नरेंद्र मोदी मीडिया के बाद अब विपक्ष के सवालो से भी भागे सर्वदलीय बैठक में मोदी नदारद।

नरेंद्र मोदी मीडिया के बाद अब विपक्ष के सवालो से भी भागे सर्वदलीय बैठक में मोदी नदारद
जो जितना बड़ा राजा है वो उतना ही डरपोक होता है। और एक डरपोक राजा का साम्राज्य उतना ही अस्थिर होता है। कहने वाले तो ये भी कहते हैं कि एक डरपोक राजा से एक बहादुर दुश्मन ज्यादा बेहतर होता है
क्योंकि डर बुक राजा दीमक की तरह साम्राज्य को खा जाता है जबकि एक बहादुर दुश्मन उस राज्य के साथ जो करता है ताल ठोककर करता है। मैं यहाँ पर रेफरेन्स राजा से अपने मोदी जी को दे दो।
मोदी जी इतने डरपोक है, सवालों से इतना भागते है कि पूछिए मत। 11 साल हो गए देश के प्रधानमंत्री बने हुए हैं उससे पहले कितने ही साल मुख्यमंत्री रहे लेकिन सवालों से भागने की ऐसी आदत लगी है कि आज भी। दूर तक सवालों के आसपास भी नहीं फटकते। अरे इस देश की मीडिया को गोद में बिठा चूके हैं नाम ही इसलिए गोदी मीडिया पड़ गया
वो भी क्या सवाल पूछती है ये इंटरव्यूज़ में देखा उसके बावजूद मजाल है की मोदी जी का भी प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हो क्योंकि उन्हें मालूम है उस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुछ पत्रकार बनाएंगे सच्चे पत्रकार भी आयेंगे वो खाट खड़ी करेंगे अब इस पुलवामा वाले मामले में पहलगाम वाले मामले में माफ़ कीजियेगा। अब इस पहलगाम वाले मामले में किसी सवाल का कोई जवाब नहीं दिया वरना नोर्मल्ली अगर मोदी जी की जगह मनमोहन सिंह या कोई और प्रधानमंत्री होता सबसे पहले वो राष्ट्र के नाम संदेश देता फिर अगर दुनिया भर को मैसेज पहुंचाना है तो प्रेस कॉन्फ्रेन्स करता प्रेस के जरिए दुनिया को मैसेज पहुंचा था लेकिन हमारे मोदी जी ने चुना राजनीतिक सभा रैली क्योंकि चुनाव ज्यादा इम्पोर्टेन्ट है पहेलगाम जाना है इतना इम्पोर्टेन्ट नहीं है
बिहार जाना जरूरी था और वहाँ से संदेश दे रहे हैं वो भी अंग्रेजी में चलिए माना प्रेस के सवालों से डरते हैं मोदी जी ठीक है, चले गए। लेकिन इस मु्द्दे पर जब देश की सुरक्षा पे इतना बड़ा हमला हुआ है देश पर इतना बड़ा हमला हुआ है एक सर्वदलीय बैठक बुलाई जाती है उसमें देश की सभी बड़ी पार्टियों के बड़े नेता मौजूद हैं लेकिन प्रधानमंत्री नदारद है। क्यों सीधा सा सवाल है। और सीधा सा इसका जवाब है कि उनको मालूम था इस सर्वदलीय बैठक में विपक्षी दल। बहुत तीखे सवाल पूछेंगे उनको मालूम था और कोई पूछे ना पूछे राहुल गाँधी तो ऐसे ऐसे सवाल पूछेंगे जिसका जवाब देना मुश्किल होगा क्योंकि यह सुरक्षा में भेद का मामला है। इन्टेलिजन्स फेल्यर का मामला है, सुरक्षा में चूक का मामला है। अब कांग्रेस के पास तो इतना माल जमा है। उनका उस जमाने में
भी बहुत हमले हुए कश्मीर में। तो उन्होंने क्या क्या सीखा और क्या क्या कदम उठाए वो सब लेके राहुल गाँधी गए थे। लेकिन मज़ा ले मोदीजी बैठक में आते। अब आपको पता है गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह तो क्या जवाब देते और अमित शाह जी का तो ऐटिट्यूड भी आपको मालूम ही है। जितना सर्वदलीय बैठक में नेता थे खासकर के कश्मीर से आए थे
सबने सबने सरकार से एक ही गुहार लगाई कि इस चीज़ का ध्यान रखा जाए कि अब जो देश के अलग कोनों में जो कश्मीरी काम कर रहे हैं या पढ़ रहे हैं या रोजगार कर रहे हैं उनको निशाना बनाया जाए
क्योंकि मीडिया ने जो नैरेटिव बना दिया है वो बहुत खतरनाक है। तो यह गुहार सरकार से करने जब सरकार में कौन थे वहाँ राजनाथ सिंह और गृह मंत्री और विदेश मंत्री वित्त मंत्री लेकिन प्रधानमंत्री नहीं थे। जब कामियाबी होती है, कुछ सर जो है, सरकार करती है तो कहते हैं पीएम मोदी ने किया।
अब कल शाम को परसों शाम को ऐलान हुए कि पाकिस्तान को लेकर 5 बड़े ऐलान हुए उसमें तो लिखा था उसमें उसका आपने देखा होगा कहीं भी उसकी खबरें और सब कुछ कहीं नहीं लिखा था कि सरकार के 5 बड़े ऐलान उसमें लिखा था प्रधानमंत्री मोदी के 5 बड़े ऐलान अगर ऐलान प्रधानमंत्री मोदी कहें। तो भाई शिकायतें भी हुईं, सुनेंगे ना सवालों के जवाब भी वही देंगे। वहाँ मंत्री जो बैठे थे मुझे मालूम है उन्होंने तो कह दिया होगा की ठीक है हम प्रधानमंत्री जी से इस मामले में बात करेंगे आसान काम है। अब मेरा से किसी को सवाल पूछना है मैं अपने जूनियर को वहाँ भेज दूँ तो जूनियर तो यही कहेगा कि ठीक है मैं बॉस से पूछ के बताऊँगा या आपका मैसेज बॉस तक पहुंचा दूंगा यही कहेगा ना आसान सा जवाब यही कल हुआ।
कॉल पार्ट भी थे साथ हुई। राजनाथ सिंह जी ने बिसाइड किया। अमित शाह से भी। अब मेरे सब लोग घुमे है। मिलके जो में। उसको। सभी लोगों ने टंडन। ऑल। पर्स्पेक्टिव। और दूसरी चीज़ हमने ये कहा। कश्मीर में शांति रखने के लिए। उस। अच्छा। वहाँ पर शांति रखना जरूरी है, ये बात उनके सामने होंगे रखा। सभी ऐक्शन से। प्रधानमंत्री सवालों से भाग। सवालों से वो आदमी भागता है जो सच्चा नहीं होता।
क्या उन्हें यह लग रहा था कि कहीं राहुल गाँधी है ना पूछते है की आपने कश्मीर का दौरा क्यों रद्द किया और उसके तुरंत बाद ये क्यों हो गया। या उन्हें लग रहा था की आप ये बताइए कि इन्टेलिजेन्स अगर इनपुट था तो फिर सरकार ने वहाँ सुरक्षा के इंतजाम क्यों नहीं किये थे क्यों इतने पर्यटकों को खाली छोड़ा हुआ था लेकिन उसके लिए हाथ में कुछ होना भी चाहिए ना जवाब देने के लिए एक कॉन्फिडेन्स होना सबसे बड़ी कमी बताता हूँ मैं आपको हमारे देश के प्रधानमंत्री की सबसे बड़ी कमी क्या है? हमारे देश के प्रधानमंत्री की सबसे बड़ी कम है एक सेल्फ कॉन्फिडेंस। मोदी जी के पास सेल्फ कॉन्फिडेंस नाम की जो चीज़ होती है वो 0 है बहुत बड़ा 0 है आत्मविश्वास बिल्कुल नहीं है मोदी जी कभी औचक से कहीं प्रश्न में फंस जाते हैं तो देखिए उनके हाव भाव जब टी पी बंद हो जाता है
तो उनके हावभाव देखकर आप समझ सकते हैं दूसरी तरफ राहुल गाँधी ने कभी टी पी पढ़कर भाषण देते हुए सुना हमको मनमोहन सिंह को कभी टी पी पढ़कर भाषण देते सुना था। यह और भी अटल बिहारी वाजपेयी को कभी सुना था कभी नहीं सुना था। लेकिन प्रधानमंत्री को जब तक लिखा वो ना मिले उनको कॉन्फिडेंस ही नहीं आता वो जवाब ही नहीं दे सकते किसी चीज़ का चुनावी सभाओं में भी टी से पढ़ते हैं।
अरे चुनावी भाषण को अपने मन से बोल दिया की वहाँ भी टेलीप्रॉम्प्टर पढ़ के बोलते तो जब आत्मविश्वास ही नहीं है तो जवाब कहा से देगा जवाब तो वो दे सकते हैं जो आत्मविश्वास जिसमें मेरे जो भी है थोड़ा बहुत तुम विश्वास है इसलिए मैं बिना टेलीप्रॉम्प्टर के जो यहाँ आता है मैं बोलता हूँ मैं कुछ टीम बिना टीबी पढ़ें विडीओ बनाता जरूरत हो, ज्यादा से ज्यादा तो पॉइंट्स नोट कर लेता हूँ
तो कोई भी कर सकता। लेकिन जब आत्मविश्वास नहीं होगा तो मैं बिना टीवी के नहीं चल सकता। मुझे टेलीप्रॉम्प्टर चाहिए ही चाहिए। उसमें जो है बाते। घुमाई जाती है क्योंकि वो टीम ने लिखा होता है वो आदमी खुद नहीं बोलता लिखता वो टीम लिख के देती है पूरा वो ही प्रधानमंत्री जी आज इंग्लिश में भाषण दे गए। बिहार में बताइए हँसी की सबसे बड़ी बात तो ये है कल। वो भी टेलीप्रॉम्प्टर से पढ़कर सबको मालूम है। फिर भी इतना बड़ा दिखावा है। सही पूछते हैं लोग सवाल पूछते हैं जब मोदीजी विदेश जाते है जब विदेशी मेहमानों से मिलते हैं तो बड़े ज़ोर ज़ोर से हंसते हैं
बात क्या करते होंगे क्योंकि हर जगह तो ट्रांसलेटर चाहिए होता है उनको खैर उसकी मैं वो कमी नहीं गिनता प्रधानमंत्री की हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी है वो उसमें कम्फर्टेबल है तो बहुत बढ़िया वो कोई दिक्कत नहीं है यहाँ सेल्फ कॉन्फिडेंस की बात कर रहा सेल्फ कॉन्फिडेंस ना हो तो आदमी ऐसे ही भागता हैं सवालों से। एक तो ये कारण लगता है मोदी जी का यह दूसरा मुझे लगता है जो सर्वदलीय बैठक में नहाने का की वो। इस देश के विपक्ष को कुछ समझते नहीं स्टैन्डर्ड उनका अपने से नीचे समझते हैं उन्हें लगता है यहाँ कोई भी स्टैन्डर्ड का नहीं है
जो मेरे साथ बैठ सकें मेरे सामने बैठ सकें या जिनके सवालों का मैं जवाब दूँ या जिन्हें मुझे सफाई देनी फिर तो बड़ा मुश्किल है जीस देश का प्रधानमंत्री अगर विपक्ष को जिसके 23234 सांसद हैं उस विपक्ष को अगर अपने बराबर का नहीं समझते इस काबिल नहीं समझता कि उनके साथ बैठक की जाए तो फिर जनता तो कहीं भी नहीं टिकती जनता तो फिर जूतों पर है। तो अगर ऐसा है। तो फिर तो विपक्ष के साथ वही होगा जो अब तक होता है तो आप विपक्ष जितना मर्जी मजबूत कर लीजिये, लेकिन जब सत्ता पलटेगी? तब फिर जब आप भी वैसे ही मिलेगा। विपक्ष को कैसा सम्मान दिया जाना चाहिए, ये राजीव गाँधी से सीखिए जिन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी को यूनाइटेड नेशन भेजा था। याद है आपको? अटल बिहारी वाजपेयी के घुटने का ऑपरेशन का इलाज करवाया था।
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