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24/04/2025

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भारतीयों भारत को बचा लीजिये मैं आपसे अपील करने आया हूँ

मैं आज आप सबसे। ये एक अपील करने आया हूँ और अपील इसलिए करने आया हूँ। की देश के हालात बहुत खराब है और जीतने खराब है। उससे ज्यादा भयावह बनाने की तैयारी हो रही। इस देश के चैन ओह अमन पर। खतरा पैदा किया जा रहा।

विभाजनकारी शक्तियां अपने काम में जुट चुकी है पहलगाम की घटना के बहाने एक ऐसे मौके की तलाश पूरी हो चुकी है जो एक बार फिर से देश को अराजकता की तरफ धकेल सकती जिंस तरीके से टेलीविजन चैनलो माहौल बनाया है

कश्मीर जाकर स्टुडिओ से रिपोर्टर्स के जरिये वो ना केवल शर्मनाक है। बल्कि बेहद डरावना, बर्बर और पत्रकारिता के स्थापित मूल्यों उसूलों मानको के खिलाफ़। मैं सख्त शब्दों का इस्तेमाल जानबूझकर नहीं करना चाहता

और इसलिए नहीं करना चाहता क्योंकि मुझे पता है कि उन शब्दों से भी उनकी आंखो में शर्म का एक रेशा तक नहीं उमर हमने देखा। लाल चौक पर जीस तरीके से एक सेट करने की कोशिश की गई। बेशर्म पत्रकार ये समझने को तैयार नहीं है कि कश्मीरियत। घायल हुई कश्मीर का हर बच्चा। आंसुओं में सना हुआ है इस देश के हर नागरिक की तरह कश्मीर भी गमजदा है

और जब मैं कह रहा हूँ इस देश के हर नागरिक की तरह तो उसमें कश्मीर भी शामिल है। वो लोग जो कश्मीर को इस सामान्य को तैयार नहीं है वो पत्रकार जिसमें कई महिलाएं भी शामिल हैं जिन्हें पत्रकारिता के पड़ से भी कोई लेना देना नहीं है जो समझते नहीं और समझती नहीं की पत्रकारिता क्या है उसके मूल्य क्या है उसके गढ़े हुए मानक क्या हैं जिनका पढ़ाई लिखाई से संवेदनशीलता से कोई लेना देना नहीं है? तो सिर्फ। प्रोड्यूसर के कहने से 4 लाइन बोल सकते हैं

लिखा हुआ पढ़ सकते हैं या फिर तंत्रविद्या की तरह कुछ हुई चीजें सामने रख सकते हैं। वो कह रहे हैं कि हिंदू और मुसलमान का ये नैरेटिव है पूरी कोशिश हो रही है और ये कोशिश इसलिए हो रही है कि बिहार में चुनाव होने वाले हैं भारतीय जनता पार्टी एक वक्त में बिहार में फंसी हुई है नीतीश कुमार की स्थिति हम सब देख रहे हैं तत्कालिक चुनाव फायदे के लिए किस तरीके से मीडिया में अपने आप को नफरत के बाजार का सामान बना दिया है वो फूहड़ है बर्बर है शर्मनाक है

और वो भी अपने आप में एक दहशतगर्दी है। हमने तमाम वीडियो देखें कश्मीर से आए हुए स्टुडिओ से आए हुए विशेषज्ञों के रक्षा बलों के और उन चश्मदीदों के भी जो बड़ी मुश्किल से जीवित बचकर बाहर निकल आए? एक चश्मदीद ने साफ कहा। की मैंने देखा। हजारों लोग वहाँ थे और वह इसलिए बच गए। क्योंकि कश्मीरियों ने उनका साथ दिया एक स्थापित टीवी चैनल पर जिनके ऐंकर को आप बार बार दंगाई सोच से भरा हुआ देखे होंगे आप अक्सर उनको दिखा करते होंगे

मैं उनका भी नाम नहीं ले रहा हूँ और मैं नाम इसलिए नहीं लेना चाहता क्योंकि मैं जानता हूँ। की वो दौर अब हमारे सामने खड़ा है जब हम या तो इंसानियत को बचा सकते हैं या तो मानव मूल्यों को बचा सकते हैं

संविधान को बचा सकते हैं नागरिकता के बोध को बचा सकते हैं लोकतांत्रिकता को बचा सकते हैं मनुष्यता समानता न्याय और बंधुत्व के सिद्धांत को बचा सकते हैं और नहीं तो नफरत करना और बर्बरता के पक्ष में खड़े हो सकते हैं। और ये व्यक्तिवादी नहीं है इसलिए मैं नाम नहीं ले रहा क्योंकि एक जब पूरी बर्बरता का बोध घृणा का बोध नफरत का बोध सांस्थानिक रूप ले ले तो आप किसका किसका नाम लेंगे किसको किसको बेशर्म कहेंगे किसको किसको जाहिल कमजोर कहेंगे

इसलिए मैं कहना चाहता हूँ कि यह हमारे आपके जैसे नागरिको की जिम्मेदारी है। क्यों मूल्यों को बचाए जिन मूल्यों पर भारत नाम का विचार खड़ा हुआ है मैं आपसे अपील करना चाहता हूँ कि आप जहाँ कहीं भी रहते हो जिससे किसी भी हिस्से में रहते हो उन आवाज़ों को सुनिए जो अमन के पक्ष में खड़ी है जो शांति भाईचारा न्याय बंधुत्व और समानता के पक्ष में खड़ी मैं आपसे अपील करना चाहता हूँ और हाथ जोड़कर अपील करना चाहता? किस देश को? जहाँ ले जाने की तैयारी हो रही। जिंस दिशा में झोंके जाने की तैयारी हो रही। वो बेहद भयावह है और जो होगा। उसके लिए सदियाँ शर्मिंदा होगी। भारत नाम के विचार पर जो कालिख पोतने की तैयारी हो रही है वो 27 नागरिको के कत्लेआम से कहीं ज्यादा बड़ा होगा कहीं ज्यादा डरावना होगा

और उसके जख्म कहीं ज्यादा कह रहे इस जख्म से? देश को सिर्फ नागरिकता का बोध बचा सकता है लोकतांत्रिकता का बोध बचा सकता है संविधान में आस्था बचा सकती मानव मूल्यों में आस्था बचा बचा सकती है। हमारे और आपके मन में उमड़ता हुआ प्रेम भाईचारा मनुष्य था। इसलिए। मैं आपसे अपील करता हूँ कि हिंदू और मुसलमान का नैरेटिव मत करने दीजिये ये उससे कहीं ज्यादा आगे की चीज़ है ये हमला किसी हिंदू समुदाय पर नहीं है। कश्मीर के

के लोग मैंने वो वो बात सुनी है कश्मीर की उस महिला की जिसमें वो कह रही है की हमारा दिल भी उतना ही जख्मी जिसमें वो कह रही है की हमारे घरों में खाना नहीं पका है। जिसमे वो अपील करती नजर आ रही है कि आप आइये।

हम आपको अपने घरों में रखेंगे खुद खाना बनाकर खिलाएंगे हमारे घर के मत और हम हमारे घर के बच्चे आपकी हिफाजत करेंगे और आतंकियों की गोली आप पर लगने से पहले उसको हमारे सीनियर को छलनी करना होगा।

ये औरतें बोल रही है कश्मीर। और दिल्ली से गयी हुई टीवी चैनलों की ओर थे। ऐंकर्स इसको हिंदू बनाम मुसलमान में बदलने की कोशिश कर रहे हैं। इस इस जालसाजी को समझिये इस जहाँ से को समझिये।

और समझिए कि एक रोज़ जब यह दौर गुजर जाएगा और हम 12सरे की आँखों में झांकेंगे तो उसमें मनुष्यता की तलाश करना ही होंगे या नफरत की बर्बरता की अविश्वास ये सवाल मेरे भी सामने हैं ये सवाल आपके सामने भी है ये सवाल टेलीविजन चैनलों के संपादकों के सामने भी ये सवाल उन्हें बैंकरों के सामने भी हैं जो उन लोगों को कैमरे की नजर से बाहर कर दे रहे हैं जो मनुष्य था और भाई चारे की बात करें जो कह रहे है की हमने देखा सैकड़ों लोगों को बचाते हुए और सैकड़ों लोग इसलिए बच गए।

ये कश्मीरियों ने अपनी जान पर खेलकर उन्हें बचाने की कोशिश की। हमने वो विडिओ देखा है जैसे एक आदमी कश्मीरी अपनी पीठ पर दूसरे व्यक्ति को बैठाकर भागता चला जा रहा है पहाड़ी क्या इन तस्वीरों को दरकिनार किया जा सकता? क्या इस विश्वास को दरकिनार किया जा सकता है या इस मोहब्बत, भाई चारे इस कश्मीरियत को दरकिनार किया जा सकता है?

कुछ कुछ बादशाह कसम के लोगों की चमड़ी को बचाने के लिए। उनके आभामंडल को बचाने के लिए? जो रचा जा रहा है वो बेहद भयावह है वो बहुत डरावना है वो हिंदुस्तान के लिए एक नासूर की तरह होगा एक ऐसा घाव जिसे भरना शायद सदियों के बस की भी बात ना। इसलिए मैं आपके बीच अपील करने आया। लेकिन सारे दृश्यों के लोभ हो जाने से पहले बचा लीजिये। बचा लीजिए।

भाई चारे बचा लीजिये एक बचा लीजिये एक को लीजिये संविधान लोकतंत्र न्याय और समानता में विश्वास को बचा लीजिये आदमी में आदमी के विश्वास को ये विश्वास जीस दिन टूटेगा इस देश को टूटने से कोई नहीं सकता।

टेलीविजन चैनलों के टिकटों की मच इनके चेहरे। अमन के खून से रंगे हुए हैं इनके हाथ। रंगे हुए हैं भाई चारे के वक्त से इनकी आँखों से खून टपक रहा है ये संविधान को नोचकर खा जाएंगे एक दिन लोकतंत्र का कतल कर देंगे बचाइये आदमी में आदमी के विश्वास को

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