अमेरिकी नेताओं के भारत आते ही क्यों होता है कश्मीर में हमला

अमेरिकी नेताओं के भारत आते ही क्यों होता है कश्मीर में हमला
प्रधानमंत्री नरेन्द्रमोदी 22 अप्रैल यानि मंगलवार को जेद्दा पहुंचते हैं शाम होते ही जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले की खबर आई सरकार की तरफ से शुरू में इस हमले में मारे जाने वालों की कोई संख्या नहीं बताई गई थी लेकिन रात होते होते 26 लोगों की मौत की रिपोर्ट आने लगी मोदी ने सऊदी से हमले की निंदा की और जिम्मेदार लोगों को सजा देने की बात दोहराई थी।
रात के 11:00 बजे ही थे की खबर आई कि पीएम मोदी सऊदी अरब का दौरा बीच में ही छोड़कर स्वदेश लौट रहे हैं प्रधानमंत्री ने सऊदी अरब के आधिकारिक डिनर में शामिल होने के बजाय वापस आने का फैसला किया सुबह होते ही पीएम मोदी दिल्ली आ गए हमले का जो समय है वो महज़ इत्तेफ़ाक नहीं है दो बाते बहुत अहम थी। पहली बात यह है कि मोदी सऊदी अरब में थे वो जमीन जो पाकिस्तान को पैसे देती है दूसरी ये है कि अमेरिका के उपराष्ट्रपति भारत में थे
क्योंकि भारत के बारे में भारत से ज्यादा विदेशी जानकारी रखते हैं भारत की सिक्युरिटी एजेंसी ज़ को ये तक नहीं मालूम है की पहलगाम में आतंकी हमला हो सकता है जबकि बच्चा बच्चा जानता है कि आतंकी भीड़ वाली जगहों पर ही बम रखते हैं तो ब्रिटिश पत्रिका द इकोनॉमिस्ट ने अपने एक रिपोर्ट में लिखा है कि भारतीय सेना के पूर्व अधिकारियों का मानना है
कि इस हमले की साजिश रचने वाले चाहते थे कि कश्मीर को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया जाए इसलिए हमला तब किया गया जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे डी वैन्स भारत के दौरे पर थे।
और पीएम मोदी सऊदी अरब के दौरे पर थे इनका ये भी कहना है कि हमले को इस रूप में डिजाइन किया गया था कि कश्मीर को टुरिस्ट इंडस्ट्री के रूप में कमजोर किया जाए इससे पहले भी हिंदू तीर्थयात्रियों पर हमला किया गया था जून 2024 में एक बस पर हमला हुआ था जिसमें हिंदू तीर्थयात्री सवार थे हमले का मेन मकसद कश्मीर में हिंदू आबादी को आने से रोकना है। दोस्तों ये पहली बार नहीं है जब अमेरिकी नेताओं के भारत दौरे के समय कश्मीर में चरमपंथी हमला हुआ है। 20 मार्च 2000 को चरमपंथियों ने अनंतनाग के छत्तीसिंहपुरा में हमला कर 36 सिख ग्रामीणों को मार डाला था तब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के भारत दौरे के एक दिन पहले से ये हमला हुआ था हमलावर कथित तौर पर पाकिस्तान के रहने वाले निकले थे भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने हमले की कड़ी निंदा करते हुए। इसके लिए सीधे तौर पर पाकिस्तान को दोषी ठहराया था दो साल बाद 14 मई 2002 को अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री क्रिस्टीना रोका के भारत दौरे के समय आतंकियों ने फिर हमला किया इस बार उन्होंने पहले कश्मीर के कालूचक में यात्रियों से भरी बस पर हमला किया
और फिर आर्मी फैमिली क्वार्टरों को निशाना बनाया इस हमले में 23 लोग मारे गए थे और 34 लोग घायल थे मृतकों में 10 बच्चे भी शामिल थे और अब पहलगाम हमला हुआ जब जब अमेरिकी नेता भारत के दौरे पर थे तब तब आतंकी हमला हुआ इस बार अमेरिकी उपराष्ट्रपति भारत में थे जम्मू कश्मीर के कर्ताधर्ता उपराज्यपाल मनोज सिन्हा कश्मीर छोड़ दिल्ली में थे।
प्रधानमंत्री देश छोड़ सऊदी अरब में थे और गृह मंत्री जी क्या ही कहें वो सिर्फ मुसलमानों के लिए गृह मंत्री बने हैं या देश के लिए या सिर्फ हिंदू मुसलमान करने के लिए समझ नहीं आता अब आतंकवादियों से निपटते निपटते 75 साल बीत चूके हैं अब तक ये समझ में आ चुका है कि लातों के भूत बातों से नहीं मानेंगे अब आतंकवादियों पर कार्रवाई करने के लिए भारत को पीओके से आतंकवादियों के टेंट उखाड़ने हो जी दुनिया की परवाह किए बिना पीओके को अपने कब्जे में लेना पड़ेगा जब दुनिया के देश दुनिया वालों की परवाह नहीं करते तो फिर हम दुनिया के देशों की परवाह क्यों करे हम पाकिस्तानी आतंकियों का सफाया तभी कर सकते हैं
जब मोदी ने वाकई सेना को मजबूत किया हो जब हमारे पास लड़ने के सारे संसाधन हो अगर रैलियो के मंचों से सिर्फ गाल बचाए हैं। पाकिस्तान पर हमला नहीं हो सकता और अगर भारत को वाकई मजबूत बनाया है तो भारत को पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों को चुन चुन कर मारना होगा पाकिस्तान की आने वाली पीढ़ियों को यह बताना होगा कि भारत क्या चीज़ है अगर भारत को दहलाने के लिए पाकिस्तान की जमीन का इस्तेमाल हुआ तो भारत पाकिस्तान के परखच्चे उड़ा देगा यह संदेश जाना चाहिए
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