रेंट एग्रीमेंट 11 महीने की ही क्यों किया जाता है

रेंट एग्रीमेंट 11 महीने की ही क्यों किया जाता है
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रेंट एग्रीमेंट 11 महीने की ही क्यों किया जाता है
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ऐसे लोगों की तादाद बढ़ती जा रही है जो रेंट या किराये पे रहते है दुनिया भर में रेंट पर रहने या किराये पर रहने वालों का एक बहुत बड़ा मार्केट बन चुका है ऐसे में मकान मालिक और किरायेदार के बीच के रिलेशन्स को ठीक रखता है और उन्हें कानूनी अधिकार देता है एक डॉक्यूमेंट तो ये है डॉक्यूमेंट है रेंटल अग्रीमेंट मकान मालिक और किरायेदार के बीच का एक अग्रीमेंट जिसमें वो सारी शर्तें शामिल होती हैं जिन पर आपको घर किराये पर दिया जाता है तो आप जल्दी जल्दी से उन पांच चीजों के बारे में जान लीजिये जिनका आपको विशेष ध्यान रखना है
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इस अग्रीमेंट को साइन करने से पहले पहला है तो प्रॉपर्टी किराये पर देने या लेने से जुड़ा जो पूरा डिस्कशन है। इसका एक मेजर जरुरी हिस्सा होता है वो है किराया आखिर देना कितना हैं तो जब रेंट एग्रीमेंट आप साइन कर रहे हो, उससे पहले ये जरूर देख लें कि जीस बात पर आपकी सहमति हुई है। यानी किराये की रकम जो तय हुई है। वही अमाउंट रेंटल अग्रीमेंट पर भी मेन्शन्ड है या नहीं, ये आपको चेक करना है।
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रेंट देने की डेट क्या तय हुई है साथ ही अगर रेंट देने में लेट हो जाता है तो लेट फीस का कोई प्रोविजन तो नहीं है।
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अग्रीमेंट में साफ साफ लिखा हो कि रेन्ट मैं क्या क्या चीजें शामिल हैं और क्या क्या नहीं
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मसलन सोसाइटी की मेन्टेन्स कार पार्किंग आपके रेंट अमाउंट में ही शामिल हैं या नहीं फिर आपको अलग से पे करना है या फिर आपका मकान मालिक पे करने जा रहा है। दूसरी अहम बात जो आपको ध्यान में रखनी है वो ये है कि आप का किराया आगे चलकर बढ़ेगा
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कितना तो अग्रीमेंट में पहले से ही साफ साफ मेन्शन हो की आपका जो मकान मालिक है वो आगे चलकर रेन्ट अमाउंट कितना बढ़ाने और कब बढ़ाने की सोच रहे हैं
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आमतौर पर मकान मालिक अपने तरफ से 11 महीने का रेंट अग्रीमेंट करते हैं और क्यों करते हैं, इसका जवाब लेकिन उसके पहले तीसरी अहम बात वैसे तो रेंटल अग्रीमेंट फिक्स्ड टर्म के लिए होता है 11 महीने या तीन से 4 साल, लेकिन कभी कभी ऐसा भी होता है कि किरायेदार या मकान मालिक खुद चाहता है कि ये अग्रीमेंट से पहले ही मकान खाली करा दे या फिर। किरायेदार अपना घर खाली खुद करना चाहे तो ऐसे सिचुएशन में दो चीजों का ध्यान रखना है
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पहला नोटिस पीरियड तो आपको अग्रीमेंट में ये जरूर चेक कर रहा है कि नोटिस पीरियड का जिक्र है या नहीं है। यानी ये है कि मकान मालिक ने अपनी तरफ से नोटिस पीरियड का कोई डेट मेन्शन किया हुआ है या नहीं
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इतने समय के अंदर आपको बताना है की हाँ आप मकान खाली करना चाहते हैं मकान मालिक कितने समय पहले आपको बताएगा की हाँ आपको मकान खाली करना है दूसरा है लॉक इन पीरियड यानी वो समय जिसके बीच में मकान मालिक अपनी तरफ से आपको घर खाली करने के लिए नहीं कह सकता, ना ही आप खुद खाली कर सकते हैं
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चौथी और जरूरी चीज़ जिसका आपको ध्यान रखना है वो ये है की अग्रीमेंट में किसी तरीके की पाबंदी का कोई जिक्र तो नहीं है। मसलन, मकान मालिक ने अपनी तरफ से पेट्स को लेकर कार पार्किंग को लेकर यहाँ के फूड रेफरेन्सेस को लेकर किसी तरीके का कोई पाबंदी तो नहीं लगाई हुई है
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पांचवी और सबसे अहम बात है सेक्युरिटी डिपॉजिट रेंटल अग्रीमेंट में साफ साफ इसका जिक्र होना चाहिये की सिक्योरिटी डिपॉजिट है कितनी और आगे चलकर आपको मकान मालिक उसे वापस करने जा रहा है क्या नहीं जा रहा है
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क्योंकि आम तौर पर इसे लेकर काफी आमना सामना होता है। मकान मालिक और किरायेदार का और अलग अलग केस में सेक्युरिटी डिपॉजिट की अमाउंट भी अलग अलग होते हैं। तो आपको खासतौर पर ध्यान देना है कि आपकी अग्रीमेंट में ये सारी चीज़े मेन्शन्ड हो कि आगे चलकर यही अमाउंट आपको रिफंड हो रहा है या नहीं हो रहा है।
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और अब सबसे जरुरी सवाल। कि मकान मालिक ज्यादातर 11 महीने का ही रेंट अग्रीमेंट क्यों करवातें हैं तो इसके पीछे दो वजहें हो सकती है एक तो कानूनी और दूसरा पैसे का लालच दरअसल रजिस्ट्रेशन ऐक्ट 1908 के सेक्शन 17 के तहत अगर 12 महीने या 1 साल से ज्यादा अवधि का रेंट या लीज़ अग्रीमेंट होता है तो उसे रजिस्टर कराना पड़ता है
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यानी अगर 12 महीने से कम समय का अग्रीमेंट हुआ तो आपको रजिस्ट्रेशन नहीं कराना पड़ेगा और यही पे मकान मालिक इस ऑप्शन को रेफेर करते हैं क्योंकि इससे आपके स्टैंप ड्यूटी का खर्च रजिस्ट्रेशन कराने का पूरा खर्च बढ़ जाता है
दूसरा ये कि 11 महीने के रेंटल अग्रीमेंट से मकान मालिक को किराया बढ़ाने में सहुलियत मिल जाती है और किरायेदार के हिसाब से देखें दूसरे मकान में जाने की एक राह खुल जाती हैं वो मनपसंद मकान में जाकर शिफ्ट हो सकते हैं
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