दुनिया में फैलता गया इसके पीछे कई ऐतिहासिक, धार्मिक, साहित्यिक और कलात्मक फर्ज है
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सबसे पहले भाषा ईरान की भाषा है पर्सन ईरान की सांस्कृतिक शक्ति को फैलाने में परीक्षण का बहुत अहम रोल रहा है की भाषा में सिर्फ ईरान में बल्कि सेंट्रल एशिया में, भारत में और तुर्की में भी एक समय पर खूब बोली जाती थी शादी रूमी हाफिज सईद पर्सन के कुछ महान कवि हैं जिन्होंने प्रेम, स्प्रिचुअलिटी और ह्यूमैनिटी पर गहन विचार अपने ज़ाहिर किए थे
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इनकी पोएट्री याद भी दुनिया में पढ़ी जाती है भूषण साहित्य के जरिए इरानी कल्चर की मानवता, प्रेम और स्पिरिचूऐलिटी के कॉन्सेप्ट्स की अवधारणा है भारत से लेकर यूरोप तक अभी भी फैली हुई है 1979 की इस्लामी क्रांति ने ईरान को एक मजहबी मुल्क और कल्चरल ताकत के रूप में फिर से डिफाइन किया है
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के अन्य हिस्सों में फैलाने में अहम भूमिका निभाई है।शेयर इस्लाम का प्रभाव खासकर इराक, लेबनान, सीरिया, यमन और बहरीन जैसे देशों में साफ तौर पर देखा जा सकता है ईरान ने अपने धार्मिक और सांस्कृतिक विचारों को फैलाने के लिए लेबनान के हिज़्बुल्ला, यमन के होती या मलेशिया जैसे संगठनों का समर्थन किया
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इमाम हुसैन और कर्बला की शहादत की कहानियों ने इरानी संस्कृति और शिया इस्लाम की भावना को दुनिया में फैलाने में मदद की है राजनीतिक तौर पर उनको देखे तो उसने अपने वजूद को बचाने के लिए प्रॉक्सी आर्मी को तैयार करके ऐसा मॉडल पेश किया जिसने इजरायल से लेकर अमेरिका जैसे सुपरपॉवर हिला कर रख दिया
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मिडल ईस्ट मामलों के एक्स्पर्ट स्कॉलर मार्टिन क्रेमर लिखते हैं, कीरन की ताकत सिर्फ उसके भूगोल या इतिहास में नहीं छिपी हुई है, बल्कि उसकी स्ट्रैटिजी और प्रॉक्सी सेनाओं के इस्तेमाल में भी उसकी ताकत का राज़ है ईरान ने लेबनान में हिज़्बुल्लाह और यमन में हूथी जैसे समूहों को समर्थन देकर मिडल ईस्ट में अपना दबदबा और का दोनों बढ़ाया क्रेमर कहते हैं ये प्रॉक्सी रणनीति ईरान को बिना सीधे युद्ध में शामिल किये हुए ही अपने दुश्मनों से लड़ने की ताकत देते हैं
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ये वजह की वो मिडल ईस्ट में ऐसा मुल्क बन गया है, जिससे लड़ने के लिए जाल में उलझकर खुद को ज़ख्मी करना होगा पांच और सबसे आखिरी में हम बात करते हैं ईरान की मिलिटरी ताकत की दोस्तों, ईरान वो देश है जिसने अमेरिका के आगे सिर झुकाने से मना कर दिया, ये हम सब जानते हैं। इसलिए ईरान पर अमेरिका ने तरह तरह के सैंक्शन्स लगा दिए हैं ईरान टूट जाए लेकिन ये गलती हो गयी की बाकी देशों से अलग ईरान ने खुद चलना सीख लिया
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अब ईरान बहुत सारे हथियार अपने देश में ही बनाता है बलिस्टिक मिसाइलों के मामले में तो बहुत आगे जा चुका है 2000 किलोमीटर तक मार करने वाली मिसाइलें उसके पास हैं 10,00,000 के आस पास के पास सैनिक है तो उसकी प्रॉक्सी उसने को इलाके में पूरी तरह से घेर रखा है, जो ईरान के इशारे पर तबाही मचाने के लिए तैयार हैं
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ईरान की आईआरजीसी को मिडल ईस्ट की सबसे काबिल फोर्स में से एक माना जाता है ईरान ने मिसाइलों के बाद अब रूस बनाने भी शुरू कर दिए हैं हमने बिहार में देखा ही था कि ईरान हाइपरसोनिक मिसाइलों से पर हमला किया और आईआरजीसी के मुताबिक 90 फीसदी मिसाइलें सटीक निशाने पर लगी है लेकिन इजरायली सेना ने भी ज़ोर देकर कहा है कि बड़ी संख्या में ईरान की तरफ से दागी गई जो मिसाइलें थीं उनको हवा में ही बर्बाद कर दिया गया था ऊपर आसमान में अगर हम देखे तो चमकती रौशनी दिख रही थी इस तरफ भी इशारा करती है की जाली ये डिफेन्स ने काफी मिसाइलों को रोका भी है रिज़ल्ट फॉरेन मिनिस्ट्री ने कहा कि ईरान ने 181 बेलिस्टिक मिसाइलें दागी हैं और इनमें से एक फिलिस्तीनी शख्स की मौत हुई
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मतलब दोनों ही देश कहीं ना कहीं सब छुपाते नजर आ रहे हैं दोस्तों अगर गौर करें तो ईरान न सिर्फ अपने इतिहास कल्चर और जियोग्राफी से बल्कि अपने सेल्फ डिफेन्स और प्रॉक्सी आर्मी ज़ोर अपनी मिलिट्री पावर से भी एक बड़ी ताकत के रूप में दुनिया के सामने आये जैसे दुनियाभर के मुल्कों में अमेरिका दखल देता है, वैसे ही ईरान का मिडल ईस्ट के मुल्कों में दखल देना उसकी ताकत की दलील है
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सामने से चेतावनी देकर वो अपनी ताकत का एहसास न सिर्फ मिडल ईस्ट के मुल्कों करा रहा है बल्कि दुनिया को बता रहा है की उस पर विजय पाना आसान नहीं है अब बस ये देखना होगा क्या अमेरिका इजरायल के बहाने ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को निशाना बनाएगा क्योंकि ईरान न्यूक्लियर ताकत बनना चाहता है और इससे अमेरिका को सीधा खतरा है और इसके लिए वो जमीन के नीचे ये प्रोग्राम चला रहे हैं
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