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24/04/2025

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क्यों पाकिस्तान का पानी अचानक रोका नहीं जा सकता

शिमला एग्रीमेन्ट निलंबित करने से इंडिया पाकिस्तान को कितना नुकसान होगा

दोस्तों आपने सुना होगा अब सिंधु जल संधि है क्या आज इसी को समझ लेते हैं देखिये भारत और पाकिस्तान ने 1960 में इंडस वाटर ट्रीटी यानी की सिंधु जल समझौते पर हस्ताक्षर किए थे इस समझौते पर दोनों देशों के बीच बातचीत में विश्व बैंक ने बिचौलिए की भूमिका निभाई थी और तीसरे पक्ष के तौर पर समझौते पर उसने भी हस्ताक्षर किए थे इस समझौते का मेन मकसद सिंधु की नदियों के पानी को दोनों देशों के बीच निष्पक्षता के साथ पहुँचाना था भारत को सिंधु और उसके सहायक नदियों से 19 फीसदी पानी मिलता है

पाकिस्तान को करीब 80 फीसदी पानी मिलता है तो 6 नदियां मिलकर के सिंधु जल संधि बनाती है इनको पूर्वी और पश्चिमी नदियों में बांटा गया था और उसी के आधार पर इनके इस्तेमाल का भी बंटवारा किया गया था। पूर्वी नदियां हैं सतलज ब्यास और रावी इनके पानी का पूरा अधिकार भारत के पास है पश्चिम की तरफ से बहने वाली नदियां हैं सिंधु झेलम और चिनाब इन नदियों के पानी से भारत खेती कर सकता है बिजली बना सकता है

लेकिन ये सारी नदियां भारत से निकलती हैं आगे पाकिस्तान में एक जगह जाकर इंडस नदी या फिर सिंधु नदी बन जाती है। आप दोस्तों ये समझते हैं कि क्या पानी बंद करने से पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद? खत्म हो जाएगा आतंकवाद की कमर टूट जाएगी तो पहला जवाब यह है दोस्तों की सिंधु नदी का पानी बंद करने से आतंकवाद पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि आतंकवादी खेती नहीं करता आतंकवादी बिजली नहीं बनाता सीधा प्रभाव आतंकवाद पर नहीं पड़ेगा हाँ पाकिस्तान पर इसका प्रभाव पड़ेगा आह्वान पर इसका प्रभाव पड़ेगा पाकिस्तान सरकार को इससे फर्क पड़ेगा क्योंकि पाकिस्तान की 80 फीसदी खेती योग्य भूमि सिंधु नदी प्रणाली के पानी पर ही निर्भर है इस पानी का 93 फीसदी हिस्सा सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है जिसके बिना खेती असंभव है 23 प्रतिशत योगदान करता है

कृषि क्षेत्र पाकिस्तान की राष्ट्रीय आय में 68 प्रतिशत आबादी खेती पर निर्भर है सिंधु और उसकी सहायक नदियों के पानी पर निर्भर है पाकिस्तान के प्रमुख शहर जिसमें कराची लाहौर मुल्तान है सिंधु के पानी से चल रहे हैं

पाकिस्तान के तरबेला और मंगला जैसे पावर प्रोजेक्ट्स पाकिस्तान में खाद्य उत्पादन में गिरावट आ सकती है। खाद्य सुरक्षा को खतरा हो सकता है पाकिस्तान की शहरी जलापूर्ति तक रुक जाएगी अशांति फैल जाएगी

दोस्तों बिजली उत्पादन ठप हो जाएगा शहरी इलाकों में अंधेरा छा जाएगा तो भारत की तरफ से किए जाने वाली वॉटर्स स्ट्राइक मोह से कहने में संभव है लेकिन हकीकत में पानी रोकने का हमारे पास कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है अगर पानी रोका भी गया तो कश्मीर में बाढ़ आने का खतरा बनेगा भारत ने पूर्वी नदियों यानी सतलज और भाखड़ा नंगल बांध व्यास पर पोंग बांध राखी पर रंजीत सागर बांध और हरिके बैराज इंदिरा नहर जैसे प्रोजेक्ट लगाए हुए हैं ये सभी प्रोजेक्ट्स चालू है। जिससे भारत इन नदियों के 3.3,00,00,00 करोड फिट पानी में से करीब 94 प्रतिशत पानी का इस्तेमाल करता है 2019 में उरी आतंकी हमले के बाद भारत ने कहा था कि वो इन सब नदियों का बहाव मोड़कर सौ प्रतिशत पानी अपने यहाँ इस्तेमाल करेगा इसके बाद रावी पर शाहपुर कांडी प्रोजेक्ट सतलुज ब्यास नहर लिंक प्रोजेक्ट और रावी की सहायक नदी पर उच्च डैम बनाया जा रहा है

हालांकि दोस्तों अभी ये प्रोजेक्ट पूरी तरह से बनकर तैयार नहीं हुए है दोस्तों पाकिस्तान के हिस्से वाली पश्चिमी नदियों में चुनाव पर भारत ने बगलीहार डैम और रातले प्रोजेक्ट चुनाव की एक और सहायक नदी मारू सुंदर पर पाकल दुल प्रोजेक्ट और झेलम की सहायक नदी नीलम पर किशनगंगा प्रोजेक्ट शुरू किया है इनमें से बगलीहार प्रोजेक्ट और किशनगंगा चालू है

सिंधु जल समझौते से पूरी तरह बाहर आने के बाद इन बांधों और परियोजनाओं के जरिए भारत वेस्टर्न रिवर्स का ज्यादा से ज्यादा पानी इस्तेमाल करना शुरू कर सकता है हालांकि डैम बनाकर और उनमें पानी स्टोर करके ऐसा रातों रात नहीं किया जा सकता पश्चिमी नदियों में पूरी सिंधु जल प्रणाली का करीब 80 प्रतिशत पानी है इससे अचानक से रोकने से भारत के पंजाब और जम्मू कश्मीर के इलाकों में बाढ़ की स्थिति भी बन सकती है और यही कारण है

दोस्तों की भारत रातों रात पाकिस्तान का पानी बंद नहीं कर सकता भारत सिंधु जल समझौता तोड़ सकता है इसका ऐलान भी कर सकता है। लेकिन पानी रोकने के लिए जो इनफ्रास्ट्रक्चर चाहिए। वो नहीं है पानी रोक देंगे हुक्का पानी बंद कर देंगे प्रॉपर गेंदबाजी है गोदी मीडिया आपको ये कहते हुए तुम मिल जायेगा लेकिन क्या पानी रोकने से हम अपने नागरिको की जान का बदला ले पाएंगे

ये कोई नहीं बताएगा आतंक का हल क्या है क्या पानी रोकना आतंक से निजात मिलना है अगर हमारी सरकार में दम है। तो हमें पीओके वापस लेना होगा वो हमारा था हमारा है और हमारा ही रहेगा लेकिन कटु सत्य है दोस्तों की आज की तारीख में केवल कश्मीर का पूरा नक्शा ही बनता है पर आज भी पाकिस्तान का कब्जा है हमें के इस पार ही जैसे लाइन ऑफ कंट्रोल कहते हैं।

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