पहलगाम से जान बूझ कर CRPF हटाये गए थे . बड़े अधिकारी का नाम शामिल .अख़बार का दावा

पैसों के लालच ने पहलगाम में रचा मौत का खेल अपनों की धोखेबाज़ी में टूरिस्ट बने शिकार
जम्मू कश्मीर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नए नए इलाको की खोज की गयी जहाँ अब तक पर्यटक या तो नहीं पहुँच पा रहे थे या उन इलाकों तक पहुँचने के लिए या उन इलाकों तक पहुँच बढ़ाने के लिए बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही थी रास्ते बने हुए नहीं थे या उन रास्तों के बीच पे वो इलाके कही ना कही गुम शुदा थे उन गुमनाम पर्यटक स्थलों को खोजा गया और पर्यटन के मानचित्र पर उसे लाने की कोशिश की गई।
बिना ये देखे हुए है कि वहाँ पहुँचते पहुँचते पर्यटकों के लिए सुरक्षा की व्यवस्था बनी रहेंगी या नहीं रहेंगी सुरक्षा व्यवस्था का ना होना और महज पर्यटक स्थलों तक पहुंचने के लिए एक ऐडवेंचर की खोज के लिए पर्यटक भी पहुंचने लगे और वहाँ पर्यटन के लिहाज से पैसा आने लगा तो तमाम लोग वहाँ डेरा जमाने लगे बिना ये सोचे समझे बिना ये देखे भाले की वहाँ सुरक्षा व्यवस्था है या नहीं है।
जम्मू कश्मीर जैसे राज्य में ये रिस्क घातक साबित हो गया। और इसका परिणाम वहाँ 26 से ज्यादा लोगों की मौत के बाद पूरा देश उठा रहा है। गम और गुस्सा दोनों पर्यटन को बढ़ावा देने के लिहाज से इस कदम को अच्छा माना जा रहा था, लेकिन सुरक्षा? चूक ये सबसे बड़ी नाकामी साबित हुई ना सिर्फ राज्य सरकार के लिए बल्कि केंद्र सरकार के लिए भी ये जवाब देते नहीं बन रहा है
कि आखिर ऐसे पर्यटक स्थलों की खोज किसने की और अगर ये की जा रही थी तो सरकार का इस पे क्या रोल था सुरक्षा व्यवस्था के लिहाज से जैसे पर्यटक स्थलों तक पहुंचने के लिए क्या कुछ रास्तों का इंतजाम किया गया? गुमनाम पर्यटक स्थल जो कि मेन पहलगाम से केवल 5 किलोमीटर की दूरी पर थे
वहाँ काफी वक्त से पर्यटक जमा हो रहे थे। घने जंगलों के बीच में ये पर्यटक स्थल था। घने जंगल आसपास थे लेकिन प्रशासन ने सुरक्षा के लिहाज से कोई प्रबंध नहीं किया कोई इंतजाम नहीं जंगलों के भीतर से आतंकियों ने वहाँ हमला किया और आकर 26 लोगों की हत्या कर दी प्रशासन वहाँ नदारद हाँ हत्या होने के बाद लाशें गिरने के बाद प्रशासन वहाँ पहुंचने लगा
और वहाँ सुरक्षा के इंतजाम बढ़ाए जाने लगे। लेकिन किसके लिए लाशों के लिए? जब वह पर्यटक हजारों की संख्या में पहुंचने लगे और ना ये सिलसिला एक दिन या दो दिन का नहीं था पिछले लंबे वक्त से ऐसे पर्यटक स्थलों पर लोगों की भीड़ बढ़ रही थी जब लोगों की भीड़ बढ़ रही थी वहाँ प्रशासन ने अपनी मौजूदगी दर्ज क्यों नहीं करवाई आतंकियों ने इसका पूरा फायदा उठाया पर्यटकों को अपनी गोलियों का निशाना बनाया पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर सरकार की तरफ से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में सरकार ने माना की सुरक्षा में चूक हुई है।
केंद्रीय संसदीय मामलों के मंत्री किरण रिजिजू की ओर से कहा गया कि सुरक्षा में कहीं न कहीं चूक हुई है अब बकायदा इसकी जांच करेंगे कि कैसे और कहाँ चूक हुई। इसी बात को लेकर एशियन एज अखबार ने भी एक रिपोर्ट की है दो रिपोर्टर्स ने मिलकर इस पूरे मामले पर एक अच्छी खासी रिपोर्ट तैयार करके उसे पब्लिश किया है एशियन एज अखबार ने जिसमें ये बताया गया है कि कैसे वहाँ से सीआरपीएफ को हटाया गया किस अधिकारी के कहने पर ये हटाया गया ये साफ नहीं हो पाया दीपक शर्मा वरीष्ठ पत्रकार हैं वो लिखते हैं कि किस अधिकारी के कहने पर सीआरपीएफ को 20 रन पिकनिक पॉइंट से हटाया गया यह एक बड़ा सवाल है इसका जवाब नहीं मिला
जिससे स्पॉट पर 12000 पर्यटक रोज़ आते हों वहाँ सीआरपीएफ क्यों हटाई गई उस स्पॉट को सुरक्षा विहीन क्यों किया गया क्या गृह मंत्रालय और जी का असिसमेंट मिश्रण को लेकर गलत था और इस गलती ने आतंकियों को बड़ा मौका दिया एशियन एज अखबार के दो पत्रकारों ने इस सिलसिले में गहरी पड़ताल की है और इस अखबार की कटिंग भी दीपक शर्मा अपने ट्वीट के जरिए पोस्ट करते हैं सवाल यही है सुरक्षा में चूक किस तरह से इसकी जांच की जाए? सुरक्षा व्यवस्था का ना होना और खबर यहाँ ना कि सीआरपीएफ को वहाँ से हटाया गया तो किसके कहने पर हटाया गया क्या 2000 आम लोगों की जान जोखिम में डालना सही था? क्या जो इनपुट्स मिल रहे थे सिक्युरिटी को लेकर वो गलत मिल रहे थे क्या आतंकियों की इस पूरी तैयारी की जानकारी सुरक्षा एजेंसियों को नहीं थी? और अगर ये तमाम पर्यटक हज़ार 2000 की संख्या में रोज़ जुट रहे थे
और ऐसे इलाके में जो चारों तरफ से घने जंगलों से घिरा हुआ हो वहाँ इतना बड़ा रिस्क कैसे लिया गया अखबार में इस बाबत पूरी रिपोर्ट आई है अब सरकार भी मान रही है कि सुरक्षा में चूक हुई है बहरहाल अब देखना होगा की सुरक्षा में इस चूक का जिम्मेदार कौन? तय होता है और किस लिहाज से यह सुरक्षा की चूक आतंकियों को हौसला देने वाली बनी बाल सरकार इस पर जांच करके आगे कार्रवाई की बात कह रही है देखना होगा की ये जांच कब तक होती है कार्रवाई क्या होती है और आगे घाटी या जम्मू कश्मीर के अलग इलाकों में पर्यटकों के पहुंचने का सिलसिला किस तरह से जारी रहता है और उनको कितनी सुरक्षा मुहैया होती है
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