क्या यूसुफ़ पठान देश की पिच पर ढेर हो गए है. आतंकवादियों के खिलाफ मिशन पर जाने से क्यों मना किया

क्या यूसुफ़ पठान देश की पिच पर ढेर हो गए है आतंकवादियों के खिलाफ मिशन पर जाने से क्यों मना किया
क्या यूसुफ़ पठान देश की पिच पर ढेर हो गए है. आतंकवादियों के खिलाफ मिशन पर जाने से क्यों मना किया
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कभी युसूफ पठान ने छक्कों की बरसात कर कभी भारत का सिर गर्व से ऊंचा किया था, जो यूसुफ पठान टीम इंडिया के लिए 2007 वर्ल्ड कप 2011 वर्ल्ड कप में इंडिया को रिप्रेजेंट कर रहा था वो आज जब देश की असल पिच पर इंडिया को रिप्रेजेंट करने की बारी आयी तो अपना बैट पीछे क्यों रख दिया खामोश क्यों हो गया
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जब भारत को अपनी एकजुटता और आतंक के खिलाफ़ जीरो टॉलरेंस का संदेश सारी दुनिया को पहुंचाना था तभी यूसुफ पठान अलग क्यों हो गया क्या देश से बड़ा कुछ हो सकता है यूसुफ पठान क्या ममता बेनर्जी की पार्टी लाइन इतनी मजबूत है की आप भारत के सम्मान को भी पीछे छोड़ दें
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मतलब ये वो देश है जिसने यूसुफ पठान को सब कुछ दिया, नाम दिया, दौलत दिया, शोहरत दिया, इज्जत दिया इस स्टेडियम में तालियों की गड़गड़ाहट से लेकर संसद की कुर्सी तक भारत में सब कुछ सौंपा, लेकिन जब पहली बार असल में देश के लिए कुछ करने का एक बड़ा मौका था तो यूसुफ पठान ने कहा, मैं उपलब्ध नहीं
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सवाल हुआ क्यों तो कहा की हमारी पार्टी ने कहा अरे भाई साहब कोई क्लब के लिए मीटिंग करने थोड़ी ना जाना था आपको आपको इंडिया को रिप्रेजेंट करना था ऐसे मौके जीवन में शायद एकाध बार आते हैं आप सीख सकते थे शिखर धवन से गब्बर मैदान के अंदर जीस तरह गेंद को हस्ते हस्ते सीमा रेखा के पार कर आते थे जब बात देश की आई तो किस बेबाकी से शिखर धवन ने भारत के लिए आवाज उठाई
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गौतम गंभीर जिनके साथ आप कोलकाता नाइट राइडर में खेलते थे, जो आपके साथ संसद में रहे उन्होंने देश की आवाज उठाने के लिए कभी पीछे कदम नहीं हटाई और यश आपके दूसरी बार डिसअप्पोइंट कर दी
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इससे पहले भी मुर्शीदाबाद में जब हिंदुओं पर हमले हो रहे थे, घर जल रहे थे तभी उसे पठान की एक फोटो आई थी जिसमें वो चाय की चुस्की ले रहे थे और तब भी ये सवाल आया था की यार क्या पार्टी लाइन के चक्कर में देश के बारे में यूसुफ पठान ने सोचना छोड़ दिया है कई बार ऐसा लगता है कि हिंदुस्तान के क्रिकेटर्स हिंदुस्तान के कलाकारों से ज्यादा बड़ा जिगरा जो है वो पाकिस्तान के लोगों में मतलब दैट इज़ द ओनली थिंग
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शायद जो पाकिस्तान से हम थोड़ा बहुत ले सकते हैं कम से कम उनके दिमाग में क्लैरिटी है यार की जब बात मुल्क की होगी तब कुछ नहीं सोचना शाहिद आफरीदी जैसा निठल्ला आदमी गाड़ी लेके घूम रहा था खाली अपनी जनता को बूस्ट करने के लिए वो हार चूके थे हारी हुई बाजी के बावजूद शाहिद अफरीदी अपनी आवाम को की जोश बढ़ा देंगे क्योंकि जब एक बड़ा सितारा जनता के बीच में जाता है तो जोश हाई होता है और हिंदुस्तान तो जीती हुई जंग सच में है भाई
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आपको सिर्फ जाकर इंडिया को रिप्रेजेंट करना था शाहिद अफरीदी पाकिस्तान में बैठकर हिंदुस्तान के खिलाफ़ जहर उगलता है, कश्मीर में बयानबाजी करता है, आतंकवादियों को हीरो साबित करता है आप तो जाए इस चीजों की बात करने वाले थे अपने भारत के लिए जिसने पाकिस्तान के आतंकवादी ठिकानों को नस्तनाबूद करवाया था आप भारत के संसद के अफरीदी तो चलो, वहाँ कुछ भी नहीं है सस्ता इमरान खान बनने की कोशिश उसकी है किस बात का डर था यूसुफ पठान कौन नाराज हुआ था
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सरहद पार कोई फैन थे, नाराज हुआ थे क्या वोटबैंक गिर जाता है आपका गुड बहुत बहुत डिसअप्पोइंट किया यूसुफ पठान और उतना ही डिसअप्पोइंट ममता बेनर्जी ने भी किया ममता बेनर्जी कहती है, केंद्र ने हमसे सलाह नहीं ली इसलिए नहीं जाएंगे
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अरे ममता दीदी जब सीएए एनआरसी सीमा सुरक्षा पर बोलना होता है तब तो आप बोल देती है तब नहीं आ रहा था केंद्र का मामला है आप स्टेट की चीफ मिनिस्टर है जब पाकिस्तान के खिलाफ़ दुनिया में भारत का पक्ष रखने की बात थी तो फिर क्या मतलब किस को नाराज करना था ममता दीदी आपको भी पॉलिटिक्स करना था, करवा लिया आपने पॉलिटिक्स आपने मना कर दिया सुवेन्दु अधिकारी ने कह दिया कि देखो भैया यूसुफ पठान को इंडोनेशिया जैसे मुस्लिम देश भेज रहे थे ताकि इंडिया को रिप्रेजेंट करें
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अपने मौका छीन लिया क्योंकि यूसुफ पठान के इलाके में मुसलमान बहुत है ये सब शुरू करवा दिया आप लोगों ने ये सब पठान आप अगर इंडिया को रिप्रेजेंट करने जाते है, आप अपने इलाके के मुसलमानों का मान बढ़ाते, आप ओवैसी साहब से सीखो ओवैसी ने कैसे कहा कि एआईएमआईएम के नेता बाद में अभी इंडिया को रिप्रेजेंट करना उमर अब्दुल्ला सीखो यार, शशि थरूर से सीखो ओवैसी जहाँ , वहाँ उतने मुसलमान नहीं है जितना यूसुफ पठान के बहरामपुर में थे
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52 फीसद मुस्लिम आबादी है अगर वो चाहते हैं तो इन सब को रिप्रेजेंट करते हुए इंडोनेशिया जाते हैं और वहाँ पर देश के मुसलमानों का और देश का मान बढ़ा देते हैं लेकिन यूसुफ पठान के अंदर जिगरा नहीं मुर्शीदाबाद में वक्फ बोर्ड के विरोध में भी जब हिंदुओं को निशाना बनाया गया था तब बेशर्मी से चाय पीते फोटो खिंचवा ली थी और लिखा सब शांत है 10 किलोमीटर दूर कितना तमाशा हो रहा था घर जल रहे थे, उन्हें शांति दिख रही थी और इस बार भी उन्होंने देश को डिसअप्पोइंट
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मैं फिर कह रहा हूँ की यूसुफ पठान को सीखना चाहिए अभी भी देर नहीं हुई पार्टी लाइन से आगे भी कुछ देश की बात ये मौके रोज़ नहीं आते यूसुफ सुप्रीम कोर्ट ने ऑब्जर्व किया की विजय साह के द्वारा जो जल्द से कमेन्ट किया गया जीस तरीके का स्टेटमेंट पब्लिक है उससे पूरा पूरा देश उम्मीद लगाकर बैठा है ये लोग विदेशो में जाकर सन्देश देंगे की पाकिस्तान आतंकवाद फैलाता है सिर्फ आतंकवाद नहीं फैलाता आतंकवाद पाकिस्तान के डीएनए में है
लेकिन हमारी एक सलाह है पाकिस्तान को आप कितना भी पीटेंगे पाकिस्तान आतंकवाद फैलाना नहीं छोड़ेगा क्योकि इससे पहले भी पाकिस्तान जंग दो बार भारत से हार चूका है
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