ट्रम्प ने खुलकर मोदी और भारत का साथ क्यों नहीं दिया . ट्रम्प ने मोदी से यारी क्यों नहीं निभाई

ट्रम्प ने खुलकर मोदी और भारत का साथ क्यों नहीं दिया ट्रम्प ने मोदी से यारी क्यों नहीं निभाई
ट्रम्प ने खुलकर मोदी और भारत का साथ क्यों नहीं दिया ट्रम्प ने मोदी से यारी क्यों नहीं निभाई
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युद्ध जैसे हालातों के बीच सबको लगा था कि अमेरिका में ट्रंप की सरकार है ट्रंप जरूर भारत की मदद करेंगे, लेकिन ट्रंप ने ऐसा नहीं किया जिन ट्रंप को मोदी अपना दोस्त कहते हैं, उसने दोस्ती क्यों नहीं निभाई दोस्त दोस्त क्यों नहीं रहा ट्रंप मोदी के साथ खुलकर खड़े क्यों नहीं हुए जबकि ट्रंप का दुश्मन चीन पाकिस्तान के साथ खुलकर खड़ा था क्या भारत को ट्रंप की दोस्ती भारी पड़ सकती है
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भारत ट्रंप से कैसे निपट सकता है हाउडी मोदी से नमस्ते ट्रंप तक ट्रंप और मोदी एक दूसरे को अच्छा दोस्त बता चूके हैं, लेकिन जब जंग के हालात बने तो ट्रंप ने भारत को भी पाकिस्तान के बराबर तोल दिया टैरिफ में भी भारत को कोई रियायत नहीं दी यहाँ तक की अब ट्रंप आईफोन की फैक्टरी भी भारत से हटवा रहे हैं
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ट्रंप से दोस्ती भारत को भारी पड़ेगी या फिर इससे फायदा होगा इसको समझने के लिए आपको भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसे हालातों के बीच में ट्रंप के बयानों को समझना पड़ेगा दोस्तों 7 मई को जब ऑपरेशन सिंदूर हुआ तो ट्रंप ने पहला बयान दिया और कहा था ये शर्म की बात है
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हमने अभी अभी इसके बारे में सुना है वे लोग दशकों बल्कि सदियों से लड़ रहे हैं। उम्मीद है की ये जल्द ही खत्म हो जाए। ट्रंप ने अपने बयान में भारत और पाकिस्तान को एक तराजू में तोल दिया जबकि भारत खुद को आतंकवाद का शिकार और पाकिस्तान को आतंकवाद का समर्थक मानता है, फिर 10 मई ट्रंप ने कहा, अमेरिका की मध्यस्थता में हुई एक लंबी बातचीत के बाद मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान ने पूर्ण और तत्काल सीजफायर पर सहमति जताई है
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अमेरिका की इस घोषणा पर भारत की प्रतिक्रिया गर्मजोशी वाली रही थी भारत का विपक्ष भाजपा सरकार से सवाल करने लगा की ट्रंप ने भारत के सीजफायर की घोषणा क्यों की भारत ने कहा कि पाकिस्तान के डीजीएमओ के भारतीय को फ़ोन कॉल के बाद दोनों देशों में सहमति बनी है इसमें अमेरिका की मध्यस्थता का जिक्र नहीं था यही बात नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में भी दोहराई फिर से 11 मई को ट्रंप ने कहा, मैं इन दोनों महान राष्ट्रों के साथ मिलकर कश्मीर मुददे जो 1000 साल से विवाद में है उसका समाधान निकालने की आशा करता हू
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ताकि क्षेत्र में शांति और समृद्धि कायम हो सके और अमेरिका और विश्व के अन्य देशों के साथ व्यापार बढ़ सके लंबे अपने बयान में कश्मीर मुददे का जिक्र किया, लेकिन भारत कहता रहा है कि वो किसी तीसरे देश की मध्यस्थता इस मसले पर स्वीकार नहीं करेगा यानी भारत को प्रयोग करने की कोशिश की गई फिर 13 मई को ट्रंप सऊदी यात्रा पर गए थे सऊदी वालों ने उनको जहाज वगैरह गिफ्ट किया वह हम ने क्या कहा वो भी सुने ट्रंप ने कहा, मैंने काफी हद तक व्यापार का इस्तेमाल किया
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मैंने कहा की चलो एक सौदा करते हैं, परमाणु मिसाइलों का ट्रेड रोकते हैं और उन चीजों का व्यापार करते हैं जिन्हें आप इतनी खूबसूरती से बनाते है ट्रंप का ये बयान आते ही भारत ने इसे खारिज किया भारत ने कहा बातचीत में व्यापार का कोई जिक्र नहीं था मोदी ने भी एक तरह से ट्रंप के बयान को झूठा साबित करने की कोशिश ये कहकर की ये टेररिज़म और ट्रेड एक साथ नहीं हो सकते
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यानी ट्रंप भारत को बार बार नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं खुद को भारत के फैसले लेने वाला नायक दिखा रहे हैं ये बात भारत के प्रधानमंत्री को असहज स्थिति में डालती है एक तरह से ट्रंप मोदी को ओवर रूल्ड कर रहे हैं अब 15 मई को ट्रंप भारत पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने के बयान से पलट गए उन्होंने दोहा के कार्यक्रम के दौरान कहा, मैं यह नहीं कहता कि ये यानी सीजफायर मैंने किया, लेकिन यह पक्का है कि पिछले हफ्ते भारत पाकिस्तान के बीच जो हुआ मैंने उसे सेटल करने में मदद की
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ट्रंप भारत के प्रधानमंत्री मोदी के दोस्त थे इससे पहले मोदी खुद कहते हैं कि वो ओबामा से तू थोड़ा करके बात किया करते थे वो उनके इतना क्लोज़ थे ट्रंप को मी फ्रेन्ड कहते थे, लेकिन ऐसा क्या हुआ की दूसरी बार राष्ट्रपति बनते ही ट्रंप ने मोदी को झटकों पर झटका देना शुरू कर दिया ट्रम्प ने हमारे 682 अवैध प्रवासियों को कैदियों की तरह ज़ंजीर में बांधकर भारत भेजा तभी समझ में आ गया था की दोस्ती दुश्मनी में बदल चुकी है
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लेकिन सवाल अब भी वही है की दोस्ती दुश्मनी में बदली क्यों मोदी को फ्रेंड बता कर भारत को नुकसान क्यों पहुंचा रहे हैं ट्रंप दोस्तों ट्रम्प की पॉलिसी ये है की वो किसी को अपना परमानेंट दोस्त या फिर परमानेंट दुश्मन नहीं मानते देखिये चीन के साथ टैरिफ विवाद पर मरने मारने को उतर आए थे, लेकिन अब समझौता कर लिया ट्रंप किन्ग जून को जला कर खाक करने की बात करते हैं लेकिन अब रिश्ते ठीक हो
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गए हैं ट्रंप राष्ट्रपति काम धंधे वाले आदमी ज्यादा है और धंधे पर बैठा आदमी ना किसी का दोस्त होता है ना किसी का दुश्मन उसकी दोस्ती सिर्फ धंधे से होती है भारत ने ट्रंप के दोस्त मस्क को भारत में व्यापार करने के लिए टैरिफ कम नहीं किया जब तक की सरकार थी, ट्रंप इस बात से नाराज हो सकते हैं भारत के प्रधानमंत्री इस बार पिछली बार की तरह ट्रंप का प्रचार करने के लिए अमेरिका नहीं गए
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इवन ये भी हुआ था कि मोदी अमेरिका में थे ट्रंप की कही पर रैली चल रही थी ट्रंप को लगा कि मोदी उनकी रैली में आएँगे, लेकिन मोदी ने पिछली वाली गलती दोहराई नहीं इसलिए भी ट्रंप को बुरा लगा हो शायद दूसरी तरफ ट्रंप भारत को बैलेंस ऑफ पावर की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं
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उन्हें चीन के विरोध में एक शक्तिशाली देश चाहिए जो कि भारत है वो पाकिस्तान को भी पूरी तरह से चीन की गोद में नहीं जाने देना चाहते साथ ही उन्हें चीन से व्यापारिक फायदा भी है इसीलिए वो उससे भी संबंध रख रहे हैं ट्रंप के इस रवैये से निपटने के लिए भारत क्या कर सकता है दोस्तों चाहे टैरिफ का मुद्दा हो या भारत, पाकिस्तान संघर्ष का भारत की स्ट्रैटिजी अमेरिका के साथ परदे के पीछे निगोसिएशन की है
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भारत फिलहाल ट्रंप के साथ उलझना नहीं चाहता मोदी ने अपने अमेरिका दौरे पर कहा था, हम राष्ट्रीय हित से समझौता नहीं करेंगे, लेकिन अमेरिका के साथ साझेदारी बढ़ाएंगे भारत और अमेरिका के बीच कोई जियोपॉलिटिकल मुद्दा नहीं है दोनों एक दूसरे के मतलब के साथी हैं ये बात बिल्कुल पक्की है फरक इतना है कि अमेरिका सुपर पावर है और हम विकासशील देश है हम अपनी पावर बढ़ा ले हम अगर धर्म की जगह पर अपने बच्चों को लड़ाने की जगह उनको धंधे के लिए प्रेरित करें तो हम सुपर पावर बन सकते हैं
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कोई भी सुपरपावर हो, उसके पास शक्ति तो पैसो से ही आते हैं ना भारत के पास वो कैपेबिलिटी है, हम बाज़ार भी है हम निर्यातक भी है, हमारे नागरिक दुनिया में कहाँ कहाँ क्या क्या कमाल कर रहे हैं वो खैर किसी और समय बताऊंगा
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लेकिन भारत की सरकार है अगर अपना रवैया बदल लें अगर वो देश को दुनिया से कॉम्पिटिशन करने के लिए खड़ा करने की तरफ आगे बढ़े तो भारत दुनिया के सभी देशों से बेहतर साबित होकर दिखाएगा लेकिन भारत के भीतर सबसे बड़ा रोग जातिवाद का है ऊपर से भाजपा ने धर्म के नाम पर नफरत फैलाकर खारिज कर दिया है सब इसी में उलझे हैं कि मुसलमानों के पेच टाइट है।
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आप नहीं है दो चार मुख्यमंत्री भाजपा ने और पाल रखे है जो इस खाज में और खुजली बढ़ा देते हैं क्या भारत को अपनी रणनीति बदलने की जरूरत है दोस्तों अमेरिका से अच्छे संबंध रखना भारत की मजबूरी है चीन भारत के खिलाफ़ खड़ा हुआ है ऐसे में जियोपॉलिटिकल स्थितियां बैलेंस करने के लिए भारत को अमेरिका से अच्छे संबंध रखने ही होंगे भारत को अगर पाकिस्तान से कोई लड़ाई लड़नी है तो उसे अपने दम पर लड़नी चाहिए भारत को अमेरिका के भरोसे कोई लड़ाई नहीं लड़नी चाहिए जैसे इंदिरा गाँधी ने किया था
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वैसे मजबूत इच्छाशक्ति के साथ जो करना है वो करना चाहिए बाद में दुनिया की बात सुननी चाहिए लेकिन भारत में भाजपा सरकार की लेबर लेबर करने की आदत है एक बात सच है कि ट्रंप बिन बुलाये भारत पाकिस्तान के मुददे में नहीं आये होंगे इनको इन्वॉल्व किया गया होगा ये बात जरूर है कि भारत ने ट्रंप को केवल बैठने की जगह दी होगी लेकिन ट्रम्प फैल गए सीजफायर का ऐलान करने के लिए मोदी की जरूरत ही खत्म कर दी अगर फ्रॉम सीजफायर का ऐलान नहीं करते तो किसी को मालूम नहीं चलता कि ट्रम्प और मी फ्रेंड मोदी के बीच चल क्या रहा है
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इसी ऐलान के बाद दोस्ती पर सवाल उठे तो कुल मिलाकर दोस्तों बात ये है कि भारत को अपने भरोसे रहना चाहिए धंधेबाज मुल्क धंधे के साथ रहेगा अमेरिका वहाँ है जहाँ पर पैसा है इसलिए मोदी को इंदिरा गाँधी से सीखना चाहिए तो दूसरी बात ये है दोस्तों की जाति धर्म के नाम पर वोट मांगना छोड़कर देश को दुनिया की दौड़ में शामिल करना चाहिए हो सकता है कि आज का वीडियो बहुत लोगों के ऊपर से निकल गया हो लेकिन सत्य बात यही है
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दोस्तों की हमें अपना उत्थान खुद करना होगा, तभी दुनिया हमें भाव देगी। डंका बज रहा है वाले प्रोपगेंडा से काम नहीं चलेगा, हम को विश्व गुरु होने के झूठे दिलासों से बाहर निकलना होगा। हम विश्व गुरु नहीं है। हमें विश्व का गुरु बनना है लेकिन वो जातिवादी और धार्मिक राजनीति के साथ नहीं
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